मेरी गाण्ड-गाथा – Gay sex

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प्रणाम पाठको, मेरे आशिको, लो आप की तम्मना दिल खोल कर पूरी कर रहा हूँ, सब शिकायत दूर कर दे रहा हूँ, बस आप सब मुझे ईमेल करते रहना, जिनको मेरी गांड चाहिए, वो लोग अपने जगह, उम्र, लंड का आकार लिख कर मेल करें। पंजाब में रहने वालों को पहल के आधार पर गांड दूंगा।

मेरी पिछली चुदाई वकील मिश्रा से हुई थी, बुड्ढे मिश्रा की पॉवर मेरी गांड ने देख ली थी। लेकिन उससे चुदवाते चुदवाते जब मेरी नज़र मुंशी हरिराम के खड़े लंड पर गई, बस मैं उस पर मर मिटा, उसका लुल्ला था, ना कि लुल्ली ! मोटा भी था।

बस क्या था कि मैं बहाने से नंगा बाहर गया, मुंशी ने मुझे दबोच कर मसल दिया, फिर दुबारा उसने मुझे पकड़ लिया। वो मुझे वहीं चोदना चाहता था, उसने सोचा कि मिश्रा थक कर सो गया। उसने मुझे दुबारा कपड़े खोलने को कहा ही था, अभी कुछ करने वाले थे कि बुड्ढे की आवाज़ से हम अलग हो गए। मैं उसको अपना नंबर दे कर, उसका नम्बर लेकर वहाँ से निकल आया। घर आकर मुझे बार बार हरी का लंड दिखने लगा था, क्या लंड पाया था उसने !


शाम को उसका फ़ोन आया। उसने मुझे कहा- तुम रहते कहाँ हो? अभी आता हूँ कार लेकर ! उसमें कुछ मस्ती करेंगे।

वो आ भी गया, एक खाली सड़क पर जाकर मैंने उसके लंड को जम कर चूसा, उसका रस निकाल दिया। वो गदगद हो उठा और मुझे चोदने को तड़पने लगा। मैंने दुबारा खड़ा करना चाहा ही था कि शीशे से उसने दूर से आ रही पेट्रोलिंग गाड़ी देखी और हम अलग हुए। उसने कार भगाई और मैंने कपड़े पहने। मिलन अधूरा रह गया था।

अगली सुबह उसने कॉल करके कहा- बुड्ढा आज शहर में नहीं है, मैं अकेला रहूँगा चैंबर में ! तुम ग्यारह बजे आ जाना !

मैं ठीक समय पर वहाँ पहुँच गया, उसने दरवाज़ा लॉक करके मुझे पिछले कमरे में ले जाकर बिस्तर पर पटका, एक एक करके मुझे उसने नंगी कर दिया।उसने मेरे निप्पल जमकर चूसे, लाल कर दिए, दांतों के निशाँ मुझे निशानी के तौर पर गिफ्ट किये। उसने मेरी नाभि जमकर चूमी, मेरे रसीले होंठ चूसे।

मैंने उसको झटका देकर पीछे हटाया, अपनी जगह उसको लिटाया और उसके कपड़े उतारे, अंडरवियर उतार कर सुपारा होंठों में छुपा लिया, धीरे धीरे उसका लंड पूरा चूसना मुश्किल होने लगा, पूरे आकार में आ चुका था।

उसने कहा- आज तेरी गांड फाड़ दूंगा !

मैंने कहा- है तो काफी मोटा ! तेरे लिए दर्द सह लूँगा लेकिन इसको मैं हैंडल करुँगी !

मैंने ढेर सारा थूक उस पर थूका, कुछ उंगली से लगा अपने छेद पर लगाया, उंगली घुसा कर अंदर भी लगाया और दोनों टाँगें चौड़ी करके उसके सुपारे को सही जगह रख नीचे बैठने लगा।


घुसते वक़्त दर्द हुआ, लेकिन उसको मजा आया था। धीरे धीरे करके मैंने उसका लंड पूरा अंदर ले लिया और फिर कुछ देर रुक कर उठना बैठना चालू किया और उसका लंड मजे से घुसता-निकलता जा रहा था, कोई दर्द नहीं रह गया था।

“बोल साली, अब मुझे हैंडल करने दे ! स्टेयरिंग तो मेरा है !” उसने मुझे पलट कर नीचे लिटाया, लड़की की तरह चूतड़ों के नीचे तकिया लगाया और छेद पर रख दिया। मैंने नाग की तरह उसकी कमर को लपेट लिया और उसने लंड पेल दिया। जोर जोर से चोदने लगा, हाय ! मैं सिसकारियाँ ले ले कर ‘हाय राजा ! बहुत अच्छा ! और करो ! फाड़ दो !’ बोल कर चुदने लगा। हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना डॉट कॉम पर !

उसका जोश बढ़ने लगा। करीब दस मिनट या कुछ पहले उसने मेरी गाण्ड को रस से भिगो दिया और ऊपर ही चित्त होकर हांफने लगा। कुछ देर में उसका फ़िर खड़ा होने लगा तो मैंने मुँह में लेकर उसको पूरा खड़ा कर दिया और अबकी बार उसने मुझे घोड़ी बनाया और लंड पेलने लग गया। उसकी जांघें जब चूतड़ों से टकराती तो एक मधुर आवाज़ पैदा होती जो मुझे और गर्म कर रही थी।

काफी देर वैसे चोदने के बाद उसने मुझे उल्टा बैड पर लिटाया और लंड डालने लगा। इस तरह से गांड कसी थी, मुझे तकलीफ हुई लेकिन हरामी ने नहीं छोड़ा और पेलने लगा।

कुछ देर बाद मुझे खड़ा किया, दीवार से हाथ लगा गांड को झुकाने को कहा। करीब बीस पच्चीस मिनट उसने मुझे मजे से चोदा और हम दोनों खुश होकर एक दूजे को चूमते हुए अलग हो गए और दुबारा मिलने का वादा करके अलग हुए।

मैं कपड़े पहन कर बाहर निकला कि सामने चैंबर वाला मुझे देख घूर रहा था।

मैंने उसकी आँखों में आंखें डाल दी।

वो मुस्कुराने लगा।

“क्या घूर रहे हो? मैं कोई लड़की हूँ?”

“साली एक घंटा अंदर लगा कर आई है। वो भी आज मिश्रा नहीं है !’

“आज नहीं, फिर कभी !”

उसने नंबर थमा दिया और मैं वहाँ से निकला।

यह थी मिश्रा के बाद उसके मुंशी के साथ मेरी गाण्ड-गाथा !