https://hothindisexstory.com Thu, 16 Feb 2017 19:43:35 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=5.4.2 106729509 भाई की साली की सील तोड़ी https://hothindisexstory.com/%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%88-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%b8%e0%a4%be%e0%a4%b2%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%b8%e0%a5%80%e0%a4%b2-%e0%a4%a4%e0%a5%8b%e0%a5%9c%e0%a5%80/ Thu, 16 Feb 2017 19:43:35 +0000 https://hothindisexstory.com/?p=9910 हैल्लो दोस्तों, में कुमार और में पिछले तीन महीने से लगातार सेक्सी कहानियाँ पढ़ता आ रहा हूँ और यह कहानि भाई की साली की सील तोड़ी मुझे हमेशा बहुत सेक्सी मस्त लगी, जिनको पढ़कर मुझे बहुत मज़े आए और कुछ कहानियाँ तो बहुत ही ज्यादा मजेदार थी। दोस्तों में 36 साल का अच्छा दिखने वाला […]

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]]> हैल्लो दोस्तों, में कुमार और में पिछले तीन महीने से लगातार सेक्सी कहानियाँ पढ़ता आ रहा हूँ और यह कहानि भाई की साली की सील तोड़ी मुझे हमेशा बहुत सेक्सी मस्त लगी, जिनको पढ़कर मुझे बहुत मज़े आए और कुछ कहानियाँ तो बहुत ही ज्यादा मजेदार थी। दोस्तों में 36 साल का अच्छा दिखने वाला हट्टाकट्टा नोजवान और में बहुत ही ज़्यादा सेक्सी हूँ। मेरे लंड का आकार 6 इंच लंबा और 2 इंच मोटा है। दोस्तों में बिहार का रहने वाला हूँ और अभी कुछ सालों से एक कंपनी में मेरी नौकरी होने की वजह से में जोधपुर (राजस्थान) में रहने लगा था। दोस्तों यह बात दिसम्बर की है, जब में एक साल बाद अपने घर पूरे एक महीने के लिए बिहार अकेले गया था, मेरे घर पर मेरी मम्मी, पापा और मेरा एक छोटा भाई और उसकी पत्नी रहती है। दोस्तों मेरे छोटे भाई का अपना खुद का काम है, लेकिन वो घर से 15 किलोमीटर दूर अपना काम करता है और घर जाने के बाद में एक दिन अपने छोटे भाई के साथ उसकी बाइक पर पीछे बैठकर उसके काम को देखने के लिए उसके साथ चला गया। दोस्तों वो जगह अच्छी और बाज़ार भी बहुत अच्छा है। वहाँ पर पहुंचकर दिन भर हम दोनों भाईयों ने साथ में रहकर बहुत सारी बातें की और अपने काम को ज्यादा आगे बढ़ाने के सिलसिले में हम दोनों उस बाज़ार में भी बहुत घूमे, तो बाज़ार में घूमते समय हमे मेरे छोटे भाई के ससुराल का एक 12 साल लड़का मिल गया जो कि रिश्ते में मेरे भाई का साला लगता था।

उसने हमे वहां पर देखकर मेरे भाई से कहा कि क्या जीजाजी आप मेरे यहाँ नहीं चलोगे? आपको सभी लोग घर पर याद कर रहे है और बुला भी रहे है। फिर मेरे भाई ने कहा कि तुम उनको फोन करने के लिए कहना बात करने के बाद देखा जाएगा। फिर शाम करीब चार बजे भाई के साले का फोन आया। तब मेरे भाई ने उससे कहा कि मेरे भैया भी आए हुए है, तो उन्होंने मेरे भाई से कहा कि आप उन्हें भी अपने साथ में ले आईए और यही बात मेरे भाई की सास भी बोली। फिर मेरे भाई ने कहा कि हाँ ठीक है हम दोनों भाई आज शाम को अपने काम से फ्री होकर जरुर आ जाएँगे। फिर उसी शाम को हम दोनों भाई मेरे भाई के ससुराल चले गए और में अपने भाई के ससुराल उसकी शादी जो कि दो साल पहले हुई थी उसके बाद एक बार भी नहीं गया था। वो मेरा उनके घर पर दूसरा चक्कर था।

फिर हम लोग रात के करीब आठ बजे उसके ससुराल पहुंच गए और सभी लोग हमें देखकर बड़े खुश हुए और वहां पर सभी लोगों से मिलने के बाद हम दोनों भाईयों के लिए बहुत प्यार से खाना परोसा गया और उसके बाद हम दोनों भाई खाना खा रहे थे। उस समय मेरे छोटे भाई की साली ठीक हमारे सामने बैठकर अपने दोनों पैरों को कुछ ज्यादा फैलाकर हमें खाना खिला रही थी। वो दिखने में बहुत ही सुंदर, बहुत गोरी और उसके बूब्स कपड़ो से बाहर निकलकर झांक रहे थे और में उसको दो साल बाद इतना करीब से देख रहा था जिसकी वजह से मेरे दिल में एक अजीब सी टीस उठने लगी थी, क्योंकि वो उस समय थोड़ी छोटी थी और उसके शरीर का उतना विकास भी नहीं हुआ था, लेकिन अब तो वो एकदम हॉट सेक्सी नजर आ रही थी और उसका गदराया हुआ बदन बहुत आकर्षक नजर आ रहा था जो किसी के भी लंड से पानी निकालने के लिए बहुत था। उसके क्या मस्त गोरे गोरे बड़े आकार के बूब्स थे और उसकी गांड तो मानो एकदम मक्खन मलाई जैसी थी और उसके गाल एकदम भरे भरे थे, लेकिन में क्या कर सकता था बस खाना खाते समय देखता रहा।

दोस्तों क्योंकि खाना खाते समय एक 18-19 साल की लड़की हमारे सामने आई सबसे पहले उसने हमें प्रणाम किया और उसके बाद वो मेरे छोटे भाई के साले के पास में जाकर बैठ गई। में उसको नहीं जानता था, लेकिन जब मैंने उसको देखा तो में अपनी चकित नजरों से देखता ही रह गया। वो क्या मस्त माल थी? उसके बड़े लंबे काले बाल, बूब्स भरे हुए थे और बातों के दौरान वो हम दोनों से बहुत हंसी मज़ाक करने लगी और मुझे बाद में पता चला कि वो मेरे छोटे भाई की साली है जिसका नाम बबिता है और मज़ाक करते करते उसने मेरी जाँघ पर अपना एक हाथ रखकर वो छूने लगी, लेकिन मुझे उसके मन की बात और उसके मन में क्या चल रहा था वो नहीं पता था। दोस्तों में तो पहले से ही उसकी सुन्दरता को देखकर बहुत गरम था। अब में उसके खिलते हुए चेहरे को देखकर उसके मन की बात को समझ चुका था, जिसकी वजह से मुझे आगे बढ़ने की हिम्मत मिली और फिर उसके हाथ के छू जाने से मेरा लंड अब धीरे धीरे खड़ा होने लगा था, वो अपना आकार बदलने लगा था और मैंने अपने मन को किसी तरह से शांत करके खाना खाया और फिर में उठकर दरवाजे से बाहर आ गया। फिर कुछ देर बाद बबिता भी मेरे पीछे पीछे आ गयी और हम दोनों हंसकर हंसी मजाक करने लगे। फिर तब तक रात के करीब दस बज गये थे और मेरा छोटा भाई तो खाना खाकर कमरे के अंदर सोने चला गया और उसके ससुरजी ने हमारा बबिता के कमरे में सोने के लिए इंतज़ाम कर रखा था।

