देवरानी-जेठानी को चोदा -3

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सुनीता का एक हाथ मेरे बालों को सहला रहा था और दूसरे हाथ से मेरे हाथ को पकड़ रखा था, जो उसकी सलवार के अन्दर उसकी चूत को सहला रहा था, जैसे ही मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रखा तो मुझे एहसास हुआ, सुनीता ने अपनी चूत को बहुत ही अच्छे से साफ़ किया है, बाल रहित चूत पर हाथ फेर कर मुझे मज़ा आ रहा था, जैसे ही मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में अन्दर घुसाई, वो ‘म्म्म्मूऊऊउ आआह्ह्ह्ह’ करती हुई ऊपर को उछल गई।

सुनीता ने अपने होंठ को मेरे होंठ से अलग हटाते हुए बोली- साजन, एक बात पूछूँ?

मैं बोला- हाँ पूछो ना क्या बात है?

सुनीता बोली- क्या तुमने आज से पहले किसी लड़की को चोदा है?

मैंने कहा- नहीं आज तुमको ही पहली बार चोदूँगा !

मैंने उसको झूठ बोला क्योंकि मैं एक बार सीमा को तो चोद ही चुका हूँ।

सुनीता से मैंने कहा- क्यों क्या हुआ?

उसने कहा- नहीं बस ऐसे ही पूछा, जिस तरह से तुम कर रहे हो उसको देख कर मैंने सोचा कि तुम पहले भी किसी कन्या को लण्ड दान कर चुके हो।



मैंने सुनीता से कहा- अच्छा जी ये बात है, असल में बात यह है जान कि मैंने बहुत बार ब्लू फ़िल्म देखी है, और एक बार तुमको भी मैंने अपनी आँखों से चुदते हुए देखा है, इनसे कुछ तो सीखा होगा न मैंने, जान चुदाई तो ऐसी है इसमें कुछ सीखने की जरूरत नहीं होती, सब अपने आप करना आ जाता है।

सुनीता से मैं बात भी करता जा रहा था और उसकी चूत को सहलाने के साथ साथ अपनी उंगली को उसकी चूत में अन्दर बाहर भी कर रहा था, जिससे उसकी चूत कुछ ज्यादा गीली हो चुकी थी, उसको मेरी बात शायद सही लगी, वो बस मुस्कुरा के मेरे गले में अपनी बाहों का हार डाल कर अपनी तरह खींच कर मेरे होंठ चूसने लगी और मैं उसके !

इधर मेरा लंड की एक बार फिर हालत खराब हो रही थी, फिर मैं अपने एक हाथ से उसकी सलवार उतारने लगा, पर सुनीता बेड पर लेटी हुई थी तो उसकी सलवार उतर नहीं रही थी, वो उठकर बेड पर बैठ गई और मैं भी उठाकर बैठ गया।

मैंने उसके दोनों पैरों को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और अपनी तरफ खिसका कर उसको अपनी गोद में बिठा लिया, सुनीता भी मेरी गोद में आकर अपने दोनों हाथ मेरी गर्दन पर लपेट कर मुझे किस करने लगी। कुछ देर मुझे किस करने के बाद वो मेरी गोदी से उतर गई पर उसके दोनों पैर मेरी दोनों जांघों पर ही थे, मैं अपने हाथों से उसकी सलवार को पकड़ कर उतरने लगा, उसने अपने कूल्हे ऊपर उठा दिए, मैंने उसकी सलवार उसके घुटने तक उतार दी।

फिर मैंने उसका कमीज भी उतारने लगा तो उसने अपने दोनों हाथ ऊपर कर के उसे उतारने में मेरी मदद की। अब वो मेरे सामने ब्रा में बैठी थी, जैसे ही मैं उसकी ब्रा उतारने लगा तो उसने अपने हाथ से मेरा चेहरा पकड़ा और मेरे नीचे वाले होंठ को अपने होंठ में दबाकर चूसने लगी, मैं भी उसके ऊपर वाले होंठ को चूसने लगा और साथ ही मैं उसकी सलवार उतारने लगा पर उसके दोनों पैर मेरी दोनों जांघों पर थे, जिस कारण उसकी सलवार उतारने में मुझे दिक्कत हो रही थी इसलिए वो थोड़ा सा पीछे को खिसक गई।



