https://hothindisexstory.com Sun, 02 Oct 2016 16:37:04 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=5.5.3 106729509 भाई के साथ प्यार और धोखा https://hothindisexstory.com/%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%88-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%b8%e0%a4%be%e0%a4%a5-%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%b0-%e0%a4%94%e0%a4%b0-%e0%a4%a7%e0%a5%8b%e0%a4%96%e0%a4%be/ Sun, 02 Oct 2016 16:37:04 +0000 https://hothindisexstory.com/?p=9263 दोस्तों में अहमदाबाद की रहने वाली हूँ और मेरी उम्र 24 साल और दिखने में बहुत सुंदर, गोरा रंग, पतली कमर, एकदम तने हुए बूब्स हल्की सी उभरी हुई गांड जिसको देखकर हर कोई मेरी गांड को पाना चाहता है, मेरे फिगर का आकार 26-32-36 है। दोस्तों मेरे परिवार में मेरी माँ, पापा और मेरी […]

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]]> दोस्तों में अहमदाबाद की रहने वाली हूँ और मेरी उम्र 24 साल और दिखने में बहुत सुंदर, गोरा रंग, पतली कमर, एकदम तने हुए बूब्स हल्की सी उभरी हुई गांड जिसको देखकर हर कोई मेरी गांड को पाना चाहता है, मेरे फिगर का आकार 26-32-36 है। दोस्तों मेरे परिवार में मेरी माँ, पापा और मेरी छोटी बहन जिसकी उम्र साल है और मेरी मौसी के दो बेटे है और जिनका नाम चिराग और कबीर है। दोस्तों मेरे बड़े भाई चिराग की शादी तक तो में कबीर जो कि मुझसे तीन महीने बड़ा है और में उससे ज़्यादा बात नहीं करती थी, वैसे कबीर दिखने में ठीक ठाक है, उसकी हाईट 6 फीट और वो मुझे दिखने में रणबीर कपूर जैसा लगता है, लेकिन मेरे बड़े भाई की शादी के बाद से कुछ चीज़े चेंज हो गई। दोस्तों भाई की शादी के समय में, कबीर और उसके कुछ दोस्त साथ में बातें कर रहे थे, कबीर बार बार मेरे बालों को खुले कर देता और मुझे हर कभी छूने लगा।

दोस्तों यह कहानी 2011 से शुरू हुई, जब में अपने भाई की शादी के कुछ महीने बाद अपनी मौसी के यहाँ पर रहने चली गई। गर्मियो के दिनों की वजह से रात को हम सब एक साथ में बड़े हॉल में सोते थे। फिर दूसरे दिन सुबह हमे हमारे एक रिश्तेदार के यहाँ पर किसी समारोह में जाना था, इसलिए सब लोग जल्दी सो गये थे, लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी, इसलिए में कुछ देर छत पर घूमने के बाद सीधा बाथरूम में नहाने चली गई तो मुझे थोड़ी देरी हो गई और उस दिन मेरी मौसी और भाभी ज्यादा गरमी होने की वजह से छत पर सोने चले गये। अब में और मेरी छोटी बहन नीचे के हॉल में टी.वी. देखते देखते सो गये और रात को करीब एक बजे कबीर घर आया और वो फ्रेश होकर मेरे पास में सो गया। उस दिन में और कबीर पहली बार पास में सोए हुए थे। में घर में अधिकतर समय शॉर्ट्स पहनती हूँ और उस दिन भी मैंने वही पहना हुआ था और सोते समय कबीर मेरे बालों में हाथ घुमा रहा था और यह सब वो पहले भी मेरे साथ करता था।

दोस्तों में उस समय गहरी नींद में थी तो मुझे ऐसा कोई विचार नहीं आया। कबीर ने सिर्फ़ शॉर्ट्स पहना हुआ था और थोड़ी देर के बाद मुझे ऐसा लगने लगा कि जैसे कोई मेरे पैर के साथ अपने पैर रगड़ रहा है, लेकिन मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया, क्योंकि घर में सबको पता है कि कबीर नींद में अपने हाथ पैर चलाता है। अब कबीर मेरे और भी करीब आकर सो गया। उसका एक हाथ अब मेरे पेट पर था और मुझे उसका शरीर बहुत गरम लग रहा था, इसलिए में नींद में बोल रही थी कि कबीर थोड़ा सा दूर सो जा, मुझे तेरा बदन बहुत गरम लग रहा है, रात को एक दो बार उसने मेरे साथ ऐसे किया। फिर मुझे लगा कि शायद उसे बुखार होगा तो मैंने नींद में ही उससे पूछा कि कबीर तुम्हें बुखार है क्या? तो उसने मना करते हुए मुझे और ज़ोर से हग करके लेट गया। फिर मैंने इन सारी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया, क्योंकि वो हमेशा मेरे साथ कुछ ऐसा ही करता था। फिर दूसरे दिन सुबह हम सब तैयार होकर समारोह में चले गये और रात को आते समय भी हम बहुत लेट हो गए थे। दोस्तों कबीर कभी किसी परिवार के समारोह में नहीं जाता था, इसलिए वो उस दिन घर में ही रहा और रात को आकर सब लोग सो गये। फिर भाभी नहाकर ऊपर के कमरे में चली गई और में नहाकर हॉल में जाकर लेट गई, वहां पर मेरी माँ, मौसी और मेरी छोटी बहन सो रही थी। कबीर भाई रोज रात को घर पर देरी से आता था और वो अपने दोस्तों के साथ बाहर घूमता और फिर घर पर आता।

उस दिन रात को भी वो मेरे पास में आकर सो गया। हम दोनों हॉल के एक कोने में सोते थे, वहां पर उजाला कम आता था और मुझे रात को उजाले में नींद नहीं आती, इसलिए में वहीं पर ही सोती थी, देर रात को वो मेरे बहुत करीब आ गया और उसके पैर मेरे पैर के ऊपर थे और मेरी कमर पर उसकी सांसो की गरमी महसूस हो रही थी, वो मुझे पीछे से हग करके सोया हुआ था, उसके शरीर की गरमी मुझे महसूस हो रही थी और उस दिन मुझे उसकी हरकते कुछ ठीक नहीं लगी। फिर मैंने उसे दूर करने के लिए हल्का सा धक्का दे दिया, लेकिन उसने मुझे ज़ोर से पकड़ रखा था और वहां पर कुछ दूरी पर मेरी मम्मी और मौसी सो रही थी, इसलिए मैंने कुछ नहीं किया, वो धीरे धीरे मेरी कमर पर अपने हाथ सहला रहा था और में उसके हाथ को लगातार रोक रही थी।

फिर उसने अचानक मेरे बूब्स को छुआ और उनके आकार को नापने लगा, तब भी मैंने उसे रोका, लेकिन वो मेरे शरीर के गुप्त अंगो को छू रहा था और में उसे रोक रही थी और उसी समय उसने मुझे पहली बार किस किया। दोस्तों मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा, लेकिन में सच कहूँ तो यह मेरा पहला किस था, इसलिए यह मेरा पहला बहुत अच्छा अहसास था, उसको बाद में सोचकर मुझे बहुत अच्छा लगा। फिर में उससे अलग जाकर रोने लगी, लेकिन उसे इस बार से कोई फ़र्क ही नहीं पड़ा, उसने यह सारी हरकते मेरे साथ तीन चार दिन तक लगातार की। फिर तब से मैंने उससे बात करना और भी कम कर दिया और मुझे अब उसकी आँखो में देखने की बिल्कुल भी हिम्मत नहीं थी और मेरे कुछ दिनों बाद वहां से चले आने के बाद भी हम दोनों के बीच कभी कोई बात नहीं हुई, लेकिन एक दिन देर रात हम दोनों फ़ेसबुक पर ऑनलाइन थे, तब उसने मुझे उस रात के बारे में बातचीत करना शुरू कर दिया और वैसे पहले मुझे सेक्स के बारे में कोई भी इतनी जानकारी नहीं थी और फिर मैंने उससे कहा कि में तेरी बहन हूँ, हम दोनों के बीच ऐसा नहीं हो सकता।

तब भाई ने मुझसे कहा कि वो मुझे अपनी बहन मानता ही नहीं है, तो उसने मुझसे पूछा कि क्या में वर्जिन हूँ? तो में उससे झगड़ा करके चली गयी और हम दोनों ने बहुत समय तक कभी कोई भी बातचीत नहीं की, लेकिन दोस्तों मेरे दिल और दिमाग़ में कबीर के ही विचार चल रहे थे और रात को मेरे सपनो में भी वो मेरे साथ होता, मुझे किस करता और मेरे बूब्स को छूता और मुझे धीरे धीरे वो बहुत अच्छा लगने लगा था, लेकिन मैंने उसे अपने मन की बात कभी बताई ही नहीं। फिर अचानक मेरे बड़े भाई चिराग की मौत हो गई, इसलिए हम 15-20 दिन के लिए मौसी के यहाँ पर चले गये, लेकिन अब हम दोनों एक दूसरे से दूर ही रहते थे और जिस दिन में और मेरी मम्मी अपने घर पर वापस आ रहे थे, तब कबीर अपने चाचा जी के लड़को के साथ ऊपर वाले कमरे में सो रहा था। फिर में वासू को उठाने गई, ताकि वो हमे बस स्टेंड तक छोड़ दे, लेकिन मज़ाक मज़ाक में कबीर ने मुझे अपने बेड पर लेटा दिया और मस्ती मस्ती में उसने मुझे कई बार छुआ, लेकिन ना जाने क्यों उस दिन मुझे उसकी किसी भी बात का बुरा नहीं लगा और कुछ दिन के बाद हम दोनों की मैसेज चेटिंग शुरू हो गई और तब हम दोनों को पता चला कि हम दोनों एक दूसरे के लिए बहुत तड़प रहे है और फिर मैंने उसे अपने मन की सारी बातें बताई कि कैसे में उसे पसंद करने लगी हूँ।

फिर भाई ने मुझे अपने घर पर दो दिन रहने के लिए बुलाया, लेकिन तब मेरी पढ़ाई चल रही थी, इसलिए मेरे पास ज्यादा दिन की छुट्टियाँ नहीं थी, लेकिन फिर भी शनिवार रविवार को में वहां पर चली गई, वो खुद मुझे बस स्टेंड लेने आया, वो जनवरी का महिना था तो इसलिए उस समय ठंड बहुत थी और मुझे तो और ठंड लग रही थी। फिर घर पर पहुंचकर मैंने घर के कामों में मौसी की मदद की और फिर रात को सोने का समय हो गया और भाई जानबूझ कर मेरे पास सो गया, हम दोनों के बीच में थोड़ी दूरी थी और हम दोनों का मुहं अलग अलग दिशा में था और कुछ देर आखें बंद करके लेटे रहने के बाद मुझे धीरे धीरे नींद आने लगी, लेकिन उस समय भी मुझे बहुत शरम आ रही थी। फिर कुछ देर बाद कबीर ने मौका देखकर मेरी तरफ घूमकर मुझे पीछे से पकड़कर अपने पास किया, जिसकी वजह से अब मेरी कमर उसकी गरम गरम साँसे महसूस कर रही थी। फिर उसने मेरी गर्दन पर किस किया, लेकिन मैंने उसका कोई भी विरोध नहीं किया, जिसकी वजह से उसकी हिम्मत और ज्यादा बढ़ गई।

तभी भाई ने मुझे एकदम से सीधा करके मुझे लीप किस किया और फिर तुरंत मेरे बूब्स पर अपना एक हाथ रख दिया और धीरे से मेरी ब्रा को हटाकर उसने मेरे बूब्स को अपने मुहं में ले लिया और चूसने लगा। दोस्तों यह सब काम मेरे साथ आज पहली बार हो रहा था और अब मुझे कबीर बहुत अच्छा लगने लगा था। दो दिन हम दोनों ने एक दूसरे के साथ ऐसे ही मस्ती करके बिताए और अब मैंने भी जोश में आकर उसका पूरा पूरा साथ दिया। फिर में तीसरे दिन अपने घर के लिए निकल पड़ी, कबीर मुझे बस स्टेंड तक छोड़ने आया, लेकिन उसने मुझसे ऐसा कुछ नहीं भी कहा और में अपने घर पर पहुंच गई। अब में हमेशा कबीर के बारे में सोचने लगी और तीन दिन के बाद एक दिन उसका मेरे पास एक मैसेज आया तो वो मुझसे पूछने लगा कि मेरा अनुभव कैसा था?तब मैंने उस दिन उसे अपने मन की सारी बातें उसे बताई। मैंने उससे कुछ भी नहीं छुपाया और सब कुछ सच सच उसे बता दिया और एक दो महीने के बाद में एक बार फिर से अपनी मौसी के घर पर गई, लेकिन कबीर को इस बात का बिल्कुल भी पता नहीं था कि में आ रही हूँ। में अपने मामा जी के साथ रात को गई थी और हम करीब 12 बजे मौसी के घर पर पहुंचे थे और उस समय कबीर घर पर नहीं था। फिर में और मेरी मौसी बहुत देर तक बातें कर रहे थे तो कुछ देर बाद बातें करते समय मौसी ने मुझे कबीर को कॉल करने को कहा। मैंने कबीर को कॉल किया और उससे बोला कि में तेरे घर पर आई हूँ तो मेरी यह बात सुनकर वो बहुत खुश हुआ और वो थोड़ी ही देर बाद घर पर आ गया और सीधा मेरे पास आकर बैठ गया। फिर थोड़ी देर हमने बातें की और फिर सोने के लिए चले गये। में और कबीर उसके रूम में जाकर सो गये।

दोस्तों उस समय भी मुझे कबीर से बहुत शरम आ रही थी और डर लग रहा था, मेरे दिल की धड़कने तेज़ थी और हल्का हल्का पसीना आ रहा था। फिर मैंने उसे अपने से दूर सोने के लिए कहा, लेकिन वो मेरे और भी पास आकर सो गया। दोस्तों वो मेरे साथ ऐसा व्यहार कर रहा था जैसे कि में उसकी पत्नी हूँ और वो मेरा पति। फिर मैंने भी उसका साथ देना शुरू किया और हम दोनों ने एक दूसरे को किस किया। उसने मेरी टी-शर्ट को उतार दिया और वो मुझसे लिपट गया और मुझे किस्सिंग करते करते मेरे पूरे शरीर को चूमने लगा और में उस अहसास को महसूस करने लगी और धीरे धीरे गरम होने लगी। फिर कुछ देर चूमने चाटने के बाद उसने जब मुझसे से मेरी शॉर्ट्स को उतारने को पूछा तो मैंने उससे साफ साफ मना कर दिया, लेकिन वो बार बार वही बात दोहराता रहा और में हर बार मना करती रही। दोस्तों उस दिन उसी बात को लेकर हम दोनों का झगड़ा हो गया, क्योंकि दोस्तों में उसके साथ चुदाई करने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी और वो मुझे डांट रहा था, क्योंकि मैंने उसे आगे कुछ नहीं करने दिया और हम सो गए।

फिर दूसरे दिन रात को जब वो दोबारा मेरे पास आया तो फिर मैंने उसे मना कर दिया और हम दोनों का उस रात को भी दोबारा झगड़ा हो गया और कुछ ज्यादा ही बढ़ गया। फिर में अपने घर पर आ गई और उस दिन के बाद से हम दोनों एक दूसरे से बिल्कुल भी बात नहीं कर रहे थे और हम दोनों एक दूसरे से करीब एक साल तक नहीं बोले और में उसके घर पर भी नहीं गई। फिर एक साल के बाद हमारे बहुत करीब में किसी रिश्तेदार के यहाँ पर शादी थी, में वहां पर नहीं जाने वाली थी, लेकिन मेरी मामी और उनकी बेटियों ने मुझे जाने के लिए बहुत बार कहा तो में उनके कहने पर चली गई। दोस्तों में भाई से दूर रह सकूँ, इसलिए में वहां पर नहीं जाती थी और उस दिन भी में बहुत देरी से मामा के साथ वहां पर पहुंची, करीब 9 बज गये थे। सब लोग मुझे देखकर बहुत खुश हो गये थे, क्योंकि में बहुत समय बाद वहां पर गई थी। मैंने सबसे बातें की, लेकिन भाई और मैंने कोई भी बात नहीं की, हमारे घर वालों को भी इस बात का पूरा अंदाजा था कि हम दोनों एक दूसरे से बात नहीं करते है और दो दिन तक हम दोनों ने एक दूसरे से कोई बात नहीं की, लेकिन फिर मेरे पापा ने हम दोनों को इस बात के लिए बहुत डांटा तो हमने उस दिन रात को बात की और रात को सब साथ में हॉल में ही सो गये थे।

दोस्तों कबीर को साउथ की फिल्मे देखने का बहुत ज्यादा शौक था तो उसके फोन में हम फिल्म देख रहे थे और ज्यादा थकान की वजह से में कब सो गयी मुझे पता ही नहीं चला। रात के 1-2 बजे मुझे अचानक ऐसा लगा जैसे कोई मुझे छू रहा था और मुझे बहुत अच्छी तरह से पता था कि वो कबीर था। उसने मुझे हर बार की तरह पीछे से हग किया और कबीर ने मुझे उसकी तरफ किया और किस करने लगा। फिर थोड़ी देर के बाद मैंने भी उसके किस का जवाब दे दिया। दोस्तों उस रात हम दोनों ने एक दूसरे को बहुत देर तक जमकर किस किये और हग किया फिर हम सो गए। फिर दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर कबीर मेरे पापा को बस स्टेंड छोड़ने चला गया और वो फिर से आकर दोबारा सो गया। फिर 9 बजे के आसपास कबीर उठा और उसने देखा कि घर पर सिर्फ हम दोनों और मेरी छोटी बहन है जो कि उस समय सो रही थी। फिर उस बात का फायदा उठाकर हम दोनों ने एक बार फिर से एक दूसरे को किस करना शुरू कर दिया और वो मेरे बूब्स को भी दबा रहा था, जिसकी वजह से में बहुत जोश में थी और उस दिन शाम को हम अपने घर पर आ गये।

अब हम दोनों की बातचीत शुरू हो गई और कबीर पहले की तरह मुझे मैसेज और कॉल करने लगा। एक दिन उसने मुझसे कहा कि मेरे पास कुछ दिन रहने के लिए आ जाओ। दोस्तों वैसे मुझे उसके यहाँ पर रहना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था, लेकिन में उसके कहने पर वहां रह लेती थी और फिर में अपने कॉलेज की छुट्टियाँ होते ही वहां पर चली गई। दोस्तों उस दिन में और कबीर रूम में अकेले सोए थे और कबीर ही वो पहला लड़का था जिसने मुझे हर जगह छुआ था और मेरा पहला किस सब कुछ मैंने उसी को ही दिया था। दोस्तों उस रात को भी हमने किस करना शुरू किया और फिर वो धीरे धीरे मेरे और साथ साथ अपने भी सारे कपड़े उतारने लगा और अब मेरे बूब्स को चूसने लगा और मेरी चूत को सहलाने लगा। फिर तभी अचानक से उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया और अब उसने अपना लंड मेरी चूत के मुहं पर रख दिया और अपने लंड के टोपे से मेरी चूत के दाने को घिसने रगड़ने लगा उसके ऐसा करने की वजह से में अब तक बहुत गरम हो चुकी थी और मेरे ना मना करने की वजह से उसका भी जोश और हिम्मत अब बढ़ती जा रही थी और अब वो अपना लंड चूत के मुहं पर रखकर ज़ोर से धक्का मारने लगा, लेकिन हर बार उसका मोटा लंड मेरी गीली वर्जिन चूत से हर बार फिसल रहा था, लेकिन अब मुझे बहुत डर लगा कि कहीं मेरी चीख ना निकल जाए, इसलिए मैंने उससे यह सब करने के लिए मना किया और उससे कहा कि मुझे नहीं करना।

भाई

फिर उसे मेरी यह बात सुनकर थोड़ा गुस्सा आ गया, लेकिन फिर उसने मुझे उसका लंड चूसने के लिए कहा तो मुझे यह सब करना बहुत गंदा लग रहा था। फिर भी उसने अपना लंड मेरे मुहं में डाल दिया। दोस्तों मैंने कभी ऐसे कुछ किया ही नहीं था और फिर भी मैंने उसका लंड चूसा जब तक उसका वीर्य मेरे मुहं में निकल गया और जिसको में बाथरूम में जाकर थूककर दोबारा आकर लेट गई और हम सो गये। फिर कुछ दिनों तक ऐसे ही चलता रहा और फिर में अपने घर आ गई और हमने निर्णय किया कि इससे पहले कि किसी को पता चले हम इस गलत रिश्ते को खत्म कर देंगे और तब तक सब कुछ एकदम सही चल रहा था। तभी कबीर की शादी की बात मेरी बुआ की लड़की काजल से होने लगी और अब में वैसे कबीर को किसी और के साथ सोचकर ही जल उठती थी, लेकिन फिर मैंने मन ही मन सोचा कि अगर उसकी जिन्दगी में काजल आ जाएगी तो मुझे कबीर के साथ यह सब नहीं करना पड़ेगा, क्योंकि मुझे तो बस कबीर का सच्चा प्यार चाहिए था और वो मुझसे अच्छे से बात करे, मेरी थोड़ी परवाह करे और इसलिए में उसे वो सब कुछ मेरे साथ करने देती थी जो वो करना चाहता था।

फिर नवरात्रि के तीसरे दिन वो काजल को देखने आया और हम सब भी उसके साथ में गये थे। में और उसका एक दोस्त हम बाहर बैठे हुए थे। कबीर और काजल अंदर के रूम में बैठे हुए थे, लेकिन बैठे बैठे मुझे पता नहीं कुछ कबीर के बारे में सोचते हुए कुछ अजीब सी जलन होने लगी और जब कबीर बाहर आया और उसने मुझसे कह दिया कि उसे वो लड़की बिल्कुल भी पसंद नहीं है, लेकिन फिर भी मैंने उसे थोड़ा सा समझाते हुए बोला कि यह लड़की हमारे घर में एकदम सेट हो जाएगी और फिर हम वहां से चले आए। फिर कुछ दिन बाद कबीर और मेरी मौसी का किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया तो कबीर मेरे यहाँ पर आ गया और हम दोनों हमेशा एक साथ ही सोते थे। दोस्तों कबीर और काजल ने अपने अपने फोन नंबर एक दूसरे को दे दिए थे और वो दोनों हमेशा हर कभी बातें किया करते थे और यहाँ मेरे एक बहुत अच्छे दोस्त ने मुझसे मेरी दोस्ती में आगे बढ़ने के लिए मुझसे प्यार करने के लिए कहा था, इसलिए मैंने भी मन ही मन सोचा कि अगर में नीरज को अपनी तरफ से हाँ कर दूँगी तो शायद कबीर को में जल्दी भूल जाउंगी और इसलिए मैंने नीरज के साथ अपना रिश्ता आगे बढ़ाना शुरू किया। दोस्तों मेरे घर में सभी लोगो को पता था कि नीरज मुझे बहुत पसन्द करता है और वो मुझसे शादी भी करना चाहता है।