भाई की साली की सील तोड़ी

दोस्तों गाँव में रात को दस बजे बहुत रात का समय माना जाता है, इसलिए घर के सभी लोग तब तक सोने चले गये और में भी अब बबिता के कमरे में सोने के लिए चला गया जो कि बबिता के पढ़ाई वाले कमरे के पीछे सड़क के किनारे है वहाँ पर बबिता के मामा का लड़का जो कि हमें दिन के समय बाज़ार में मिला था वो भी सो रहा था। फिर में लेटा हुआ था कि कुछ देर बाद बबिता हमारे कमरे में आई और वो मुझसे हंसकर बोली कि जीजाजी अगर आप लोगों को किसी भी चीज़ की ज़रूरत हो तो आप मुझे जरुर बता देना। दोस्तों मुझसे यह बात कहते हुए वो मेरे भाई के पलंग पर बैठ गई, लेकिन वो उस समय बहुत गहरी नींद में था इसलिए मैंने अपने भाई की साली से कहा कि में तुम्हे इतनी दूर से क्या कहूँ थोड़ा सा तुम मेरे पास आ जाओ तो में तुम्हे अपनी ज़रूरत बताऊँ।

दोस्तों मेरे मुहं से वो बात सुनकर अब वो उठकर तुरंत मेरे वाले पलंग पर बैठकर मुझसे बातें करने लगी। फिर मैंने उससे कहा कि तुम खाना खाते समय मेरी जाँघ पर क्यों हाथ मार रही थी? तब उसने मुझसे मुस्कुराते हुए कहा कि वो तो में आपसे ऐसे ही बस थोड़ा सा मज़ाक कर रही थी और मेरे उसको बहुत बार कहने पर वो मेरे पलंग पर मेरे थोड़ा पास सरककर बैठ गयी। अब मेरा लंड फड़कने लगा और में उसको अपने से चिपककर बैठे हुए देखकर समझ गया कि वो मुझसे अपनी चुदाई जरुर करवा सकती है वो बात सोचकर में मन ही मन बहुत खुश था और फिर मैंने बातों ही बातों में तुरंत उसके हाथ को पकड़कर उसको अपने पास खींच लिया और मैंने उसके दोनों बूब्स को ज़ोर से दबा दिया जिसकी वजह से वो सिसकियाँ भरने लगी। फिर कुछ देर बाद वो मुझसे मुस्कुराती हुई बोली कि में आपके लिए दूसरी रज़ाई लेकर अभी आती हूँ और वो यह बात कहकर तुरंत वहां से शरमाकर बाहर चली गई। मैंने सोचा कि अब वो दोबारा नहीं आएगी, लेकिन कुछ देर बाद वो आ गई जिसका मुझे बिल्कुल भी विश्वास नहीं था और वो अपने साथ एक रज़ाई लेकर आई थी और उसने उस रजाई को मेरे ऊपर फेंक दिया। में उसको पकड़कर अपने ऊपर पलंग पर बिछाकर पलंग पर लेटने लगा, तो वो मुझसे बोली कि यहाँ पर नहीं, आप मेरे साथ मेरे बेडरूम में चलिए।

दोस्तों सच कहूँ तो में उसके मुहं से वो बात सुनकर एकदम खुश हो गया और में मन ही मन में सोचने लगा कि आज तो मुझे चुदाई करने के लिए एक वर्जिन तड़पती हुई प्यासी चूत मिलेगी और अब में वो बात मन में सोचकर खुश होता हुआ तुरंत उठकर उसके पीछे पीछे उसके बेडरूम में चला गया। फिर अंदर जाते ही में उसके ऊपर टूट पड़ा। में उसके बूब्स को दबाने लगा और निप्पल को मसलने लगा। तभी वो बोली कि पहले आप मुझे दरवाजा तो बंद करने दीजिए। फिर में तुरंत वैसे ही रुक गया और वो मेरे सामने से हटकर दरवाजा बंद करके वापस चली आई और मैंने दोबारा उसको कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया और में उसके होंठो पर अपने होंठ रखकर ज़ोर ज़ोर से उनको चूसने लगा। वो सिसकियाँ लेने लगी आहहह ऊफफ्फ्फ करने लगी। में अब उसके दोनों बूब्स को बहुत ज़ोर से जोश में आकर दबाने लगा और उसी समय मैंने धीरे धीरे उसके सभी कपड़े भी एक एक करके उतार दिए और उसके बाद में भी अब नंगा हो गया। फिर उसने हमारे नंगे बदन को देखकर शरम की वजह से अपने सर को मेरी छाती में छुपा लिया और मैंने उसके बूब्स को बहुत ज़ोर ज़ोर से दबाना शुरू किया और में उसके पूरे गोरे सेक्सी बदन को चूमने लगा, जिसकी वजह से वो तो जोश में आकर एकदम मदहोश हो गयी। फिर मैंने अपना लंड जो कि पूरे जोश में आकर बहुत गरम हो चुका था। मैंने उसके हाथ में पकड़ा दिया तो वो मेरे गरम, मोटे, लंबे लंड को अपने नरम मुलायम हाथ से छूकर एकदम सिहर उठी।