फिर मैंने उसकी सलवार भी उतार दी, अब वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी, मैं उसके ब्रा के ऊपर से उसके बूब्स पर अपने होंठ फिराने लगा और एक हाथ उसकी पेंटी में डाल कर उसकी चूत में उंगली करने लगा, उसको बहुत मज़ा आ रहा था, इसलिए तो वो बार बार अपने कूल्हे ऊपर उठा देती थी, जब उसकी चूत की गहराई में मेरी उंगली जाती तो तड़प उठती, मुझे उसको तड़पना बहुत अच्छा लग रहा था।

कुछ देर ऐसा करने के बाद मैंने उसकी ब्रा उतार दी, ब्रा के खुलते ही उसके बूब्स मेरे हाथों में आ गए, उसकी चूचियाँ उत्तेजना के कारण बहुत सख्त हो चुकी थी, मैं उसकी नग्न हो चुकी चूचियों को अपने दोनों हाथो से पकड़ कर सहला और दबा रहा था और फिर मैं उसके निप्पलों को बारी बारी चूसने लगा, वो बैठी हुई थी और मैं उसके बूब्स चूस रहा था।

सुनीता अपनी चूचियाँ चुसवाते हुये मेरी कमीज के बटन खोलने लगी, उसने मेरी कमीज और मेरी बनियान उतार दी, उसके बाद फिर से मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए, अब उसके बूब्स मेरे छाती से चिपके हुए थे, उत्तेजना के कारण उसके बूब्स की निप्पल तन गए थे, उसके तने हुए निप्पल में अपनी छाती पर महसूस कर रहा था, मैंने उसके होंठ चूसते हुए उसको बेड पर लिटा दिया और फिर उसकी पैंटी को भी उतार दिया, उसकी पेंटी को उतार कर उसकी चूत को अपने हाथ से सहलाने लगा। अब वो मेरे सामने बिना कपड़ों के बिल्कुल नंगी बेड पर पड़ी थी, अब तक वो कुछ ज्यादा ही गर्म हो गई थी।

सुनीता ने मेरे लंड को मेरे अंडरवियर से बाहर निकाला और पकड़ कर दबाने लगी, मेरा लंड जोकि पहले से ही खम्बा बना खड़ा था, फिर उसने मेरा अंडरवियर भी उतार दिया, अब हम दोनों जन्मजात नंगे थे, इतनी देर से हम दोनों चुपचाप यह सब कर रहे थे, पर अब सुनीता को बर्दाश्त नहीं हो रहा था, तो उसने ख़ामोशी को तोड़ते हुए कहा- साजन, क्यों मुझे इतना तड़पा रहा है, कुछ कर न जल्दी से, मेरी चूत अपना लंड डाल कर मुझे चोद दे, मुझसे अब नहीं रहा जा रहा।इतना कहते हुए सुनीता ने मुझे अपने ऊपर खींचने लगी, मैंने भी अब देर करना मुनासिब नहीं समझा और मैं उसके ऊपर आते हुए बोला- जान, अभी तो पूरी रात पड़ी है।



जैसे ही मैं उसके ऊपर आया, उसने अपने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर टिकाया और नीचे से अपने चूतड़ उछाल दिए, सुनीता ने लंड को बिल्कुल सही जगह लगाया था तभी तो उसकी गांड उछालते ही मेरे लंड का सुपारा उसकी चूत में समां गया, उसके मुँह से ‘अआह्ह म्म्मम्म्म्मा’ निकल पड़ा।

मैंने भी देर न करते हुए एक करारा धक्का सुनीता की चूत पे दे मारा ‘उई… माँ… आह.. ऊऊऊउईईईईईइ मेरा लंड आधे से ज्यादा उसकी चूत में चला गया था।

सुनीता ने अपने दोनों हाथों को मेरे चूतड़ों पर रखा और अपनी तरफ़ खींचते हुए बोली- जान मज़ा आ गया तेरे साथ !

