मैं एक इन्टरमीडिएट कालेज में अध्यापिका हूं। ये मात्र १२ वीं कक्षा तक का कालेज है। शाम को अक्सर मैं अपनी सहेली के साथ भोपाल ताल के किनारे घूमने निकल जाती हूं। ऐसे ही एक दिन मैं अपनी सहेली के साथ ताल के किनारे घूम रही रही थी। १२वीं कक्षा की एक छात्रा और एक छात्र मिल गये। ये दोनो मेरी कक्षा में नहीं थे। दूसरे सेक्शन में थे।
मैने उनसे उनका नाम पूछा तो उन्होंने अपने नाम सोनल और किशोर बताए।
सोनल ने मुझे कहा कि उसे बायलोजी विषय में कुछ पूछना है।
मैने उसे कहा कि कल घर आ जाना, मै बता दूंगी। किशोर और सोनल दूसरे दिन घर पर आ गये।
मुझे लगा कि इनकी प्रोब्लम कुछ और ही है। मैंने पूछा- “सोनल ये किशोर तुम्हारा दोस्त है क्या…?”
“हां मैम … इसे भी आपसे कुछ पूछना था…” वो कुछ शरमाती सी बोली।
मैं एकदम भांप गई कि मामला प्यार का है।
“या कुछ और बात है… कह दो…मैं भी तुम्हारी उम्र से गुजरी हूं” मैने अंधेरे में तीर छोड़ा। पर सही लगा…
“हां… मैम वो… हम तो आपके पास इसलिए आये थे कि हम दोनों ज्यादा से ज्यादा समय साथ रहे !… प्लीज मैम नाराज मत होना…” उसके चेहरे से लगा कि वो मुझसे विनती कर रही हैं।
“पर ये कोई मिलने की जगह है?”
“मैम वो … निशा मैम ने बताया था कि आप हमें मदद कर देगीं……”
ओह तो ये बात है… निशा भी अपने बोय फ़्रेंड के साथ एक बार चुदवाने आई थी तो मैने भी उसी से चुदवा लिया था। मेरे मन में भी एक हूक सी उठी… ये दोनो अपनी जिस्म की प्यास बुझाने आये हैं … क्यों ना मैं भी इस बात का फ़ायदा उठाऊं।
“तो तुम मिलना चाहते हो… मेरा क्या फ़ायदा होगा इसमें…” मैने तिरछी निगाहों से उसे परखा।
“मैम मुझे मालूम है … निशा जी ने मुझे सब बता दिया है… इसीलिये तो मैने आपसे सब कह दिया … आपकी सारी शर्तें इसे भी और मुझे भी मन्जूर है…” उसने अपना सर झुकाये सारी बातें मान ली।
“तो ध्यान रहे…शर्तें… कल दिन को स्कूल के बाद सीधे ही यहां आ जाना…” मैने उसे मुस्कुराते हुए कहा।
सोनल खुशी से उछल पड़ी… मैने सोनल को चूम लिया…
मैने कहा-“किशोर तुम भी आओ जरा…”
मैने किशोर के होंठ पर एक गहरा चुम्मा ले लिया… मेरे बदन में तरावट आने लगी… किशोर ने भी जोश में मुझे किस कर लिया।
दूसरे दिन किशोर और सोनल स्कूल में मेरे चक्कर लगाते रहे… मैं उन्हें मीठी सी मुस्कान दे कर उनका हौंसला बढ़ाती रही… सच तो ये था कि मेरी चूत में भी कुलबुलाहट मचने लग गई थी… सोच सोच कर ही रोमांचित हो रही थी कि १९ साल के जवान लड़के के लन्ड से चुदवाने को मिलेगा।
मैने स्कूल से आते ही एयर कंडीशन चला दिया। लंच करके मैं आराम करने लगी। मैं जाने कब सो गई।
