chota bhai ke sath sex-2

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वह सिर्फ़ प्यजमा और बनियाँ पहनकर आ गया. उसका गोरा चित्ता चिकना बदन मदमस्त करने वाला लग रहा था. एकाएक मुझे एक ईड़िया आया. मैं बोली, “मेरी कमर मैं तोड़ा दर्द हो रहा है ज़रा बल्म लगा दे.” यह बेद पैर लेतने का पेरफ़ेक्ट बहाना था और मैं बिस्तर पैर पेट के बल लेट गयी मैने पेट्टीकोत तोड़ा ढीला बाँधा था इसलिए लेट्टे ही वह नीचे खिसक गया और मेरे कुटड़ो के बीच की दरार दिखाए देने लगी लेट्टे ही मैने हाथ भी ऊपर कर लिए जिससे ब्लौसे भी ऊपर हो गया और उसे मालिश करने के लिए ज़्यादा जगह मिल गयी वह मेरे पास बैठकर मेरी कमर पैर ईओडेक्श( पाईं बल्म) लगाकर धीरे धीरे मालिश करने लगा. उसका स्पर्श(तौछ) बड़ा ही सेक्ष्य था और मेरे पूरे बदन मैं सिहरन सी दौड़ गयी थोड़ी देर बाद मैने करवत लेकर अमित की ऊर मुँह कर लिया और उसकी जाँघ पैर हाथ रखकर ठीक से बैठने को कहा. करवत लेने से मेरी चूचियाँ ब्लौसे के ऊपर से आधी से ज़्यादा बाहर निकल आई थी. उसकी जाँघ पैर हाथ रखे रखे ही मैने पहले की बात आगे बरहाय, “तुझे पता है की लड़की कैसे पटाया जाता है

“अरे दीदी अभी तू मैं बच्चा हूँ. ये सब आप बताएँगी तब मालूम होगा मुझे.” ईओडेक्श लगाने के दौरान मेरा ब्लौसे ऊपर खींच गया था जिसकी वजह से मेरी गोलाईयाँ नीचे से भी झाँक रही थी. मैने देखा की वह एकतक मेरी चूचियों को घूर रहा है उसके कहने के अंदाज़ से भी मालूम हो गया की वह इस सिलसिले मैं ज़्यादा बात करना छह रह है

“अरे यार लड़की पाटने के लिए पहले ऊपर ऊपर से हाथ फेरना पड़ता है ये मालूम करने के लिए की वह बुरा तू नही मानेगी.” “पैर कैसे दीदी.” उसने पूच्हा और अपने पैर ऊपर किए. मैने तोड़ा खिसक कर उसके लिए जगह बनाई और कहा, “देख जब लड़की से हाथ मिलाओ तू उसको ज़्यादा देर तक पकड़ कर रखो, देखो कब तक नही छ्छुड़ती है और जब पीछे से उसकी आँख बंद कर के पूच्हो की मैं कौन हूँ तू अपना केला धीरे से उसके पीच्े लगा दो. जब कान मैं कुच्छ बोलो तू अपना गाल उसके गाल पैर रग़ाद दो. वो अगर इन सब बातों का बुरा नही मानती तू आगे की सोचो.”

अमित बड़े ध्यान से सुन रहा था. वह बोला, “दीदी सुधा तू इन सब का कोई बुरा नही मानती जबकि मैने कभी ये सोचकर नही किया था. कभी कभी तू उसकी कमर मैं हाथ डाल देता हूँ पैर वह कुच्छ नही कहती.” “तब तू यार छ्होक्री तय्यार है और अब तू उसके साथ दूसरा खेल शुरू कर.” “कौन सा दीदी?” “बातों वाला. यानी कभी उसके संटरो की तारीफ़ करके देख क्या कहती है अगर मुस्करकार बुरा मानती है तू समझ ले की पाटने मैं ज़्यादा देर नही लगेगी.”

“पैर दीदी उसके तू बहुत छ्होटे-छ्होटे संटरे हैं तारीफ़ के काबिल तू आपके है वह बोला और शरमकार मुँह छ्छूपा लिया. मुझे तू इसी घड़ी का इंतेज़र था. मैने उसका चेहरा पकड़कर अपनी ऊर घूमते हुवे कहा, “मैं तुझे लड़की पटना सीखा रही हूँ और तू मुझी पैर नज़रे जमाए है

“नही दीदी सच मैं आपकी चूचियाँ बहुत प्यारी है बहुत दिल करता है और उसने मेरी कमर मैं एक हाथ डाल दिया. “अरे क्या करने को दिल करता है ये तू बता.” मैने इतलकर पूच्हा.