इतना सुन कर मुझे और जोश आ गया और फिर एक और करारा शार्ट मारा, शायद इस बार सुनीता भी पहले से ही तैयार थी, उसने भी अपने चूतड़ ऊपर की और उछाल दिए और फिर ‘आईईइ ऊऊओह्हह्ह म्म्माआआअ’ पूरा लंड उसकी चूत में समां गया, सुनीता के चेहरे पर कुछ पीड़ा के और उससे ज्यादा ख़ुशी के मिलेजुले भाव नजर आ रहे थे।

कुछ देर मैं उसके ऊपर ऐसे ही लेटा उसके वक्ष के उभार चूसने लगा, सुनीता न जाने पहले ही कितनी बार चुद चुकी थी, पर अब भी उसकी चूत में बहुत कसावट ऐसी थी कि वो जैसे पहले कभी उसकी चुदाई ही नहीं हुई हो, इतनी कसी चूत पाकर मेरा लंड भी धन्य हो गया था।

कुछ देर बाद सुनीता अपने चूतड़ नीचे से ऊपर को उछालने लगी तो मैं समझ गया कि सुनीता अब मुझे दनादन चोदने का इशारा कर रही है, सुनीता ने अपनी टाँगें हवा में ऊपर उठा ली, उसने चुदाई के लिए पूरा मैदान साफ़ कर दिया था।



फिर मैं सुनीता की चूत पर ताबड़तोड़ धक्के लगाने लगा, अपने लंड को आगे पीछे करते हुए मैंने अपनी गति बढ़ा दी, वो भी नीचे से अपनी गांड उछाल कर मेरा साथ देते हुए चिल्लाने लगी- साजन फाड़ डालो मेरी चूत को, डाल दो अपना पूरा लंड मेरी चूत में ह्ह्नाआआअ ऐसे ही म्म्म्मुह्ह्हा !

मैं जोर जोर से उसकी चूत पर धक्के मारने लगा और उसकी एक चूची को मुँह में डालकर चूसता भी जा रहा था, वो मेरे बालों में हाथ फेरते हुए मेरी गर्दन और मेरे कंधे को चूम रही थी।

कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाल लिया और सुनीता को देखने लगा, सुनीता ने मुझे पकड़ कर मेरे होंठ चूमने लगी और अपनी गांड को पूरा हवा में उठा कर फिर से मेरे लंड को अपनी चूत के अन्दर ले लिया, फिर मैं भी उसके होंठ को चूमते हुए उसकी चूत पर ताबड़तोड़ धक्के मारने लगा, उसके मुँह से निकलने वाली सिसकारियों ऊऊ ऊऊऊ ऊई ईई ईम्म्म्माआआअ से पूरा कमरा संगीतमय हो चुका था।

कुछ देर बाद सुनीता मेरे ऊपर आ गई और मैं उसके नीचे, वह मेरे लंड को पकड कर अपनी चूत पर सेट कर के मेरे लण्ड पर बैठ गई और फिर वो जोर जोर से उछलने लगी, वो निरंतर मेरे होंठ चूसे जा रही थी। अभी उसको दो मिनट ही हुए थे, वो अपनी चूत से मेरा लंड निकाल कर मेरी टांगों के बीच घुटने के बल बैठ गई और फिर मेरे लंड को अपनी होंठों के बीच रख कर चूसने लगी, वो मेरा पूरा लंड अपने मुंह के अन्दर तक ले रही थी, सुनीता की इस क्रिया से मुझे असीम आ्नन्द मिल रहा था।