फिर वो बोली कि मेरे पापा मेरी शादी नहीं करवाते है और में कब से यह सब करने के लिए तरस रही हूँ, लेकिन मुझे आज तक ऐसा कोई अच्छा मौका नहीं मिला। आज मिल गया है तो में इसका आज पूरा फायदा उठाकर अपनी चुदाई का तुम्हारे साथ भरपूर मज़ा लूंगी और तुमसे जमकर अपनी चुदाई करवाऊंगी। अब मैंने उसकी वो बातें सुनकर खुश होकर उसको चूमते हुए अपनी एक उंगली को उसकी चूत में डाल दिया, जिसकी वजह से वो सिसकियाँ भरनी लगी आआअहह उफ्फ्फ्फ़। फिर में करीब 15 मिनट तक उसके बूब्स को दबाता और उसकी चूत में अपनी ऊँगली को अंदर बाहर करता रहा। फिर उसके बाद में नीचे झुककर उसकी कामुक चूत को चाटने लगा जिसकी वजह से वो मस्त हो गई और वो अब जोश में आकर ना जाने क्या क्या बोलने लगी। वो बोली कि जीजाजी थोड़ा सा प्यार से चोदना क्योंकि यह मेरी पहली चुदाई है और मुझे बहुत दर्द होगा। आप मज़े के साथ साथ मेरे दर्द का भी ध्यान रखना। फिर मैंने उसको अब बेड पर सीधा लेटा दिया और में अपना लंड उसके मुँह में डालने लगा। वो मुझसे ऐसा करने के लिए मना करती रही, लेकिन में फिर भी नहीं माना और मैंने अपना लंड उसके मुहं में डाल दिया। फिर वो मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और में उसकी चूत में अपनी उंगली को अंदर बाहर करता रहा, जिसकी वजह से वो पूरी तरह से जोश में आकर सिसकियाँ भर रही थी आअहह ऊफफ्फ्फ्फ़ जीजाजी अब बस करिए और मुझे अब आप चोदना शुरू करो, मुझे अब और मत तरसाओ, अब आप चोद दो मुझे और मेरी इस आग को बुझा दो आह्ह्हह्ह।

फिर मैंने उसको सीधा लेटाकर में अब उसके ऊपर आ गया और उसके दोनों पैरों को फैलाकर अपना 6 इंच के लंड का टोपा मैंने उसकी चूत के मुहं पर रखकर में रगड़ने लगा जिसकी वजह से वो आआअहह ऊउईईईइ जीजाजी करने लगी और कुछ देर रगड़ने के बाद मैंने अपना थूक अपने लंड पर लगाकर अपने लंड को उसकी चूत के मुहं पर रखकर मैंने एक ज़ोर का झटका दे दिया, जिसकी वजह से मेरा लंड उसकी चूत में थोड़ा सा अंदर चला गया और वो दर्द से करहा उठी मचलने लगी और अब में बिल्कुल शांत होकर उसके बूब्स को दबाने सहलाने लगा और उसको किस करने लगा। फिर थोड़ी देर के बाद मैंने एक जोरदार झटका लगाया, तो वो ऊउईईईईइ माँ में मर गई आईईईई करके मुझसे चिपक गयी और थोड़ी देर बाद मैंने एक बार फिर से ज़ोर के झटके लगाने शुरू कर दिए, जिसकी वजह से अब मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चूत के अंदर चला गया और में उसको लगातार 15 मिनट तक धक्के देकर चोदता रहा और वो साली रंडी भी अपनी गांड को उठा उठाकर मुझसे अपनी चूत को चुदवाने लगी और इस बीच वो तीन बार झड़ चुकी थी।

दोस्तों अब में भी झड़ने वाला था, इसलिए मैंने उससे यह पूछ लिया था कि में अब क्या करूं अपना वीर्य कहाँ निकालूं? तब वो मुझसे कहने लगी कि आप मेरी चूत में अपना वीर्य मत डालना नहीं तो में उस वजह से गर्भवती हो जाउंगी। आप उसको कहीं बाहर ही निकाल दो और तब मैंने उसके कहने पर अपना लंड उसकी चूत से उसी समय तुरंत बाहर निकालकर उसके मुहं में डाल दिया जिसको वो बड़े मज़े से लोलीपोप की तरह चूसने लगी। वो किसी अनुभवी रांड की तरह मेरा लंड अंदर बाहर करके लंड के टोपे पर अपनी जीभ को घुमाकर बड़े मज़े से चाट रही थी और में तभी उसके मुहं में झड़ गया। उसने मेरा सारा वीर्य अपने मुहं में भरकर बाहर थूक दिया और उस पूरी रात को करीब 4:30 बजे सुबह तक हम दोनों ने चार बार अलग अलग तरीके से सेक्स किया। फिर मैंने ध्यान से देखा उसकी चूत मेरी जमकर चुदाई की वजह से पाव रोटी की तरह एकदम फूल गयी थी। फिर में उसके कमरे से उठकर अपने कमरे में जाकर सो गया। दोस्तों सुबह हम दोनों भाई उठकर चाय नाश्ता करके वापस अपने काम पर चले गए। फिर में कुछ दिन अपने भाई के पास रुककर दोबारा वापस जोधपुर आ गया।

फिर उसने एक दिन मेरे पास फोन किया और वो मुझसे बोली कि आप तो मुझसे इतना दूर चले गये है कि मेरा अब आपसे दूर रहकर बहुत बुरा हाल है आप कब आओगे? तब मैंने कहा कि में तुमसे मिलने समय मिलते ही जरुर आ जाऊंगा, लेकिन फिर उसकी इस साल फरवरी के महीने में शादी हो गयी और दोबारा मुझे उसकी चुदाई का मौका नहीं मिला, लेकिन इस बात की मुझे बहुत ख़ुशी थी कि उसकी पहली बार चुदाई करके मैंने उसकी चूत की सील को तोड़ दिया। वो एक बहुत अलग अहसास था जिसको में आज भी नहीं भुला सका। दोस्तों अब उसको एक मस्त लंड मिल गया है जो उसकी जमकर चुदाई करके उसको बहुत खुश रखता है और वो उसके साथ ख़ुश रहकर अपना जीवन जी रही है। उसका पति उसके कहने पर उसको हमेशा चुदाई के बहुत मज़े देता है। यह सभी बातें वो मुझसे फोन पर करती है और अपनी हर एक बात वो मुझे बता देती है ।।

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]]> 9532 बड़ी चूची टीचर के साथ चुदाई का मजा https://hothindisexstory.com/badi-chuchi-wali-teacher-ke-sath-chudai-ka-maja/ https://hothindisexstory.com/badi-chuchi-wali-teacher-ke-sath-chudai-ka-maja/#respond Fri, 12 Aug 2016 20:40:44 +0000 https://hothindisexstory.com/?p=9209 हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम सतीश है, मेरी उम्र 21 साल है और मेरा लंड 7 इंच लंबा है। दोस्तों में आज आप सभी को अपनी एक सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिसमे मैंने अपनी उम्र से ज्यादा उम्र की औरत को चोदकर संतुष्ट किया, में पिछले कुछ सालों से कहानियाँ पढ़ता आ रहा हूँ […]