“इनको सहलने का और इनका रस पीने का.” अब उसके हौसले बुलंद हो चुके थे और उसे यक़ीन था की अब मैं उसकी बात का बुरा नही मनूंगी. “तू कल रात बोलता. तेरी मूट मरते हुवे इनको तेरे मुँह मैं लगा देती. मेरा कुच्छ घिस तू नही जाता. चल आज जब तेरी मूट मरूंगी तू उस वक़्त अपनी मुराद पूरी कर लेना.” इतना कह उसके प्यजमा मैं हाथ डालकर उसका लंड पकड़ लिया जु पूरी तरह से टन गया था. “अरे ये तू अभी से तय्यार है

तभी वह आगे को झुका और अपना चेहरा मेरे सीने मैं छ्छूपा लिया. मैने उसको बानहो मैं भरकर अपने क़रीब लिटा लिया और कस के दबा लिया. ऐसा करने से मेरी छूट उसके लंड पैर दब्ने लगी उसने भी मेरी गार्दन मैं हाथ दल मुझे दबा लिया. तभी मुझे लगा की वो ब्लौसे के ऊपर से ही मेरी लेफ्ट चूचि को चूस रहा है मैने उससे कहा “अरे ये क्या कर रहा है मेरा ब्लौसे ख़राब हो जाएगा.”

उसने झट से मेरा ब्लौसे ऊपर किया और निपपले मुँह मैं लेकर चूसना शुरू कर दिया. मैं उसकी हिम्मत की दाद दिए बग़ैर नही रह सकी. वह मेरे साथ पूरी तरह से आज़ाद हो गया था. अब यह मेरे ऊपर था की मैं उसको कितनी आज़ादी देती हूँ. अगर मैं उसे आगे कुच्छ करने देती तू इसका मतलब था की मैं ज़्यादा बेकरार हूँ छुड़वाने के लिए और अगर उसे माना करती तू उसका मूड ख़राब हो जाता और शायद फिर वह मुझसे बात भी ना करे. इसलिए मैने बीच का रास्ता लिया और बनावती ग़ुस्से से बोली, “अरे ये क्या तू तो ज़बरदस्ती करने लगा. तुझे शरम नही आती.”

“ओह् दीदी आपने तू कहा था की मेरा ब्लौसे मत ख़राब कर. रस पीने को तू माना नही किया था इसलिए मैने ब्लौसे को ऊपर उठा दिया.” उसकी नज़र मेरी लेफ्ट चूचि पैर ही थी जो की ब्लौसे से बाहर थी. वह अपने को और नही रोक सका और फिर से मेरी चूचि को मुँह मैं ले ली और छ्ोसने लगा. मुझे भी मज़ा आ रहा था और मेरी प्यास इन्कर्ेसए कर रहिति. कुच्छ देर बाद मैने ज़बरदस्ती उसका मुँह लेफ्ट चूचि से हटाया और रिघ्त चूचि की तरफ़ लाते हुवे बोली, “अरे साले ये दो होती हैं और दोइनो मैं बराबर का मज़ा होता है

उसने रिघ्त मम्मे को भी ब्लौसे से बाहर किया और उसका निपपले मुँह मैं लेकर चुभलने लगा और साथ ही एक हाथ से वह मेरी लेफ्ट चूचि को सहलने लगा. कुच्छ देर बाद मेरा मनन उसके गुलाबी हूँतो को छूमे को करने लगा तू मैने उससे कहा, “कभी किसी को क़िसस किया है “नही दीदी पैर सुना है की इसमे बहुत मज़ा आता है

“बिल्कुल ठीक सुना है पैर क़िसस ठीक से करना आना चाहिए.”

“कैसे?”

उसने पूछा और मेरी चूचि से मुँह हटा लिया. अब मेरी दोनो चूचियाँ ब्लौसे से आज़ाद खुली हवा मैं तनी थी लेकिन मैने उन्हे छ्छूपाया नही बल्कि अपना मुँह उसके मुँह के पास लेजाकर अपने हूनत उसके हूनत पैर रख दिए फिर धीरे से अपने हूनत से उसके हूनत खोलकर उन्हे प्यार से चूसने लगी क़रीब दो मिनुटे तक उसके हूनत चूस्ती रही फिर बोली.

“ऐसे.”