अचानक मुझे लगा सोनल ने मेरे हाथ पकड़ लिए और किशोर ने मुझे उल्टी लेटा कर मेरी चूतड़ की फ़ांकों को खोल दिया और अपना लन्ड मेरी गान्ड में घुसाने लगा। पर उसका लन्ड छेद में घुस ही नही रहा था। वो बहुत जोर लगा रहा था… मेरी गान्ड में इस जोर लगाने से गुदगुदी लगने लगी थी। सोनल चीख उठी… मार दे गान्ड मैम की…छोड़ना मत… उसकी चीख से मैं अचानक उठ बैठी… ओह…… मैं सपना देखने लगी थी।
वास्तव में दरवाजे पर बेल बज रही थी…दिन को करीब ३ बजे थे…वो दोनो आ गये थे। मैने अपना मुख धोया और हम तीनों कमरे में ही बैठ कर थोड़ी देर तक बातें करते रहे। उन दोनों की बैचेनी देखते ही बनती थी…
“मैम… मुझे किशोर से कुछ बातें करनी है……”
“हां हां… जरूर करो… पर बातें कम करना… और…” मैने मजाक किया।
और सोनल को बेड रूम में ले गई और सब बता दिया। किशोर को भी मैने अन्दर आने का इशारा किया। सोनल तो बेड रूम देखते ही खुश हो गई… और बिस्तर पर लोट गई।
इधर किशोर को मैने बुला कर उसकी कमर में हाथ डाल कर उसके होंठो को चूमना चालू कर दिया। उसने भी मेरी कमर मे अपना हाथ कस दिया। उसके लौडे की चुभन मेरे चूत के आस पास होने लगी। मैने धीरे से उसका लन्ड पकड़ लिया। उसके हाथ मेरे बोबे पर जम गये और उन्हें दबाने लगे। सोनल जल्दी से आई और किशोर को खींचने लगी…
“किशोर… आओ ना…” किशोर खिंचता हुआ चला गया …पर मेरे बदन की गर्मी का अह्सास किशोर को मिल गया था। उसने किशोर को अपने से लिपटा लिया।
“अरे… क्या ऐसे ही करोगे… कपड़े तो उतार दो…चुदाई का मजा नहीं लोगे क्या…” मैने उन्हे कहा.
“नहीं …नहीं … चुदाई नहीं… बस ऐसे ही ऊपर से…” सोनल ने कहा तो मुझे आश्चर्य हुआ।
“तब क्या मजा आयेगा… क्यों किशोर…”
किशोर ने मेरा साथ दिया और हम दोनो ने मिल कर सोनल को नंगी कर दिया… किशोर ने भी अपने कपड़े उतार दिये। उन्हें देख कर मैने भी अपना गाऊन उतार दिया और नंगी हो गई। किशोर का जवान लन्ड देख कर मेरी चूत में पानी उतरने लगा।
सोनल भी जवान लड़की थी… उसके जवान जिस्म को देख कर कोई भी पिघल सकता था। किशोर सोनल से लिपट गया। और उसे बिस्तर पर पटक दिया। उसके ऊपर चढ गया और बेतहाशा चूमने लगा। दोनो का जोश देखते ही बनता था। एक दूसरे मे समाने की पूरी कोशिश कर रहे थे। पर हां सोनल अपनी चूत से उसके लन्ड को दूर रख रही थी। किशोर जैसे ही अपना लन्ड उसकी चूत पर दबाता वो चूत को झटका दे कर हटा देती थी।