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]]> हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम सतीश है, मेरी उम्र 21 साल है और मेरा लंड 7 इंच लंबा है। दोस्तों में आज आप सभी को अपनी एक सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिसमे मैंने अपनी उम्र से ज्यादा उम्र की औरत को चोदकर संतुष्ट किया, में पिछले कुछ सालों से कहानियाँ पढ़ता आ रहा हूँ और मुझे वो सभी बहुत अच्छी भी लगती है में अपना ज्यादातर समय इसकी कहानियाँ पढ़कर बिताता हूँ और ऐसा करना मुझे बहुत ही अच्छा लगता है। दोस्तों मुझे शुरू से ही अपनी उम्र से बड़ी उम्र की औरत को देखना और चोदना बहुत पसंद है और यह मेरी पहली कहानी है और में उम्मीद करता हूँ कि आप सभी को यह जरुर अच्छी लगेगी, यह कहानी मेरी एक Badi chuchi wali teacher की है जिसको मैंने बहुत जमकर चोदा। मेरी टीचर का नाम जया श्रीवास्तव है, उनके बहुत बड़े बड़े बूब्स और उनकी गांड के बारे में आपको क्या बताऊँ? एकदम सेक्सी है और उनकी उम्र करीब 40 साल है वो हमेशा ही सिल्क की साड़ी पहनती है और स्कूल के सभी लड़के उनके बूब्स, गांड को देखते रहते है और में उस समय मेरी टीचर का सबसे पसंदीदा छात्र था, मेरी वो टीचर तलाकशुदा थी और उनके एक भी बच्चा नहीं था, लेकिन फिर भी वो हमेशा हंसती मुस्कुराती रहती थी और अपने मन की बात को हमेशा सबसे छुपाती थी।

तो एक बार मुझे इंग्लिश में कुछ समझ में नहीं आ रहा था और इसलिए में उनसे अपनी समस्या का हल पूछने उनके घर पर गया। वो एक बंगले में रहती थी और फिर मैंने वहां पर पहुंचकर बहुत बार दरवाजे पर लगी हुई घंटी बजाई, लेकिन वो दरवाज़ा नहीं खोल रही थी। तो वहां पर पास में एक खिड़की थी और वो उनके बेडरूम की खिड़की थी और फिर में उसमे अंदर की तरफ देखने लगा, लेकिन में अंदर की तरफ झांककर एकदम से चकित रह गया क्योंकि वहां पर उस समय हमारे स्कूल के एक सर भी मौजूद थे और वो बेड पर पड़े हुए थे और उनका लंड मेडम के हाथों में था। मेडम उनका लंबा, मोटा लंड अपने मुहं में डालकर बहुत मज़े से चूस रही थी और वो सब कुछ देखकर मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया और अब उनके बड़े बड़े बूब्स को देखने का मेरा एक सपना जो था वो आज साकार हुआ। तो मैंने मेरी पेंट में से लंड को बाहर निकाला और वहीं पर खड़े खड़े उनको देखकर मुठ मारने लगा। फिर कुछ देर चूसने के बाद टीचर ने उसका लंड अपने मुहं से बाहर निकाला और लंड को अपनी चूत के मुहं पर रखा और धीरे धीरे उस पर बैठती चली गई जिससे लंड चूत में घुसता चला गया और अब वो उछल उछलकर अपनी चूत को खुद ही चोदने लगी और उसके बूब्स उछल कूद कर रहे था। इतना सब देखकर मेरा तो पूरा माल बाहर निकल आया। तो कुछ देर बाद मैंने अपना मोबाईल जेब से बाहर निकाला और उनकी पूरी चुदाई को केद कर लिया और फिर में वहां से अपने घर पर निकल गया।

तो दूसरे दिन टीचर ने स्कूल मिलकर मुझे स्माइल दी और बोला कि तुम आज शाम को मेरे घर पर आ जाना क्योंकि मेरा कंप्यूटर ठीक तरह से काम नहीं कर रहा है शायद उसमे कुछ समस्या है तुम आकर देख लेना। तो में उनके घर पर गया और अब उन्होंने मेरे एक बार ही घंटी बजाने पर दरवाजा खोल दिया और मुझे वेलकम किया और अंदर आने को कहा, में सोफे पर बैठ गया। तो वो किचन में जाकर मेरे लिए ठंडा लेकर आ गई। मैंने ठंडा पिया और फिर उनके बेडरूम में गया जहाँ पर उनका कंप्यूटर रखा हुआ था। तो कंप्यूटर को चालू किया और मैंने कंप्यूटर की हिस्टरी में देखा कि उसमे बहुत सारी पॉर्न साइट्स थी, टीचर ने उस समय एक गाउन पहना हुआ था जिसमे उसके बूब्स थोड़ा सा भी झुकने से साफ साफ दिख रहे थे और शायद उस समय उन्होंने ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी। फिर मैंने करीब आधे घंटे के बाद उनका कंप्यूटर एकदम ठीक किया और वो उस समय किचन में अपना कुछ काम कर रही थी। तो मैंने किचन में जाकर उनको पीछे से पकड़कर अपने लंड को उनकी गांड पर सटा दिया और धीरे धीरे रगड़ने लगा और उसके बूब्स को उस ढीले-ढाले गाउन के ऊपर से ही धीरे से दबाने, मसलने लगा।

तो वो मुझसे बोली कि तुम यह क्या कर रहे हो? प्लीज छोड़ दो मुझे, यह सब बिल्कुल गलत है। तो मैंने बोला कि रंडी तू किसी और से चुदवा सकती है तो मुझसे क्यों नहीं। मुझे भी आज तेरी चूत को फाड़ना है और चुदाई के मज़े लेने है। तो उन्होंने एकदम से मुझे एक ज़ोर से धक्का मारा और खुद को मुझसे अलग किया और मुझे घूर घूरकर देखने लगी। तो मैंने अपना मोबाइल खोलकर उन्हे वो रिकॉर्डिंग दिखाई, वो एकदम मेरे पैरों पर गिर गई और पैर पड़ककर मुझसे बोली कि प्लीज़ तुम यह रिकॉर्डिंग किसी को मत बताना वरना में मर जाउंगी।

Badi chuchi wali teacher

तो मैंने यह एक अच्छा मौका देककर उनके बूब्स को दबाते हुए उसको खड़ा किया और बोला कि अगर आज तुमने मेरी बात नहीं मानी तो में यह विडियो नेट पर डाल दूँगा और जिसको सारी दुनिया बहुत मज़े लेकर देखेगी और फिर में वहां से चला गया। तो उसके अगले दिन स्कूल में वो मुझे अपनी झुकी हुई नज़र से देख रही थी और में लगातार उसके बूब्स को देख रहा था। तो उन्होंने सभी स्टूडेंट्स को अपना सर नीचे करने को बोला और सब स्टूडेंट्स अपना अपना सर नीचे की तरफ झुकाकर अपनी पढ़ाई में ध्यान दे रहे थे और में बिल्कुल आखरी वाली बेंच पर बैठा हुआ था। फिर वो मेरी बेंच पर आकर बैठ गई और में अपने सर को नीचे करके उसके बूब्स को दबा रहा था और उसकी गांड को भी दबा रहा था। दोस्तों में आप सभी को क्या बताऊँ मुझे उस समय बहुत मज़ा आया और फिर मैंने उनसे स्कूल की छुट्टी होने के बाद वहीं पर रुके रहने को कहा और जब मेरा पूरा स्कूल खाली हो गया तो मैंने अपनी टीचर को बाथरूम में आने को बोला। फिर वो आई और उसने मुझसे बोला कि प्लीज मुझे छूना नहीं। तो मैंने कहा कि में अब रुकने वाला नहीं हूँ, मैंने उन्हे अपनी बाहों में जकड़ा और एक जोरदार लिप किस किया और फिर कुछ देर के बाद में वो भी एंजाय करने लगी।

