खैर तेज़ झटकों के साथ मैंने पूरे का पूरा पानी उसकी चूत में डाल दिया, फिर उसके ऊपर यूँ ही पसर गया।
मैंने पूछा- तुम संतुष्ट हो ना?
तो वो बोली- मैं दो बार फ्री हुई हूँ।
मैंने उसे बोला- तुम बाथरूम जाकर साफ कर आओ, फिर से एक राउंड लगायेंगे।
सच बोलूँ तो सबसे लम्बा राउंड दूसरा राउंड ही होता है लेकिन अगर सुकून से करो तो पहला राउंड भी काफी लम्बा हो जाता है, हम अक्सर जल्दबाज़ी के चक्कर में मजा खो देते हैं और अगर सुकून से करो तो फटी हुई चूत भी आपको जन्नत का मजा दे सकती है।
फिर वो बाथरूम जाकर वापस आई तो बोली- थोड़ी देर आराम करते हैं, फिर अनुभूति के आने से पहले एक राउंड और लगा देना प्लीज़।
मैंने उसे कहा- जब तुम्हारी दो साल में इतनी चुदासी सी हालत हो गई है तो बिना चुदे अनुभूति की क्या हालत होगी।
तो हेतल बोली- तुम अनुभूति के साथ भी कुछ पल बिता सकते हो, ठीक ऐसे अन्तरंग पल जैसे मेरे साथ बिताये हैं। हम दोनों एक दूसरे की प्यास आपस में ही मिटाती हैं। पहले हम दोनों अहमदाबाद में रहती थी तो एक लड़का था जिसे हम कुछ पैसे दिया करते थे, वह आकर हर एक दिन हम दोनों को संतुष्ट कर जाता था पर पिछले एक साल से हम अहमदाबाद से 500 किमी दूर हैं और यहाँ किसी पर भरोसा नहीं कर सकते। आपको देख कर लगा कि बस अब तड़पना काम हो जायेगा।
मैं सुनता रहा फ़िर पूछा- अनुभूति की शादी नहीं हुई और वो खेली खायी लगती है?
तो वो बोली- करना पड़ता है लव, 4 दिन नहीं करोगे, 5 दिन नहीं करोगे, आखिर इच्छा तो होती ही है और उम्र भी इतनी है कि बस नैतिकता जैसी बातें बेकार सी लगती हैं।
मैंने कहा- ठीक है, मैं उन्हें भी चोदूँगा, उनके घर आज रात मेरे रुकने का बंदोबस्त कर दो, शाम तक तुम्हें चोदता हूँ, रात को उन्हें चोद लूँगा। क्या करें साहब, लंड है कि मानता नहीं।
ऐसा सुन कर वो कमरे से बाहर गई और दस मिनट बाद लौटी, कहने लगी- अनुभूति से बात हो गई है, उनके पापा भी आज बाहर गए हैं तो रात आप उनके फ्लैट पर ही रुक जाना !
मैं अनकही बात को समझने लगा था, मैंने कहा- ठीक है, अब मेरा लंड फिर से तैयार हो गया है, चलो आ जाओ।
अबकी बार मैंने उससे पूछा- तुम्हारे फ्रिज में कुछ ठंडा सा है?
तो वो बोली- तुम ही देख लो।
मैं हेतल को जन्नत दिखाने का वादा करते हुए खड़ा हुआ और फ्रिज से दही, कुल्फी, जैम और चोकलेट सीरप ले आया।
हेतल बोली- क्या मूड है लव?