भाई और में रोज रात को एक दूसरे के बहुत पास आते थे और मेरे मना करने पर भी वो मुझे किस करता था मुझे अपनी और करता था और में हमेशा उसकी बातों में आ जाती थी। हमने एक दूसरे को चुदाई करके शांत करने के बारे में बहुत बार सोचा, लेकिन मेरी चूत बहुत टाइट थी, जिसकी वजह से मुझे बहुत दर्द होता था और में उसके साथ सेक्स नहीं कर सकती थी और इसलिए में भाई का लंड चूसकर उसे शांत कर दिया करती थी। फिर एक दिन उसने मेरे दोनों बूब्स के बीच में अपना लंड रखकर धक्के देकर सेक्स किया। एक दिन में घर पर एकदम अकेली थी तो मैंने और मेरे दोस्तों ने एक रात बाहर गुजारने का विचार किया, लेकिन बाद में सबने एक एक करके मना कर दिया, लेकिन नीरज तो आने ही वाला था। अब में, नीरज और मेरी एक दोस्त फाल्गुनी मेरे घर पर थे, तो रात को फाल्गुनी अपने घर चली गई और रात को जब में और नीरज घर पर एकदम अकेले थे तो नीरज ने मुझे किस करना चाहा, लेकिन मैंने उसको साफ मना कर दिया और मैंने मन ही मन सोचा कि कबीर तो मेरा बीता हुआ कल था। अगर मुझे उससे दूर जाना है तो मुझे अब नीरज के करीब जाना पड़ेगा। फिर मैंने नीरज के दूसरे किस के लिए मना नहीं किया। नीरज और मैंने आज तक किस से कभी आगे कुछ किया ही नहीं, लेकिन मैंने कबीर को जलाने के लिए उससे बोला कि नीरज और में एक दूसरे को लिप किस करते है, लेकिन इससे कबीर को कोई फ़र्क ही नहीं पड़ता था। फिर एक बार कबीर मेरे घर आया तो उस दिन रात को सब जल्दी सो गये थे और रात को में और भाई साथ में सोए हुए थे। इस बार में उससे नाराज़ थी तो उसने मुझे मनाया भी और हम दोनों बहुत रोये भी। दोस्तों उन दिनों बहुत ठंड थी, तो हम दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह किस कर रहे थे और वो मेरे बूब्स के साथ खेल रहा था और दूसरे बूब्स को चूस रहा था। मुझे बहुत अच्छा लगा जब कबीर जोश में आकर मेरे पेट पर किस कर रहा था।

फिर मैंने भाई के लंड को चूसकर टाईट किया। दोस्तों भाई ने कभी भी लंड मेरी चूत में सही से रखा ही नहीं जाता था और हर बार में ही भाई का लंड पकड़ कर अपनी चूत पर रखती थी। फिर जैसे ही कबीर भाई ने ज़ोर से धक्का मारा तो उसका थोड़ा सा ही लंड मेरी चूत में गया, जिसकी वजह से मुझे दर्द हो रहा था, लेकिन मेरी चूत से खून नहीं निकला और थोड़ी देर के बाद कबीर ने फिर से धक्का मारा, जिसकी वजह से लंड थोड़ा और अंदर चला गया। थोड़ी देर के बाद मुझे बिल्कुल भी दर्द नहीं रहा और कबीर मुझे धीरे धीरे धक्के देकर चोद रहा था और उसने मुझे एक स्माइल दी। दोस्तों मुझे आज भी उसका वो स्माइल देकर मुझे चोदना बहुत अच्छी तरह से याद है, वो लगातार धक्के देकर मुझे चोदता रहा और में उसके हर एक धक्के के मज़े लेती रही और करीब करीब 15 मिनट में हम दोनों एक एक करके झड़ गए थे। मुझे उसकी पहली चुदाई ने मुझे पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया था और उसके मन की इच्छा जो मुझे चोदकर उसने उस दिन पूरी की थी, इसलिए हम दोनों बहुत खुश थे।

अब कबीर की शादी होने वाली थी और वो बार बार मेरी बुआ के यहाँ पर रहने जाता था और मेरे यहाँ नहीं आता था। अब मुझे उससे असुरक्षा महसूस होने लगी थी और उस समय कबीर की शादी को 15 दिन शेष रह गये थे। एक दिन शाम को कबीर ऐसे ही मेरे घर पर आ गया और में उस दिन घर पर अकेली बिल्कुल थी, लेकिन भाई ने मुझसे कोई बात नहीं की, जब उसकी शादी थी तब भी उसने मुझसे कोई बात नहीं की और शादी होने के बाद भी उसने मुझसे बात नहीं की। अब में उसके लिए एक अंजान इन्सान हूँ, ना वो मुझे देखता है और ना ही वो मुझसे कभी बात करता है। मैंने बहुत बार आगे बढ़कर उससे बात करना चाहा, लेकिन वो हर बार मुझे अनदेखा करने लगा था और अब मुझे समझ में आ गया था कि में तो बस उसके लिए सिर्फ़ एक टाइम पास थी और उसे मेरे साथ सेक्स का अनुभव चाहिए था, तो बस उसने मुझे वैसे ही काम में लिया और उसने मेरे साथ वो सब कुछ किया जो मैंने ना चाहते हुए भी अपने साथ वो सब कुछ करने दिया, क्योंकि में उसको हमेशा खुश देखना चाहती थी, लेकिन अब वो मुझे बिल्कुल भूल गया है और में पागल की तरह प्यार समझकर उसके बारे में हमेशा सोचती रही और जब से मुझे कबीर का मेरे साथ बदला हुआ व्यहवार दिखा, तब से में नीरज के साथ और अच्छे से रहती हूँ, क्योंकि में अब कबीर को अपने मन, अपने सपनों, अपने दिमाग और अपने सभी आने वाले विचारों से पूरी तरह से बाहर निकाल देना चाहती हूँ। में बिल्कुल भी नहीं चाहती कि में उसके बारे में कुछ भी बात सोचूं और दोस्तों आज में कबीर से इतनी नफरत करती हूँ कि में उसे कभी अपने सामने देखना तक भी नहीं चाहती और ना ही में उसके बारे में किसी से कुछ भी सुनना चाहती हूँ, क्योंकि उसने मेरे साथ बहुत बड़ा धोखा किया है। दोस्तों इस कहानी को पढ़कर किसी को कुछ समझ आ जाए और कोई मेरे जैसे ग़लत कदम ना उठा ले, इसलिए मैंने इसको आप सभी को सुनाने का फैसला किया ।।

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]]> 9263 बेटी की जगह माँ चुद गयी -1 https://hothindisexstory.com/%e0%a4%ac%e0%a5%87%e0%a4%9f%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%9c%e0%a4%97%e0%a4%b9-%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%81-%e0%a4%9a%e0%a5%81%e0%a4%a6-%e0%a4%97%e0%a4%af%e0%a5%80/ Wed, 24 Aug 2016 11:10:55 +0000 https://hothindisexstory.com/?p=9228 हैल्लो दोस्तों.. में एक बार फिर हाज़िर हूँ अपनी लाईफ में घटी एक अनोखी घटना को लेकर.. लेकिन में उससे पहले उन सभी का बहुत बहुत धन्यवाद करना चाहता हूँ जिन्होंने मेरी पिछली सभी कहानियों को इतना प्यार दिया और मुझे आगे बड़ने का मौका दिया और में आज फिर से अपनी एक सच्ची घटना […]

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]]> हैल्लो दोस्तों.. में एक बार फिर हाज़िर हूँ अपनी लाईफ में घटी एक अनोखी घटना को लेकर.. लेकिन में उससे पहले उन सभी का बहुत बहुत धन्यवाद करना चाहता हूँ जिन्होंने मेरी पिछली सभी कहानियों को इतना प्यार दिया और मुझे आगे बड़ने का मौका दिया और में आज फिर से अपनी एक सच्ची घटना लेकर आप सभी के सामने आया हूँ। वैसे आप सभी मुझे पहले से ही जानते है.. मेरा नाम रोकी है और मेरी उम्र 23 साल है और में इस साईट का दिवाना हूँ। दोस्तों मेरी आज की कहानी में बेटी की जगह माँ चुद गयी, अब में सीधा अपनी कहानी पर आता हूँ और थोड़ा विस्तार से बताता हूँ। मेरे घर के पड़ोस में एक घर में एक परिवार रहता है और उस परिवार में पांच लोग है.. जिसमें तीन बेटियाँ और पति पत्नी रहते है। उस घर में जो पति है वो 50 साल का है और उनका नाम हरिप्रसाद है.. उनकी पत्नी 47-48 साल की है और उनका नाम राधा है और में इन दोनों को दादा, दादी बुलाता हूँ और इनकी तीनों बेटियों को बुआजी बुलाता हूँ। उनमे सबसे छोटी बेटी का नाम मंजू है उसकी उम्र 26-27 साल है.. मंजू बुआ थोड़ी मोटी है क्योंकि वो रोज़ गर्भनिरोधक गोलियां खाती है और उसका रंग सावंला है।

आज से एक साल पहले मैंने उनको और उनकी एक सहेली छाया को चोदना शुरू किया था.. तब इन दोनों को मैंने लेस्बियन सेक्स करते पकड़ा था.. यह दोनों पूरी नंगी होकर एक दूसरे की चूत चाट रही थी और चूत में उंगली डालकर चोद रही थी। में जैसे ही कमरे में घुसा तो यह सब देखकर बहुत डर गया.. लेकिन यह दोनों सेक्स के नशे में चूर थे और इस कारण दोनों ने मिलकर मुझे ज़बरदस्ती नंगा किया और मेरे लंड को चूसकर खड़ा करके बारी बारी से मुझसे चुदवाया और उस दिन के बाद से में आज तक इन दोनों को चोदता आ रहा हूँ.. लेकिन 8 महीने बाद छाया बुआ की शादी हो गई और वो अपनी ससुराल चली गयी.. लेकिन वो जब भी अपने घर आती है तो में उन दोनों को एक साथ मिलकर चोदता हूँ।

फिर छाया बुआ की शादी के बाद में सिर्फ़ मंजू बुआ को चोदता हूँ और हर रोज़ रात को उनके घर में जाकर उनकी चुदाई करता हूँ और कभी कभी दिन में भी उन्हें घर पर अकेले देखकर चोदता हूँ और ऐसा पिछले एक साल से हो रहा है। इस बारे में उनकी माँ (राधा) को भी पता है.. लेकिन वो किसी से कुछ नहीं कहती.. क्योंकि में जब एक दिन रात को मंजू बुआ को चोदकर जा रहा था तो मैंने राधा दादी को उनकी मझली बेटी और दामाद को कमरे में चुदाई करते देखते हुए पकड़ा था.. वो उनके कमरे की खिड़की से अंदर झाँक रही थी। दादी ने जैसे ही मुझे देखा वो एकदम से डर गयी। फिर मैंने उनसे कहा कि में इस बारे में किसी को नहीं बताऊंगा.. लेकिन फिर भी वो मुझसे बहुत डरती है कि कहीं में यह बात किसी को ना बता दूँ। उनके पति हर वक़्त खेत पर होते है वहां पर एक छोटा सा मकान है और वो दादी को छोड़कर बाकी सब औरतों की चुदाई करते है। उनके खेत में जितनी भी मज़दूर औरतें काम करती है वो उन सभी को चोदते है और इस कारण हरी दादाजी ने पिछले 12-15 सालों से अपनी पत्नी को चोदना तो दूर ठीक से देखा भी नहीं है।

तो इस तरह में रोज़ मंजू बुआ को चोदता था। उनके कमरे में टीवी और डीवीडी है जिसमे हम लोग ब्लूफिल्म देख देखकर चुदाई करते है। हम एक अनोखी स्टाईल में चुदाई करते है.. पहले बुआजी मेरे लंड को चूस चूसकर लोहे के सरीए की तरह कर देती है और फिर उसके बाद एक बड़े से बर्तन में ढेर सारा तेल लाती है और उसमे वो मेरे लंड को डुबो देती है और फिर दोनों हाथों से मेरे लंड को उस तेल के अंदर मालिश करती है। जिससे मेरा लंड और भी चोदने के लिए मस्त हो जाता है। ऐसा 10 से 15 मिनट तक करती है और फिर में उनको बेड पर सुला देता और उनकी चूत का मुहं खोलकर उसमे तेल डाल देता हूँ और उसके बाद में फिर से अपने लंड को उस तेल में डुबाकर चूत में घुसाता। चूत तो पहले से ही तेल से लपालप भरी होती है और मेरा लंड तेल में डूबने के कारण वो भी तेल से पूरा भीग जाता है। फिर जब में तेल से भरी चूत में लंड डालता हूँ तो लंड के घुसते ही चूत में से फच की आवाज़ निकलती और मेरा लंड एक बार में ही पूरा जड़ तक चूत में घुस जाता है और उसके बाद में चोदने लगता और तेल के कारण चुदाई के टाईम चूत में से ऐसी ऐसी आवाज़ें निकलती है कि हम दोनों उसे सुनकर मदहोश हो जाते है।

फिर उसी तरह जब में गांड में लंड घुसाता तो उससे पहले गांड के छेद में उंगली डालकर तेल से लपालप भर लेटा और फिर लंड डालकर चोदता.. गांड मारते टाईम भी ऐसी ही आवाजें गांड से भी निकलती है और में बीच बीच में अपना लंड निकालकर तेल में डुबाकर फिर से अंदर डाल देता। में आप लोगों को बता नहीं सकता कि ऐसे चोदने में कितना मज़ा आता। उस वक्त मुझे चुदाई का इतना अनुभव नहीं था तो उस टाईम में ऐसे चोदने का मतलब समझ नहीं पाता था.. लेकिन ऐसे चोदने में बहुत मज़ा आता था। यह आईडिया मेरा नहीं था.. वो बुआजी का था.. लेकिन पता नहीं उनको ऐसी चुदाई के बारे में किसने बताया था.. लेकिन आज में उस बात को समझ गया हूँ कि ऐसे चोदने में मज़ा दुगना हो जाता है और में आप सबसे भी यही कहता हूँ कि ऐसे ही चुदकर या चुदवाकर देखिए कितना मज़ा आता है।

फिर एक दिन की बात है जब में बुआजी को रात में चोदने के बाद घर जाने लगा तो मंजू बुआ ने कहा कि कल दोपहर को घर में कोई भी नहीं होगा.. तो तुम छुपकर चले आना हम दोनों बहुत मस्ती करेंगे। तो मैंने उनकी बात मान ली और दिन के दो बजे उनके घर पहुँच गया और घर पर सच में कोई भी नहीं था.. इस कारण हम दोनों ने आराम से टीवी पर ब्लूफिल्म देखी और उसी स्टाईल में बहुत देर तक चुदाई का मज़ा लिया। फिर मंजू बुआ ने मुझे रात को भी आने को कहा और फिर में वहां से चला गया। तो मेरे जाने के बाद उनके मामाजी आए और मंजू बुआ को लेकर अपने साथ चले गये और यह सब इतना जल्दी हुआ कि वो मुझे बता भी नहीं सकी.. इसीलिए मुझे पता नहीं था कि वो घर पर है या नहीं और में रात को रोज़ की तरह उनके कमरे में चुपचाप घुस गया।

मंजू बुआ दिन में हमेशा सलवार कमीज़ पहनती है और रात को मेक्सी पहन कर सोती है और फिर उस दिन शाम को अचानक से बहुत तेज बारिश होने लगी जिसकी वजह से लाईट भी चली गयी थी और इस कारण उनके कमरे में बहुत ही अंधेरा था। फिर मैंने अंदर जाते ही दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और मंजू बुआ की साईड में जाकर लेट गया और उनको ज़ोर से अपनी बाहों में जकड़ लिया.. लेकिन बाहों में लेते ही मुझे लगा कि वो थोड़ी ज़्यादा मोटी लग रही है। तो मैंने पूछा कि क्या हुआ बुआजी अचानक इतनी मोटी कैसे हो गई? तो उन्होंने कुछ नहीं कहा और मैंने भी उस बात पर ज्यादा ध्यान ही नहीं दिया और फिर में उनकी मेक्सी के ऊपर से ही बूब्स को दबाने लगा। तो आज बूब्स भी मुझे थोड़े ढीले लगे और छोटे लगे.. क्योंकि मंजू बुआ के बूब्स बहुत बड़े बड़े और टाईट है.. लेकिन मेरा ध्यान उस टाईम सिर्फ़ चोदने पर था तो इन सब बातों को मैंने अनदेखा कर दिया और फिर मुझे थोड़ा अजीब लगा कि आज में ही सब कुछ कर रहा हूँ.. बुआजी तो चुपचाप पड़ी हुई है। फिर मैंने उनकी मेक्सी को उतार दिया और उनको सीधा लेटा दिया.. उसके बाद में उनके ऊपर चढ़ गया और बूब्स को चूसने लगा।

तो उन्होंने मुझे कसकर पकड़ लिया और आज बुआ ने ब्रा नहीं पहनी थी और ना ही पेंटी। तो मैंने पूछा कि क्या हुआ बुआजी आज आप पहले से ही चुदवाने के लिए तैयार है और क्या इसलिए ब्रा और पेंटी खोल दी? फिर बूब्स चूसते चूसते मैंने हाथ चूत की तरफ बढ़ाया और जैसे ही मैंने चूत पर हाथ रखा तो मुझे बालों का एहसास हुआ और मैंने एक बार फिर से हाथ लगाया तो देखा कि चूत पर बहुत सारे बाल है और में बहुत चकित हो गया.. क्योंकि आज दोपहर जब मैंने उनको चोदा था तब तो चूत बिल्कुल साफ थी.. फिर अचानक इतने सारे बाल चूत पर कहाँ से आ गये? में बहुत डर गया कि यह कौन है? और इस कारण मेरा लंड भी सिकुड़ गया। तो में तुरंत उनके ऊपर से उतर गया और पूछा कि कौन हो आप? लेकिन कोई जबाब नहीं मिला तो मैंने जाकर झरोका खोल दिया। बाहर बहुत बारिश के साथ साथ तेज़ बिजली भी चमक रही थी उस बिजली की चमक से मैंने उनका मुहं देखा तो में देखता ही रह गया।

मैंने देखा कि अब तक मैंने मंजू बुआ समझकर जिसे नंगा कर दिया.. वो मंजू बुआ नहीं उनकी माँ राधा दादी है। में बहुत डर गया और वहां से जाने लगा। तो दादी ने मुझे आवाज़ दी और कहा कि रुक जाओ.. में रुक गया तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर मुझे बेड पर बैठाया.. लेकिन मुझे इतना पता था कि वो इस बारे में किसी को नहीं कहेंगी.. लेकिन मैंने कभी उन्हे चोदने का सोचा भी नहीं था। दादी ने कहा कि ऐसे काम अधूरा छोड़कर कहाँ जा रहे हो? तो मैंने कहा कि में आपको कैसे चोद सकता हूँ? आप तो मुझसे बहुत बड़ी है। इस पर उन्होंने कहा कि बड़ी हुई तो क्या हुआ? में भी तो एक औरत हूँ मेरी भी एक चूत है जिसमे तुम आराम से अपना लंड घुसाकर चोद सकते हो। तो यह बात सुनकर मेरे तो होश ही उड़ गये क्योंकि इससे पहले मैंने कभी 47-48 साल की औरत को चोदने के बारे में सोचा भी नहीं था.. चोदना तो बहुत दूर की बात है.. लेकिन वो कोई और होती तो में कभी पीछे नहीं हटता.. क्योंकि मुझे लड़कियों से ज़्यादा औरतों को चोदने में मज़ा आता है.. लेकिन वो साल 30 की हुई तो अच्छा है और 40 साल की हुई तो बहुत अच्छा है और यह सब मेरे उन दोस्तों को पता होगा जिन्होंने ऐसा सेक्स किया होगा।

अब कहानी पर आता हूँ.. दादी की बात सुनकर मैंने कहा कि यह आप क्या कह रही हो? यह सब ठीक नहीं है आप तो शादीशुदा हो.. जाकर अपने पति से चुदवाईए ना और इतना कहकर में वहाँ से जाने लगा तो वो मेरे पैरों पर गिर गयी और गिड़गिड़ाने लगी कि बिना मुझे चोदे ऐसे मत जाओ और उन्होंने मुझे अपनी सारी दुख भरी कहानी सुनाई। राधा दादी ने कहा कि जब उनकी शादी हरी दादा के साथ हुई थी तो हरी दादा उन्हे बहुत चोदते थे। दिन भर में 5-6 बार और रात को 3-4 बार रोज़ चोदते थे और कभी दो बार तो 24 घंटे में 14-15 बार भी चोदते थे। किचन में आकर साड़ी को ऊपर उठाकर घोड़ी बनाकर पीछे से चूत में लंड डालकर चोद लेते थे और जब भी लंड खड़ा होता तो वो दादी के पास जाकर उनको चोदते थे। रात को सोते टाईम अगर लंड खड़ा हो गया तो उसी वक़्त साड़ी को ऊपर करके लंड चूत में घुसा देते थे और सुबह जब उठते थे तब उठने से पहले रोज़ चोदते थे।

वो हमारी शादी के 15 दिन में ही मुझे 150-200 बार चोद चुके थे.. जिस कारण मेरी हालत बहुत खराब हो गई थी और में 15 दिनों में ही प्रेग्नेंट हो गयी थी और उसके बाद भी 4 महीने तक तेरे दादाजी मुझे ऐसे ही चोदते रहे। जब भी वो खेत पर जाते थे तो मुझे अपने साथ लेकर जाते थे और वहाँ एक चारपाई थी.. उसके ऊपर लेटाकर चोदते थे.. जिस कारण वो चार पाई चार दिनों में ही टूट गयी थी। फिर एक बार हम दोनों मेरी बहन की शादी में गये थे और फिर वहाँ भी यह मुझे एक कमरे में ले जाकर चोदने लगे और उस वक़्त बाहर शादी चल रही थी.. लेकिन हम लोग अंदर कमरे में चुदाई कर रहे थे। इस बीच मेरे पिताजी हमे बुलाने आ गए तो अंदर से ही मैंने जबाब दिया के आप जाइए हम अभी थोड़ी में आते है.. क्योंकि तेरे दादाजी ज़्यादा देर तक नहीं चोद सकते थे.. बस 12-15 मिनट चोदने के बाद ही उनका लंड पानी छोड़ देता था।

फिर जब बड़ी बेटी पैदा हुई उसके 10 दिन के बाद ही वो मुझे चोदने लगे थे.. में नीचे लेटकर बच्ची को दूध पिलाती थी और यह पीछे से आकर मेरी साड़ी को ऊपर करके मेरी चूत में लंड डालकर चोदते थे। उनका हाल तो ऐसा था कि रात को जब भी इनका लंड खड़ा होता था.. उसी वक़्त चोदने लगते थे और जब में गहरी नींद में होती थी तो चुपचाप मेरे दोनों पैर उठाकर चोदने लगते थे और जब मेरी नींद खुलती थी तो मेरी चूत में लंड होता था। इस तरह बहुत जल्द ही में फिर से प्रेग्नेंट हो गई थी और मेरी बड़ी बेटी 8 महीने में ही पैदा हो गयी थी। तो जब हमारी शादी को एक साल पूरा हुआ तो में दूसरी बार प्रेग्नेंट थी। तो इस बार जब मैंने दूसरी बेटी को जन्म दिया तो डॉक्टर ने कहा कि इसके बाद कम से कम दो साल तक कोई बच्चा नहीं होना चाहिए.. नहीं तो मेरी जान को ख़तरा हो सकता है और यह बात सुनते ही तेरे दादाजी बहुत दुखी हो गये।

फिर उसके बाद उन्होंने मुझे चोदना कम कर दिया था.. इस कारण वो बाहर की औरतों को चोदने लगे और कभी कभी अगर मन किया तो मुझे चोद देते थे और इस तरह मंजू पैदा हुई और उसके बाद तो वो महीने में एक बार मुझे चोद ले तो वो भी बहुत था.. लेकिन पिछले 15 सालों से उन्होंने मुझे छुआ तक नहीं और इस कारण में रोज़ चुदवाने के लिए तरस गयी हूँ। फिर जब दोनों बड़ी बेटियों की शादी हुई तो जब भी वो अपने पति के साथ आती थी तो रात को चुदाई करते हुए में उनको देखकर अपने आपको शांत कर लेती हूँ.. लेकिन अब तो वो भी देखने को नहीं मिलता। इसलिए में तुम्हे मंजू को चोदते हुए कभी कभी देखती थी और आज जब मंजू ने मुझे कहा कि में तुझे उसके जाने के बारे में बता दूँ तो मेरे मन में ख़याल आया कि क्यों ना इस बात का फायदा उठाकर में तुम से चुदवा लूँ और 15 सालों से प्यासी अपनी चूत की आग को बुझा लूँ? इसलिए में तुम्हारे पैर पड़ती हूँ मुझे आज चोदकर मेरी प्यास बुझा दो तुम जो कहोगे में वो सब करूँगी और इसके लिए में तुम्हे रोज़ 100 रुपये दूँगी.. लेकिन मुझे ऐसे तड़पती हुई छोड़कर मत जाओ..