तो मैंने मौका देखकर उसकी साड़ी को उतारा और दोनों बूब्स को बारी बारी से दबाने, मसलने लगा और कुछ देर के बाद मैंने जल्दी से ब्लाउज को भी उतार दिया और उसकी निप्पल को चूसने लगा और फिर उनका पेटिकोट भी उतार दिया। वो अब मेरे सामने नंगी थी और वो साड़ी के नीचे पेंटी नहीं पहनती। फिर में टॉयलेट की सीट पर बैठ गया और अपनी पेंट को भी खोल दिया और लंड को बाहर निकालकर उनसे चूसने को कहा। तो उन्होंने बहुत मज़े लेकर मेरा लंड चूसा और फिर कुछ देर चूसने के बाद वो मेरे लंड पर बैठ गई और फिर मैंने उसकी जमकर चुदाई की। वो मेरे लंड पर ज़ोर ज़ोर से उछलने लगी और मेरे लंड पर सवारी करने लगी। अपनी चुदाई के बहुत मज़े ले रही थी। दोस्तों उनकी चूत में मेरा लंड एक ही बार में पूरा अंदर चला गया, उनको थोड़ा सा भी दर्द नहीं हुआ। इस बात से यह पता चलता है कि वो हर दिन अपनी चुदाई करवाती है और जिसकी वजह से उनकी चूत अब भोसड़ा बन चुकी है। तो करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद मेरा वीर्य बाहर निकल आया और उसे मैंने उनकी चूत में डाल दिया, लेकिन फिर भी वो उनकी चूत से बाहर निकलकर मेरी जांघो पर बहने लगा। तो कुछ देर बाद वो मेरे लंड पर से उठकर खड़ी हुई और फिर हम अपने अपने कपड़े ठीक करके बाहर आ गया और मैंने उनसे बोला कि कल में तेरे घर पर आ रहा हूँ और तेरी चुदाई करने वाला हूँ। तो में उनके घर पर गया और अंदर घुसते ही उनको अपनी बाहों में कसकर पकड़ा और लिप किस करने लगा।

उनके कूल्हों को पकड़ा और लंड को उनकी चूत पर लगा दिया और धीरे धीरे रगड़ने लगा। फिर उनको अपनी गोद में उठाकर बेडरूम में ले गया और फिर उन पर टूट पड़ा। उनकी साड़ी को उतार दिया और उनके ब्लाउज को खींचकर फाड़ डाला और बूब्स को चूसने लगा। तो उन्होंने मुझसे कहा कि भोसड़ी के, मादरचोद, मेरी चूत बहुत प्यासी है। तेरा लंड अब मेरी प्यासी तड़पती हुई चूत में डाल और मेरी प्यास बुझा दे। तो उनकी यह बात सुनकर में जोश में आ गया और 7 इंच का लंड उनकी चूत में डाला और ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदने लगा। तो उनके मुहं से सिसकियों के साथ साथ आहआआआ उह्ह्हह्ह आईईई आवाज़ निकल रही थी।

फिर मैंने कुछ देर के बाद उन्हे डॉगी स्टाइल में चोदा और फिर मैंने मेरा पूरा वीर्य उसकी चूत में डाल दिया और हम दोनों उस समय 69 पोज़िशन में थे। तो मैंने उसकी चूत चाटी और उन्होंने मेरा लंड चूसा और जब तक मेरा वीर्य फिर से बाहर निकला और उन्होंने पूरा माल चूस लिया और थोड़ी ही देर के बाद उनका भी पानी निकल गया। तो मैंने कहा कि एकदम सीधी हो जाओ में अब तुम्हारी गांड मारूँगा, लेकिन उन्होंने मुझे साफ मना कर दिया और मैंने एक भी सुने बिना लंड को गांड पर टिकाकर धीरे धीरे अंदर की तरफ धकेलने लगा, लेकिन उनकी गांड का छेद बहुत टाईट था जिसकी वजह से वो सिसकियाँ लेने लगी और कहने लगी आईईईईई प्लीज छोड़ दो मुझे, मेरी गांड में अपना मोटा अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह लंड मत डालो, मेरी गांड फट उह्ह्हह्ह जाएगी, प्लीज ऐसा मत करो। तुम चाहो तो मेरी चूत में और चाहो तो मेरे मुहं में अपना लंड डाल दो, में तुमसे कुछ भी नहीं कहूंगी, लेकिन मेरी गांड को छोड़ दो प्लीज। तो मैंने उनकी बात को अनसुनी करके एक ज़ोर का धक्का मारा और फिर पूरा लंड अंदर चला गया और वो एकदम से चीख उठी आहह्ह्ह्ह मार डाला बाहर निकालो इसे। में मर जाउंगी प्लीज बाहर निकालो।

तो में एकदम रुककर उनकी कमर को पकड़कर खड़ा रहा, उनके बूब्स को सहलाता रहा और फिर थोड़ी देर बाद जब वो शांत हो गई तो में धीरे धीरे अपनी स्पीड बड़ाता गया और अब वो भी मेरे साथ चुदाई के मजे लेने लगी। तो करीब दस मिनट के बाद में उनकी गांड में झड़ गया और मेरा काम खत्म हो गया। थोड़ी देर तक हम दोनों नंगे ही एक दूसरे को अपनी बाहों में लेकर लेटे रहे। में उनके बूब्स को मसल रहा था और वो मेरे लंड को सहला रही थी और फिर कुछ देर के बाद मेरा लंड फिर से जोश में आ गया और तनकर खड़ा हो गया। में उनको बाथरूम में ले गया और उनके साथ नहाते हुए उन्हे चोदा। हमने बहुत देर तक चुदाई की और फिर में वहां से अपनी चुदाई खत्म करके अपने घर पर आ गया, लेकिन उसके बाद में जब भी मेरा मन चुदाई करने का होता तो में उसके घर उसकी चूत को चोदने पहुंच जाता ।।