वह बहुत एक्शसीतेड हो गया था. इससे पहले की मैं उसे बोलूं की वह भी एक बार्किस्स करने की प्रकटिसे कर ले, वह ख़ुद ही बोला, “दीदी मैं भी करूँ आपको एक बार?” “कर ले.” मैने मुस्कराते हुवे कहा.

अमित ने मेरी ही स्टयले मैं मुझे क़िसस किया. मेरे हूँतो को चूस्ते समय उसका सीना मेरे सीने पैर आकर दबाव डाल रहा था जिससे मेरी मस्ती दोगुनी हो गयी थी. उसका क़िसस ख़तम करने के बाद मैने उसे अपने ऊपर से हटाया और बानहो मैं लेकर फिर से उसके हूनत चूसने लगी इस बार मैं तोड़ा ज़्यादा जोश से उसे चूस रही थी. उसने मेरी एक चूचि पकड़ ली थी और उसे कस कसकर दबा रहा था. मैने अपनी कमर आगे करके छूट उसके लंड पैर दबाई. लंड तू एकदम तनकर ईरों रोड हो गया था. छुड़वाने का एकदम सही मौक़ा था पैर मैं चाहती थी की वह मुझसे छोड़ने के लिए भीख मांगे और मैं उसपर एहसान करके उसे छोड़ने की इज़ाज़त दूं.

मैं बोली, “चल अब बहुत हो गया, ला अब तेरी मूट मार दूं.” “दीदी एक रेक़ुएस्ट करूँ?” “क्या?” मैने पूच्हा. “लेकिन रेक़ुएस्ट ऐसी होनी चाहिए की मुझे बुरा ना लगे.”

ऐसा लग रहा था की वह मेरी बात ही नही सुन रहा है बस अपनी कहे जा रहा है वह बोला, “दीदी मैने सुना है की अंदर डालने मैं बहुत मज़ा आता है डालने वाले को भी और डलवाने वाले को भी. मैं भी एक बार अंदर डालना चाहता हूँ.”

“नहीं अमित तुम मेरे छ्होटे भाई हो और मैं तुम्हारी बड़ी बहन.” “दीदी मैं आपकी लूंगा नही बस अंदर डालने दीजिए.” “अरे यार तू फिर लेने मैं क्या बचा.” “दीदी बस अंदर डालकर देखूँगा की कैसा लगता है छोदुँगा नही प्लेआसए दीदी.”

मैने उसपर एहसान करते हुवे कहा, “तुम मेरे भाई हो इसलिए मैं तुम्हारी बात को माना नही कर सकती पैर मेरी एक शर्त है तुमको बताना होगा की अक्सर ख़्यालो मैं किसकी छोड़ते हो?” और मैं बेद पैर पैर फैलाकर चित्त लेट गयी और उसे घुटने के बल अपने ऊपर बैठने को कहा. वह बैठा तू उसके प्यजमा के ज़रबंद को खोलकर प्यजमा नीचे कर दिया. उसका लंड तनकर खड़ा था. मैने उसकी बाँह पकड़ कर उसे अपने ऊपर कोहनी के बल लीयता लिया जिससे उसका पूरा वज़न उसके घुटनो और कोहनी पैर आ गया. वह अब और नही रुक सकता था. उसने मेरी एक चूचि को मुँह मैं भर लिया जो की ब्लौसे से बाहर थी. मैं उसे अभी और छ्छेड़ना छाती थी. “सुन अमित ब्लौसे ऊपर होने से चुभ रहा है ऐसा कर इसको नीचे करके मेरे संटरे ढांप दे.” “नही दीदी मैं इसे खोल देता हूँ.” और उसने ब्लौसे के बुट्तों खोल दिया. अब मेरी दोनो चूचिया पूरी नंगी थी. उसने लपककर दोनो को क़ब्ज़े मैं कर लिया. अब एक चूचि उसके मुँह मैं थी और दूसरी को वह मसल रहा था. वह मेरी चूचियों का मज़ा लेने लगा और मैने अपना पेट्टीकोत ऊपर करके उसके लंड को हाथ से पकड़ कर अपनी गीली छूट पैर रग़ादना शुरू कर दिया. कुच्छ देर बाद लंड को छूट के मुँह पैर रखकर बोली, “ले अब तेरे चाकू को अपने खर्बूजे पैर रख दिया है पैर अंदर आने से पहले उसका नाम बता जिसकी तू बहुत दिन से छोड़ना चाहता है और जिसे याद करके मूट मारता है

वह मेरी चूचियों को पकड़कर मेरे ऊपर झुक गया और अपने हूनत मेरे हूनत पैर रख दिए मैं भी अपना मुँह खोलकर उसके हूनत चूसने लगी कुच्छ देर बाद मैने कहा, “हाँ तू मेरे प्यारे भाई अब बता तेरे सपनो की रानी कौन है

“दीदी आप बुरा मत मानिएगा पैर मैने आज तक जितनी भी मूट मारी है सिर्फ़ आपको ख़्यालो मैं रखकर.”