दोस्तों आगे की कहानी अगले भाग में

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]]> 9228 Prem aur pinki ka pyar https://hothindisexstory.com/prem-aur-pinki-ka-pyar-hindi-sex-story/ https://hothindisexstory.com/prem-aur-pinki-ka-pyar-hindi-sex-story/#respond Tue, 09 Aug 2016 21:25:47 +0000 https://hothindisexstory.com/?p=9199 मैं अहमदाबाद, गुजरात का रहने वाला हूँ, मेरा गाँव नागपुर में है, मैं वहाँ हर 3-4 साल में जाता रहता हूँ, आखिरी बार मैं फरवरी 2010 में गया था। वहाँ मेरे मामा के घर के साथ में पिंकी नाम की एक लड़की रहती है, वैसे तो वो रिश्ते में मेरी मौसी लगती है, prem aur […]

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]]> मैं अहमदाबाद, गुजरात का रहने वाला हूँ, मेरा गाँव नागपुर में है, मैं वहाँ हर 3-4 साल में जाता रहता हूँ, आखिरी बार मैं फरवरी 2010 में गया था। वहाँ मेरे मामा के घर के साथ में पिंकी नाम की एक लड़की रहती है, वैसे तो वो रिश्ते में मेरी मौसी लगती है, prem aur pinki सबके सामने मैं उसे मौसी कहता था।

वो दिखने में बहुत गोरी और सुन्दर है, उसकी पतली कमर और गला !

वैसे तो वो पहले से पसंद थी मुझे, तो फ्रेंच किस करने का मन होता था। पर मैं पहल कैसे करता।

इस बार से पहले मैं सिर्फ दो बार उससे मिला था, उसका बर्ताव काफ़ी खुलापन लिए हुए था जैसे वो मुझे पसंद करती हो।

वो मुझे बताने लगी- मेरी शादी होने वाली है ! ये ! वो !

हम बहुत बातें किया करते ! उसकी माँ भी हमें बातें करने देती थी। पर मुझे तो बहुत मन था कि अगर यह पट जाये तो अच्छा हो !

मैं उससे जब बातें करता तो वो मेरे एकदम पास बैठ कर बातें करती थी।

मैंने ऐसे ही मजाक में एक दिन उसे कहा- तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो, तुम बहुत सुन्दर हो !

उस समय वो चावल साफ़ कर रही थी।

मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा- तू कितनी गोरी है पिंकी !

मैं अकेले में उसे पिंकी कहता था।

वो मुझसे सिर्फ 3 साल बड़ी है, उसने भी कोई विरोध नहीं किया कि प्रेम तू ऐसा क्यों बोलता है।

मैंने उसका हाथ थाम कर ही रखा था कि उसकी माँ आ गई।

जब उसकी माँ आई तो उसने दर कर मेरा हाथ छोड़ दिया, मैं समझ गया कि इसके मन में क्या है। क्योंकि अगर उसके मन में कुछ होता नहीं तो वो उसकी माँ को देख कर डरती क्यों?

पिंकी की माँ पूछने लगी- और प्रेम बेटा, क्या हाल-चाल है अहमदाबाद के?

मैंने कहा- सब ठीक है नानी !

उसकी माँ फिर से बाहर चली गई, शायद खेत गई होगी..

उसके बाद मैंने कहा- पिंकी, तू डर क्यों गई?

वो बोली- तुम मेरा हाथ पकड़ रखा था और मेरी माँ देखे तो अच्छा थोड़े ही लगता है।

मैंने उसकी जांघ पर हाथ रखा। उसने गहरे नीले रंग की सलवार-कमीज पहनी थी, उसमें उसका गला बहुत गोरा लग रहा था और उसकी जांघ इतनी नरम थी यार कि क्या बताऊँ।

इतने में मुझे मेरी नानी ने आवाज लगा दी और मुझे जाना पड़ा। पर मुझे लगा कि यह अब अपने लपेटे में आ गई है। जाते जाते मैंने उसे आँख मारी तो वो भी हंस दी और बोली- कल दोपहर को फ्री हूँ, आ जाना, हम बातें करेंगे, बहुत दिनों बाद आये हो। मुझे बहुत अच्छा लगता है तुमसे बातें करके !

मैंने कहा- ठीक है, आऊँगा !

पर मुझे रात को ही मौका मिल गया खाने के बाद, मैं वहाँ चला गया, पर सब आँगन में थे और गाँव में बिजली नहीं थी तो हम ऐसे ही बातचीत कर रहे थे खटिया पर बैठ कर ! हम बात बात पर एक दूसरे के हाथ पर ताली देते और बात करते। अँधेरे में उसकी ताली मेरी जांघ पर लग गई और वो हंसने लगी। मैंने भी दो बार उसके वक्ष पर ताली मारी। चाँद की रोशनी में मस्त लग रहे थे उसके उरोज ! मैं तो इतना उत्तेजित हो गया कि बस सोच लिया कि अब कर ही डालना है कुछ !

उसके बाद हमने ऐसे ही हंसते हुए ताली दी पर हाथ नहीं हटाया, अँधेरे में एक दूसरे का हाथ पकड़ कर बैठे रहे, मैं उसकी उंगलियाँ सहलाने लगा था, पर क्या करते रात तो काटनी ही थी।

उसी वक्त मैंने निश्चय कर लिया कि परसों-नरसों मुझे जाना है पर मैं इसको बाहों में तो लूंगा ही और चुम्बन भी करूँगा। बस कल दोपहर का इंतज़ार था।

मैंने एक शरारत की, मुँह में उंगली डाल कर गीली की और उसके हाथ पर रखी उसने वो गीली उंगली पकड़ ली और दांत में कुछ फंस गया है, ऐसे एक्टिंग करते हुए अपने होंठों से लगा ली। मैं समझ गया कि बस पिंकी अब पट गई है।

पर जल्दी कुछ कर !

क्या करूँ?

पर कुछ न कर सका बस फिर जाकर लंड थाम कर सो गया। सुबह उठा तो टॉइलेट जाना था, गाँव में तो मैदान ही जाना पड़ता था, तो चार बजे गए, टॉयलेट जाकर फ्रेश हुए, हाथ-मुँह नदी में धोकर आ रहा था, तो वो दिखी, पानी भर रही थी।

उसने सुबह सुबह इतनी प्यार मुस्कान दी कि यार बस दिन अच्छा जाएगा। इतनी सुन्दर लग रही थी, वो भीगे-भीगे बाल, और वैसी ही नीली पोशाक !

बस मैं तो फ़िदा हो गया यार !

मैं नहाया और चाय पीकर उसके घर चला गया। उसकी माँ खेत जाने की तैयारी कर रही थी, उसने मुझे भी चाय दी तो मैंने पिंकी का हाथ पकड़ लिया, उसने सेक्सी मुस्कान दी और हाथ छुड़ा कर भाग गई। बस अब तो इंतज़ार था कि कब इसके साथ कुछ करूँ।

उसकी माँ चली गई, अब मैं और वो बस हम दो थे घर में !

उसने एक घंटा लगाया घर के काम करने में, सब झाड़ू-पोचा करके वो आकर बैठ गई मेरे साथ।

मैंने उसे कहा- तुम्हें तो मेरी फिकर ही नहीं है, कब से इन्तज़ार कर रहा हूँ।

वो बोली- अगर काम नहीं करती तो माँ बहुत बोलती, इसलिए फटाफट कर लिया।

फिर बोली- अब फ्री बस ! अब जो तुम कहो ! सारा दिन हम बातें करेंगे !

मैंने बोला- बस बातें ही क्या?

वो शरमा कर हंस दी और बोली- जाओ न यहाँ से ! बड़े आये !

मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और दबा दिया, वो बोली- प्रेम, बस रहने दो, तुम तो बहुत मस्तीखोर हो !

मैंने कहा- तुम ही तो कब से फ्लर्ट कर रही थी।

वो बोली- कहाँ बस ! वो तो ऐसे ही तुम बहुत अच्छे हो तो मुझे अच्छा लगता है तुमसे बातें करना।

बस मैंने देर नहीं की और उसके कंधे पर हाथ रख दिया, वो चुप रही और बोली- कोई आ जायेगा।

मैंने कहा- दरवाजा लगा दो !

उसने लगा दिया और आकर मेरे पास बैठ गई। मैंने उसका हाथ पकड़ा और चूम लिया वो ‘बस कर’ बोल तो रही थी पर हाथ नहीं हटाया और कुछ विरोध नहीं किया। यह कहानी आप देसी मासला लैव.कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैंने उसको हौले-हौले अपनी बाहों में लिया, उसने आँखें बंद कर ली।

मैंने मन में सोचा कि बस अब हो गया काम मेरा।

मैंने उसके गाल को चूमा, होंठों को चूमा और गले को धीरे धीरे चूमा। उसकी सांसें तेज हो रही थी, वो बोल रही थी- प्रेम बस रहने दो न ! हो गया !

पर सिसकारियाँ भर रही थी और कोई विरोध नहीं कर रही थी।

मैंने उसको वहीं पलंग पर लिटा दिया और उसका दुपट्टा फेंक दिया और उसका गला और छाती चूमने लगा और वो उम्म उम्म ! प्रेम हम्म प्रेम ! कर रही थी और मेरे बालो में हाथ फेर रही थी।

मैंने अपनी शर्ट उतारी, वो देख रही थी और मुस्कुरा रही थी। मैंने ऊपर से सब उतार दिया और उसके ऊपर लेट गया।

वो अब पीठ पर हाथ फेर रही थी, बोल रही थी- ओह प्रेम ह्म्म हा ! प्रेम कोई आ गया तो? प्रेम बस ! न हम्म ! मजे भी ले रही थी और बोल भी रही थी और इतने प्यार से मेरी पीठ और बालों में हाथ फेर रही थी।

ह्म्म्मम्म प्रेम प्रेम ओह्ह प्रेम सस्सस प्रेम्म्म हम्म बस !

फिर मैंने उसके गले को इतना चूसा, इतना चाटा, तीन-चार जगह काटा, वो सिसकारी ले रही थी और इतनी गरम हो गई कि मेरे कूल्हों

और पीठ पर हाथ फेर रही थी- प्रेम ह्म्म् हा प्रेम्म ह्म्म जल्दी प्रेम !

वो शर्मीली थी, उसका भी पहली बार था और मेरा भी पर मैं देसी मासला लैव पढ़ पढ़ कर एक्सपर्ट हो चुका था कि कैसे करना है।

फिर मैंने उसका कुरता ऊपर उठाया और उसकी नाभि में जीभ डाल दी और पूरी जीभ घुमा कर चूसने लगा।

“ओह प्रेम ! अहह धीरे प्रेम ! अह्ह काटते हो तो कुछ होता है प्रेम ! हाँ प्रेम ओह्ह !”

मैंने कहा- पिंकी, अच्छा लग रहा है?

prem aur pinki

वो बहुत गर्म हो चुकी थी, बोली- हाम्म् प्रेम करो न ! प्रेम अह्ह और थोड़ा करो न वहाँ पर हमम्म अह्ह काटो मत ! नाम्म प्रेम !

मैं चूसता ही जा रहा था, मैंने पेट पर काटा भी और पूरा पेट चूस चूस कर गीला कर दिया।

मैंने कहा- पिंकी, अच्छा लग रहा है?

वो बहुत गर्म हो चुकी थी, बोली- हाम्म् प्रेम करो न ! प्रेम अह्ह और थोड़ा करो न वहाँ पर हमम्म अह्ह काटो मत ! नाम्म प्रेम !

मैं चूसता ही जा रहा था, मैंने पेट पर काटा भी और पूरा पेट चूस चूस कर गीला कर दिया।

फिर धीरे से उसका नाड़ा खींचा और उसकी सलवार खुल गई, मैंने नीचे की, उसने काली पेंटी पहन रखी थी, मैंने जैसे ही उसकी फुद्दी पर हाथ रखा, उसके बदन पर कम्पकंपी छा गई- ओह… ओह… ओह… प्रेम… अह्ह्ह… ओह…

मैंने फिर उसकी जांघों को चूसना शुरू किया, वो इतनी अतिशय गर्म हो चुकी थी कि बस अब चोद दो, पर मैंने बहुत तड़पाया उसको और बहुत देर दोनों जांघों पर काटा भी और चूस कर लाल कर दी।

वो बोली- प्रेम, ह्म्म जल्दी प्रेम ! जल्दी आओ न प्रेम ! प्यार करो न प्रेम ! जल्दी प्यार करो न मुझे।

अब मैंने उसकी पूरी कुर्ती ऊपर कर दी तो मुझे उसके चूचे दिखे ! वाह ! क्या निप्पल थे यार ! मस्त गहरे भूरे और गोल-गोल, मोटे-मोटे !

मैंने उन्हें मुँह में लिया तो ! कितने नर्म थे ! मैंने बहुत जोर जोर से चूसना शुरू किया।

“हम्म प्रेम ! अह अह अह प्रेम ! धीरे प्रेम ! हाँ प्रेम ! धीरे हाँ प्रेम ! हाँ करो न प्रेम ! करो, प्यार करो न मुझे..”

वो बहुत ही गर्म हो चुकी थी पर मुझे संतोष नहीं था, मैंने इतने काट-काट कर उसके वक्ष चूसे कि वो लाल हो गए और उन पर निशान भी बन गये। अब मुझसे नहीं रहा गया, मैं पैंट उतार कर नंगा हो गया। वो तो थी ही गर्म, मेरे पेट पर हाथ फेरने लगी, उसने पहली बार लंड देखा था तो बहुत गर्म हो गई। मैंने उसका हाथ लंड पर रखा तो बस कुछ नहीं कहा उसके पकड़ कर रखा उसने।

मैंने कहा- ज़रा इसे हिला दो ना !

तो उसने कहा- ऐसे?

और हिलाने लगी।

मैंने कहा- हाँ आअ !

उसने कहा- प्रेम, प्यार करने में मज़ा आ रहा है ना?

मैंने कहा- हाँ पिंकी ! अह अह ! पिंकी और कर !

“हाँ प्रेम लो और लो ! ”

और वो तेजी से हिलाने लगी, मुझे लगा कि अब मैं छुट जाऊँगा, तो मैंने कहा- बस पिंकी ! अब मुझे प्यार करना है।

मैंने उसकी कमीज उतार दी और सलवार भी, पूरा नंगा कर दिया और वाह यार ! क्या लग रही थी वो ! गोरी गोरी पतली कमर और वो नाभि ! मैं तो पागल हो गया था। बस अब जल्दी से चोदना था।

वो बोल रही थी- प्रेम, मैं पहली बार तुमसे सिर्फ तुमसे प्यार कर रही हूँ। मेरे साथ वो कर डालो ! जल्दी प्यार करो न प्रेम !

मैंने देर नहीं की और उसकी चूत पर मुँह रख दिया।

वो बोली- स…स…हम्म ! प्रेम क्या कर रहे हो? यीई…ईईए… अह्ह… अह प्रेम ! और… और… और प्रेम !

और मैं चूसता ही गया, चूसता जी गया, चूत में पूरी जीभ डाल कर चूसता गया, मस्त मुलायम और लाल लाल चूत थी।

और मैं उमम्म्च… अलम्म्च ह्मम कर के चूस रहा था। अब मुझे उसकी चूत में बहुत खारा खारा स्वाद लगा।

मैंने मन में कहा कि बस अब मुझे इसको चोदना है।

मैं उसके ऊपर आ गया, अपने पूरे शरीर का भार डाल कर, मेरी छाती से उसके मम्मे दब रहे थे। मैं बहुत जोर जोर से उसके होंट चूसने लगा, हम दोनों नंगे थे, एक दूसरे के ऊपर ! अहह क्या अहसास था यार ! मैंने देर नहीं की और बस लंड उसकी चूत पर रख कर धीरे धीरे अन्दर करने लगा।

वो बोल रही थी- अह अह अह ! आआ प्रेम और और ! अह्ह्ह प्रेम ! दुःख रहा है ! ना प्रेम ! अह आहा अह्ह्ह !

मैंने उसको इतना गर्म किया था कि उसको चूत में दर्द न हो !

मैंने एक जोरदार धक्का मारा, पुचच्च कर के अन्दर चला गया, मुझे पता था कि यह चिल्लाएगी, मैंने पहले ही उसके मुँह में मुँह डाल दिया और चूसने लगा, वो ह्म्म्मम्म्म्मम्मम कर के चिल्लाई।

पर मेरे मुँह में दब गई वो चीख !

उसकी आँखों से आंसू आ रहे थे पर मैंने उसके हाथ जोर से दबा कर पकड़ रखे थे, दोनों हाथ से और मैंने तब तक उसका मुँह चूसा जब तक उसे मज़ा न आने लग जाये।

मैं नीचे से अन्दर-बाहर धक्के लगाने लगा।

अह अह अह आहा उम्म्म्मच…ओम्म्म्च…आओ ऊमम्म पचच्च !

मैं उसके होंट और मम्मे चूसता जा रहा था और नीचे से उसे चोद रहा था- अह अह हा पिंकी ! आई लव यू मेरी जान ! मुझे बहुत

मज़ा आ रहा है।

“हा हा हा अह अह प्रेम ! हाँ प्रेम मुझे भी ! और प्यार करो न मुझे ! और और करो न ! स्स्स्स्स स्स्स अह हम्म प्रेम ! और करो जोर से करो न प्रेम ! हाआ आ प्रेम ऐसे ही करो ना ! मैं बहुत प्यार करती हूँ तुमसे प्रेम ! तुम बहुत प्यारे हो ! अह्हह्ह प्रेम ! करो और प्रेम ! हा मेरे प्रेम ! तुम जब यहाँ नहीं होते तो मैं बहुत मिस करती हूँ तुम्हें ! आज बहुत प्यार करो ! जी भर के करो प्रेम ! करो और और ”

“हाँ मेरी रानी ! मैं बहुत प्यार करता हूँ तुमसे ! अहह अह आहा लो लो और लो ! पिंकी अह अह आहा हआ !”

“प्रेम, बहुत अच्छे हो तुम ! बहुत प्यार करते हो न मुझसे?”

“हाँ पिंकू बहुत चाहता हूँ तुम्हें मैं ! चाहे दुनिया के लिए चाहे तुम मेरी मौसी हो पर तुम मेरी प्यारी दुल्हन हो ! अह्ह पिन्कय् !”

“हाँ प्रेम करो न प्रेम ! मैं तुमसे शादी करना चाहती थी, पर क्या करूँ ! चाहे कुछ भी हो, हम प्यार तो जरुर करेंगे !”

मैं बहुत देर तक ऐसे ही बोल बोल कर उसको चोदता रहा। फिर जब मेरा पानी आने वाला था तो मैंने कहा- मैं तो गया पिंकी !

वो बोली- बस मेरे अन्दर ही रहो न प्रेम ! मुझे मत छोड़ कर जाओ !

मैंने उसकी चूत में ही अपना लंड डाले हुए पूरा पानी छोड़ दिया, 6-7 पिचकारी में पूरा पानी उसकी चूत से बाहर आ रहा था। हम संतुष्ट हो गए थे, मैं उसके ऊपर लेटा रहा और उसके मम्मे चूसता रहा, और वो हांफती रही- ह्म्म्म ! प्रेम अच्छा लगा न जानू?

मैंने कहा- हाँ पिंकू !