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]]> https://hothindisexstory.com/badi-chuchi-wali-teacher-ke-sath-chudai-ka-maja/feed/ 0 9209 मैडम को कुत्तिया बनाकर चूत में लंड घुसा दिया https://hothindisexstory.com/madam-ko-kutiya-banakar-choda-photo-ke-sath/ https://hothindisexstory.com/madam-ko-kutiya-banakar-choda-photo-ke-sath/#respond Fri, 08 Jul 2016 19:37:16 +0000 https://hothindisexstory.com/?p=8986 में दीपक उम्र 25 साल. दोस्तों ये एक आँखो देखी बिल्कुल सच्ची कहानी है, जो कि में आज बता रहा हूँ. में मेरठ में रहता हूँ, मेरठ में मेरे रिश्तेदार रहते है, जो यहाँ एक आर्मी ऑफिसर के यहा काम करते है और वो बिहार के रहने वाले है. वो अपनी फेमिली के साथ यहाँ […]

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]]> में दीपक उम्र 25 साल. दोस्तों ये एक आँखो देखी बिल्कुल सच्ची कहानी है, जो कि में आज बता रहा हूँ. में मेरठ में रहता हूँ, मेरठ में मेरे रिश्तेदार रहते है, जो यहाँ एक आर्मी ऑफिसर के यहा काम करते है और वो बिहार के रहने वाले है. वो अपनी फेमिली के साथ यहाँ पर रहते है. उन्हे एक क्वॉर्टर मिला हुआ है, जिसके पीछे एक गेस्ट रूम है, जो कि उन्होने मेरे रिश्तेदार को रहने के लिए दिया हुआ है.Madam ko kutiya banakar choda साहब की फेमिली में उनकी वाईफ और एक बेटी है, कुल तीन लोगों की फेमिली है. उनके साहब का नाम प्रणव चौधरी है और उम्र 36 या 37 साल होगी और मेडम की 33 या 34 और बेटी डोना अभी 4 साल की है. ये कहानी जो में बता रहा हूँ, वो मेडम की है, जो मैंने कई बार देखा है. मेडम का नाम संचीता चौधरी है और कोई 5 फीट की हाईट की होगी, बहुत गोरी और मांसल बॉडी की औरत है. उनका फिगर कोई 38-30-40 होगा. वो काफ़ी रंगीन मिज़ाज़ की औरत है और कई लोगों के साथ उनके शाररिक संबंध है, जो कि में चुपकर कई बार देख चुका हूँ.

आज उन्ही में से पहली कहानी लिख रहा हूँ. ये पहली कहानी है, जो लगभग एक साल पुरानी है. 4 से 5 दिनों के लिये साहब अक्सर आर्मी के कैंप में मेरठ से बाहर जाते रहते है और तब संचीता मेडम सिर्फ़ अपनी बेटी के साथ अकेली ही घर में रहती है. मेरे रिश्तेदार उनसे काफ़ी नजदीक है और मेडम ने उन्हे अपने कई यारों के बारे में बता रखा है, जो कभी कभी मेरे रिश्तेदार मज़ाक में मेरे सामने भी बोलते है कि आज तो मेडम के मज़े होने वाले है. मेरे रूम से संचीता मेडम का क्वॉर्टर सटा हुआ है और एक विंडो है, जो कि संचीता मेडम के क्वॉर्टर के साईड में खुलती है, उन्हे जब भाभी को बुलाना होता है, तो वो उसी विंडो से आवाज़ दे देती है.
ये कहानी तब की है जब साहब कैंप में बाहर गये हुए थे और मेरे रिश्तेदार को किसी काम से मेरठ से बाहर जाना पड़ा. यहाँ पर सिर्फ़ में और मेरे रिश्तेदार का एक बेटा था, जो संचीता मेडम की बेटी के साथ खेलता था. एक दिन सुबह ही मुझे पेशाब लग गयी और मेरी नींद टूट गई, मेरे रूम में अटेच बाथरूम नहीं था, इसलिए मुझे रूम से बाहर निकलना पड़ा और बाहर में पेशाब करके वापस रूम में लौटने लगा कि संचीता मेडम की बेटी के रोने की आवाज़ सुनी.
पहले मैंने ध्यान नहीं दिया, क्योंकी मुझे नींद आ रही थी, लेकिन उसका रोना सुनकर सोचा कि संचीता मेडम से पूछ लूँ कि वो क्यों रो रही है और में विंडो के पास गया और मेडम को आवाज़ लगाई, पर कोई जवाब नहीं मिला. फिर में रूम से बाहर निकला और सोचा कि एक नज़र बाहर देख लेता हूँ. फिर मैंने बाहर जाकर भी देख लिया और मेन दरवाजा भी लॉक ही था. अब मुझे लगा कि संचीता मेडम कहाँ है और जब में लौटने लगा तब में बाहर से जो पहला रूम था, उसमे से किसी के बोलने की आवाज़ सुनी, तो में हैरान हो गया कि वहां कौन है? साहब तो अभी कैंप पर गये हुए है. मैंने उस रूम का दरवाजा खोलना चाहा पर डोर अंदर से लॉक था.
फिर मैंने दरवाजे से कान लगाया और अंदर की आवाज़ सुनने की कोशिश करने लगा, मुझे एक मर्द और एक औरत की आवाज़ सुनाई पड़ी. मर्द की आवाज़ कुछ पहचानी लगी और औरत की आवाज़ संचीता मेडम की थी. में सोच में पड़ गया कि अंदर संचीता मेडम के साथ कौन है और में अंदर देखने की कोशिश में दरवाजे में कोई छेद खोजने लगा, जो कि मिल भी गया.