“हाय भय्या तू कितना बेसरम है अपनी बड़ी बहन के बारे मैं ऐसा सोचता था.” “ओह् दीदी मैं क्या करूँ आप बहुत ख़ूबसूरत और सेक्ष्य है मैं तू कब से अप्पकी चूचियों का रस पीना चाहता था और आपकी छ्होट मैं लंड डालना चाहता था. आज दिल की आरज़ू पूरी हुई.” और फिर उसने शरमकार आँखे बंद करके धीरे से अपना लंड मेरी छूट मैं डाला और वादे के मुताबिक़ चुपचाप लेट गया.

“अरे तू मुझे इतना चाहता है मैने तू कभी सोचा भी नही था की घर मैं ही एक लंड मेरे लिए तड़प रहा है पहले बोला होता तू पहले ही तुझे मैका दे देती.” और मैने धीरे-धीरे उसकी पीठ सहलनी शुरू कर दी. बीच-बीच मैं उसकी गांड भी दबा देती.

“दीदी मेरी किस्मत देखिए कितनी झांतु है जिस छ्होट के लिए तड़प रहा था उसी छूट मैं लंड पड़ा है पैर छोड़ नही सकता. पैर फिर भी लग रहा है की स्वर्ग मैं हूँ.” वह खुल कर लंड छ्होट बोल रहा था पैर मैने बुरा नही माना. “अच्छा दीदी अब वायदे के मुताबिक़ बाहर निकलता हूँ.” और वह लंड बाहर निकालने को तय्यार हूवा.

मैं तू सोच रही थी की वह अब छूट मैं लंड का धक्का लगाना शुरू करेगा लेकिन यह तू ठीक उल्टा कर रहा था. मुझे उसपर बड़ी दया आई. साथ ही अच्छा भी लगा की वायदे का पक्का है अब मेरा फ़र्ज़ बनता था की मैं उसकी वफ़ादारी का इनाम अपनी छूट छुड़वकर दूं. इसलिए उससे बोली, “अरे यार तूने मेरी छूट की अपने ख़्यालो मैं इतनी पूजा की है और तुमने अपना वादा भी निभाया इसलिए मैं अपने प्यारे भाई का दिल नही तूडूंगी. चल अगर तू अपनी बहन को छोड़कर बाहंचोड़ बनना ही चाहता है तू छोड़ ले अपनी जवान बड़ी बहन की छूट.”

मैने जानकार इतने गंदे वॉर्ड्स उसे किए थे पैर वह बुरा ना मानकर ख़ुश होता हूवा बोला, “सच दीदी.” और फ़ौरन मेरी छूट मैं अपना लंड ढकाधक पैलने लगा की कहीं मैं अपना इरादा ना बदल दूं.

“तू हबूत किस्मत वाला है अमित.” मैं उसके कुंवारे लंड की छुड़ाई का मज़ा लेते हुवे बोली.”क्यों दीदी?” “अरे म्यार तू अपनी ज़िंदगी की पहली छुड़ाई अपनी ही बहन की कर रहा है और उसी बहन की जिसकी तू जाने क़ब्से छोड़ना चाहता था.”

“हाँ दीदी मुझे तू अब भी यक़ीन नही आ रहा है लगता है सपने मैं छोड़ रहा हूँ जैसे रोज़ आपको छोड़ता था.” फिर वह मेरी एक चूचि को मुँह मैं दबा कर चूसने लगा. उसके धाक्को की रफ़्तार अभी भी काम नही हुई थी. मैं भी काफ़ी दीनो के बाद छुड़ रही थी इसलिए मैं भी छुड़ाई का पूरा मज़ा ले रही थी.

