Mauseri bahen ko choda – indian sex kahaniya

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यह कहानी मेरी और मेरी मौसी की शादीशुदा लड़की यानि मेरी दीदी चारू की है। खैर पहले मैं आपको अपने बारे में बताता हूँ ! मेरा नाम समीर है, उम्र 28 साल है, कद 5 फ़ीट 9 इंच और मेरा लंड 9 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा है। मैं आजाद जिन्दगी जीने वाला हूँ, नागपुर में रहता हूँ, मैं एक अर्द्धसहकारी कंपनी में काम करता हूँ। मैं और मेरी मौसी का परिवार एक ही शहर में रहता था। मेरी दीदी यानि मौसी की लड़की चारू की शादी भी उसी शहर में हुई थी।

यह वो हकीकत है जिसने मेरी जिंदगी ही बदल दी, मैं आपको इस कहानी के माध्यम से बताना चाहता हूँ, जिसका एक-एक पल आज भी मेरे आँखों के सामने आता है !

एक दिन मौसी के यहाँ मेरे परिवार खाने पर जाना था। इत्तेफाक से उसी दिन मेरे दोस्त की जन्मदिन पार्टी थी। मैं पार्टी निबटा कर मौसी के घर पहुँचा। वहाँ सब लोग आ गए थे। मैं थोड़े नशे में था और कसम से दोस्तो, सेक्स करने का बहुत मन हो रहा था कि अचानक मेरी नज़र चारू दीदी पर पड़ी। क्या जिस्म था, 34 इन्च की चूचियाँ, 26 इन्च की पतली कमर, 36 इन्च के मस्त कूल्हे ! अगर सेक्सी भाषा में बोलें तो 36 इन्च की गाण्ड ! उसका रंग गोरा था, उनके स्तन एकदम सेब की तरह थे।

मेरी नज़र उनके कूल्हों पर थी, जब वो चलती थी तो उनके कूल्हों की उठा-पटक देख कर मेरा लंड चैन तोड़ने के लिये बेकरार हो जाता था। हम सबने खाना खाया और मैं अपना मन मारते हुए घर जाने लगा। तभी मौसी ने मुझे बुलाया और कहा- दामाद जी तो बाहर गए हुए हैं, वो नहीं आए ! तू चारू को उसके घर छोड़ देगा? मौसम भी खराब है और रात काफी हो गई है।

मैंने हाँ कर दी।

मैंने बाइक उठाई और चारू को बिठा कर उसके घर निकल पड़ा। अभी हम कुछ ही दूर पहुँचे थे कि अचानक तेज़ बारिश होने लगी और हम भीग गए। पर जैसे कैसे थोड़ी देर में हम घर पहुँच गए।

मैं और दीदी पूरे भीग चुके थे और रात भी काफी हो गई थी, दीदी बोली- तू आज यहीं रुक जा, यह बारिश नहीं रुकने वाली !

मैंने हाँ कर दी और घर पर फ़ोन कर दिया। फिर चारू तौलिया और जीजा जी का नाइट सूट लेकर मेरे पास आई और मुस्कुराते हुए कहा- समीर, तू कपड़े बदल ले !

मैंने तौलिया और कपड़े लिए और बाथरूम में चला गया। 15 मिनट में मैंने फ्रेश होकर जीजा जी की नाईट पैंट और टीशर्ट पहन ली और हॉल में बैठ गया।

मैंने टीवी ऑन किया किया और मूवी देखने लगा। 10-15 मिनट के बाद दीदी हाथ में एक पैकेट ले कर मेरे पास आई और मुझे देखते हुए कहा- समीर यह ले ! इससे ठण्ड दूर हो जाएगी।

मैंने पैकेट खोल कर देखा तो उसमें व्हिस्की की बोतल थी !

मैं बोतल वापस देते हुए- दीदी, मैं नहीं पी सकता क्यूंकि मैं एक पार्टी में ड्रिंक करके आया था !

चारू बोली- अरे भाई, सर्दी है, हम भीग भी गये हैं, थोड़ी-थोड़ी पी लेंगे तो ठण्ड से बच जायेंगे।

इतना कह कर वो रसोई की ओर चली गई।

तभी चारू दीदी गिलास और एक प्लेट में नमकीन व पानी की बोतल ले कर आई और मेरे सामने मेज पर रख दिया।

मैं- नहीं दीदी ! मैं नहीं पियूँगा !