मैंने अपने अंदाज़ में कहा- डोंट वरी, किचन नहीं खोलनी तुम्हारी चूत में मुझे। जन्नत में जाने का प्रबंध करने गया था।
फिर उसे बोला- कुछ मत बोलना बस अब महसूस करो।
और उनकी गांड के नीचे दो तकिये लगा कर दोनों टांगें अपने कन्धों पर लेते हुए दो उँगलियों को दही से भर के चूत मैं तब तक दही भरता रहा जब तक कि कॉफ़ी कलर की चूत सफ़ेद न दिखने लगी।
सच बता रहा हूँ ऐसे मूड में जब गोरी गोरी जांघें और उसके बीच भूरी चूत पर लगा सफ़ेद दही ऐसा लग रहा था मानो कोई पेंटर जीवंत पेंटिंग करना चाहता हो।
बहरहाल बकचोदी छोड़ के मुद्दे पर आते हैं, मैंने अपनी जीभ हेतल की चूत पर रख के चाटना शुरू किया। धीरे धीरे जीभ को उसकी चूत और उसके दाने पर रगड़ते हुए मैंने अपनी जीभ हेतल की चूत पर रख के चाटना शुरू किया। धीरे धीरे जीभ को उसकी चूत और उसके दाने पर रगड़ते हुए दही को अपनी जुबान से चाटने लगा, सच बता रहा हूँ आपको, दही का स्वाद मानो हज़ार गुना बढ़ गया हो और थोड़ी देर बाद जब उसकी सिसकारियों के साथ चूत से जो पानी का रिसाव चालू हुआ तो अनुभव आप सोच नहीं सकते कि कैसा रहा होगा। जब उसके पानी का रिसाव दही मैं मिक्स हो रहा था और मैं और ज्यादा मजे से चाटने लगा तो वो स्वाद मैं आपको बयां नहीं कर सकता। बस ऐसा लग रहा था कि दही में कोई नमकीन शरबत घोल कर चाटने को दे रहा हो।
वो इस दही की चटाई में ही दो बार झड़ चुकी थी और मैं था कि उस एहसास का अनुभव करना चाहता था जब औरत की चूत का सारा दम निकल जाये और हमारा सब्र तब भी जिन्दा हो ताकि सुकून से चुदाई का मजा लिया जा सके।
फिर मैंने जैम को उसकी चूत पर अच्छे लगा कर कुल्फी जो फ्रिज से हाल ही में निकाल के लाया था उसकी चूत में घुसाने लगा, चूत की गर्मी को कुल्फी की ठंडक से शांत करने के लिए ३० सेकिंड कुल्फी चूत में डालता और जब ठंडी ठंडी कुल्फी गरम गरम चूत में जाकर पिघलती तो उसे जीभ से अन्दर तक डाल कर चाटने लगता। पूरी कुल्फी और जैम मैंने चाट चाट के समाप्त कर दिए और हेतल की हालत ऐसी हो गई कि किसी ने चूत की गहराई में छिपा हुआ पानी का एक-एक कतरा निकाल लिया हो। वो मुझ से चुदाई की भीख मांगती रही- जान निकल जायेगी मेरी, प्लीज़ लंड डाल दो अब।
उसकी कमर के झटके पिछले 30 मिनट से लगातार चल रहे थे। फिर मैंने चूतनगरी छोड़ कर बोबों पर निगाहे डाली। बोबों पर चोकलेट सीरप डाल के उन्हें 5 मिनट तक चाटता रहा।
फिर वो बोली- अब मुझमें जान नहीं बची है, जो करना है जल्दी कर लो !
तो मैंने अपना लंड जो इतना भीग चुका था कि किसी लुब्रिकेंट की जरूरत नहीं थी, को चूत पर रखा और चूत जो चाटने की वजह से नर्म होकर गीली हो चुकी थी वो तुरंत ही गप के साथ लंड को पूरा अपने में समां ले गई।
चुदाई के धक्के फिर से लगने लगे। क्योंकि मेरा यह दूसरा राउण्ड था तो मैं लगभग 20 मिनट फिर से सुकून से चुदाई करता रहा और जब पानी निकलने लगा तो उसके मुँह में निकाल दिया। वो भी पानी को इतना ही स्वाद लेकर पी गई जितना स्वाद लेकर मैं उसकी फ़ुद्दी चाट रहा था।
हम दोनों अलग हुए और थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहे।
मैं सोच रहा था कि अभी तो दूसरी मैडम की पूरी रात चुदाई करनी है, यह सोच कर ताकत के लिए थोड़ा जूस मंगवाया और पीकर तैयार हो गया।
हेतल भी खिली खली नजर आ रही थी मानो असली चुदाई के बाद खिल गई हो।
सच कहते हैं कि चुदाई के बाद दिल और दिमाग भी एकदम टेंशन फ्री हो जाते हैं। ऐसा ही मुझे लग रहा था।
फिर हेतल से मैंने अनुभूति के बारे में पूछा कि वो फ्री हुई या नहीं?
उसने मुझे अनुभूति के फ्लैट पर छोड़ आने की बात कह कर कार निकाली और हम चल दिए अनुभूति के घर की तरफ…
उसने कहा- मेरी एक शर्त है !
मैंने कहा- क्या?
तो वो बोली- तुम्हें मेरा मूत पीना पड़ेगा, वो भी चाट चाट कर !
मैंने कहा- ठीक है !
मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर लगाई और धीरे धीरे जीभ को अन्दर बाहर करने लगा और वो धीरे धीरे थोड़ा-थोड़ा पेशाब मेरी जीभ पर छोड़ती गई।
सही बता रहा हूँ कि मजा आ गया ! जो टेस्ट आ रहा था उससे मेरी कामोत्तेज़ना और बढ़ गई। उसने सिसकारियाँ लेनी चालू कर दी थी- आःह्ह ऊई उई ईई हुम अह्ह्हह !
और चूत से चिकना चिकना पानी पेशाब और मेरी जीभ तीनों एकजुट हो चुके थे। मैं सब कुछ पी गया और चिकनी चूत पर लंड टिका के धीरे धीरे अन्दर डालने लगा।
अकसर हम कहानियों में पढ़ते हैं कि उसने एक झटके से लंड डाल दिया।
लड़की हो या औरत, एक झटके में डालने से उसे थोड़ा दर्द होता ही है।और वो साथ देने लगी, जब पूरा अन्दर दाल दिया तब मुझसे बोली- आपने कंडोम नहीं लगाया?