वो बोली- पता है प्रेम, मुझे तुम बहुत पसंद हो, मैं बहुत प्यार करती हूँ तुमसे ! तुमसे इतना प्यार करना चाहती हूँ कि मेरा कभी दिल ही न भरे प्यार कर कर के ! और लो प्रेम ! सब तुम्हारा है ! कह कर उसने अपनी चूची मेरे मुँह में दी और अब वो नीचे से हिलने लगी। मैंने उसका मम्मा चूस चूस कर लाल कर दिया, वो फिर से गर्म हो गई, मैं भी तैयार हो गया, वो नीचे से गांड हिलाने लगी, मैं उसकी चूत में धक्के मारने लगा, मैंने कहा- जान, मैं बहुत प्यार करना चाहता हूँ तुम्हें।

वो बोली- हाँ प्रेम ! फिर मौका मिले न मिले, आज जितना चाहे प्यार कर लो मेरे जानू ! मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ ! अह अह अह अह प्रेम शैतान कहीं के ! धीरे न बाबा ! तुम्हारी ही तो हूँ !”

मैं जोर से चोदने लगा वो झड़ गई, मेरा भी काम होने को आया था पर मैंने निकाल लिया फट से लंड और उसकी गांड पर टिका दिया।

पिंकी- अह्ह प्रेम, यह क्या अह्ह्ह दुःख रहा है प्रेम ! कोई बात नहीं प्रेम, तुम्हारी हूँ, जो चाहे करो पर थोड़ा धीरे !

मैं- हाँ जानू, बस आज पूरा मजा लेने दो न ! आआ आह्ह्ह मेरी शोनी पिंकू !

पिंकी- हाँ प्रेम, मैं तुम्हें बहुत प्यार दूंगी। अह प्रेम, दुखता है !

मैं- अह पिंकू, तुम्हारी तो बहुत मुलायम है।

पिंकी- प्रेम मेरा पहली बार है, बस तुम्हारे लिए है, करो प्रेम, पूरा मज़ा लो और मुझसे प्यार करो।

मैं उसकी गांड मार रहा था, उसे भी मजा आने लगा था तो वो भी प्यार से मरवा रही थी।

मैं- ओह पिंकी, मैं बस आने वाला हूँ ! अह अह !

उसने अपने गले पर मेरा चेहरा थोड़ा दबाया और मैं उसके गले को चूसने-काटने लगा और गांड मारता रहा।

पिंकी- हाँ प्रेम आ जाओ न मेरा अन्दर !

और मैं थोड़ी देर बाद झड़ गया उसकी गांड में !

क्या सुकून वाला एहसास था पहली चुदाई ! गांड और चूत दोनों चोदने के बाद हमने बहुत लम्बा चुम्बन किया, उसने मेरे होंठों को बहुत चूसा और मैंने भी !

पिंकी- प्रेम, आज अच्छा तो लगा न मेरे जानू?

मैं- मेरी जानू, बहुत मज़ा आया ! तुम मेरा पहला प्यार हो पिंकी ! आई लव यू सो मच !

पिंकी- आई लव यू टू मेरे प्रेम ! बस लव यू जानू।

हमारे पास शब्द नहीं थे, बस एक दूसरे को चूमते हुए मस्त चुदाई की और प्यार से चूसते हुए एक दूसरे को जकड़े पड़े थे बेड पर।

मैं- ओह पिंकी, मैं बस आने वाला हूँ ! अह अह !

उसने अपने गले पर मेरा चेहरा थोड़ा दबाया और मैं उसके गले को चूसने-काटने लगा और गांड मारता रहा।

पिंकी- हाँ प्रेम आ जाओ न मेरा अन्दर !

और मैं थोड़ी देर बाद झड़ गया उसकी गांड में !

क्या सुकून वाला एहसास था पहली चुदाई ! गांड और चूत दोनों चोदने के बाद हमने बहुत लम्बा चुम्बन किया, उसने मेरे होंठों को बहुत चूसा और मैंने भी !

पिंकी- प्रेम, आज अच्छा तो लगा न मेरे जानू?

मैं- मेरी जानू, बहुत मज़ा आया ! तुम मेरा पहला प्यार हो पिंकी ! आई लव यू सो मच !

पिंकी- आई लव यू टू मेरे प्रेम ! बस लव यू जानू।

हमारे पास शब्द नहीं थे, बस एक दूसरे को चूमते हुए मस्त चुदाई की और प्यार से चूसते हुए एक दूसरे को जकड़े पड़े थे बेड पर।

मैं- पिंकी, तुमने मुझे बहुत प्यार दिया। मुझे तुमसे और प्यार चाहिए, मुझे दोगी ना?

पिंकी- प्रेम में तो सिर्फ तुम्हारी हूँ अब जो चाहे कर लो और तुम जो बोलोगे, मैं करुँगी डार्लिंग !

मैं- पिंकी, मैं बहुत चाहता हूँ तुम्हें, बस मुझे यह डर है कि तुम कहीं नाराज न हो जाओ, तुम्हारे साथ मैं जबरदस्ती न करूँ।

पिंकी- अरे मेरे दिल में रहने वाले पगले राजा, बोलो न क्या बात है?

उम्म्मम्म्च ! मेरे माथे पे चूमा।

मैं- पिंकी, मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे लिंग पर वो करो जो मैं तुम्हारे दुदू पर करता हूँ।

पिंकी- मतलब मैं उसे मुँह में लेकर चूसूँ?

मैं- हाँ, क्या हुआ डार्लिंग? बुरा लगा?

पिंकी- नहीं जानू, बस पहली बार है तो थोड़ा गन्दा लगेगा ! पर कोई बात नहीं, बस मैं तुम्हें, मुझसे जितना हो सके, उससे भी ज्यादा प्यार दूंगी।

मैं तो खुश हो गया और बोला- तो लो न जल्दी !

हम बेड पर लेटे थे करवट लेकर, वो थोड़ा नीचे सरकी और उसने मेरा लण्ड अपनी ब्रा से पोंछा और जीभ से चाटा और चुम्मी ली।

पिंकी- प्रेम, आई लव यू, तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हूँ मैं !

और उसने आँखें बंद की और पूरा मुँह में लेकर धीरे धीरे चूसने लगी।

मुझे बहुत जोश छाने लगा, मैंने कहा- अह अह अह पिंकी बेबी और चूसो ! और और और अह अह !

और मैं झटके मारने लगा- अह अह !

पिंकी भी मुझे देख कर खुश हो रही थी, उसे लग रहा था कि वो मुझे प्यार दे पा रही है, इस लिए फिर उसे भी मजा आने लगा और वो जोरों से चूसने लगी।

करीब दस मिनट बाद मैंने कहा- मैं आ रहा हूँ !

उसने चूसते हुए कहा- ह्म्म्मम्म ह्म्म्मम्म च हम्म्म्म्म

बहुत देर चूसाने के बाद मैंने पूरा वीर्य उसके मुँह में डाल दिया, उसे पता चला भी या नहीं, पता नहीं पर वो लार और थूक समझ कर शायद सब गटक गई और चूसती ही रही, मेरा पानी निकलने पर मैंने उसे अलग किया और बस मुझे उस पर इतना प्यार आया कि मैंने बहुत देर उसके होंठों का रसपान किया।

मैं उसका प्यार पहचान गया पर हम दोनों जानते थे कि हमारी शादी नहीं हो सकती।

बस उस दिन पहला और आखिरी मौका था तो कर लिया। फिर उसकी माँ के आने का वक्त हुआ। हमने लगभग ३ घंटे चुदाई-कार्यक्रम चलाया।

उसने फिर मेरे माथे पर, गाल, गला सब चूमा और चाटा और बोली- प्रेम, बस आज तक असा कभी नहीं लगा जो आज लग रहा है, आज अलग सी ख़ुशी हो रही है।

मैं- हाँ पिंकी, तुम हो ही इतनी सुन्दर, बस तुम परी हो।

पिंकी ने मुझे स्नेह से गले लगा लिया और आँखों में आँसू थे !

मैंने उसे फिर से चूम लिया।

चादर पर मैंने देखा तो खून और मेरा वीर्य पड़ा था, पिंकी अक्षतयौवना थी और मैं भी ! हमें पहली बार बहुत मज़ा आया और हमने अपने हाथों से एक दूसरे को कपड़े पहनाये। मैं बहुत देर उसकी गोद में सर रख कर बातें करता रहा। उसकी माँ के आने का समय हो गया, उसने जल्दी से चादर धो डाली और निचोड़ कर प्रेस करके सुखा दी और वही चादर बेड पर डाल दी ताकि किसी को शक न हो।

बस फिर उसकी माँ आ गई आँगन में,पिंकी जल्दी से आई मुझे गाल पर चुम्मी दी और अपनी जीभ से गीला करके चली गई। मैंने उसे आँख मारी और वो हंसने लगी।

फिर मैं उसके घर से उसकी माँ से थोड़ी बातचीत करके निकला।

दूसरे दिन मेरी अहमदाबाद की ट्रेन थी तो वो बहुत उदास थी। जाते जाते मैं उसके घर में घुस गया, उसकी माँ के पैर छूने के बहाने गया, माँ बाथरूम में थी, मैंने उसको लम्बा चुम्बन किया, बाहों में जकड़ा और कहा- जानू, जा रहा हूँ पर आई लव यू फोर एवर !

उसने भी कहा- हाँ प्रेम, मैं भी मरते दम तक यह प्यार नहीं भूलूंगी, आई लव यू टू !

बस फिर मैं चला आया, सारे रास्ते ट्रेन में उसके बारे में सोचता रहा और घर आकर आज तक उसे भुला नहीं पाया हूँ।

पिछले महीने में ही उसकी शादी हुई है, हमारा कोई सम्पर्क नहीं है। यहाँ इस दिवाली के बाद अहमदाबाद में एक रिश्तेदार की शादी है दुआ है कि वो ज़रूर आये !

बस यह थी मेरी सच्ची कहानी प्यार और सेक्स की।

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]]> https://hothindisexstory.com/prem-aur-pinki-ka-pyar-hindi-sex-story/feed/ 0 9199 दोस्त की मम्मी को पेला https://hothindisexstory.com/dost-ki-mummy-ko-choda/ https://hothindisexstory.com/dost-ki-mummy-ko-choda/#comments Fri, 08 Jul 2016 13:32:26 +0000 https://hothindisexstory.com/?p=9100 एक दिन की बात है, मैं अपने दोस्त के घर गया हुआ था, वो घर पर नहीं था, यह बात मुझे नहीं पता थी। मैं गया तो उसके घर का दरवाजा खुला हुआ था, तो मैं ऐसे ही उसके घर में घुस गया, मेरा समय अपने घर कम और उसके घर में ज्यादा बीतता था […]

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]]> एक दिन की बात है, मैं अपने दोस्त के घर गया हुआ था, वो घर पर नहीं था, यह बात मुझे नहीं पता थी। मैं गया तो उसके घर का दरवाजा खुला हुआ था, तो मैं ऐसे ही उसके घर में घुस गया, मेरा समय अपने घर कम और उसके घर में ज्यादा बीतता था तो उसके घर आना जाना रहता था।
तो हुआ यों कि मैं उसके घर में घुस गया और सीधे उसके कमरे में जाने लगा तो उसके बगल वाले कमरे से मुझे छन छन की आवाज़ आ रही थी जैसे कोई पायल या फिर कोई चूड़ी खनका रहा हो।मैं वापिस पीछे को आया और खिड़की के पास रुक गया और सुनने लगा, मुझे अंदर की आवाज़ ठीक से सुनाई तो नहीं दे रही थी पर इतना दिमाग था कि पहचान सकूँ कि यह किस किस्म की आवाज़ है। थोड़ा ध्यान दिया आवाज़ की तरफ तो मेरा लंड एकदम से तन गया, अंदर से Dost ki mummy ko choda पेला पेली की आवाज़ आ रही थी। मैंने बहुत कोशिश की अंदर झांकने की कि कौन है, क्योंकि इससे पहले भी मेरा दोस्त अपने घर में लड़की लाकर खा चुका था, अगर मेरा दोस्त होता तो मुझे भी मौका मिल जाता पर असल में है कौन, वो देखना था मुझे।

मैंने बहुत कोशिश की और अंत में कामयाबी मिली तो देखा कि मेरे दोस्त के मॉम-डैड थे, मुझे थोड़ा अजीब लगा पर यह सब चलता रहता है। मैंने देखा कि अंकल आंटी की टांगों को उठा कर अपने कंधे पर रख कर उनकी ठुकाई कर रहे थे।
मैं कुछ देर वहीं खड़ा रहा और देखता रहा, दस मिनट की चुदाई देख ली, मैंने उसके बाद जो हुआ तब मेरी फट गई।
हुआ ये कि हवा काएक तेज झोंका आया और खिड़की का अंदर का पर्दा उड़ गया और आंटी ने मुझे देख लिया कि मैं देख रहा हूँ, पर मुझे झटका तब लगा जब आंटी ने मुझे देख कर भी अनदेखा किया और अंकल से चुदवाती रही।
अब मुझे लगा कि मेरा वहाँ खड़े रहना खतरे से खाली नहीं है और मैं वहाँ से नौ दो गयारह हो लिया।
अगले दिन मैं फिर से उनके घर गया, पर मुझे बहुत शर्म सी आ रही थी। इस बार मैंने उनके घर की घंटी बजाई और फिर अंदर गया जब मेरे दोस्त ने दरवाजा खोला।
मैं अंदर गया तो उसने मुझसे पूछा- आज क्या हुआ तुझे, आज तूने घंटी बजाई? तू ठीक तो है ना? आज तुझे घंटी बजाने की क्या जरुरत पड़ गई। तब उसकी माँ वहीं बगल से निकल कर गई और मुझे तिरछी नजर से देखा।
मैं क्या बोलता उसे, मैंने बोला- अरे घंटी बजानी चहिये, इसे तमीज़ कहते हैं।
वो बोला- आज तुझे पक्का कुछ हुआ है, चल कोई बात नहीं आ चल कमरे में।
मैं उसके साथ बैठ गया और उसके कंप्यूटर में गेम खेलने लगा, कुछ देर के बाद वो बोला- तू खेल, मैं नहा कर आता हूँ !
और फिर वो नहाने चला गया।
मैं खेलता रहा तब तक उसकी मॉम भी उसी कमरे में आ गई और मुझे पानी दिया पीने को।
मैंने पानी लिया और पीकर गिलास वहीं बाजू में रख दिया। आंटी अब भी वहीं खड़ी थी और जब गिलास उठाने के लिए झुकी तो अपनी चुन्नी गिरा दी और मुझे अपने चुच्चों के दर्शन करा दिए।
मेरी फिर से सूख गई कि यह हो क्या रहा है आजकल।
अब आंटी मुझे देखने लगी और पूछने लगी- क्या देख रहे हो?
मैं क्या जवाब देता, मैं बोला- कुछ नहीं ! गलती से दिख गया।
फिर आंटी बोली- आज गलती से दिख गया और कल जो देखा वो भी क्या गलती थी?
मैंने उन्हें सोरी बोला और फिर आँखें नीची करके चुप बैठा रहा।
वो बोली- कोई बात नहीं पर अगली बार से ऐसा मत करना, अच्छी बात नहीं होती यह सब।

कुछ देर के बाद आंटी फिर से कमरे में आई और मुझे बोली- कल जो देखा और आज जो देखा किसी को बताना मत।
मैंने कहा- जी मैं ये सब बातें नहीं करता किसी से !
फिर आंटी चली गयी। मैं फिर थोड़ी देर के बाद अपने घर चला गया आंटी को बोल कर। घर जाकर मुझे याद आया कि मैं उनके घर में अपना घड़ी भूल गया।
शाम को मैं फिर उनके घर गया और आंटी से दोस्त के लिए पूछा तो वो बोली- वो दोपहर से कहीं गया हुआ है।
मैंने कहा- ठीक है।
फिर मैंने आंटी को बोला कि मैं अपनी घड़ी उसके कमरे में भूल गया हूँ।
आंटी बोली- रुको, मैं लाकर देती हूँ।
आंटी फिर आई और बोली- तुम ही देख लो, मुझे नहीं मिल रही है।
मैं फिर उसके कमरे में गया, देखा कि मेरी घड़ी तो वहीं सामने रखी हुई है, मैंने घड़ी ली और आंटी के कमरे में यह बोलने के लिए गया कि मैंने घड़ी ले ली है, मैं जा रहा हूँ।
पर जब में उनके कमरे में गया तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। मैंने देखा कि आंटी ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी है और मेरी तरफ ही देख रही हैं जैसे उन्हें मेरा ही इंतज़ार था कि मैं आऊंगा और उन्हें इस हाल में देखूंगा।
मैंने उन्हें देख कर बोला- आंटी, यह क्या? अभी तो आप साड़ी में थी और यह अचानक?
आंटी बोली- तुम्हारे लिए उतार दी।
मैं बोला- आंटी, मैं आपका मतलब नहीं समझा।
वो बोली- इतने भोले मत बनो, आओ मेरे पास आओ, और कल तुमने क्या क्या सीखा मुझे बताओ।
मैं आंटी की तरफ बढ़ा और आंटी से चिपक गया। फिर आंटी ने भी मुझे कस कर गले लगा लिया और मुझे चूमने लगी।
मैंने भी मौके को गंवाया नहीं और उनके होठों को चूसने लग गया।
मैं पहली बार किसी आंटी को चूम रहा था और मुझे आंटी को चूमने में काफी मज़ा आ रहा था। उनके होंठ एकदम किसी जवान लड़की की तरह थे, एकदम वही मज़ा मिल रहा था मुझे।
अब आंटी ने मुझे बिस्तर पे बिठा दिया और मेरे सामने घुटने के बल बैठ गई और मेरी पैंट की ज़िप खोलने लगी। मैं खड़ा हुआ और जल्दी से ज़िप खोल कर उनके सामने मैंने अपना लंड लटका दिया।

आँटी बोली- काफी अच्छा है तुम्हारा लंड !
और फिर उसे पकड़ कर दबाने लग गई। उनके दबाने से तो मेरे अंग अंग में करंट सा दौड़ पड़ा, अब कुछ देर के बाद उन्होंने मेरे लंड को मुँह में ले लिया और उसे कस कस कर चूसने लगी।
वो एकदम उनकी तरह चूस रही थी जैसे ब्लू फिल्म में चूसते हैं, एकदम सर को आगे पीछे कर कर क चूस रही थी।
मैं बिस्तर पर लेट गया और वो मेरा लंड चूसती रही, कुछ देर के चूसने के बाद उन्होंने मेरी पैंट और फिर शर्ट दोनों उतार दी और मेरे पूरे जिस्म को चूमने लगी, फिर एक हाथ से मेरे लंड को दबाए जा रही थी।
कुछ देर के बाद मैंने उन्हें लेटा दिया और उनके चुचों को ब्लाउज़ के ऊपर से ही काटने लगा। थोड़ी देर काटने के बाद उन्होंने खुद अपनी ब्लाउज़ उतार दी और फिर मुझे चूसने को कहा।
मैं उनके एक चुच्चे को चूसता तो दूसरे को मसलता रहता। दस मिनट तक मैं उनकी चूचियों को गर्म करता रहा और वो दस मिनट तक सिसकारियाँ भरती रही।
मैं अब उठा और उनके पेटीकोट के अंदर सर डाल दिया और उनकी पेंटी के ऊपर से ही उनकी चूत को हल्के हल्के काटने लग गया। उनकी पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी और उसमें से महक आ रही थी जैसे चूत में से आती है।

Dost ki mummy ko choda

मैं उनकी पेटीकोट के अंदर ही पगला गया और उनकी पेंटी की बगल में से उनकी चूत में उंगली करने लगा।
पाँच मिनट के बाद मैंने अपना सर बाहर निकाला और उनकी पेटीकोट के साथ साथ उनकी पेंटी भी उतार दी। अब आंटी मेरे सामने पूरी नंगी थी, उनकी चूत पर काफी बाल थे, पर मुझे उससे कुछ फर्क नहीं पड़ा।
मैं दोबारा उनके चुचों पर टूट पड़ा और उन्हें कस कस कर चूसने लगा। वो अब सिसकारियों पे सिसकारियाँ भरने लगी- ओह ह्मम्म क्या मज़ा आ रहा है और जोर से चूसो इसे, खा जा इसे ऊह ओऊ हम्म्म येह्ह्ह्ह किये जा रही थी।
मैं उन्हें चूमते चूमते उनकी चूत की तरफ आ गया, और फिर उनके चूत के बालों को एक तरफ किया और उनकी चूत में जीभ रगड़ने लग गया। उन्होंने मेरे सर पर हाथ रखा और मुझे अपनी चूत पर कस के दबा लिया, मैं उनकी चूत को और कस के रगड़ने लगा, मैं बीच बीच में उनकी चूत की पंखुड़ियों को अपने होठों से काटने लगा और उनकी चूत की छेद को में अपने जीभ से धकेल भी देता बीच बीच में।
जितने बार उनकी छेद में जीभ से धक्का देता उतनी बार वो सिकुड़ जाती और उफ्फ्फ्फ्फ़ आह करने लग जाती।
अब वो बोली- और कब तक से चूसेगा, जल्दी से अपना प्यारा लंड डाल दे, मैं और नहीं रुक सकती, जल्दी कर।
मैं उठा और उनकी चूत पर लंड सटा दिया और धक्का दिया, पहले जब लंड घुसा तब वो हल्का सा चीखी और फिर शांत हो गई। मैंने धक्का देना शुरु कर दिया और कुछ 8-10 धक्कों के बाद वो भी अपना गांड उठा उठा कर मुझे अपनी चूत देने लगी। उन्होंने मुझे कस के पकड़ लिया, उनकी उंगलियों के नाख़ून मुझे चुभने लगे। मैं फिर भी उन्हें कस कस के धक्का देता गया और वो अपना गांड उठा उठा कर अपनी चूत देने लगी और मेरा लंड जल्दी जल्दी लेने लगी। वो अब तक दो बार झड़ चुकी थी।