चारू दीदी बोली- मुझे नहीं पता ! थोड़ी पी ले, पर पीनी तो पड़ेगी। मेरा साथ देगा या नहीं?

मैं- मुझे नहीं पता कि तुम भी ले लेती हो ! ठीक है दीदी ! लेकिन मैं थोड़ी ही पियूँगा !

दीदी- अरे कभी कभार तेरे जीजा ठण्ड भगाने के लिए दे देते हैं ! तुम पेग बनाओ, तब तक मैं फ्रेश हो लेती हूँ ! ठीक है ना ?

मैं- हाँ ! ठीक है !

दीदी बाथरूम में चली गई। मैंने बोतल खोली, दो पैग बनाए और एक सिप ली ! बड़ा मजा आ रहा था क्योंकि मैं पहले से पिए हुए था।

अचानक मेरे दिमाग ख्याल आया कि दीदी क्यों ऐसा कर रही हैं। पहले तो दीदी मेरे साथ इतना कभी नहीं खुली।

इतने में ही बाहर और जोरों की बारिश होने लगी !

तभी पीछे से दीदी की आवाज आई- कुछ और चाहिए !

मैं जैसे पीछे मुड़ा और देखा तो मेरे पूरे शरीर में कंपकंपी सी होने लगी, जैसे मैंने बिजली का तार पकड़ लिया हो, क्योंकि दीदी ने सफ़ेद नाईट हॉट मैक्सी जांघ के ऊपर तक की पहनी थी जिसके आर-पार सब कुछ दिख रहा था, उनके खुले बाल गीले थे मतलब वो नहा कर आई थी ! ऐसा लग रहा था कि संगमरमर को तराश कर इस मूरत को बनाया गया हो ! मैं तो उनके बदन को ही निहार रहा था !

उस अदा में जो मैं देख रहा था, मैंने कभी इतनी खूबसूरत और सेक्सी बला कभी नहीं देखी थी ! उनका कसा हुआ जिस्म !

दीदी की आवाज़ से अचानक मेरा ध्यान भंग हुआ, वो बोली- और कुछ चाहिए या मुझे घूरते ही रहेगा?

दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा।

मैंने सोचा बारिश रुके या न रुके, अब मैं तुरंत ही तुरंत निकल जाऊँगा !

दीदी मेरे सामने बैठ गई, मैंने जैसे ही उनकी ओर देखा तो उनके दोनों गोरे स्तन साफ-साफ दिख रहे थे।

मैंने अपनी नजर नीचे की और चुपचाप अपना पेग पीने लगा ! मैंने घड़ी की ओर देखा तो रात के बारह बज रहे थे और बारिश लगातार हो ही रही थी।

दीदी ने बात शुरू की !

दीदी- समीर, यह बताओ कि तूने अभी तक शादी क्यों नहीं की?

मैं- अभी तक ऐसी लड़की ही नहीं मिली जिससे मैं शादी करूँ !

दीदी- और गर्लफ्रेंड? मुझे पता है कि तेरी कई कई होती थी !

मैं- दीदी, मैंने वो सब छोड़ दिया है !

मेरे दिमाग ख्याल आया कि चारू दीदी क्यों ऐसा पूछ रही हैं, ना जाने दीदी का मकसद क्या है?

दीदी- तु्झे कैसी लड़की चाहिए?

मैं- आप जैसी ! (यह मेरे मुँह से क्या निकल गया)

दीदी- मुझमें ऐसा क्या है?मैं कुछ नहीं बोला, मेरी हालत खराब हो रही थी, ऊपर से शराब का नशा !


ना जाने आज क्या होगा ! काश यह मेरी दीदी न होती तो कब का इसका काम कर दिया होता !

तभी दीदी ने कहा- एक पेग और ले ना समीर !

मैं- नहीं… दीदी बस हो गया !

दीदी- और नहीं लिया तो मैं तुझे खुद अपने हाथों से पिलाऊँगी, सोच ले !

मुझे नशा सा हो रहा था, अब तो मेरा लंड भी खड़ा होने लगा था, लेकिन मैं दीदी को चोदना नहीं चाहता था।

मैं- नहीं दीदी, मैं और नहीं पी सकता !