वह एक पल रुका फिर लंड को गहराई तक ठीक से पैल्कर ज़ोर-ज़ोर से छोड़ने लगा. वह अब झड़ने वाला था. मैं भी सातवे आसमान पैर पहुँच गयी थी और नीचे से कमर उठा-उठाकर उसके धाक्को का जवाब दे रही थी. उसने मेरी चूचि छ्छोड़कर मेरे हूँतो की मुँह मैं ले लिया जो की मुझे हमेशा अच्छा लगता था. मुझे चूमटे हुए कसकस्कर दो चार धक्के दिए और और “हाए आशा मेरी जान” कहते हुवे झड़कर मेरे ऊपर छिपक गया. मैने भी नीचे से दो चार धक्के दिए और “हाए मेरे राजा कहते हुवे झाड़ गयी

छुड़ाई के जोश ने हुंदोनो को निढाल कर दिया था. हुंदोनो कुच्छ देर तक यूँ ही एक दूसरे से चिपके रहे. कुच्छ देर बाद मैने उससे पूच्ह, “क्यों मज़ा आया मेरे बाहंचोड़ भाई को अपनी बहन की छूट छोड़ने मैं उसका लंड अभी भी मेरी छूट मैं था. उसने मुझे कसकर अपनी बानहो मैं जकदकर अपने लंड को मेरी छूट पैर कसकर दबाया और बोला, “बहुत मज़ा आया दीदी. यक़ीन नही होता की मैने अपनी बहन को छोड़ा है और बाहंचोड़ बन गया हूँ.” “तू क्या मैने तेरी मूट मारी है “नही दीदी यह बात नही है “तू क्या तुझे अब अफ़सोस लग रहा है अपनी बहन को छोड़कर बाहंचोड़ बनने का.”

“नही दीदी ये बात भी नही है मुझे तू बड़ा ही मज़ा आया बाहंचोड़ बनने मैं मनन तू कर रह की बासस अब सिर्फ़ अपनी दीदी की जवानी का रास ही पीटा रहो. हाय दीदी बल्कि मैं तू सोच रहा हूँ की भगवान ने मुझे सिर्फ़ एक बहन क्यों दी. अगर एक दो और होती तू सबको छोड़ता. दीदी मैं तू एह सोच रहा हूँ की यह कैसे छुड़ाई हुई की पूरी तरह से छोड़ लिया लेकिन छूट देखी भी नही.”

“कोई बात नही मज़ा तू पूरा लिया ना?” “हाँ दीदी मज़ा तू ख़ूब आया.” “तू घबराता क्यों है अब तू तूने अपनी बहन छोड़ ही ली है अब सब कुच्छ तुझे दिखाओँगी. जब तक माँ नही आती मैं घर पैर नंगी ही रहूंगी और तुझे अपनी छूट भी चात्वाओंगी और तेरा लंड भी चूसूंगी. बहुत मज़ा आता है “सच दीदी?” “हाँ. अच्छा एक बातय है तू इस बात का अफ़सोस ना कर की तेरे सिर्फ़ एक ही बहन है मैं तेरे लिए और छूट का जुगाड़ कर दूँगी..”

“नही दीदी अपनी बहन को छोड़ने मैं मज़ा ही अनोखा है बाहर क्या मज़ा आएगा?”

“अच्छा चल एक काम कर तू माँ को छोड़ ले और मदरचोड़ भी बन जा.” “ओह दीदी ये कैसे होगा?”

“घबरा मत पूरा इंतेज़ाम मैं कर डूबगी. माँ अभी 38 साल की है तुझे मदरचोड़ बनने मैं भी बड़ा मज़ा आएगा.”

“हाय दीदी आप कितनी अच्छी हैं दीदी एक बार अभी और छोड़ने दो इस बार पूरी नंगी करके छोदुँगा.” “जी नही आप मुझे अब माफ़ करिय.” “दीदी प्लेआसए सिर्फ़ एक बार.” और लंड को छूट पैर दबा दिया.

“सिर्फ़ एक बार.” मैने ज़ोर देकर पूच्हा. “सिर्फ़ एक बार दीदी पक्का वादा.”

“सिर्फ़ एक बार करना है तू बिल्कुल नही.” “क्यों दीदी?” अब तक उसका लंड मेरी छूट मैं अपना पूरा रस नीचोड़कर बाहर आगया था. मैने उसे झटके देते हुवे कहा,

“अगर एक बार बोलूँगी तब तुम अभी ही मुझे एक बार और छोड़ लोगे?” “हाँ दीदी.”

“ठीक है बाक़ी दिन क्या होगा. बस मेरी देखकर मूट मारा करेगा क्या. और मैं क्या बाहर से कोई लौँगी अपने लिए अगर सिर्फ़ एक बार मेरी लेनी है तू बिल्कुल नही.”

उसे कुच्छ देर बाद जब मेरी बात समझ मैं आई तू उसके लांद मैं थोड़ी जान आए और उसे मेरी छूट परा रग़दते हुवे बोल्ब, “ओह दीदी उ र ग्रेट.”