मैंने उन्हें अब घोड़ी बनने के लिए बोला तो वो बोली- गांड नहीं दूंगी चूत मार ले।
मैंने कहा- गांड नहीं मारनी, चूत ही मारूंगा मगर पीछे से।
वो बोली- ठीक है।
और फिर घोड़ी बन गई, मैंने पीछे से उनकी चूत में लंड घुसा दिया, मैं अब लंड धीरे धीरे अन्दर बाहर कर रहा था।
मैं फिर एकदम से रुक गया और एक ही झटके में मैंने लंड चूत से हटा के गांड में दे दिया और उनकी गांड फट गई।
वो एकदम से बुरी तरह चीख उठी और मुझे गालियाँ देने लगी, बोली- कुत्ते, तुझे मना किया था न गांड में नहीं तो फिर क्यों दिया?
मैंने उनकी बात नहीं सुनी और गांड मारता रहा, करीब दस मिनट बाद वो खुद अब अपनी गांड पीछे की तरफ धकेलने लगी, मैं आगे की तरफ शोट मारता और वो पीछे की तरफ !
हम दोनों पूरा मज़ा ले रहे थे, इसमे भी वो एक बार झड़ गई और फिर कुछ देर के बाद मैं भी उनकी गांड में झड़ गया।
जब मैंने लंड निकाला तो कुछ पलों के बाद उनकी गांड से मेरा मुठ निकलने लग गया, उन्होंने अपनी गांड में उंगली फेरी और मेरे मुठ को उंगलियो से लेकर चाट गई।
मैंने फिर उनके मुँह में अपना लंड दे दिया और साफ़ करने को बोला।
उन्होंने मेरे लंड को एकदम साफ़ कर दिया और हम दोनों एक दूसरे के ऊपर नंगे लेट कर चूमते रहे।
फिर मैंने उन्हें कहा- अब मैं चलता हूँ फिर कभी और करेंगे।
मैं उठा और कपड़े पहन लिए और वो भी अपनी साड़ी पहनने लगी, और फिर हम पाँच मिनट में ठीक ठाक हो गए।
मैंने आंटी से पूछा- अंकल, तो कल मस्त मजा दे रहे थे फिर मेरी जरुरत क्यों पड़ी?
आंटी बोली- उनका तरीका मस्त है पर जल्दी झड़ जाते हैं, और सिर्फ हफ़्ते में एक बार ही पेलते हैं। मुझसे नहीं रहा जाता, एक तो जल्दी भी झड़ जाते हैं और एक हफ्ता बैठ कर मुठ जमा करते हैं।
मैं उनको कुछ पल तक देखता रहा और फिर एक चुम्मी देके चला गया। इसके बाद तो मैंने आंटी को काफी बार पेल चुका हूँ।

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]]> https://hothindisexstory.com/dost-ki-mummy-ko-choda/feed/ 2 9100 ननद और भाभी की चुदाई -2 https://hothindisexstory.com/%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%ad%e0%a5%80-%e0%a4%94%e0%a4%b0-%e0%a4%a8%e0%a4%a8%e0%a4%a6-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%9a%e0%a5%81%e0%a4%a6%e0%a4%be%e0%a4%88/ https://hothindisexstory.com/%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%ad%e0%a5%80-%e0%a4%94%e0%a4%b0-%e0%a4%a8%e0%a4%a8%e0%a4%a6-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%9a%e0%a5%81%e0%a4%a6%e0%a4%be%e0%a4%88/#respond Mon, 04 Jul 2016 21:58:49 +0000 https://hothindisexstory.com/?p=9075 मैंने उन्हें चूमते हुए सोफे पर वापस बिठाया और खुद एक पैग पीने के बाद अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया। इतने में नज़ीला भाभी ने भी अपनी कमीज़ और ब्रा उतार कर एक तरफ फेंक दी और पैरों में सैंडलों के अलावा मादरजात नंगी हो कर फिर मुझसे लिपट गयीं। फिर भाभी और […]

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]]> मैंने उन्हें चूमते हुए सोफे पर वापस बिठाया और खुद एक पैग पीने के बाद अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया। इतने में नज़ीला भाभी ने भी अपनी कमीज़ और ब्रा उतार कर एक तरफ फेंक दी और पैरों में सैंडलों के अलावा मादरजात नंगी हो कर फिर मुझसे लिपट गयीं। फिर भाभी और ननद की चुदाई सोफ़े पर ही शुरू हो गयी। मैं सोफे पर पीछे टिक कर लेटा था और मेरे पैर ज़मीन पर थे। नज़ीला भाभी मुझ पर सवार हो गयी थी। मेरा ज़ालिम लंड उनकी चूत में घुस कर फंसा हुआ था। वो कुल्हे उठा-गिरा कर मेरा लंड अपनी चूत में अंदर-बाहर कर रही थी। उनकी चूचियाँ मेरे मुँह के ऊपर थीं और मैं उनके निप्पल चूस रहा था। शराब के नशे और चुदाई की मस्ती में नज़ीला भाभी जोर-जोर से सिसकारियाँ भर रही थीं।

इतने में मेरी नज़र दरवाज़े की तरफ पड़ी तो देखा ज़हरा वहाँ खड़ी-खड़ी हैरानी से स्तंभित सी हमें देख रही थी। मैंने चुदाई नहीं रोकी और बोला, “अरे ज़हरा जी… आप कब आयीं?”

नज़ीला भाभी ने भी उसे देखा तो चुदाई चालू रखते हुए कहा, “आजा ज़हरा… शरमा मत!”

हमारी बात सुनकर ज़हरा जैसे अचानक होश में आयी और भाग कर उसके कमरे में चली गयी। हमने अपनी चुदाई ज़ारी रखी और शाम तक ऐश करते रहे। इस दौरान ज़हरा अपने कमरे से नहीं निकली। फिर बाद में हम दोनों मेरे कमरे में जाकर नंगे ही सो गये।

अगले दिन सुबह जब हम उठे तो नज़ीला भाभी बोली कि वो ज़हरा को समझा देंगी। फिर हम तीनों अपने-अपने दफ्तर, स्कूल ओर यूनिवर्सिटी निकल गये। उस दिन मुझे दफ्तर में देर तक रुकना पड़ा। शाम को जब नज़ीला भाभी और ज़हरा अकेले थे तो नज़ीला भाभी और ज़हरा साथ बैठ कर एक-एक पैग पीने लगीं। तब ज़हरा ने नज़ीला भाभी से कहा, “भाभी जान! मुझे माफ़ कर देना, मैं अंजाने में जल्दी आ गयी थी… मुझे मालूम नहीं था कि आप और वो…!”

नज़ीला भाभी बीच में ही बोली, “देख, ज़हरा! सैक्स के मामले में मैं और तेरे भाईजान बिल्कुल खुले ख्यालात के हैं। चोदने-चुदवाने में हम शरम-हया नहीं रखते हैं। हम दोनों के बीच अंडरस्टैंडिंग भी है कि तेरे भाईजान किसी और को चोद सकते हैं और मैं भी किसी भी मनचाहे मर्द से चुदवा सकती हूँ! लेकिन हम किसी एरे-गैरे के साथ चुदाई नहीं करते!”

ज़हरा बोली, “दीनू कैसा है? आप दोनों क्या रोज़-रोज़…!”

नज़ीला भाभी ने तपाक से कहा, “हाँ! रोज़ रोज़! दीनू मुझे रोज़ चोदता है और वो भी कईं कईं दफा। तू बता कि तू चुदवाती है कि नहीं या सूखी ज़िंदगी गुज़ार रही है?”

ज़हरा बोली, “नहीं भाभी जान! नसीर को गुज़रे हुए छः साल हो गये… तब से बस ऐसे ही… दिल तो बहुत करता है… पर हिम्मत नहीं हुई कभी… जब कभी दिल ज्यादा ही मचलता है तो… यू नो.. केला या बैंगन वगैराह डाल कर अपनी प्यास बुझा लेती हूँ!”

नज़ीला भाभी बोली, “छोड़ ये बेकार की बातें! कब तक सोसायटी की बेकार की पाबंदियों से डर-डर के जवानी बर्बाद करती रहेगी… जस्ट टेल मी क्लियरली… चुदवाना है दीनू से?”

“दिल तो करता है मगर…” ज़हरा ने हिचकिचाते हुए कहा तो नज़ीला भाभी फिर बोली, “ये अगर मगर कुछ नहीं… जस्ट से येस ओर नो…!” ज़हरा ने सिर हिला कर हाँ कह दिया।

उस दिन मैं दफ्तर से काफी लेट आया था। रात को सोते वक्त अपनी और जहरा की बातें नज़ीला भाभी ने मुझे बाद में बतायीं। मैं तो खुद ज़हरा को चोदने के लिये बेकरार था। अगले दिन शाम को दफ्तर से आने के बाद मैं नज़ीला भाभी के साथ बैठ कर शराब पी रहा था तो उन्होंने ज़हरा को भी कंपनी देने के लिये बुला लिया। ज़हरा आयी तो मैं उसके हुस्न को देखता ही रह गया।

जब से ज़हरा चंडीगढ़ आयी थी मैंने तो उसे हमेशा जींस और कुर्ता-टॉप में ही देखा था। आज शायद नज़ीला भाभी की सलाह से उसने हल्के गुलाबी रंग की पतली सी स्लीवलेस नाइटी पहनी हुई थी जिसमें से उसका बेपनाह हुस्न छलक रहा था। होंठों पे लाल लिपस्टिक और गालों पे गुलाबी रूज़ और पैरों में सफेद रंग के ऊँची पेंसिल हील के कातिलाना सैंडल पहने हुए थे। ज़हरा भी हमारे साथ बैठ कर ड्रिंक करने लगी लेकिन ज़हरा मुझसे नज़र नहीं मिला रही थी। मैं और नज़ीला भाभी ही बातें कर रहे थे और ज़हरा चुपचाप अपना पैग पी रही थी। हमने दो-दो पैग खतम किये तो ज़हरा के हावभाव से साफ था कि उसे अच्छा खासा नशा होने लगा। नज़ीला भाभी ने जानबूझ कर ज़हरा के लिये तगड़े पैग बनाये थे। अब ज़हरा हमारी बातों पे खुल कर खिलखिलाते हुए हंस रही थी। मुझे भी हल्का सुरूर था और खुद नज़ीला भाभी भी नशे में झूम रही थीं। कातिलाना मुस्कुराहट के साथ उन्होंने मुझे आँख मार कर इशारा किया तो मैंने बेशरम होकर ज़हरा से पूछा, “क्या खयाल है ज़हरा जी? पसंद आया आपको मेरा लंड? कल तो आप शरमा कर अंदर ही भग गयी थीं!”

ज़हरा ने शरमा कर मुस्कुराते हुए अपनी भाभी की तरफ देखा तो नज़ीला भाभी हंसते हुए बोली, “हाय अल्लाह… देखो कैसे शर्मा रही है…! अरे शरम हया छोड़… नहीं तो बस केले-बैंगन से काम चलाती रहेगी तमाम ज़िंदगी… सच में दीनू! ज़हरा तो बेकरार है तुम्हारा लंड लेने के लिये!”

“हाँ दीनू! छः साल से अपनी तमन्नाओं को दबा रखा था… अब और बर्दाश्त नहीं होता… भाभी जान की तरह प्लीज़ मेरी प्यास भी बुझा दो!” ज़हरा ज़रा खुलते हुए बोली।

मैं बोला, “क्यों शर्मिंदा कर रही हैं मुझे, बेकरार तो मैं हूँ इतने दिनों से आप जैसी ख़ूबसूरत हसीना को चोदने के लिये!”

ये सुनते ही ज़हरा के गालों पर लाली आ गयी। हमने एक-एक पैग और पिया तो नज़ीला भाभी ने उनके बेडरूम में चलने का इशारा किया। मैं बाथरूम में पेशाब करके नज़ीला भाभी के बेडरूम में पहुँचा और दो मिनट के बाद वो दोनों भी सैंडल खटखटती हुई नशे में झुमती कमरे में आयीं। नशे में होने की वजह से ज़हरा की चाल में लड़खड़ाहट साफ नज़र आ रही थी।

दोनों बेड पर बैठ गयीं। मैं उठ कर ज़हरा के पास आया और उसके गालों को चूमने लगा। नशे की मस्ती के बावजूद उसे बहुत शरमा आ रही थी। मैं अपने पैर लंबे करके पलंग पर बैठ गया और ज़हरा को अपनी गोद में खींच लिया और उसका चेहरा घुमा कर उसके होंठों को चूमा। फिर मैंने जीभ से उसके होंठ चाटे और जीभ मुँह में डालने का प्रयास किया लेकिन उसने मुँह नहीं खोला। “क्या हुआ ज़हरा जी? आपको अच्छा नहीं लग रहा क्या?” मैंने पूछा।

ज़हरा हंसते हुए धीरे से बोली, “नहीं-नहीं दीनू! बस थोड़ा ऑउट ऑफ प्रैक्टिस हो गयी हूँ ना!”

मैंने फिर उसके होंठों पे अपने होंठ रख दिये और उसका नीचे वाला होंठ अपने होंठों के बीच ले कर चूसा तो जहरा के जिस्म में झुरझुरी फ़ैल गयी और उसके दोनों निप्पल खड़े होने लगे। जहरा भी अब मेरा साथ देने लगी और मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और हम दोनों एक दूसरे की जीभें चूसने लगे। फिर मैं अपना हाथ उसके पेट से उसके मम्मों पर ले गया और नाइटी के ऊपर से सहलाने लगा। उसके मम्मों को सहलाते हुए मैं बोला, “ज़हरा जी, मम्मे तो बहुत बड़े-बड़े हैं और कठोर भी हैं!”

भाभी और ननद की चुदाई

वो कुछ नहीं बोली। कुछ देर तक मम्मे सहलाने के बाद मैंने उसकी नाइटी के हुक खोल दिये और फ़िर से उसके होंठों को चूमने लगा और फिर उसके बोब्बों को दबाने और सहलाने लगा। मेरी उंगलियाँ छूते ही उसके निप्पल खड़े हो गये। इतने में मैंने महसूस किया कि नज़ीला भाभी मेरा बरमूडा मेरी टाँगों से नीचे खिसका रही है। फिर उन्होंने मेरा अंडरवीयर और टी-शर्ट भी उतार दी। मैंने भी ज़हरा की नाइटी और ब्रा और पैंटी उसके जिस्म से अलग कर दी। नज़ीला भाभी तो पहले ही कब नंगी हो गयी थीं मुझे पता ही नहीं चला।

अब मैं बिल्कुल नंगा दो नंगी हसिनाओं के साथ एक ही बिस्तार पर मौजूद था। नज़ीला भाभी ने चॉकलेट रंग के पेंसिल हील के सैंडल पहने हुए थे और उनकी ननद ज़हरा ने सफेद रंग के ऊँची हील के सैंडल। दोनों का नंगा हुस्न देखकर मैं तो पागल हो गया।

ज़हरा को लिटा कर मैं उसकी चूत को सहलाने लगा और चूत में दो उंगलियाँ भी डाल दी। इतने में नज़ीला भाभी मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। मैंने भी झुक कर ज़हरा की चूत पर अपने होंठ लगा दिये और उसकी चूत में जीभ डाल कर चूसने लगा। ज़हरा के होंठों से मस्ती में खुल कर सिसकरियाँ निकल रही थी और और वो टाँगें फैलाये हुए बिस्तर की चादर अपनी मुठियों में भींच रही थी।

नज़ीला भाभी के चूसने से मेरा लंड पत्थर की तरह सख्त हो गया था और ज़हरा भी काफी गरम हो चुकी थी। वो अब बिल्कुल बेशरम होकर मस्ती में बोली, “दीनूऽऽ अब बर्दाश्ट नहीं हो रहा… प्लीज़ चोदो मुझे…!”

नज़ीला भाभी ने मेरा लंड अपने मुँह में से निकाला और बोली, “हाँ दीनू… अब चोद दो मेरी ननद को… देखो कैसे सब शर्म-ओ-हया छोड़ कर चोदने के लिये गुज़ारिश कर रही है!”

मैं ज़हरा के ऊपर आ गया और नज़ीला भाभी ने मेरा लंड को अपनी उंगलियों में पकड़ कर अपनी ननद की चूत के मुहाने रख दिया। मेरे लंड के गरम सुपाड़े को अपनी चूत पर महसूस करके जहरा और भी तड़प कर सिसक उठी। मेरे लंड को जहरा की चूत पर दबाते हुए नजीला भाभी बोली, “फक इट अप दीनू… पूरा लौड़ा अंदर तक…!”

मैंने एक जोर का धक्का मारा तो आधा लंड ज़हरा की चूत में घुस गया। दर्द की वजह से ज़हरा ज़ोर से चिल्लायी, “ऊऊऊईईईईई आआआहहह मेरे अल्लाह…. मरऽऽऽ गयीऽऽऽ!” अपनी ननद को दर्द से बेहाल होकर तड़पते देख नज़ीला भाभी ज़हरा के पास जाकर उसके होंठों को चूमने लगी और उसके मम्मों को दबाने लगी। जहरा की चींखें कुछ कम हुई तो मैंने फिर कस कर एक धक्का मारा तो पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। ज़हरा की चूत की कसी-कसी और गरम-गरम दीवारें मेरे लंड को जकड़े हुए थी।

ज़हरा की तो फिर से चींख निकाल पड़ी और वो अपने सिर को इधर-उधर पटकते हुए चिल्लायी, “याऽऽ अल्लाहऽऽऽ… मेरे मालिक… इस जालिम लंड ने तो मेरी जान ही निकाल डाली… आआआईईईऽऽऽ!”

मैं कुछ देर उसकी चूत में पूरा लंड घुसाये पड़ा रहा और कुछ भी हर्कत नहीं की। नज़ीला भाभी अब भी अपनी ननद के मुँह में जीभ डालकर उसके होंठ चूम रही थी। जब जहरा नॉर्मल हुई तो मैं अपने चूतड़ हिला कर धीरे-धीरे चोदने लगा। नज़ीला भाभी अब उसे चूमना छोड़ कर ज़हरा के बगल में लेटी हुई अपने हाथ से उसकी चूचियाँ और पेट पर सहला रही थी। ज़हरा मस्ती में ज़ोर-ज़ोर से सिसकते हुए “आहह ऊँहह आँआँहह” कर रही थी। अपनी टाँगें उठा कर ज़हरा ने मेरे पीछे कमर पर कैंची की तरह कस दीं और अपनी बाँहें मेरी बगलों में से मेरे कंधों पर कस दीं। “हाँ…ओहह मेरा खुदा… सो गुड… ओह डू इट… चोदो…!” बड़बड़ाते हुए ज़हरा भी मेरे धक्कों के साथ-साथ अपने चूतड़ ऊपर उछालने की पूरी कोशिश कर रही थी। थोड़ी ही देर में मैंने महसूस किया की नज़ीला भाभी अब मेरे पीछे थीं और मेरे चूतड़ों पर हाठ फिरा रही थीं। मैं भी सधे हुए लंबे-लंबे धक्के मारता हुआ अपना लंड ज़हरा की चूत में अंदर-बाहर चोद रहा था। “ओहह दीनू… आँहहा… अल्लाह… मैं… मैं… गयी… आआहहह!” ज़हरा ज़ोर से चींखी और अपनी टाँगें बहुत ज़ोर से मेरी कमर पर कस दीं और अपनी उंगलियों के नाखुन मेरे कंधों में गड़ा दिये। उसका बदन अकड़ गया और ज़हरा की चूत ने मेरे लंड पर पानी छोड़ दिया।

मैंने चोदना नहीं रोका और अब मैं और भी लंबे-लंबे धक्के मारते हुए चोदने लगा। पूरा लंड बाहर खींच कर एक झटके में ज़हरा की चूत में घुसेड़ने लगा। ज़हरा भी फिर से मस्ती में आ गयी और नीचे से अपने चूतड़ उछालने लगी। थोड़ी ही देर में धक्कों की रफ़्तार और बढ़ने लगी। कमरे में ज़हरा की “ऊँहहह आँहह” गूँज रही थी और उधर नज़ीला भाभी भी हमें जोश दिला रही थीं, “फक हर दीनू… और ज़ोर से चोद कुत्तिया को…!”

करीब पंद्रह-बीस मिनटों की चुदाई के बाद मैं ज़ोर से ज़हरा से लिपट गया और उसने भी मुझे ज़ोर से जकड़ लिया। हम दोनों ही झड़ने के कगार पर थे। पहले ज़हरा झड़ते हुए ज़ोरे से चींखी और मैंने भी पूरी ताकत से अपना लंड ज़हरा की चूत में अंदर तक ठाँस दिया। मेरी गोटियाँ भी ज़हरा के चूतड़ों के बीच की दरार में धंसी गयीं। अगले ही पल मेरा लंड उसकी चूत की गहरायी में पाँच-सात पिचकारियाँ मार कर झड़ गया। कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही लिपटे रहे। फिर जब मैंने आधा मुर्झाया हुआ लंड बाहर निकाला तो देखा उसकी चूत से वीर्य की धार बह रही थी। नज़ीला भाभी ने लपक कर अपनी जीभ ज़हरा की चूत पर लगा दी और उसमें से बहता हुआ मेरा वीर्य चाटने लगी। मेरा लंड भी नज़ीला भाभी ने चूस कर साफ किया और फिर उन्होंने ज़हरा से पूछा, “आया ना मज़ा?”

ज़हरा सिसकते हुए बोली, “या अल्लाह! इतने सालों से क्यों मैंने खुद को इतने मज़े से महरूम रखा?”