मेरे इतना ही कहने की देर थी कि दीदी अपनी कुर्सी से उठी और मेरे गिलास में ज़बरदस्ती शराब डाल दिया और वो मेरी गोद में बैठ गई !

मैं चौंक गया ! मेरी जांघ और लण्ड पर उनकी कोमल-कोमल गांड का एहसास हो रहा था और मेरा लण्ड लोहे की छड़ बन चुका था !




इतने में ही दीदी अपने हाथ से पेग मेरे मुँह के पास लाई और कहा- अब मुँह खोलेगा या नहीं?

मेरे मुँह से तो आवाज ही नहीं निकल रही थी, मैं उनके हाथों से पेग पीने लगा। दीदी को तो मौक़ा मिल गया था अपनी बात जाहिर करने का, लेकिन मैं क्या करूँ?

मेरे सब्र का बाँध टूट गया था, मैं नशे में अपनी औकात से बाहर हो रहा था।

तभी दीदी ने अपना असली खेल शुरू किया।

दीदी मेरी गोद से उतरते हुए बोली- यह नीचे क्या चुभ रहा है? दिखा मुझे !

उन्होंने मेरा पजामा और अंडरवीयर को एक साथ पकड़ कर हटा दिया जिससे मेरा खड़ा नौ इंच का लण्ड टनटनाते हुए उनके सामने आ गया।

अच्छा तो यह है ! तेरे जीजा जी का तो इससे आधा था, उनकी गोद में बैठने से चुभता ही नहीं था।

मैं- दीदी जीजा जी के लिए बस करो, वरना तुम्हारी जिंदगी खराब हो जाएगी !

दीदी- तो अभी क्या है ! महीने में दो चार रात घर में रुकते हैं ये ! मैं अकेली पड़ी तड़फ़ती रहती हूँ रात को !

गमगीन होते हुए वो मुझसे लिपट गई।

मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, नशे में सही-गलत समझ में नहीं आ रहा था। अगर दीदी को कोई ऐतराज नहीं है, तो मैं क्यों संत बन रहा हूँ? मैं अभी इसकी जरूरत हूँ, यह मेरी ! सो मैंने भी शर्म छोड़ दी और पूरा पेग पीकर दीदी को दोनों हाथों से गोद में उठाया, प्यार से बिस्तर पर लिटा दिया और मैं उनके बाजू में करवट ले लेट गया।

तभी दीदी भी मेरी ओर पलट गई उन्होंने एक हाथ मेरे गाल पर रखा और कहा- समीर, आज मुझे औरत होने का सुख दे ! मैं बहुत प्यासी हूँ !

इतना कहकर वो मेरे ऊपर आ गई और मुझे चूमने लगी।

मैंने उन्हें बाहों में लिया और पलट गया। अब वो मेरे नीचे थी और मैं उनके ऊपर !

मैंने अपने होंट उनके नाजुक गुलाबी-गुलाबी होंटों पर रख दिए और चुम्बन करने लगा। एक हाथ से उनकी चिकनी-चिकनी जांघों को सहलाने लगा।

दीदी ने दोनों हाथों से मुझे कस के पकड़ लिया ! हम दोनों पहले से ही गर्म थे इसलिए हमें ज्यादा समय नहीं लगने वाला था !

मैंने पहले दीदी की पैंटी उतारी फिर उनकी मैक्सी ! मैंने अपने भी पूरे कपड़े उतार दिए। अब हम दोनों पूरी तरह से नंगे हो चुके थे !

दीदी और मैं 69 की अवस्था में लेट गए, मैंने अपना लण्ड उनके मुँह में डाल दिया और अन्दर-बाहर करने लगा ! मेरे लण्ड को उनके नाजुक-नाजुक होंटों और जीभ का स्पर्श होने से मेरा नशा और मजा दुगुना हो रहा था ! मैं सातवें आसमान की सैर कर रहा था !

मैंने भी अपनी जीभ उनकी चूत में डाल कर उसे रगड़़ने लगा था ! मैं पहली बार किसी की चूत चाट रहा था, उनकी चूत का खारा पानी ! आह..ह..ह क्या मजा आ रहा था !

हम दोनों जरुरत से ज्यादा गर्म और उतावले हो चुके थे।

फिर मैं सीधे दीदी के ऊपर लेट गया और उनके दोनों चुचूकों को पकड़ कर इकट्ठे चूसने लगा, अचानक मेरा ध्यान नाईट लैम्प के पास रखी शहद की बोतल पर गया। मैंने बोतल उठाई, खोली और थोड़़ा शहद अपने लण्ड पर गिराया और थोड़ा शहद उनके दोनों स्तनों और चूत पर गिराया !