मैंने उस होल से अंदर देखा तो मुझे मज़ा आ गया. अंदर संचीता मेडम बेड पर नाईटी में बैठी थी और एक 40-42 का जवान आदमी, जिसका नाम राकेश था और वो यहाँ ब्याज पर पैसा देने का काम करता है और बहुत अमीर आदमी है (ये में इसलिए जानता हूँ कि मेरे रिश्तेदार भी उससे कभी कभी उधार पैसा लेती है) वो अपनी पेंट पहन रहा था और संचीता मेडम से कुछ कुछ बोल रहा था, मेडम उसकी बात सुनकर मुस्करा रही थी.
फिर बोली कि अब तुम निकलो जल्दी, राकेश पेंट पहनकर अपना कुर्ता पहना और बोला कि अब कब आऊंगा? मेडम बोली कि अब कल दिन में आना, लेकिन 12 बजे के बाद क्योंकि तब तक में अपना सारा काम ख़त्म कर लेती हूँ, ठीक है में आ जाऊंगा. फिर संचीता मेडम उठी, तो में भी वहां से हटा और अपने रूम में चला आया.
अगले दिन में सुबह ही संचीता मेडम से बोला कि में बाहर जा रहा हूँ, कुछ काम है तो में कर दूँ तो उन्होने बोला कि कुछ नहीं, आप जाओ, मैंने कहा कि में शाम को आकर सब्जी ला दूँगा और में निकल गया. संचीता मेडम भी सोच रही होगी कि अब में शाम को आऊंगा और वो बेफिक्र हो गई. में 12 बजे वापस चुपचाप अपने रूम पर आ गया, तो वहां देखा कि मेडम की बेटी मेरे रिश्तेदार के बेटे के साथ खेल रही है. फिर मैंने पूछा कि यहा क्यों खेल रहे हो, तो मेरे रिश्तेदार के बेटे ने बोला कि मेडम ने बोला है कि बेबी को अपने यहाँ ले जाकर खेलो और में समझ गया कि रात वाला आदमी राकेश आ रहा होगा, इसीलिए मेडम ने बेबी को वहां से यहाँ भेज दिया.
कुछ देर के बाद में उससे बोला कि जाओ देखकर आओ कि मेडम क्या कर रही है और बोलना कि क्या में बेबी को लेकर बाहर वाले रूम में आकर खेल लूँ. वो गया और कुछ देर बाद वापस आया और मुझसे बोला कि कोई साहब आये हुए है और मेडम बोली कि ठीक है, जब बेबी बोले तब ड्रॉइंग रूम में आकर खेलना, में डोर खुला छोड़ देती हूँ. में समझ गया कि अब संचीता मज़ा मार रही होगी और में उससे बोला कि तुम इधर ही बेबी के साथ खेलो और जब तक में ना आ जाऊं, बाहर मत निकलना. वो बोला ठीक है और में बाहर निकला और चुपके से मेडम के ड्रॉइंग रूम में गया. में जानता था कि मेडम बेडरूम में ही होगी, क्योंकि उधर ए.सी. लगा है. फिर में दबे पावं बेडरूम के दरवाजे पर पहुंचा और एक होल भी मुझे मिल गया. फिर मैंने आँख लगा दी और अंदर का नज़ारा देखा तो अंदर का सीन देखकर में मस्त हो गया. राकेश संचीता मेडम के ऊपर चड़ा हुआ था और संचीता मेडम के होंठ को चूस रहा था और संचीता मेडम उसकी पीठ को सहला रही थी.

फिर राकेश उठा और अपना कुर्ता उतार फेंका. फिर पेंट भी उतार डाली. अब वो अंडरवियर में था और संचीता मेडम नाईटी में थी. फिर राकेश ने अपना अंडरवियर खोल दिया, उसका लंड साईज़ से काफ़ी बड़ा और मोटा था. मेरे हिसाब से 7 इंच से थोड़ा ज़्यादा ही होगा और एकदम तना हुआ था, उसने संचीता मेडम का हाथ पकड़ा और उसे खड़ा कर दिया.
संचीता उसका लंड हाथ में लेती हुई बोली कि आज ज़्यादा तमतमा रहा है ये. हाँ जानेमन जल्दी से अपनी चूत में इसको ले ले, दो राउंड मारने है ना हाहहहः. संचीता मेडम मस्ती से हँसती हुई बोली कि आज के बाद नहीं लेना है क्या? अरे संचीता तुझे तो जिंदगी भर भी पेलता रहूँ तो मेरे लंड की प्यास नहीं मिटने वाली. संचीता मेडम उसका लंड सहलाते हुए बोली कि ऐसा क्यों? अरे संचीता रानी तू चीज़ ही ऐसी है, जितना पेलता हूँ तो और पेलने का मन करता है और ये कहकर वो संचीता मेडम से बोला कि संचीता रानी एक राउंड पहले जल्दी से कर ले.
फिर तुझे आराम से चोदूंगा, चल तू घोड़ी बन और उसने संचीता को ज़मीन पर ही बिठा दिया. मेडम ज़मीन पर ही घोड़ी बन गई, तो वो मेडम के पीछे खड़ा होकर संचीता मेडम की नाईटी को उसकी गांड से ऊपर उठा दिया. संचीता मेडम ने अंदर कुछ नहीं पहना था. संचीता मेडम की गोरी गोरी मोटी गांड देखकर मेरा भी लंड खड़ा हो गया. फिर वो संचीता मेडम के ऊपर झुका और चूत पर अपना लंड टिकाकर धक्का मारा तो संचीता मेडम हल्की सी चीखी, एक ही धक्के में लगभग पूरा लंड संचीता की चूत में घुस गया. फिर वो जोर जोर से धक्के मारने लगा.
संचीता मेडम भी मस्ती से सिसकारी लेने लगी, आआहह सीईीईसीईसी. वो संचीता मेडम को ज़मीन पर ही घोड़ी बनाकर कस कसकर पेल रहा था. संचीता मेडम की चूत गीली हो गई थी, इसलिये हर बार जब उसका लंड अंदर जाता था तो पच पच की आवाज़ होती थी. 5-7 मिनट तक संचीता मेडम को ज़मीन पर चोदने के बाद वो सीधा खड़ा हुआ और संचीता मेडम को भी खड़ा कर दिया और संचीता की गांड पर अपना लंड सटाकर संचीता को धकेलता हुआ दीवार से सटा दिया.

Madam ko kutiya banakar choda

अब संचीता मेडम का चेहरा दीवार से सटा हुआ था और उसने संचीता मेडम के पीछे खड़ा होकर लंड उसकी चूत में घुसा दिया. मेडम ने अपने दोनों हाथ दीवार पर टिका दिये और वो संचीता मेडम को खड़े खड़े पीछे से चोदने लगा और साथ साथ उसने संचीता मेडम की बड़ी बड़ी चूची को दोनों हाथों से पकड़ लिया था और संचीता मेडम की चूची मसलते हुए संचीता मेडम को चोद रहा था. संचीता दीवार पर हाथ टिकाकर कामुक सिसकारी लेती हुई उसको ज़ोर ज़ोर से चोदने को बोल रही थी, आहह कसकर चोद सीइसस्स्स्स्ससी उउउ. इसी तरह 5-6 मिनट चोदने के बाद उसने कहा कि पानी कहा डालूँ? तब संचीता मेडम बोली कि पलंग पर चलो.
राकेश ने लंड मेडम की चूत से खींचा और संचीता मेडम पलंग पर आकर पैर फैलाकर लेट गई. अब में संचीता मेडम की चूत देख रहा था. संचीता की चूत मोटी मोटी थी और चूत पर बहुत बाल थे और चुदाई की वज़ह से चूत लाल हो गई थी. राकेश संचीता मेडम के ऊपर चड़ा और लंड संचीता मेडम की चूत में डालकर ज़ोर ज़ोर से धक्का देने लगा. संचीता मेडम भी अपनी गांड उठा उठाकर उसके हर धक्के का जबाब दे रही थी. दोनों एक दूसरे के मुँह में मुँह घुसाये हुए थे.