फिर मैंने नज़ीला भाभी को भी चोदा। ज़हरा भी नज़ीला भाभी की तरह ही चुदासी निकली। ज़हरा जितने दिन चंडिगढ़ रही हम तीनों रात को एक ही बिस्तर में सोते और रोज-रोज मैं उन दोनों ननद-भाभी को चोदता। दोनों चुदक्कड़ ननद-भाभी ने मुझे चुदाई की मशीन बना कर रख दिया और दोनों मिलकर मेरा लंड निचोड़ कर रख देतीं थीं। कईं दफा तो दोनों नशे धुत्त होकर में मेरे लौड़े के लिये आपस में बिल्लियों की तरह लड़ने और गाली-गलौच तक करने लगती थीं।

ज़हरा के जाने के बाद मैं करीब चार महीने चंडीगढ़ में नज़ीला भाभी के साथ रहा और उन्हें चोदता रहा।

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]]> मेरी नौकरी शहर में लग गई थी। मैंने सबसे पहले वहाँ पर एक किराये का मकान तलाश किया। मेरे साथ मेरा मित्र भी था। मैंने और मेरे मित्र राजकुमार के लिये मुझे बड़ा कमरा टॉयलेट के साथ मिल गया था। मकान मालिक कोई चालीस वर्ष का था और उसकी पत्नी आशा कोई पैंतीस साल की थी। उनके पास मात्र एक लड़की थी जो भोपाल में अपने बड़े पापा के यहाँ रह कर पढ़ाई करती थी। सामान के नाम पर हमारे पास बस एक एक ऐयर बैग था, जिसमें हमारे पास दैनिक जरूरतों का सामान और दो तीन ड्रेस थी। हमें ऊपर का कमरा दिया गया था। खाने के नाम पर हम लोग पेईंग गेस्ट की तरह थे। हमें रोज बताना पड़ता था कि आज हम भोजन करेंगे या नहीं। आशा के पति अक्सर दौरे पर चले जाते थे, शायद यही कारण था कि उन्हें घर की देखरेख के लिये एक नौकरी-पेशे वाले किरायेदार की आवश्यकता थी। जब उसके पति घर पर होते थे तो आशा कमरे में ही रहती थी, पर जब वो यात्रा पर होते थे तो वो खुले चौंक में मात्र एक पेटीकोट में और एक ढीला सा ब्लाऊज पहने कपड़े धोती रहती थी या कोई अन्य काम करती रहती थी, हमें सीढ़ियों से उतर कर उसी चौक से गुजरना होना पड़ता था।

चूत और गाण्ड में क्रीम भरकर चुदाई

हमारे पास उस समय टीवी नहीं था। मनोरंजन के नाम पर बस राजकुमार कुछ अश्लील किताबें ले आया करता था। शाम को बस हम दोनों भोजन पश्चात वही कहानियाँ पढ़ते थे। कभी कभी शराब भी पी लिया करते थे।

एक शाम को रोज की भांति हम दोनों गपशप कर रहे थे कि राजकुमार ने शराब की फ़रमाईश भोजन से पहले ही कर दी। मैं बाजार जाकर एक अद्धा बोतल ले आया। फिर हम दोनों अश्लील कहानियां पढ़ते हुये शराब पीने लगे। कुछ ही देर में कहानी पढ़ते पढ़ते मेरा लण्ड खड़ा हो गया। राजकुमार के साथ भी यही होना था।

साले क्या लिखते हैं, बस दिल चीर कर रख देते हैं…

मस्त लिखते है साले… मुठ्ठ मारने का दिल कर रहा है !

देख तो साला कैसा हो रहा हरामी… सीधा तन्नाया हुआ…

राजू, तेरा लण्ड तो देख… लगता है चड्डी ही फ़ाड़ देगा…

मैं राजू के पास सरक आया, अपनी बनियान उतार दी।

राजू, तेरा लण्ड तो जोरदार लग रहा है… दिखा तो कैसा है?

अरे यार, जैसा तेरा है… खुद का ही देख ले ना…

मैंने अपनी चड्डी नीचे सरकाई और अन्दर से लण्ड बाहर खींच लिया। लण्ड का अधखुला सुपारा देख कर राजू बोल उठा- अरे, उसे पूरा तो खोल दे… मस्त सुपारे को तो बाहर की हवा तो खाने दे…

\”नहीं नहीं… पहले तू निकाल… साला अन्दर तो जंग खा जायेगा…\”

राजू ने अपनी चड्डी पूरी खोल कर उतार दी। उसका लण्ड भी मेरे बराबरी का ही था पर सुपारा पूरा खिला हुआ था। मैंने रंग में आकर उसका लण्ड पकड़ लिया।

उफ़्फ़्फ़ ! एकदम गर्म हो रहा था।

\”मुठ्ठ मार दूँ…? मजा आ जायेगा…!\”

\”अरे पूछने की बात है? चला अपना हाथ !\”

मैंने जैसे ही उसका लण्ड रगड़ना शुरू किया… वो मस्त हो गया।

\”ठहर गुल्लू, साले मेरी तो निकाल देगा फिर…?\”

उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया…

\”चल साथ साथ मुठ्ठ मारते हैं…\”

हम दोनों एक दूसरे के सामने मुख करके लेट गये और धीरे धीरे मुठ्ठ मारने लगे। दोनों के मुख से सिसकारियाँ निकल रही थी।

\”रुक साले… तेरी भेन को चोदूँ… पीछे पलट…\”

मुझे पीछे पलटा कर वो मेरी पीठ से चिपक गया। अब उसने अपना लण्ड मेरे चूतड़ों के बीच घुसा दिया। मैं समझ गया कि अब मेरी गाण्ड मारेगा राजू। मैंने उसकी सहायता की और गाण्ड में उसका लण्ड घुसने दिया। उसका लण्ड एक लकड़ी की भांति मेरी गाण्ड में घुसने लगा। उसने अपनी गाण्ड दबा कर मेरी गाण्ड में लण्ड अन्दर कर दिया। मुझे तो गुदगुदी सी हुई। गाण्ड मराने का यह पहला अनुभव था।

फिर तो राजू मेरी गाण्ड से जोर से चिपक कर मेरी गाण्ड मारने लगा। साथ ही में पीछे से हाथ डाल कर मेरे लण्ड को मुठ्ठ मारने लगा। मुझे दोनों ओर से बहुत मजा आ रहा था। वो कभी मेरा मुख चूमता तो कभी गले में काट लेता था। मेरे कड़क लण्ड पर उसका हाथ चलने से मुझे अनोखा आनन्द मिल रहा था।

तभी मेरे लण्ड को जोर से रगड़ने के कारण मेरे लण्ड ने जोर से पिचकारी छोड़ दी। फिर तो राजू ने मुझे नीचे लेटा कर खुद ऊपर आ गया और जोर से गाण्ड पर शॉट पर शॉट मारने लगा। फिर एकाएक वो मेरी गाण्ड में ही जोर से झड़ गया।

\”साले, गाण्ड मार दी ना मेरी…?\” मैं नीचे दबा हुआ ही बोला।

\”भेन चोद, तू है ही इतना चिकना… जाने कब से तेरी गाण्ड मारने को मन कर रहा था।\”

मेरे ऊपर से अब वो उतर गया था, मैं भी ठीक से बैठ गया था। वो भी मेरे पास आ कर बैठ गया था। हम फिर से शराब की धीरे धीरे चुस्कियाँ लेने लगे। वो कभी कभी मेरे लण्ड के साथ छेड़खानी भी करने लगा था। मुझसे बार बार लिपटने लगा था।

\”साले, कितना चिकना है तू… चिकनी गाण्ड पर तो कोई मर ही जाये…\”

\”अरे क्या कोई सपना देख रहा है?\”

\”तेरी तो बार गाण्ड मारने को मन करता है…।\”

तभी नीचे से आवाज आई- भोजन कर लो। फिर इन्हें जाना भी है !

हमने जल्दी से पाजामा पहन लिया और नीचे आ गये।

\’भई, गुलशन मैं रात की गाड़ी से जा रहा हूँ… घर का ख्याल रखना।\”

फिर वो राजकुमार से बातें करने लगे। अचानक मेरी नजर आशा की तरफ़ उठ गई। आशा की नजर तो मेरे उठे हुये पाजामे पर थी, मेरा लण्ड जाने कब से खड़ा था। अपने लण्ड की तरफ़ घूरते हुये देख मुझे शरम सी आ गई। मैंने अपने हाथों से उसे धीरे से छुपा लिया।

जैसे ही हमारी नजरें चार हुईं, आशा शरमा गई… मेरा मुख भी लाल हो उठा।

सवेरे मुझे रात की घटना याद हो आई, राजकुमार ने कैसे मेरी गाण्ड मार दी थी। फिर अचानक मुझे आशा की वो हरकत भी याद हो आई, जब आशा बड़ी ही हसरत भरी निगाहों से मेरे लण्ड को देख रही थी।

सुबह सुबह राजकुमार स्टेशन पर किसी से मिलने चला गया था। मैं किसी बहाने की सोच ही रहा था कि नीचे जाकर आशा से कुछ बाते करूँ, पर मुझे कोई बहाने बाने का मौका ही नहीं मिला।

आशा ने खुद ही मुझे बुला लिया- गुल्लू जी, क्या कर रहे हो ? नीचे आ जाओ…

\”जी, अभी आया…\”

मैं तो जैसे तैयार ही बैठा था। जल्दी से सीढ़ियों से मैं नीचे उतर आया और सामने पड़ी एक कुर्सी खींच कर बैठ गया। आशा तो एक पतला सा पेटीकोट पहने हुये मेरी तरफ़ पीठ किये हुये कपड़े धो रही थी। मैंने अपनी आँखें उसके गोल गोल चूतड़ों पर गड़ा दी। बहुत सुन्दर, सुडौल… गहरी दरार वाले चूतड़ मेरे दिल में समा से गये। लग रहा था कि बस उससे चिपक कर पीछे से अपना लण्ड उसकी गाण्ड में घुसेड़ दूँ।

\”आज राजू कहाँ चले गये…?\”

\”वो स्टेशन पर अपने मित्र से मिलने गया है। साहब का टूर कहाँ का है?\”

\”अरे वही मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक… दिल्ली के अलावा और कहाँ जाते हैं !\”

\”कितने दिन के लिये गये हैं…?\”

वो कपड़े ले कर उठ गई, पेटीकोट आशा के चूतड़ों के दरार में घुस कर फ़ंस गया। जैसे मेरा दिल भी पेटीकोट के साथ वहीं अटक गया हो।

\”अब गये हैं तो चार पांच दिन की गई…।\”

फिर वो बर्तन लेकर मेरे बिल्कुल सामने बैठ गई। उफ़्फ़्फ़ ! क्या भारी स्तन थे। बड़े बड़े… भरे हुये मांसल स्तन…

मेरी तरफ़ देख कर बोली- क्या देख रहे हो? कुछ स्पेशल है क्या?

मेरे मन में भी शरारत सूझी- जी हाँ, स्पेशल तो है… वही कल की तरह !

अपने होंठों को एक तरफ़ से काटते हुये अपने स्तन को मेरी तरफ़ ओर झुका दिया, मुस्करा कर बोली- कैसे हैं…?

फिर दोनों बाहों से अपने कबूतरों साईड से दबा कर और मेरी तरफ़ उभार दिया,\”उफ़्फ़्फ़ ! कैसे सम्हालू अपने आपको?… सालों को दबा दूँ…!\” उसकी आँखों में भी अब गुलाबी डोरे थे। वो बैठे बैठे ही मेरी ओर पास सरक आई। मेरी सांस तेज हो गई- आशा जी, ये तो बहुत अच्छे हैं… बहुत ओह्ह्ह्ह !

\”आपका ये तो फिर से खड़ा हो गया !\” आशा ने जैसे लण्ड देख कर आह भरी।

\”आशा जी…\”

मैंने हाथ आगे बढ़ा कर उनके गदराये हुये उरोजों को सहला दिया।

\”जरा, अच्छी तरह से टटोल लीजिये… फिर ना कहना कि मौका ना मिला…\”

मेरा सब्र का बांध टूटने लगा था, मैं आशा के उरोज सहलाने लगा।

तभी आशा ने अप्रत्याशित तरीके से मेरा लण्ड पकड़ लिया।

\”अरे… ओ… यह क्या?\” मेरे लण्ड में एक तेज मीठी टीस उठी।

\”हाय रे… कितना कड़क… कितना बड़ा…\” आशा मुझसे लिपटने लगी थी, मैं उसके सर के बालो को सहलाने लगा था।

उसने तो अपना मुख मेरे पजामे में घुसा दिया और मेरे लण्ड को ऊपर से ही काटने लगी। मैं नीचे झुक कर उसकी गाण्ड को दबाने लगा। इधर आशा ने मेरा पाजामा खींच कर अन्दर से चड्डी से लण्ड निकाल लिया और चाटने लगी।

\”आशा प्लीज अब धीरे से…\”

उसने तमतमाया हुआ चेहरा मेरी तरफ़ उठाया और धीरे से खड़ी हो गई। मैंने जल्दी से उसका चेहरा उठाया और उसके अधरों को पीने लगा। उसका पेटीकोट सरक कर उसके पैरों पर आ गया। मैंने उसकी चूत में अपनी अंगुली डाल दी। तभी मुझे गरम गरम सा कुछ तरल पानी का सा आभास हुआ। आशा का पेशाब निकल पड़ा था। मैं उसके मूत को चूत पर हाथ रख कर उसे मसल मसल कर उसे धोने लगा। फिर नीचे झुक कर उसकी चूत को अपने मुख से लगा लिया। पूरा मुख पेशाब से नहा गया कुछ मुख में भर गया। आशा भी चूत से पेशाब की धार को मेरी तरफ़ उभार कर मुझ पर डालने लगी।

\”मेरे गुल्लू… कितना मजा आया ना…?\”

आशा अब मेरा लण्ड अपने हाथ में लेकर मलने लगी। तभी मैंने भी जोर से अपना मूत्र त्यागना आरम्भ कर दिया। आशा मुसकराई और नीचे बैठ गई और जैसे स्नान करने लगी हो। पूरे चेहरे को पेशाब से मला और फिर मेरे लण्ड को नल की तरह से अपने मुख से लगा दिया। बड़े ही शौक से उसने पेशाब पी लिया और अपने शरीर को नहला लिया।

\”गुल्लू जी, आपको बुरा तो नहीं लगा ना…?\”

\”आशा जी, पहली बार इतना सुखद अनुभव हुआ है !\”

\”मुझे भी, पति तो ये करने नहीं देते हैं… आज आप ने मेरा दिल जीत लिया है… आओ अब स्नान कर लें…\”

\”अजी, ऐसे ही ठीक है…\”

\”अरे कोई आ गया तो… फिर उसने मुझे खींच कर स्नानाघर में खड़ा कर दिया। उसने शॉवर खोल दिया और झुक कर घोड़ी सी बन गई, मैंने उसकी पीठ ठीक से धो दी। फिर ना जाने क्या सोचा… घोड़ी बनी हुई उसकी सुडौल गाण्ड मुझे बहुत मोहक लग रही थी। मैंने उसके बाल पकड़े और उसकी गाण्ड में लण्ड फ़ंसा दिया।

\”उईईई मां, अचानक ही…\”

\”साली, क्या मस्त गाण्ड है… सोचा कि मार ही दूँ !\”

\”तो मार साली को… तबियत से मार… आज इसे भी शान्ति मिल जायेगी।\”

हम दोनों नहाते भी गये और गाण्ड मारते भी गये। खूब लिपटा-लिपटी की। मेरे लण्ड को भी उसने खूब चूसा, उसकी चूत का रसीला पानी भी मैंने खूब चूसा।

\”गुल्लू, वो राजू आ गया होगा… चलो नाश्ता लगा देती हूँ।\”

राजू आ चुका था। नाश्ते के लिये उसे आवाज लगाई। फिर आशा बोली- गुल्लू, ये राजू कैसा है…?

\”कैसा से मतलब… ओह्ह्ह… चुदवाना है क्या?\” यह कहानी आप देसी मासला लैव.कॉंम पर पढ़ रहे हैं।

\”धत्त, ऐसे क्या कहते हो… चूत है तो चुदवाना तो होगा ही ना?\”

\”अरे हम तो है ना… चूत ठोकने के लिये…!\”

\”जी हाँ, पर बात यह है कि मेरे पास तो दो दो छेद है, समझे…? कितना मजा आयेगा जब तुम्हारा लण्ड सामने से चोदेगा और एक लण्ड मेरी गाण्ड मारेगा।

लो वो राजू आ ही गया… उसी से पूछ लेते हैं…\”

\”अरे नहीं गुल्लू…! सुन लो भई राजू, आशा जी को चोदना है…\”

राजू की तो आँखें फ़ैल गई। मैंने आशा की चूचियाँ दबाते हुये कहा।

\”अरे छोड़ो ना… वो देख रहा है…\”

तभी राजू ने आशा के पास आकर… उसकी गाण्ड दबा दी…\”आज्ञा दो आशा जी… जैसा आपका फ़रमान…\”

\”तो आज छुट्टी ले लो… फिर घर पर गुल्लू-लीला करते हैं !\”

\”और राजू लीला…\” फिर तीनों हंस पड़े।

दोनों ने अपने ऑफ़िस में फोन कर दिया और एक दिन की छुट्टी ले ली। फिर महफ़िल जमी आशा के बेडरूम में। राजू ने आशा की गाण्ड को नंगी करके खूब चाटा और दबाया। उसके गाण्ड के छेद की जीभ से चाट चाट सफ़ाई की… उसमें खूब खुजली की फिर मेरी ही तरह राजू ने आशा ने जम कर गाण्ड मारी।

फिर मैंने भी आशा को दबोच कर खूब चोदा… रात को सोने के समय आशा की चूत और गाण्ड में क्रीम भर कर दोनों ने एक साथ आगे व पीछे से चुदाई की। राजू का जब जी नहीं भरा तो उसने मेरी आशा के सामने दो बार गाण्ड मार दी। आशा ने मेरी गाण्ड मराई पर बहुत खुशी जताई। मेरी गाण्ड मराने का नजारा उसने पहली बार देखा था।

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]]> मै हैरी पंजाब से हुँ मेरी पिछली कहानी काफी पसंद की गई, उसकी तारीफ़ में मुझे बहुत सारे मेल मिले, बहुत बहुत शुक्रिया ! उन में से एक मेल मिला जो लुधियाना से था, उसमें लिखा था- मैं सोनिया, उम्र 28 साल, मुझे आपका रेफरेंस जसप्रीत ने दिया है, आपसे कुछ काम है। मैंने लिखा- ठीक है, कहिये?उसने लिखा- ऐसे नहीं ! आप मुझे अपना नंबर दीजिये ! मैंने अपना नंबर उसे दिया। उसने मुझे रात को करीब 11 बजे फ़ोन किया, कहने लगी- मुझे आपकी हेल्प चाहिए। मेरे पति सेल्स मैनेजर हैं, अक्सर घर से बाहर रहते हैं, महीने में 3-4 दिन ही घर में होते हैं। मुझे आपकी जरुरत है, क्या आप मेरी मदद कर सकते हैं?

Punjaban ladki ki choot

मैंने कहा- ठीक है, कहाँ मिलना है, किसी होटल में या कहीं और?

सोनिया ने कहा- होटल ठीक नहीं रहेगा, आप मेरे घर पर आ जाते तो अच्छा होता।

मैंने कहा- और घर के लोगों को क्या बोलोगी आप?

सोनिया में कहा- उसकी फिक्र आप छोड़ दो, मेरे घर में मैं और मेरी बेटी जो अभी सिर्फ चार साल की है, और कोई नहीं है।

मैंने कहा- ठीक है, कब आना है?

उसने कहा- कल शाम को आ जाओ।

मैं शाम को करीब सात बजे उसके बताये पते पर पहुँच गया और वहाँ जाकर मैंने सोनिया को फ़ोन किया। सोनिया ने कहा- बस दो मिनट रुको, मैं आपके सामने मॉल में हुँ, अभी आती हुँ।

फ़ोन में बात करते करते ही वो मॉल के बाहर आ गई तो मैं समझ गया कि यही सोनिया है। मैंने हाथ से इशारा किया, वो मेरे पास आई और हाथ मिलाया, फिर हम दोनों उसके घर गये !

घर में कोई नहीं था, मैंने पूछा- आपकी बेटी कहाँ है?

वो कहने लगी- मैंने आज उसे मम्मी के पास छोड़ दिया।

वो बोली- आप क्या लोगे ठंडा या गर्म?

मैंने कहा- नहीं, कुछ नहीं ! शुक्रिया !

वो मेरे लिए ठंडा ले आई, साथ बैठ कर बात करने लगी। सोनिया ने पूछा- आप जसप्रीत को कैसे जानते हो?

मैंने कहा- दोस्त है मेरी !

फिर मैंने सोनिया से पूछा- तुम कैसे जानती हो जसप्रीत को?

तो वो बोलने लगी- मेरी भी सहेली है, बहुत बातें होती हैं नेट पर हमारी ! एक दिन बात करते करते मैंने अपनी परेशानी जसप्रीत को बताई तो वो बोली कि एक तरीका है मेरे पास और उसने आपका ईमेल दे दिया।

मैंने सोनिया से पूछा- क्या इससे पहले भी आपने कॉल बॉय को कभी बुलाया है?

तो उसने कहा- नहीं यार ! वैसे मैं अपने पति से संतुष्ट हूँ पर क्या करूँ, वो अक्सर बाहर ही रहते हैं तो आपको बुलाना पड़ा। अगर वो घर में रहते तो मुझे आपकी जरूरत ही नहीं पड़ती।

मैंने कहा- ओके ओके !

सोनिया कहने लगी- वैसे एक दो लड़के हैं जो मुझ पे फ़िदा हैं पर ये सब मोहल्ले में करना अच्छा नहीं है, आजकल के लड़कों का क्या, किसी-किसी को बता सकते हैं। इसलिए मैंने आपको सही समझ कर बुलाया।

सोनिया सांवले रंग की थी पर नैन-नक्श बहुत अच्छे थे, उसकी छाती 36 की होगी, कमर 32 की और चूतड़ 36 के ! मस्त औरत थी ! बातें करते करते सोनिया कभी कभी मेरी जांघ पर हाथ फेर देती।

फिर मैंने कहा- सोनिया, अन्दर चलते हैं।

सोनिया ने कहा- अभी नहीं, रुको, मैंने खाने का आर्डर दिया है, ना जाने कब जा जाये वो, फिर मूड ख़राब हो जाएगा।

मैं और सोनिया टीवी देखने लगे, स्टार मूवी पर एक इंग्लिश मूवी आ रही थी, उसने चुम्बन का दृश्य था, वो देख पर सोनिया अपने जज्बात खोने लगी, मुझे किस करने लगी।

अचानक दरवाजे की घण्टी बजी, खाना लेकर आया एक बंदा था, वो खाना दे कर चला गया।

फिर सोनिया ने कहा- हैरी आओ, पहले डिनर कर लेते हैं।

मुझे भी जोर की भूख लगी थी, सोनिया ने खाना लगाया और खाने लगे।

थोड़ी देर बाद सोनिया कहा- हैरी चलो, बेडरूम में चलते हैं।

सोनिया अलमारी से अपनी नाईट सूट निकाल कर पहनने लगी। सोनिया ने अपना कमीज और सलवार उतार दिया, उफ़ क्या मस्त चूचियाँ थी। सोनिया पर काली रंग की ब्रा क़यामत लग रही थी। मैं सोनिया के पास गया और उसके ब्रा के ऊपर से ही सोनिया के वक्ष दबाने लगा। सोनिया ने ब्रा भी खोल दी, कच्छी में आ गई और कहा- तुम भी अपने कपड़े उतार दो, पूरे नंगे हो जाओ।

मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए, सिर्फ कच्छा रह गया था। मैं धीरे धीरे सोनिया के स्तन चूसने लगा, सोनिया हाय उफ़ करने लगी। धीरे धीरे मैंने सोनिया की कच्छी में हाथ डाला तो उसकी चूत गीली हो गई थी। मै सोनिया को चूम कर रहा था, कभी उसके गोल गोल चूचे चूस रहा था जिससे वो पूरे जोश में आ गई थी, सोनिया ने कहा- हैरी, मुझे तुम्हारा वो चूसना है।

मैंने अपना लंड सोनिया के होठों पर रख दिया। क्या नर्म-नर्म होंठ थे सोनिया के ! मैं बता नहीं सकता आप को !