उसको ब्यान करने के लिए मेरे पास उस वक़्त शब्द ही नहीं थे, मैं उसको अपना लंड चूसते हुए देख बहुत ही रोमांचित हो रहा था, कुछ ही देर बाद उसने अपने मुँह से लंड निकला और वो मेरी गोदी में दोनों तरफ पैर करके मेरे खड़े लंड पर बैठ गई, मैंने अपना एक हाथ बेड पर पीछे रखा हुआ था बैलेंस के लिए, और एक हाथ से उसकी कमर को पकड़ा हुआ था, वो मेरे लंड पर ऊपर नीचे उठ बैठ रही थी और मैं नीचे से ऊपर को उसकी चूत पर आहिस्ता आहिस्ता धक्के लगा रहा था।

सुनीता कभी मेरे गाल, कभी मेरा कन्धा चूम रही थी, उसने अपने हाथों से मुझे कस कर जकड़ लिया और मेरे कंधे पर अपने दांत से काटते हुए बहुत ही तेज अप्ने चूतड़ ऊपर नीचे उछालने लगी, शायद वो एक बार फिर झड़ने वाली थी, उसकी चूत से गर्म गर्म लावा बह निकला और उसने अपनी गांड भी उछालनी भी बंद कर दी थी पर मैं नीचे से निरंतर रूप से धक्के लगाता रहा और वो स्थिर हो कर झड़ने का पूरा पूरा आनन्द लेने लगी, फिर उसके बाद वो मेरे होंठ चूमते हुए बोली- साजन, अब मैं बहुत थक गई हूँ, अब तुम भी अपने लंड का पानी निकल लो जल्दी से।


मैंने सुनीता से कहा- जान, मेरा तो अभी हुआ ही नहीं है।

मैंने उसे कहा- तुम घोड़ी बन जाओ, इससे तुमको भी आराम मिलेगा और मुझे भी !

वो तुरंत घोड़ी बन गई, उसके चूचे नीचे की ओर लटक रहे थे, मैंने उसकी कमर पर हाथ फेरा और कमर को चूमते हुए अपना लंड उसकी चूत पर टिका के जोरदार धक्का मारा, मेरा आधा लंड उसकी चूत में समां गया था, फिर मैंने उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथ से पकड़ कर मसला और जोर से दबाते हुए उसकी चूत पर फिर से धक्का मारा।

‘ऊऊऊऊईई ईईम्म्म्माआआ आआआअ’ मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस चुका था।

सुनीता मुझसे कहने लगी- आज तुमने मेरी चूत का भोसड़ा बना डाला है, तुम तो मुझे ऐसे चोद रहे हो कि जैसे मैं तुम को दुबारा नहीं मिलूँगी।

मैंने कहा- यह बात नहीं है मेरी जान, जब चुदाई हो तो तरीके से हो।

और इतना कहते हुए मैंने उसकी चूची को पकड़ कर उसको ऊपर की तरफ उठा दिया, जिससे वो अब घुटने के बल बैठी हुई थी और मैं पीछे से उसको चोदे जा रहा था, चुदते हुए उसके बाल उसके चेहरे पर आ गए थे, मैंने उसके चेहरे से बाल हटाये और उसके होंठ से अपना होंठ लगा कर उसको चुमते हुए उसकी चूची दबाये जा रहा था।

एक समय में तीन तीन क्रिया को अंजाम दे रहा था मैं, सच में इस स्टाइल में करने का एक अलग ही मज़ा था, मेरे लंड से अब मुझे कुछ निकलता हुआ महसूस होने लगा था, सुनीता की चूत से भी ढेर सा पानी निकल कर मेरे लंड के इर्दगिर्द बह रहा था मेरा निकलने वाला ही था तो मैंने सुनीता को बोला- मेरा होने वाला है !