ये सब देख कर मेरी वासना बढती जा रही थी। मैने अपनी चूत में दो अंगुलियां डाल ली और अपनी चूत चोदने लगी। मेरे मुख से सिसकारी निकल पड़ी। अब मैने सोचा कि पहले इन्हें निपटा दूं। मैं उठी और दोनों को सहलाने लगी। फिर मैंने सोनल के चूत का दाना धीरे धीरे मलना शुरु किया। सोनल को और मस्ती चढने लगी। मैं घिसती रही…मलती रही… इतने में सोनल झड़ने लगी… मैने हाथ हटा लिया… उसकी चूत में से पानी आ रहा था… इसी दौरान किशोर का लन्ड मैने सोनल की चूत पर रख दिया। किशोर तो जोश में था ही… उसका लन्ड सोनल की चूत में उतर गया…
सोनल तड़प उठी…”अरे ये क्या… हटो…हटो… उसने जल्दी से उसका उफ़नता हुआ लन्ड चूत से निकाल दिया…
किशोर भी तडप उठा …… उसे तो अब चूत चाहिये थी… सोनल अलग हट कर उठ गई।
“देखो…मैम…मैने मना किया था…तब भी इसने क्या कर डाला…”
” कोई बात नहीं सोनल…ला मै इसे सम्भालती हूं……” मैने अपनी बारी सम्हाली और किशोर को दबोच लिया और उसे अपने नीचे दबा लिया… उसके खड़े लन्ड पर मैने अपनी चूत रख कर दबा दी… आऽऽऽऽऽअह्ह्ह्ह्ह …लन्ड मेरी चिकनी चूत मे धंसता चला गया… किशोर ने भी अपने चूतड़ ऊपर की ओर उठा दिए… और उसका लन्ड पहले झटके में ही जड़ तक बैठ गया। मेरे मुख से आनन्द के मारे सिसकारी निकल पड़ी…
ना जाने कब से मैं इस चुदाई का इन्तजार कर रही थी। मैने अपने चूतड़ थोड़े से ऊपर उठाये और दूसरा झटका दिया…फ़च की अवाज के साथ लन्ड गहराई तक चोद रहा था। किशोर आनन्द के मारे नीचे से झटके मार रहा था। दोनो ही हर झटके पर आहें भरते थे… सोनल भी हमे देख कर उत्तेजित होने लगी थी… शायद उसने ऐसी चुदाई पहली बार देखी थी। उसने अपनी एक अंगुली मेरी गान्ड में फ़ंसा दी और गोल गोल घुमाने लगी। मै तो इस डबल चुदाई से मस्त होने लगी। दोनो तरफ़ से मजा आने लगा था।
“सोनल…मजा आ रहा है…क्या मस्त लन्ड है…”
“मैम आपकी चूत बड़ी प्यारी है… देखो ना लन्ड सटासट अन्दर बाहर जा रहा है…”
“चोदे जा मेरे राजा… हाय… मैं तो मर जाऊंगी राम…”
किशोर ने मेरी चूंचियां मसल मसल कर बेहाल कर दी थी… अब मै अति उत्तेजना का शिकार होने लगी… मुझे लगा कि अब मैं झड़ जाऊंगी। मेरे धक्के अब जोर से और अन्दर तक दबा कर जा रहे थे। और अचानक मेरा बदन लहरा उठा… और मेरा रस निकलने लगा। मैने उसके लन्ड पर अपनी चूत गड़ा दी…और उस पर पूरी झुक गई।
“सोनल प्लीज… मेरी गान्ड से अंगुली निकाल दे…” सोनल ने अंगुली बाहर निकाल दी। मैने किशोर से अपने बोबे जोर लगा कर छुड़ा लिये। पर मुझे वो छोड़ने को तैयार नहीं था…
“किशोर… देख सोनल तेरा इन्तजार कर रही है… अब छोड़ दे मुझे…” सोनल के नाम ने उस पर जादू सा असर किया।
उसने सोनल का नाम सुनते ही मुझे छोड़ दिया… और प्यार से वो दोनो एक बार फिर से लिपट गये। पर सोनल ये भूल गई थी कि किशोर की चुदाई पूरी नही हुई थी। किशोर ने प्यार से सोनल को चिपका लिया और पलटी मार कर अपने नीचे दबोच लिया… चिड़िया फ़ड़फ़ड़ाती रह गई…