मैंने उससे कहा- सोनिया, क्या तुम अपने पति का चूसती हो?

सोनिया ने कहा- हाँ, आपको नहीं मालूम, मैं बहुत अच्छा लंड चूसती हुँ, मेरे पति बोलते हैं कि तुम बहुत अच्छा चूसती हो।

सोनिया मेरे लंड को जोर जोर से चूस रही थी जैसे कोई आइसक्रीम चूसता है। वाकई में सोनिया बहुत अच्छा लंड चूस रही थी, मुझे लगा कि मैं उसके मुँह में ही गिर जाऊँगा।

मैंने कहा- बस करो सोनिया !

मैंने धीरे से उसकी पैंटी को नीचे सरका दिया और उसकी चूत में उंगली डालने लगा।

सोनिया पूरे जोश में आ रही थी, मैंने उसकी चूत पर अपना मुँह रखा और जोर से चूत चाटने लगा। गीली चूत चाटने का मजा की कुछ और था, नमकीन सा स्वाद था।सोनिया भी पूरे जोर से चूत मेरे मुँह पर दबा रही थी, वो मजे से आहें भर रही थी। मैं उसकी चूत चाट रहा था वो आई ईई आह ई उई कर रही थी। उसनेमेरे सर को जोर से दबा रखा था अपनी चूत पर !

फिर वो बोली- बस करो, अब मुझे चोदो।

मैंने उसकी चूत पर अपना लंड रखा और उसकी टांगों को अपने कंधे पर रखा और लंड घुसा दिया उसकी चूत में ! उसने थोड़ा सा उई किया और पूरा लंड चूत में समां गया। मैं होले होले धक्के लगा रहा था, सोनिया नीचे से अपनी कमर हिलाने लगी, उसको मजा आने लगा।

सोनिया ने कहा- तुम नीचे आओ, मैं ऊपर आती हूँ।

सोनिया मेरे ऊपर आ गई और लंड को अपनी चूत में घुसा कर जोर जोर से चुदने लगी। उसे मजा आ रहा था और जोर जोर से चुद रही थी, मैं भी नीचे से अपने लंड की रफ़्तार को तेज रखे हुए था। सोनिया ऐसे करते करते झर गई और मेरे ऊपर गिर गई। मैंने कहा- बस?

सोनिया ने कहा- मुझे पहली बार में खुद ही चुद कर पानी गिराने में मजा आता है। दूसरे दौर में और भी तरीकों से करेंगे।

मैंने कहा- ठीक है।

मैं सोनिया के कबूतर लगातार दबा रहा था और उसे चूम रहा था। मैंने सोनिया की चूत पर फिर से जीभ लगा दी, उसकी चूत से निकला पानी अभी भी उसकी जांघों में लग कर नीचे बह रहा था। मैंने उसे अपनी जीभ से साफ़ किया और फिर से उसकी चूत चाटने लगा।सोनिया अब जोश में आ गई थी, मैं उसकी चूत के दाने को बार बार काट लेता जिससे वो उईईईईईए करने लगती। अब वो जोश में आ गई थी और आईईई उई ईए उफ्फ कर रही थी। जैसे जैसे मैं उसकी चूत को चाटता, वो मस्ती भरी सिसकारी लेने लगती और मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत में सटा लेती। सोनिया अब फ़िर कहने लगी- हैरी, मुझे लंड चूसना है।

हम 69 की दशा में हो गए, वो मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी और मैं उसकी चूत को ! जैसे मैं उसकी चूत में जीभ करता, वो मेरे लंड को जोर से काट लेती। ऐसे लगता कि जैसे खा जाएगी।

थोड़ी देर बाद सोनिया ने कहा- बस करो, अब चोदो मुझे !

मैंने भी देरी न करते हुए सोनिया से पूछा- कैसे चुदवाओगी अब? वो गांड मेरी तरफ करके बेड पर हो गई कुतिया की तरह, मैं समझ गया, मैंने पीछे से अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया और धक्के लगाने लगा। वो उई ईए आई ईई हई ईई करने लगी और अपनी चूत मेरे लंड पर जोर जोर से मारने लगी। सोनिया ने कहा- हैरी, तुम थोड़ा रुक जाओ, मैं खुद चुदती हूँ। सोनिया जोर जोर से मेरे लंड पर अपनी कमर चलाने लगी।फिर सोनिया ने कहा- चलो मेज के पास चलते हैं।

सोनिया ने अपनी एक टांग मेज पर रख दी और एक नीचे, मैं उसके पीछे खड़ा होकर उसकी चूत में लंड डाल दिया और चोदने लगा। सोनिया बहुत अच्छे से चुदवा रही थी और मजे ले रही थी। मैं पीछे से कभी कभी उसकी मोटी मोटी चूचियाँ भी मसल देता जिससे वो और भी मजे से चुद रही थी। फिर सोनिया मेज पर ही लेट गई और कहने लगी- तुम नीचे खड़े होकर चोदो। मैं भी नीचे खड़ा होकर उसे चोदने लगा, वो मजे से आई ईए उई हाय करती जा रही थी पर झरने का नाम नहीं ले रही थी। फिर वो वापस मुझे बेडरूम में ले गई और कहा- बस हैरी, आओ मेरे ऊपर चढ़ जाओ और चोदो, अब मैं झरना चाहती हूँ।

मैंने फिर से उसकी टाँगे ऊपर कर दी और जोर जोर से उसे पेलने लगा। उसकी चूत से फच फच की आवाज आ रही थी और वो नीचे से कमर हिलाए जा रही थी जोर जोर से !

अब लग रहा था कि मैं भी झर जाऊँगा ।मैंने भी अपने धक्के तेज कर दिए और नीचे से सोनिया ने मुझे जोर से जकड़ लिया अपनी बाहों में और वो झरने लगी। मैं भी अंतिम कगार पर था, आखिरी 8-10 धक्के मारे और झर गया !

लेट गए और थोड़ी देर बाद हम दोनों बाथरूम में फ्रेश होकर आ गये और सो गए। रात को नींद खुली तो देखा, सोनिया मेरे लंड से खेल रही थी, मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया था, सोनिया ने ढेर सारा तेल मेरे लंड पर लगाया और अपनी गांड पर भी और मेरे लंड पर बैठ गई और अपनी गांड मरवाने लगी कूद कूद कर ! उछल- उछल कर वो अपनी गांड मेरे लंड पर दे मार रही थी मेरी भी आह निकली जा रही थी उसके धक्कों से !

ऐसे उसने करीब दस मिनट किया और थक कर लेट गई, कहने लगी- अब तुम मारो मेरी गांड !

मैंने नीचे एक तकिया रखा जिससे उसकी गांड ऊपर उठ गई, बिल्कुल लाल दिख रही थी उसकी गांड !

मैंने अपना लंड उसकी गांड में घुसा दिया और पेलने लगा जोर जोर से और उसकी चूत के दाने को भी मसलने लगा जिससे वो झर सके। बीस मिनट बाद वो झर गई और मैं भी साथ ही झर गया।

मैंने सोनिया से कहा- सोनिया, तुम गांड भी मरवाती हो? ये कैसे?

सोनिया ने कहा- मेरे पति बहुत अच्छे से मुझे चोदते हैं और मैं भी उन्हें पूरा पत्नी-सुख देती हूँ, वो जो कहते हैं, मैं तैयार हो जाती हूँ, हम लोग खुल कर चुदाई करते हैं और इसमें क्या शर्म ! औरत का एक एक अंग कामुक होता है, फिर क्या हुआ अगर गांड मारने का दिल पति को करे और पत्नी दे दे तो। मैं अपने पति से गांड भी मरवाती हूँ और अच्छे से चुदवाती हूँ, क्या पता कल हो न हो।

मुझे सोनिया की बातें अच्छी लगी, वो मॉडर्न जमाने की सोच वाली औरत है। फिर हम सो गए, सुबह मुझे जल्दी जाना था, मैं जल्दी उठा और सोनिया से कहा- मैं जा रहा हूँ।

सोनिया ने मुझे पकड़ लिया और कहा- आओ, एक बार और हो जाए।

मैंने कहा- नहीं।

पर उसने कहा- कोई बात नहीं जल्दी जल्दी कर लेते हैं।

मैंने सोनिया की जल्दी जल्दी चूत मारी और फ्रेश होकर जाने लगा तो उसने मेरी फीस मुझे दी, बाय करके मुझे विदा किया !

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]]> हाय फ्रेंड्स में पवन शर्मा मेरी उम्र 20 साल है और में दिल्ली से हूँ मैने काफ़ी सेक्स स्टोरी पढ़ी है ये स्टोरी तब की है जब में 18 साल का था और मेरे 12 वी बोर्ड के एग्जाम ख़त्म हुये थे रिज़ल्ट आने मे कुछ महीने थे तो मैने सोचा तब तक कंप्यूटर कोर्स कर लूँ मैने अपने घर के पास एक इन्स्टिट्यूट का नाम सुना था वो जगह बड़ी नही थी लेकिन घर के पास होने के कारण मेने वहा जॉइन कर लिया मेरा मॉर्निंग में फर्स्ट बेच था फर्स्ट दिन में जब वहा गया तो देखा की वहा 4 लड़के थे और इन्स्टिट्यूट के सर (जो की मुस्लिम है) एक हफ़्ता नॉर्मल चला नेक्स्ट दिन जब में इन्स्टिट्यूट गया तो देखा की वहा एक लड़की बैठी है.

मुझे लगा की कोई नयी लड़की होगी सर आये नही थे। और कोई और वहा पर था नही। तो मेने सोचा अच्छा मौका है में लड़की के पास गया और उससे पूछा की आर यू न्यू हियर उसने कहा की वो इन्स्टिट्यूट के सर की वाइफ है और कभी-कभी यहा पढ़ाने आती है उसने मुझसे पूछा की तुम्हे पहले यहा देखा नही है तो मेने कहा की में यहा नया हूँ अभी एक हफ़्ता ही हुआ है और ये कह के में अपनी जगह बैठ गया लेकिन आई वाज़ रियली शॉक्ड क्योकी वो काफ़ी छोटी लग रही थी कुछ दिन नॉर्मल चले सर के साथ कभी-कभी उनकी वाइफ भी आ जाती थी पढ़ाने हमे शी वाज़ रियली सेक्सी.

फिर एक दिन सर ने हमे बताया की वो कुछ काम से एक हफ्ते के लिये अपने गावं जा रहे है और उनकी वाइफ हमे पढायेगी उस हफ्ते मे आइ वाज़ रियली हैपी और में घर जाकर प्लानिंग करने लगा की क्या किया जाये में इतना अच्छा मौका हाथ से छोड़ना नही चाहता था नेक्स्ट दिन में सुबह जल्दी पहुँच गया इन्स्टिट्यूट, वहा पर सर की वाइफ अकेले बैठी थी जेसा की मेने सोचा था मेने उन्हे हाय कहा तो उन्होने पूछा की तुम काफ़ी जल्दी आ जाते हो इन्स्टिट्यूट और स्माइल दी मेने भी स्माइल देते हुये कहा की में घर पर बोर हो जाता हूँ यहा मेरा अच्छा टाइम पास हो जाता है फिर उन्होने बताया की में भी घर पर बोर हो जाती हूँ और बताया की सर और वो यहा पर अकेले रहते है बिना पेरेंट्स के.

मेने स्माइल देते हुये उन्हे कहा की लेकिन आप काफ़ी छोटे लगते हो सर से उम्र मे तो उन्होने बताया की वो 22 साल की है और सर 29 साल के है फिर मेरे साथ के स्टूडेंट आ गये और में अपनी जगह पर जा कर बैठ गया मेने उस दिन नोटीस किया की वो मुझे काफ़ी देख रही थी में काफ़ी खुश था की मेने जल्दी ही कुछ प्रोग्रेस कर ली फिर नेक्स्ट दिन में 1 घंटा पहले इन्स्टिट्यूट पहुँच गया इन्स्टिट्यूट बंद था 5 मिनिट के बाद सर की वाइफ आ गयी तो वो मुझे डोर से देख कर ही मंद मंद हंसने लगी शायद वो मेरी इंटेन्शन समझ रही थी हम अंदर गये थोड़ी बहुत बातो के बाद मेने सर की वाइफ से कहा की मेरा लेपटॉप वाइरस की वजह से प्रोब्लम कर रहा है और उसे फॉर्मॅट मारने की ज़रूरत है नही तो कही प्रोब्लम ज्यादा ना बड़ जाये मेने कहा की मुझे फॉर्मॅट मारना आता नही है और मेरे पास विंडोस की सी.डी भी नही है क्या आप मेरी हेल्प कर दोगी.

उन्होने कहा की विंडोस की सी.डी उनके घर पर है जो की इन्स्टिट्यूट से 10 मिनिट की दूरी पर है मेने कहा ठीक है फिर आपके घर ही आ जाऊंगा अगर आपको कोई ऐतराज नही है तो उन्होने स्माइल देते हुये कहा की कोई प्रोब्लम नहीं है और बताया की दिन मे 12 से 4 उनका इन्स्टिट्यूट क्लोज़ रहता है और उस टाइम पर वो घर जायेगी मेने कहा ठीक है में 12 बजे इन्स्टिट्यूट से अपना लेपटॉप ले कर आ जाऊंगा 12 बजे जब सर की वाइफ इन्स्टिट्यूट से बाहर निकली तो वो इधर उधर देख रही थी में भी जानबूझ कर पास की शॉप के अन्दर छुप कर उनका रियेक्शन देख रहा था फिर जब वो लॉक लगा रही थी में वहा पर पहुँच गया फिर उन्होने मुझे जब देखा तो स्माइल देते हुये कहा की मुझे लगा कही तुम नहीं आ रहे हो.

मेने कहा आना तो मुझे था ही ज़रूरी काम जो है मुझे लेपटॉप जो ठीक करवाना है वो मंद-मंद मुस्कुराने लगी अब मुझे क्लियर था की उनके घर मे अब क्या-क्या ठीक होगा घर पहुंच के उन्होने कहा की में काफ़ी थक गयी हूँ में शावर ले कर आती हूँ तुम बैठो मेने सिर्फ़ स्माइल दी कुछ नहीं कहा 5 मिनिट के बाद जब वो बाहर निकली तो उन्होने घर की ड्रेस पहन रखी थी और वो टावल से बालो को झाड़ रही थी में बस उन्हे घूरे जा रहा था मेने कहा की यू आर रियली गॉर्जियस उन्होने कुछ नहीं कहा बस मुझे देख कर स्माइल पास करने लगी में थोड़ा नर्वस था लेकिन हिम्मत करके में उठा और उनके पास गया मेने देखा की वो भी काफ़ी नर्वस है मेने हिम्मत करके उनके गाल पर हाथ रखा उन्होने कुछ नहीं कहा फिर में उन्हे किस करने लगा 5 सेकेण्ड के बाद मेने किस रोक दी तो देखा उनकी आँखे बंद थी.

फिर उन्होने आँखे खोली और आगे बड़ के मुझे किस करने लगी में भी उन्हे किस करने लगा ये मेरा फर्स्ट टाइम था तो मेरी खुशी चरम सीमा पर थी की मेरा फर्स्ट अटेंप्ट सक्सेस्फुल रहा और में थोड़ी देर मे ही अपनी वर्जिनिटी लूज़ कर दूंगा फिर में उन्हे गालो पर नेक पर चूमने लगा वो भी सिसकारिया लेने लगी मेरे से और कंट्रोल नहीं हो रहा था में उनके कपड़े उतारने लगा उनका टॉप उतारने के बाद मेरी नज़र उनकी चूचीयों पर गयी उन्होने ब्रा नहीं पहनी थी में पागलो की तरह उनके ब्रेस्ट को चूसने और साथ-साथ हाथो से मसलने लगा फिर मेने चूसते- चूसते अपने हाथ उनके सलवार पर डाला और सलवार निकाल दिया उन्होने पेंटी भी नहीं पहनी थी इससे में समझ गया की इनके अंदर कितनी आग है सेक्स के लिये की वो शावर के बाद अंदर से कुछ पहन के नहीं आई और वो भी जानती थी मेरी इंटेन्शन स्टार्टिंग से मेने फिर अपनी उंगली उनकी चूत पर डाली जो की बहुत ही ज्यादा गीली थी गीली होने की वजह से वो आसानी से अंदर चली गयी.

मेने देखा की उनका छेद काफ़ी बड़ा है और मेरी एक उंगली से उनको कुछ नहीं होगा मे अपनी मिड्ल की दोनो उंगली उनकी चूत मे अंदर बाहर करने लगा अब वो ज़ोर-जोर से सिसकारिया लेने लगी में उन्हे अब पागलो की तरह किस करने लगा थोड़ी देर इस पोज़िशन मे रहने के बाद उन्होने कहा की उन्हे नीचे बहुत खुजली हो रही है में समझ गया की वो मेरे लंड की मांग कर रही है मेने जल्दी-जल्दी अपने कपड़े निकाले बस अब मेरा अंडरवेयर रह गया था जो की टेंट की तरह खड़ा हो रहा था उनसे रहा नहीं जा रहा था उन्होने मेरा अंडरवेयर नीचे करके मेरे लंड को अपने हाथ मे कस कर पकड़ा और उसे चूसने लगी अब में भी उनकी चूत चाटने लगा.

थोड़ी देर बाद उन्होने कहा की उनसे और नहीं रहा जा रहा है वेल मेरा ड्रीम था की जब में फर्स्ट टाइम सेक्स करूँ तो मेरा फर्स्ट स्टाइल खड़े हो कर सेक्स करने वाला हो जिसमे में खड़ा रहूँ और उन्हे अपनी गोदी मे उठाकर सेक्स करूँ उनका वेट ज्यादा भी नहीं था तो ये स्टाइल मेरे लिये आसान था मेने उनका लेफ्ट पैर अपने राइट शोल्डर पर रखा और उनका राइट पैर अपने लेफ्ट शोल्डर पर रखा और उन्हे कहा की वो अपने दोनो हाथो से मुझे मेरी गर्दन से कस के पकड़ ले फिर मेरे कहे मुताबिक उन्होने वही किया और में उन्हे उठा-उठा के सेक्स करने लगा लेकिन इस पोज़िशन में यह प्रोब्लम आ रही थी की जब मेरा लंड फिसला जा रहा था उनकी चूत से तो डालने मे थोड़ी मेहनत लग रही थी क्योकी इस स्टाइल मे हमारे हाथ एक दूसरे से काफ़ी टाइट बंदे थे लेकिन हमारा मज़ा चरम सीमा पर था.

फिर थोड़ी देर बाद उन्होने कहा की वो लेट के सेक्स करना चाहती है तो मेने उसी पोज़िशन मे उन्हे अपने उपर लेटा दिया अब वो मेरे उपर थी में बिल्कुल सीधा लेटा हुआ था और में जांघे उठा-उठा कर अपने लंड को उनकी चूत के अंदर डाल रहा था और साथ-साथ उनके बूब्स मसलते-मसलते उन्हे चूस रहा था फिर काफ़ी देर मे में झड़ने की सीमा पर पहुँच गया और झड़ गया लेकिन मेरी हवस अभी ख़त्म नहीं हुई थी मेने उन्हे मेरे लंड को चूसने को कहा थोड़ी देर मे वो खड़ा हो गया और फिर हम अलग-अलग स्टाइल मे सेक्स करने लगे. मेरी कहानी को अपना कीमती समय देने के लिए



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]]> मैं आपको मेरे जीवन की उस घटना के बारे में बताना चाहता हूँ जब एक सुंदरी को मैंने काम सुख प्रदान किया था तथा बदले में उससे रति सुख लिया था। तो बात को ज्यादा लम्बा न खींचते हुए सीधा उस लड़की का परिचय करवाता हूँ- उसका नाम पयस्विनी है, पयस्विनी का मतलब ही दूध देने वाली होता है तो यह तो असंभव ही है कि उसके पास दुग्ध को एकत्रित करने के लिए विशाल पात्र न हों। कहने का तात्पर्य यह कि पयस्विनी स्तनों के मामले में संपन्न थी, उसे परमपिता परमेश्वर ने सामान्य से बड़े स्तन दिए थे कम से कम उनका विस्तार 35 इंच तक तो होगा ही तथा उसी अनुपात में उसके नितम्ब भी थे, जब वो चलती थी तो बरबस ही उसे गजगामिनी की उपमा देने का मन होता था, उसका कद भी अच्छा था यही कोई लगभग 5’8″।

मैं चूंकि मेरे घर से दूर हॉस्टल में रह कर पढ़ता था। जब मैं दिवाली की छुट्टी में घर आया तब पहली बार उसे देखा था, हुआ यूँ कि हमारा परिवार काफी संपन्न है तथा ब्रिटिश काल में हम ज़मींदार हुआ करते थे जिनकी शान अभी भी बाकी है, बड़ा सा किले नुमा घर तथा काफी मात्रा में घर पर गायें भी हैं जिन्हें चरवाहे चरा कर शाम को घर छोड़ देते हैं तथा दूध भी निकाल कर घर पर दे देते हैं।

तो मूल बात अब शुरू होती है जब मैं द्वितीय वर्ष में था, मैं दिवाली की छुट्टी में आया तो मैंने देखा कि हमारे पुराने मुंशी जी का निधन हो जाने के कारण नए मुंशी जी केशव बाबू आये हैं, केशव बाबू की पत्नी का निधन बहुत पहले ही हो गया था, उनकी केवल एक पुत्री थी जो हमारी कहानी की नायिका है पयस्विनी। पयस्विनी भी द्वितीय वर्ष मैं ही पढ़ती थी तथा वह भी छुट्टियों में घर पर आई थी। वैसे तो केशव बाबू को रहने के लिए हमारे घर के परिसर में ही जगह दे दी गई थी तथा उनके लिए खाना भी भिजवा दिया जाता था परंतु पयस्विनी के आने के बाद वही खाना बनाती थी।