तो सुनीता बोली- बस करते रहो, मेरा भी हो रहा है।

और फिर चार पांच धक्के मारते ही मेरे लंड ने अपना लावा सुनीता की चूत में उगल दिया और उसकी चूत भी अपना पानी छोड़ चुकी थी, सुनीता मुँह के बल बिस्तर पर लेट गई और मैं उसके ऊपर।



हम दोनों एक साथ झड़े, मैं अपना लंड सुनीता की चूत में डाले हुये ही उसके ऊपर लेट गया, कुछ देर हम ऐसे ही लेट रहे क्योंकि हम बहुत ज्यादा थक गए थे, फिर कुछ देर बाद हम उठे और बाथरूम गए, हमने एक दूसरे को साफ़ किया और फिर बेड पर पहुँच कर एक दूसरे की बांहों लेट गए, सुबह होने तक मैंने सुनीता को तीन बार चोदा, हमने पूरी रात बस चुदाई ही की।

जब सुबह हुई तो सुनीता और मैं साथ साथ नहाये फिर उसके बाद उसने चाय नाश्ता बनाया फिर हमने नाश्ता किया, उसके बाद सुनीता मुझसे बोली– साजन रात मुझे बहुत मज़ा आया ! जो मेरी चाहत थी वो तुमने रात पूरी कर दी और यह रात जो हमने साथ गुजारी है वो मेरे जन्मदिन का सबसे नायाब तोहफ़ा है जिसे मैं जिंदगी भर याद रखूँगी और जब भी मौका मिलेगा, हम ऐसे ही मौजमस्ती करेंगे।

मैंने भी उसके चूतड़ दबाते हुए कहा- सच जान, मुझे भी बहुत मज़ा आया !

और फिर सुनीता अपने घर चली गई।

सुनीता की जब तक शादी नहीं हुई, तब तक जब भी हमें मौका मिलता तो हम दोनों चुदाई के इस हसीं खेल में डूब जाते। दो साल तक मैंने सुनीता की अनेक बार चुदाई की, हर चुदाई में कुछ न कुछ नया होता था, ये दो साल कैसे बीत गए पता ही नहीं चला, उसके बाद सुनीता की शादी हो गई, फिर उसके बाद मैंने सुनीता से सम्पर्क तोड़ दिया क्योंकि अब उसकी एक अलग दुनिया थी, सुनीता मुझे कई बार मिली और कहने लगी ‘मुझे अपने पति के साथ बिल्कुल भी मज़ा नहीं आता।’ उसने बहुत कोशिश की, मैं उसकी चुदाई करूँ

पर अब नहीं, मेरा दिल गवाही नहीं देता क्योंकि अगर किसी को जरा भी भनक लग गई हम दोनों के बारे तो उसकी जिंदगी तबाह हो जाएगी और उसका बसा बसाया जहाँ बर्बाद हो जायेगा।

मैं नहीं चाहता कि उसकी जिन्दगी तबाह हो, मेरे काफी प्रयास के बाद उसकी समझ में आ गया पर सुनीता ने मुझसे कहा- साजन, मैं तुम्हारी सारी बात मानूँगी, पर तुमको भी मुझसे एक वादा करना होगा।

मैंने सुनीता से कहा- क्या जान?

सुनीता बोली- जब कभी तुम जीवन किसी मोड़ पर अकेले रह जाओ तो तुम मेरे पास ही आना, मैं तुम्हारे साथ कल भी थी, आज भी हूँ और हमेशा रहूँगी, मुझे भूल मत जाना।

मैंने सुनीता से कहा- ठीक है, मैं वादा करता हूँ कि कभी जिन्दगी मैं ऐसा वक़्त आया तो मैं तेरे पास आ जाऊँगा।

शायद सुनीता भी मुझसे बहुत प्यार करने लगी थी पर दोस्तो, मैं तो सुधा प्यार से प्यार करता था और अब भी करता हूँ, अब सुनीता अपने पति के साथ सुखी है, अब उसके दो बच्चे भी हो गये हैं।

यह थी मेरी और सुनीता की कहानी जो ‘साजन का अधूरा प्यार’ में अधूरी रह गई थी। दोस्तो, आपको आपके सभी प्रश्नों के जवाब मिल गए होंगे, मैंने आप को पहले भी बताया था कि मैं कोई राईटर नहीं हूँ, और न ही मुझे लिखना आता है, बस एक छोटी सी कोशिश की है अपनी कहानी आप तक पहुँचाने की, अगर इसमें कुछ कमी रह गई हो तो मुझे जरूर बतायें, तभी तो मैं उनको सुधार पाऊँगा।