सोनल जब तक कुछ समझती तब तक मैने किशोर का लन्ड सोनल की चूत के छेद पर रख दिया था। किशोर ने धक्का मारा तो सीधा गहराईयों में उतरता चला गया। दूसरे धक्के में लन्ड जड़ तक बैठ गया था। सोनल के मुख से चीख निकलती उससे पहले मैने उसके मुख पर तौलिया रख दिया।
उसकी झिल्ली फ़ट चुकी थी। सोनल को मालूम हो गया था कि उसका कौमार्य जाता रहा था। मैने अब उसके मुँह से तौलिया हटा लिया था। उसके आंखों में आंसू आ गये थे। मैने तौलिया अब सोनल की चूत के नीचे रख दिया था। खून बाहर आने लगा था। मैं उसे पोंछती जा रही थी।
किशोर इन सभी बातों से बेखबर तेजी से चुदाई कर रहा था… किशोर अब हांफ़ने भी लगा था… सोनल भी अब सामान्य होने लगी थी। उसे भी अब मजा आने लगा था। मैने देखा कि अब सोनल के चूतड़ भी धीरे धीरे उछलने लगे थे और चुदाई में साथ दे रहे थे……
मैने सोनल कि चूंचियां मसलनी चालू कर दी… उसके निपल को भी घुमा घुमा कर हल्के से खींच रही थी। सोनल की सिसकरियां निकलने लगी थी। उसकी आहें तेज हो गई थी। वो बार बार किशोर को अपनी ओर खींच रही थी। इतने में सोनल चरमसीमा पर पहुंचने लगी। उसके मुख से अस्पष्ट शब्द निकलने लगे थे।”मांऽऽऽऽऽऽरी…… मर जाऊंगी… हाय चोद दे… राम रे…”
मैं उसकी चूंचियों को और जोर से मसलने लगी… सोनल के चेहरे का रंग बदलने लगा… अपने होंठ बार बार काट रही थी… अचानक उसका शरीर ने एक ऐठन ली और आहाऽऽऽऽऽ करते हुए वो झड़ने लगी……मैने उसकी चूंचियां छोड़ दी।
किशोर भी अब गया ! तब गया ! हो रहा था… अचानक उसने भी अपने लन्ड का जोर चूत पर लगा कर पिचकारी छोड़ दी… दोनों ही साथ साथ झड़ रहे थे…… किशोर और सोनल दोनो ने आपस मे एक दूसरे को जोरों से जकड़ लिया था। कुछ ही समय बाद दोनो ही निढाल पड़े थे। और हांफ़ रहे थे। सोनल की चूत में से अब धीरे धीरे वीर्य निकलने लगा था… मैने तौलिया उसकी चूत के नीचे घुसा दिया… किशोर बिस्तर से नीचे उतर आया और अपने कपड़े पहनने लगा। सोनल थोड़ी गम्भीर लग रही थी।
“दीदी मेरी तो झिल्ली फ़ट गई ना… अब क्या होगा…”
“क्यो घबराती है…झिल्ली फ़टने के बहुत से कारण होते हैं…” मैने उसे बताया… खेलने से… साईकल चलाने से… किसी एक्सीडेन्ट से झिल्ली फ़ट सकती है…इसलिये डरने की कोई बात नहीं है।
“और फ़िर तुम्हारी उमर अब चुदाने की हो गई है… तो अब इसे फ़ट जाने दो और जिंदगी का मजा लो…”
“मैम हम क्या आपके पास रोज़ ट्यूशन पढने आ सकते हैं…?” सोनल ने घुमा कर प्रश्न पूछा।
“हा… जरूर अगर पढ़ना हो तो फ़ीस लगेगी एक की ५०० रू और अगर आज जैसी पढाई करनी हो तो २५० रू…”
हम तीनो ही हंस पड़े… सोनल ने किचन में जा कर चाय नाश्ता ले आई… और आगे का कार्यक्रम बनाने लगे……