दीदी समझदार थी, वो समझ गई थी कि उन्हें क्या करना है? वो मेरे लण्ड को मुँह में लेकर शहद चूसने लगी और मैं भी उनके बदन पर लगे शहद को चाटने लगा !

दीदी बोलने लगी- आहह ! बहुत मजा आ रहा है इसमें !

मैंने भी पहले चूचियाँ फिर चूत को चाट-चाट कर पूरा साफ़ कर दिया।

अब मैंने दीदी को लिटा दिया और उनके ऊपर आकर दोनों टाँगें फैला दी, मैं उनकी दोनों टांगों के बीच में बैठ गया अपना लण्ड जैसे ही चूत के छेद में रख कर धकेला,

“मम्मी..ई मम्मी.ई..ई….ई…..ई !” कहते हुए वो झट से सरक गई और दोनों हाथों से अपनी चूत पकड़ कर टाँगें सिकोड़ ली और करवट ले कर रोने लगी।

मैं समझ गया कि चारू ज्यादा नहीं चुदी हैं। उनकी गुलाबी चूत एकदम टाइट थी।


मैंने उन्हें अपनी तरफ खींचा और कहा- दर्द को भूल जाओ दीदी ! फिर देखो, कितना मजा आता है !

मैंने दीदी को सीधा किया और फिर वैसे ही उनकी टांगों के बीच में आ गया ! इस बार मैंने दीदी को अपनी बाहों में जकड़ लिया और अपना लण्ड उनकी चूत पर रखा और कहा- दीदी, शुरू करूँ?

दीदी- लेकिन प्लीज़, धीरे करना !

जैसे ही दीदी ने अपनी बात ख़त्म की, मैंने जोर के धक्का मारा और मेरा लण्ड आधा अन्दर जा चुका था।

दीदी छटपटाने लगी।

मैंने और कस कर दीदी को पकड़ लिया और एक और जोरदार धक्का मारा, इस बार मेरा पूरा लंड दीदी की बुर को फाड़ता हुआ अन्दर तक घुस गया। फिर मैं अंधा-धुंध धक्के पर धक्के मारने लगा।

दीदी छटपटा रही थी, चिल्ला रही थी- मैं मर जाऊँगी ! आराम से ! मम्मी ! समीर छोड़ दे ! मेरे बर्दाश्त के बाहर हो रहा है ! बहुत लम्बा, मोटा है तेरा लंड।

लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था, मैं तो चालू ही था ! यों तो मैंने न जाने कितनी ही चुदाई की थी लेकिन इतना मजा पहले कभी नहीं आया था। मैं अपनी पूरी ताकत लगा कर धक्के लगा रहा था, साथ में पूरा बेड भी चिर-चिर की आवाज करते हुए हिल रहा था !

दीदी पूरा पसीने से भीग गई थी लेकिन मैं था कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था ! थोड़ी देर के बाद दीदी भी अपने कूल्हे उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी थी। अब मेरा मजा दुगुना हो गया था, सो मैंने दीदी को अपनी बाहों से आजाद कर दिया और उसके दोनों चुचूक को एक साथ मुँह में लेकर चूसने लगा।

मेरे सर पे तो शराब और शबाब का तो जैसे जुनून सवार था ! हम दोनों ही अपनी जवानी भरपूर मजा ले रहे थे !

मैं उन्हें जी भर चोदना चाहता था क्योंकि चारू दीदी जैसी चीज को मैंने पहले कभी नहीं चोदा था ! मैंने सोचा कि क्यों ना चोदने का कोई नया तरीका अपनाया जाये जो मैंने पहले कभी ना किया हो !

बेडरूम में एक चार फ़ीट की अलमारी थी, मैंने उन्हें दोनों हाथों से अलमारी पकड़ कर घोड़ी बनने को कहा। हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना डॉट कॉम पर !