एक दिन की बात है, मैं सुबह सुबह बाहर अहाते में पिताजी के साथ बैठ कर समाचार पत्र पढ़ रहा था, तभी मैंने पयस्विनी को पहली बार देखा था, सुबह सुबह वह नहा कर आई थी, उसने सफ़ेद रंग के कसे हुए सलवार-कुरता पहने हुए थे उसके बाल गीले थे, इन सब में उसका कसा हुआ शरीर गजब ढा रहा था, उसके शरीर का एक एक उभार स्पष्ट दिख रहा था वह किसी स्वर्गिक अप्सरा के समान लग रही थी। अन्दर मेरी मां नहीं थी इसलिए उसे हम लोगों के पास आना पड़ा। जैसे ही वो मेरे पास आई, मेरी श्वास-गति सामान्य नहीं रही, जैसे ही उसने बोलने के लिए अपना मुख खोला तो उसके मुँह से पहला शब्द ‘दूध’ निकला। इस शब्द को बोलने के लिए उसके दोनों ओंठ गोलाकार आकृति में बदल गए जो मदन-मंदिर के समान लग रहे थे। उसकी वाणी में जो मधुरता थी, उसके तो क्या कहने ! वास्तव में उसके पिता का कोई आयुर्वेदिक इलाज चल रहा था इसलिए उसे गाय के शुद्ध दूध की जरूरत थी, एकबारगी तो मैं अचकचा गया था, परंतु पिताजी के समीप ही बैठे होने कारण मैंने अपने आपको संभाला और तुरंत अन्दर जाकर उसे दूध दे दिया।

तो यह थी हमारी पहली मुलाक़ात ! इसके बाद मैं कॉलेज चला गया, वह भी अपने कॉलेज चली गई परंतु मेरे मन उसके प्रति एक आकर्षण उत्पन्न हो गया था, हो भी क्यूँ ना, उसे देख कर मुर्दे का भी लिंग जागृत हो जायेगा, फिर मैं तो जीता जगता इंसान हूँ।

परीक्षा समाप्त होने के बाद जब मैं वापस घर आया तो इस बार मैं कुछ तैयार हो कर आया था। मेरे माता पिता थोड़े धार्मिक प्रवृत्ति के हैं अतः उन्होंने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर हरिद्वार जाने का कार्यक्रम बनाया। वे वहाँ पर लगभग दो महीने रहने वाले थे, मेरी मां ने मुझे भी चलने के लिए कहा पर मैंने कहा कि मुझे पढ़ाई करनी है इसलिए आप लोग जाओ, मैं यहीं रहकर पढ़ूगा तो इस प्रकार मेरे माता रवाना हो गए थे।

बरसात का मौसम आने वाला था, इसलिए ज्यादातर नौकर भी अपने गाँव चले गए थे केवल एक नौकर बचा जो कि मेरा खाना बनाता था। इस प्रकार हमारे दिन निकल रहे थे। पयस्विनी रोज़ दूध लेने के लिए आती और मैं उसे दे देता था। इसी प्रकार हमारी थोड़ी थोड़ी बातचीत शुरु हुई और अब हम काफी घुलमिल भी गए थे। ऐसे ही हमें एक हफ्ता हो गया था, जमीन से सम्बंधित कोई जरूरी कागजात पर पिताजी के हस्ताक्षर बहुत जरूरी थे इसलिए पिताजी ने मुंशी जी को वो कागजात लेकर हरिद्वार बुला लिया। मुंशी जी जाने से पहले मेरे पास आये तो मैंने कहा- आप चिंता क्यों करते हैं, आप आराम से हरिद्वार जाएँ, दो दिन की ही तो बात है, पयस्विनी यहीं पर रह लेगी और उसे खाना बनाने की क्या जरूरत है, नौकर बना देगा और फिर दो ही दिन की तो बात है, आप वापस तो आ ही रहे हैं, थोड़ा बहुत मेरे साथ पढ़ भी लेगी।

इससे मुंशी जी को थोड़ी संतुष्टि मिली। फिर मैं उन्हें ट्रेन तक छोड़ने चला गया। वापस घर लौटते लौटते मुझे कुछ देर हो गई और मैं शाम को सूरज के छिपने के बाद घर पहुँच पाया और काफी थकान होने के कारण जल्दी ही मुझे नींद आ गई। अगले दिन सुबह मुझे लगा कि कोई मुझे झकझोर रहा है और उनींदी आँखों से मैंने देखा कि यह तो पयस्विनी है वो नहाने के बाद मुझे नाश्ते के लिए जगाने आई थी। पर मैं तो उसके गीले बालों, जो कि खुले हुए थे और उसके नितम्बों तक आ रहे थे, के बीच में उसके चेहरे को ही देखने में खो गया। नयन-नक्श एकदम किसी रोमन देवी के समान और स्तन और नितम्बों का विकास तो किसी पुनरजागरण कालीन यूरोपियन मूर्ति का आभास करवा रहे थे। जब उसने मुझ से दूसरी बार पूछा तब मेरी चेतना लौटी और हकलाते हुए मैंने कहा- आप यहाँ?

तो उसने कहा- रामसिंह (कुक) के परिवार में किसी का निधन हो गया है और इस कारण आज घर पर आप और मैं दो लोग हैं इसलिए नाश्ता और खाना मैं ही बनाऊँगी।

मैंने अचकचाते हुए कहा- ठीक है !और पयस्विनी के जाने का इंतजार करने लगा क्योंकि मैंने नीचे केवल अंडरवियर पहना हुआ था और अपने शरीर को कम्बल से ढका हुआ था और कम्बल नहीं हटाने का कारण तो आप जानते ही हैं, अन्दर पप्पू मेरे अंडरवियर को तम्बू बना रहा था। मैंने बैठे बैठे ही कहा- आप चलिए, मैं फ्रेश होकर डायनिंग टेबल पर आता हूँ।

तो वो जाने लगी पर जैसे ही वो मुड़ी मेरी हालत तो और ख़राब हो गई क्योंकि जब वो चल रही थी तो उसका एक नितम्ब दूसरे से टकरा कर आपस में विपरीत गति उत्पन्न कर रहे थे, ऐसा लग रहा था जैसे अपने बीच में आने वाली किसी भी चीज़ को पीस कर रख देंगे।

जैसे तैसे मैं आपको नियंत्रित करते हुए बाथरूम में पहुँचा, जल्दी से फ्रेश हुआ और नहा धोकर डायनिंग टेबल पर पहुँच गया। हालाँकि डायनिंग टेबल बिल्कुल तैयार थी पर पयस्विनी को वहाँ न पाकर मैं रसोई में गया तो देखा कि वह घुटनों के बल उकड़ू बैठी है, उसका चेहरा आगे की तरफ झुका हुआ है और वह नीचे सिलेंडर को चेक कर रही है, उसकी पीठ मेरी तरफ थी और इसलिए उसे नहीं ध्यान था कि मैं उसके पीछे खड़ा होकर उसके वस्त्रों का चक्षु भेदन कर रहा हूँ।

अब आप ही बताइए कि एक स्वस्थ युवा के लिए यह कैसे संभव है कि सामने एक अतुलनीय सुंदरी अपने नितम्बों को दिखाती हुई खड़ी हो और वो निष्पाप होने का दावा करे।

वास्तव में पाप-निष्पाप भी कुछ नहीं होता, हर घटना, हर वस्तु का केवल होना ही होता है, उसके अच्छे या बुरे होने का निर्धारण तो हर कोई अपनी अपनी सुविधानुसार करता है।

जो भी हो पयस्विनी को पहले ही दिन देख कर मेरे मन में और नीचे कुछ कुछ होने लगा था और अब जब हम दोनों अकेले थे तो मेरी इस इच्छा ने आकार लेना आरम्भ कर दिया था..

अचानक से पयस्विनी मुड़ी और मेरी आँखों से उसकी आँखें मिली तो उसने फिर अपनी आँखें लज्जावश नीचे झुका ली।

मैंने मदद के लिए पूछा तो उसने कहा- शायद सिलेंडर में गैस ख़त्म हो गई है। मैंने कहा- मैं देखता हूँ।

और मैंने नीचे झुककर जैसे ही सिलेंडर को छूने का प्रयास किया मेरा हाथ पयस्विनी के हाथ से छू गया और इस प्रथम स्पर्श ने मेरे पूरे शरीर में झुरझुरी उत्पन्न कर दी पर अभी भी जबकि इस घटना को दो वर्ष बीत गए हैं, मैं उस कोमल स्पर्श की अनुभूति से बाहर नहीं आ पाया हूँ। मैंने उससे कहा- सिलेंडर को बाद में देखते हैं, पहले नाश्ता कर लिया जाये क्योंकि बहुत जोर की भूख लगी है, कल रात को भी बिना कुछ खाए ही सो गया था।

तो उसने कहा- ठीक है। और हम दोनों नाश्ते की मेज पर पहुँच गए। नाश्ता भी उसने बहुत ही लजीज बनाया था, पूरा नाश्ता उसकी पाक प्रवीणता की प्रशंसा करते करते ही किया और हर बार उसके चेहरे पर एक लालिमा सी आ जाती जो मुझे बहुत ही अच्छी लग रही थी।

नाश्ता करने के बाद मैं अपने कमरे में चला गया और कुछ पढ़ने लगा और पयस्विनी ने मुझे कमरे में आकर कहा कि वह भी रसोई का काम निपटा कर अपने घर चली जाएगी। उसका घर वहीं परिसर में था तो मैंने कहा- घर में तुम अकेले बोर हो जाओगी इसलिए अपनी बुक्स लेकर यहीं आ जाओ, साथ में बैठ पढ़ेंगे।

उसने कहा- ठीक है।मुझे अपने कमरे में आकर बैठे हुए अभी कुछ देर ही हुई थी कि पिताजी का फ़ोन आया और कहा- मुंशी जी भी कुछ दिन यहीं रहेंगे हमारे साथ, आखिर उनकी भी तो तीर्थयात्रा करने की उम्र हो गई है..

मैंने उन्हें नहीं बताया कि रामसिंह भी छुट्टी लेकर अपने गाँव चला गया है और घर पर हम दोनों अकेले हैं। मैं मन ही मन लड्डू फ़ोड़ते हुए एक पुस्तक खोलकर बैठ गया पर आज मन नहीं लग रहा था, थोड़ी ही देर में पयस्विनी भी अपनी पुस्तकें लेकर आ गई।

मैंने उसको अपनी ही स्टडी टेबल पर सामने की तरफ बैठने के लिए कह दिया। थोड़ी देर तक तो दोनों पढ़ते रहे पर मेरा मन तो कहीं और ही घूम रहा था इसलिए मैंने ऐसे ही उससे बातें करनी शुरु कर दी। मैंने उससे उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा तो पता चला कि वो दिल्ली के एक प्रतिष्ठित महिला कॉलेज में पढ़ती है।

मैंने आश्चर्य से कहा- मैं भी दिल्ली में ही पढ़ता हूँ।

और इस तरह हमारा बातों का सफ़र आगे बढ़ा। मैंने उससे उसकी स्टडी के बारे में पूछा तो पता चला कि वह संस्कृत साहित्य की विद्यार्थी है और संस्कृत में बी.ए. ऑनर्स कर रही है।

शायद इसी कारण उसमे वो बात थी जो मुझे और लड़कियों में नहीं दिखती। एक अपूर्व तन की स्वामिनी होते हुए भी वह बिल्कुल निर्मल और अबोध लगती थी जैसे उसे अपने शरीर के बारे में कुछ ध्यान ही न हो।

यहाँ से मुझे ऐसे लगने लगा था कि शायद कुछ काम बन जाये। हालाँकि मैं राजनीति शास्त्र का विद्यार्थी हूँ। पर मुझे संस्कृत काफी आनन्ददायक लगती है इसलिए मैं थोड़ा-बहुत हाथ-पैर संस्कृत में भी चला लेता हूँ और बात को आगे बढ़ाते हुए मैंने कथासरित्सागर नामक एक प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ का उल्लेख किया जो मैंने कुछ वर्ष पहले पढ़ा था, तो तुरंत पयस्विनी ने कहा- कथासरित्सागर तो अश्लील है।

मैंने इसका प्रतिवाद किया और पूछा- अश्लीलता क्या होती है?

उसने सीधा कोई उत्तर नहीं दिया तो मैंने बताया कि जिसे तुम अश्लील साहित्य कह रही हो वो हमारे स्वर्ण काल में लिखा गया था। वास्तव में प्रगतिशील समाजों में यौनानंद को लेकर कोई शंका नहीं होती है जैसे कि आज के पश्चिमी यूरोप और अमेरिका हैं। प्राचीन काल में यौनानन्द को लेकर समाज में निषेध की भावनाएँ नहीं थी, इसे एक आवश्यक और सामान्य क्रियाकलाप की तरह लिया जाता था। और इसके बाद आया हमारा अन्धकाल ! जब हमने अपने सब प्राचीन परम्पराओं को भुला दिया या हमारे उन प्राचीन प्रतीकों को पश्चिम से आने वाले जाहिल मूर्तिपूजा विरोधियों ने नष्ट भ्रष्ट करना आरम्भ कर दिया। इस प्रकार हम हमारी प्राचीन परम्परा से दूर होते गए और धीरे धीरे हम भी नाम से भारतीय बचे बाकी मानसिकता हमारी भी उन मूर्तिपूजा जाहिलों जैसी हो गई जो यौन कुंठाओं के शिकार थे, और इसीलिए हमने श्लील और अश्लील जैसे शब्दों का आविष्कार किया और कुछ गतिविधियों को अश्लीलता के कॉलम में डालकर उन्हें समाज के लिए निषेध कर दिया गया।

इस उद्बोधन का पयस्विनी पर काफी प्रभाव पड़ा और वह मुझसे कुछ-कुछ सहमत भी हो रही थी।

माहौल को कुछ हल्का करने के लिए मैंने उससे बातों बातों में पूछा- क्या तुम टेबल टेनिस खेलना जानती हो?

तो उसने हामी भरी तो हमने तय किया कि टेबल टेनिस खेला जाये। घर में टेबल-टेनिस खेलने का सारा इन्तजाम पहले से ही था क्योंकि मैं टेबल टेनिस का राष्ट्रीय खिलाड़ी हूँ तो हम दोनों ने टेबल टेनिस खेलना आरम्भ कर दिया। खेल की शुरुआत से ही मुझे लगा कि वह अपने कपड़ों की वजह से खेल में पूर ध्यान नहीं दे पा रही है क्योंकि उसकी थोड़ा बहुत इधर उधर मूव करते ही उसकी चुन्नी अस्त व्यस्त हो जाती और मुझे उसके वक्ष के दर्शन हो जाते। इस प्रकार पहला गेम मैं जीत गया।

गेम की समाप्ति के बाद मैंने उससे कहा की यदि उसे सलवार कुरते में खेलने से परेशानी हो रही हो तो मेरे शॉर्ट्स और टीशर्ट पहन सकती है तो उसने शरमाते हुए कहा- मैं शॉर्ट्स और टी शर्ट कैसे पहन सकती हूँ।

तो मैंने कहा- क्यों मैंने भी तो पहने हुए हैं!

मैंने कहा- वैसे भी यहाँ हम दोनों के अलावा कौन है जो तुम्हें शॉर्ट और टीशर्ट में देख लेगा?

तो उसने कहा- ठीक है।

और मित्रो, हम दोनों वापस मेरे बेडरूम में गए, मैंने अपने शॉर्ट्स और टीशर्ट उसको दिए।

हालाँकि वो कुछ शरमा रही थी पर मैंने उसको प्रोत्साहित करते हुए कहा- ऐसे क्या गाँव वालों की तरह बर्ताव करती हो, जल्दी से चेंज करके आओ।

तो वो मेरे बाथरूम की तरफ बढ़ गई, थोड़ी देर बाद जब वो बाहर निकली तो सफ़ेद शॉर्ट और टीशर्ट में जबरदस्त आकर्षक लग रही थी, बस टीशर्ट कुछ ज्यादा ही बड़ा था जो शॉर्ट्स को लगभग ढक ही रहा था और फ़िर मैंने मेरे पप्पू को नियंत्रित करते हुए उसे वापस टेनिस टेबल पर चलने को कहा।

अब हमने खेल पुनः आरम्भ किया, इस बार टॉस पयस्विनी जीती, उसने पहले सर्विस करने का फैसला किया और एक तेज सर्विस मेरी तरफ की।हालाँकि मैं चाहता तो उस सर्विस को वापस खेल सकता था पर मैंने जानबूझ कर उसे जाने दिया और इस ख़ुशी में पयस्विनी एकदम से उछल पड़ी जिसके कारण उसके स्तन भी उसके साथ उछले और मेरे नीचे कुछ होने लगा।

अगली बार मैंने एक तेज शोट मारा जो टेबल के बिल्कुल बाएं हिस्से पर लग कर नीचे गिर गया। पयस्विनी इस शोट को काउंटर करने के लिए तेजी से एकदम आगे बढ़ी पर गेंद काफी आगे थी और इस कारण पयस्विनी का संतुलन बिगड़ गया और वह टेबल पर एकदम झुक गई, उसने पूरी कोशिश की सँभालने की पर उसके स्तन टेबल पर छू ही गए, पयस्विनी एकदम झेंप से गई पर मैंने माहौल को हल्का बनाते हुए वापस सर्विस करने को कहा।

और इस तरह हमारा खेल चलता रहा।

इस बार मुकाबला कांटे का था, पयस्विनी भी काफी सक्रिय लग रही थी। आप तो जानते ही हैं कि टेबल टेनिस एक फुर्ती वाला खेल है और इसे खेलने वाला अगर ढंग से खेले तो पूरा शरीर कुछ ही देर में पसीने से भीग जाता है।

ऐसा ही हमारे साथ हुआ, थोड़ी ही देर में हम दोनों के कपड़े हमारे शरीर से चिपक गए थे। जैसा कि हमारे भारत में आम है कि गाँव के लोगों को बिजली की सप्लाई सरकार बहुत कम करती है, इस कारण लाइट भी थोड़ी देर में चली गई, अब जनरेटर चलने का समय तो हमारे पास था नहीं, हम खेलने में मशगूल थे, थोड़ी ही देर में मैंने तो गर्मी से परेशान होते हुए अपने टीशर्ट उतार कर रख दिया और खेलने लगे।


हालाँकि मैं खेल तो रहा था पर इस बार मेरा ध्यान टेबल टेनिस की छोटी सी गेंद पर कम और पयस्विनी की विशाल गेंदों पर ज्यादा था इसलिए इस बार का गेम मैं हार गया।

पयस्विनी की ख़ुशी मुझे उसके स्तनों के ऊपर नीचे होने से दिख रही थी।

खैर खेलते खेलते काफी देर हो गई थी और पयस्विनी काफी थक भी गई थी इसलिए मैंने कहा- चलो, अब खेल बंद करते हैं, मेरे रूम में चलते हैं, रूम में जाकर मैं बेड पर बैठ गया और पयस्विनी पास में कुर्सी पर बैठ गई।

तो मैंने कहा- यहाँ आराम से बैठो न बेड पर ! यह इस तरह परहेज रखना ठीक बात नहीं है, आखिर हम दोनों दोस्त हैं।

तो पयस्विनी भी वहीं बेड पर आकर बैठ गई।

इस तरह बैठे बैठे उसने कहा कि अब वो कपड़े चेंज कर लेती है तो मैंने कहा- क्या जरुरत है? तुम इनमें भी अच्छी लग रही हो !

तो उसने कहा कि नहीं वो चेंज करेगी और उठकर बाथरूम की तरफ जाने लगी। उसकी मंशा समझते हुए मैं फुर्ती से उठकर गया और उससे पहले बाथरूम में जाकर उसके कपड़े उठा लिए, पयस्विनी भी पीछे पीछे बाथरूम में ही आ गई और मुझसे अपने कपड़े मांगने लगी।

मैंने कहा- खुद ले लो !

जैसे ही उसने हाथ आगे बढ़ाया, मैं वहाँ से हट गया और इस तरह हमारे बीच छीना-झपटी का खेल चालू हो गया। अचानक पयस्विनी ने अपने हाथ मेरे पीछे की तरफ ले जाकर मेरा दायाँ हाथ पकड़ने की कोशिश की पर इस प्रयास में उसका दायाँ स्तन मेरे बाएं कंधे से जबरदस्त रगड़ खा गया।

अब मेरा बायाँ पाँव पयस्विनी के दोनों पैरों के बीच था, मेरा बायाँ हाथ पयस्विनी कीदाहिनी जांघ के पास उसके नितम्ब को छू रहा था और मेरे दाहिने हाथ से मैंने पयस्विनी के बायें कंधे को हल्का सा धक्का देकर बाथरूम से बाहर आ गया, पीछे पीछे पयस्विनी भी आ गई।

अब वास्तव में कपड़े लेना तो बहाना थे, हम दोनों को इस छीना-झपटी में आनन्द आ रहा था। चूंकि इन सब गतिविधियों के कारण मेरा पप्पू कुछ कुछ उत्तेजित हो गया था जो बिना टीशर्ट के शॉर्ट्स में छुपाना असंभव हो गया था, पयस्विनी ने भी पप्पू के दीदार कर लिए थे और उसकी आँखों में मुझे अब परिवर्तन नजर आ रहा था और इसी कारण अब वो भी थोड़ा ज्यादा सक्रिय होकर इस छीना-झपटी का आनन्द ले रही थी, मैं दौड़ कर बेड के ऊपर चढ़ गया था और पयस्विनी भी बेड पर चढ़ गई और मेरे हाथ से अपने कपड़े छीन लिए जैसे ही वो अपने कपड़े लेकर मुड़ी मैंने पीछे उसे पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया।

मेरे हाथ उसके स्तनों और कमर के बीच में थे, मैंने उसे अपने बाहुपाश में कसके अपनी तरफ खींच लिया। अब उसके नितम्ब मेरी जाँघों को छू रहे थे और पप्पू अपने पूर्ण विकसित रूप में आकर में उसके दोनों नितम्बों के बीच में था। उसकी बढ़ी हुई धड़कनों को मैं साफ़ महसूस कर रहा था। शॉर्ट्स पहने हुए होने के कारण उसकी पिंडलियाँ मेरी पिंडलियों से छू रही थी और इतनी देर की उछल कूद ने हमारे अन्दर जबरदस्त आवेश भर दिया था।

उसके पेट को थोड़ा और दबाते हुए मैंने अपने मुँह को उसकी गर्दन के पास ले जाकर उसे कान में धीरे से पूछा- मैडम, वट डू यू वान्ट?

और उसने अपने दायें हाथ को पीछे ले जाकर… Read Part 2

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