मैंने कहा- मैं लाया नहीं हूँ।
फिर वो बोली- होने को तो मेरे पास पड़े हैं कंडोम, मगर अब मजा आ रहा है, छोड़ कर नहीं जा सकती, तुम अन्दर ही निकाल देना, मैं पिल खा लूँगी।
मैंने कहा- ठीक है।
फिर बोली- रात भर जब भी करो अन्दर ही निकालना !
मैंने कहा- ओके !
और धीरे धीरे झटके देता रहा। उसकी आवाज़ बढती जा रही थी अह अहह उई ईईई हुम्म्म उई हुम्म्म ईई हम्म तेज्ज करो नाआ आ !
साथ ही लंड की चिकनी चूत में जाने की गप्प गप्प की आवाज़ आ रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने उसकी कमर पकड़ कर पूरा लौड़ा अन्दर घुसा कर तेज़ झटके दिए और सारा माल उसकी चूत के अंतिम गहराई में डाल दिया।
वो भी शांत हुई और हम दोनों शावर में नहा कर एक दूसरे के अंगों को सहलाते रहे, फिर दोनों एक ही तौलिये में लिपट कर बाहर निकले और मैं जैसे ही कपड़े पहनने जाने लगा, वो बोली- रहने दो ना ! आज रात कोई जरूरत नहीं है इस दायरे की।
हम दोनों नंगे ही बैठ कर खाना खाने लगे।
खाना खाकर मैं बिस्तर पर लेट गया, वो बोली- मैं नीचे के साफ़ बाल करके आती हूँ, रात को तकलीफ नहीं होगी।
अनु बाथरूम में चली गई, थोड़ी देर बाद जब वो बाहर आई तो उसके गोरे बदन पर काली चूत की कालिमा जा चुकी थी और उसकी जगह भूरे रंग के छोटा सा दाना लिए हुए शानदार चूत थी।
चूत तो वाकई शानदार और डबल रोटी की तरह फूली हुई लग रही थी, मैं देर न करते हुए तुरंत ही उसकी चूत को किस करने के लिए आगे बढ़ गया। उसकी चूत को देखते ही फिर से चूत में रसोई खोलने का विचार बन गया।
अपना क्या था, उससे बोला- घर में शहद और रूहअफजा है?
वो बोली- हाँ है।
मैंने तुरंत उससे दोनों चीजें मंगवा ली। मैंने उससे पूछा- क्या पसंद है?
वो बोली- मैं रूहअफजा के साथ तुम्हारा लंड चूसना चाहती हूँ।
मैंने तुरंत लंड को रूहअफजा में नहलाया और उसकी चूत में अन्दर तक शहद और रूहअफजा को ऊँगली से तर किया और 69 की स्थिति में लेट गए, दोनों ने चुसाई चालू की।
मेरे लंड का पानी और रूहअफजा का स्वाद उसे जन्नत का एहसास करवा रहा था और मैं चूत को पूरा स्वाद लेकर चाट रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने कहा- मैं अब चुदाई का इच्छुक हूँ।
तो जैसे कि वो तड़प रही थी और पानी का आलम इस तरह बहा चुकी थी कि बेडशीट पर लग रहा था कि किसी ने चाशनी गिरा रखी हो।
मैंने तुरंत ही भीगा हुआ लंड उसकी साफ़ चिकनी भीगी हुई चूत पर रखा तो लंड ने अपना रास्ता खुद ही ढूंढ लिया और गप्प की आवाज के साथ अन्दर घुस गया।
हमारे झटके पुरजोर चलते रहे, वो नीचे से खुद भी झटके देकर बराबर का साथ दे रही थी और भांति भांति की कामुक आवाज निकाल रही थी।
अंततः उसने मुझे कमर से जोर से पकड़ा और मेरे लंड के ऊपर इस तरह जोर लगाने लगी कि मुझे लगा कि आज तो मेरे आण्ड भी चूत की सैर कर लेंगे।
और चूत से कुछ रिसाव जैसा महसूस हुआ जो गर्म था।
मैंने, जैसे कि मैं चूत चाटने का शौकीन हूँ, तुरंत ही लंड निकाल कर मुँह में पूरे रस को चाट लिया और फिर से अपना लौड़ा उसकी चूत पर रगड़ दिया, पूरा माहौल मस्त था, फिर लंड को उस अद्भुत पानी में और नहलाया और पेल दिया चूत में !
तेज़ झटके के साथ मैं भी झड़ गया। पूरी रात ऐसा ही चटाई-चुदाई का माहौल बनता रहा। तीन ट्रिप के बाद मैं थक गया और सुबह जल्दी उठ कर उसे एक ट्रिप का आनंद देकर मैं वहाँ से चला आया।
वो आज भी मुझे कॉल करती है मगर अब मन करता है की किसी ऐसी महिला की प्यास बुझाऊ जो वाकई जरूरतमंद हो।