वो झुक कर घोड़ी बन गई और मैं उनके पीछे आ गया, उनकी गोरी-गोरी गाण्ड देखकर तो मुझे और भी नशा आ रहा था ! मैंने उनकी एक टांग उठा कर अपने कंधे पर रख ली, इस तरह से उनकी चूत का मुँह पूरा खुल गया था। अब मैंने उनकी कमर को पकड़ कर अपना लण्ड उनकी चूत में दनदनाते हुए पूरा अन्दर तक डाल दिया और दनादन धक्कमपेल करने लगा।

दीदी के मुँह से बस “आह..ह धीरे करो आह..ह..ह” की आवाज आ रही थी।

मैं इतनी जोर के धक्के लगा रहा था कि दीदी के पूरे जिस्म के साथ-साथ वो अलमारी भी हिल रही थी।

इतने में दीदी ने अपना पानी छोड़ दिया और चूत पूरी गीली हो गई थी और मेरा लण्ड भी ! जिसकी वजह से मेरा मजा किरकिरा हो रहा था।

मैंने उन्हें फिर बाहों में उठाया और बेड पर उल्टा लिटा दिया और उनकी दोनों टांगो को खींच कर बेड के नीचे कर दिया जिससे कि उनकी गांड का छेद साफ़ दिखाई दे रहा था। मैंने पीछे से उनके दोनों बगल में हाथ डाल के दीदी को कस कर पकड़ लिया, मेरा लण्ड तो पहले से ही दीदी के रज से गीला था, मैंने अपना लण्ड दीदी की गांड पर रखा और उनका मुँह तिरछा करके उनके दोनों नाजुक होंटों को अपने दांतों से पकड़ लिया और एक जोर के झटका लगाया। मेरा आधा लण्ड उनकी गांड में चला गया !
बस फिर क्या था? दीदी तड़पने लगी थी, लेकिन मैंने उन्हें ऐसा पकड़ा था कि वो छूट ही नहीं सकती थी ! मैंने गति और तेज कर दी और पूरी ताकत और रफ़्तार के साथ धक्के पर धक्के मारने लगा। मैंने आज तक ना तो ऐसी चूत चोदी थी और ना ही ऐसी गांड और ना ही इतना मजा आया था पहले कभी !

मैंने तब तक धक्के मारे जब तक मेरा पानी नहीं निकला। मैंने अपना सारा वीर्य दीदी की गाण्ड में ही छोड़ दिया और उनकी बगल आ कर लेट गया।

हम दोनों की सांसें जोर-जोर से चल रही थी और दोनों पसीने से पूरे भीग गए थे। मैंने देखा की, उनका पूरा शरीर लाल हो गया था।

रात के दो बज रहे थे, मैंने दीदी को पानी दिया और आराम से सोने के लिए कहा। दीदी अपने दोनों हाथों से मुझे पकड़ कर उसी बेड पर लेट गई !

हम दोनों नंगे ही थे ! मुझे कब नींद आई पता ही नहीं चला।

दूसरे दिन (सुबह सात बजे जो मुझे पता ही नहीं था) मेरी नींद खुली, मेरा सर जोर से दर्द हो रहा था मानो कि सर फट रहा हो !

मैं अभी भी नंगा ही था और मेरे कपड़े वहाँ से गायब थे ! इतने में दीदी आई मैंने उन्हें देखते ही रजाई ऊपर तक ओढ़ ली ! उसने काले रंग का गाऊन पहना था।

दीदी (मुस्कुराते हुए)- अब क्यों इतना शरमा रहा है?

मैं- न.न.. नहीं दीदी ! वो मैंने कपड़े नहीं पहने हैं ना !

मैं समझ गया कि रात में मैंने क्या क्या किया।

मैं शर्म के मारे उनसे नजर नहीं मिला पा रहा था। मैंने अपने कपड़े पहने और वहाँ से निकल गया।

उसी दिन रात मुझे दीदी का फ़ोन आया और कहा- ‘इतना मजा मुझे पहले कभी नहीं आया था !’

मैं बोला- बहुत मज़ा आया दीदी। यक़ीन नहीं होता कि मैंने अपनी मौसेरी बहन को चोदा है और बहनचोद बन गया हूँ।

“तो क्या तुझे अब अफ़सोस लग रहा है अपनी बहन को चोद कर बहनचोद बनने का?”

“नहीं दीदी, यह बात भी नहीं है, मुझे तो बड़ा ही मज़ा आया बहनचोद बनने में !

मन तो कर रहा है कि बस अब सिर्फ़ अपनी चारू दीदी की जवानी का रस ही पीता रहूँ।”