20-22 धक्के लगाकर राकेश संचीता मेडम से ज़ोर से चिपक गया. उसका पानी निकल रहा था, अहहाः मेडम में तो गया, जा पी मेरे माल को साली मेरे लंड को निचोड़ ले, आ मेरी संचीता. मेडम भी अपने पैर को उसकी कमर पर लपेटकर उससे कसकर लिपट गई, शायद उसका भी पानी निकल रहा था, मेरा भी हो गया. हाँ मेरा भी पानी निकल गया, दोनों झड़ते हुए एक दूसरे का मुँह चूस रहे थे.
फिर दोनों शांत हो गये. थोड़ी देर के बाद राकेश ने संचीता मेडम की चूत से अपना लंड बाहर खींच लिया और संचीता के पैरों के बीच बैठकर संचीता मेडम की नाईटी से उसकी चूत साफ करने लगा. संचीता की चूत को देखते हुए मैंने भी अपना पानी निकाल दिया. फिर संचीता मेडम बोली कि अब छोड़ो, में अभी बाथरूम से आती हूँ. फिर संचीता मेडम उठी और नंगी ही रूम से अटेच बाथरूम में चली गई, शायद वो पेशाब करने के लिए बाथरूम में गई थी.
उनके वापस आने के बाद राकेश भी उठा और बाथरूम में गया और पेशाब करके वापस आया और बिस्तर पर नंगा ही पड़ गया. तभी संचीता मेडम का मोबाईल रिंग करने लगा और उसने 5 मिनट तक किसी से बात की और बात करके वो मोबाईल वहीं टेबल पर रखकर उस आदमी से बोली कि क्यों क्या हुआ? वो बोला मतलब क्या वहीं खड़ी रहने के लिए मुझे इधर बुलाया है.
संचीता मेडम हंसती हुई बोली और क्या? पास आकर क्या करना है? ये सुनकर राकेश अपना लंड हिलाता हुआ बोला कि इसको नहीं लेना है क्या? मेडम बोली कि वो तो अभी तक सोया पड़ा है, उसको कैसे लूँगी. तो वो आदमी बोला कि रानी पास आओ, अभी खड़ा हो जायेगा और संचीता मेडम पलंग के पास जाकर खड़ी हो गई. फिर उसने संचीता मेडम का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचा.
संचीता मेडम अब उसके बराबर ही बिस्तर पर लेट चुकी थी. सच कहता हूँ संचीता एक साल से तुझे चोद रहा हूँ, लेकिन हर बार जब तेरे को चोदता हूँ, तो ऐसा लगता है कि पहली बार चोद रहा हूँ. साली तेरी जैसी चुदक्कड़ औरत नहीं देखी मैंने. संचीता मेडम उसकी बात पर हँसते हुए बोली कि 2 बजने वाली है और आप 4 बजे तक चले जाना, समझे.
राकेश ने अब संचीता मेडम की गांड और पीठ को सहलाना शुरू कर दिया. संचीता मेडम उसको चूम रही थी और वो भी संचीता मेडम के होठों को अपने होठों से दबा रहा था और मेरी तरफ मेडम की गांड थी, जिस पर में राकेश का हाथ देख रहा था, वो संचीता की गांड को हाथ से दबा रहा था और कभी संचीता मेडम की पीठ को सहला रहा था, मेडम भी उसकी गांड को कसकर मुट्ठी में दबाने लगी, उसने उत्तेजित होकर संचीता मेडम को ज़ोर से अपनी बाहो में जकड़ लिया, आह्ह्ह्ह संचीता मेडम के मुँह से आवाज़ निकल गई. फिर राकेश संचीता मेडम के ऊपर चड़ गया और संचीता मेडम ने उसको ज़ोर से पकड़ लिया.

राकेश अब मेडम को ज़ोर ज़ोर से चूम रहा था. संचीता मेडम भी उसका पूरा सहयोग कर रही थी. फिर राकेश संचीता की बड़ी बड़ी चूचियों पर अपना मुँह रगड़ने लगा. उसका निप्पल 1 इंच का होगा, एकदम ब्राउन. वो मेडम की एक चूची को मुँह में लेकर चूसता तो दूसरे को हाथ से मसलता. संचीता मेडम अपने एक हाथ से उसकी गांड सहला रही थी और दूसरे हाथ को अपने और उसकी बॉडी के बीच घुसा रखा था.
शायद वो उसके लंड को पकड़े हुए थी, क्योंकि उसका हाथ आगे पीछे हो रहा था. कुछ देर तक संचीता मेडम की चूचियों को चूसने के बाद राकेश संचीता के होठों को चूसने लगा, उसने मेडम के मुँह में अपनी जीभ घुसाना शुरू किया तो मेडम भी अपनी जीभ उसकी जीभ से टच करने लगी और साथ ही वो एक हाथ से उसकी गांड पकड़े हुए थी और दूसरे से उसका लंड. इतना करते करते राकेश संचीता के ऊपर से उतर के बगल में हो गया.
मेडम ने उसकी तरफ मुँह किया, तो मुझे उसकी गोरी और बड़ी गांड दिखी, जो कि एकदम चिकनी थी और एक भी बाल नहीं था. वो मेडम की गांड को एक हाथ से पकड़कर दबा रहा था, तो कभी सहला रहा था. संचीता मेडम उसका लंड अपने हाथ में लेकर दबा रही थी. इस तरह से काफ़ी देर तक दोनों फोर प्ले करते रहे. उसका लंड पूरा टाईट होकर संचीता मेडम की मुट्टी में फंसा हुआ था और मेडम भी शायद पूरी चुदसी हो चुकी थी, क्योंकि अब वो उसको अपने ऊपर खींचने लगी थी.
संचीता मेडम तभी बोली कि आ जाओ अब, उसकी आवाज़ काफ़ी भारी हो गई थी, शायद चुदसी की वजह से. अब मेडम पीठ के बल सीधी लेट गयी और राकेश मेडम के पैर के बीच आकर बैठा. उसका काला लंबा मोटा लंड फंनफना रहा था, जैसे ही वो संचीता मेडम के पैर के बीच में बैठा, तो संचीता उसका लंड पकड़कर चूत पर रख लिया और उसने थोड़ा दवाब दिया, तो उसका पूरा लंड संचीता की बालों से भरी चूत में चला गया. राकेश लंड डालकर संचीता के ऊपर लेट गया और धक्का मारना शुरू कर दिया.
मेडम उसकी पीठ पर अपने दोनों हाथ रखे हुए थी और आँख बंद करके लंड का मज़ा ले रही थी. वो नॉर्मल स्पीड से संचीता की चूत में लंड आगे पीछे कर रहा था. कुछ देर तक इसी तरह से चोदने के बाद उसने करवट बदल ली और संचीता मेडम को अपनी तरफ मुँह करने को बोला. फिर मैंने देखा कि उसका काला लंड एकदम चमक रहा था, शायद संचीता की चूत का पानी उस पर लगा था.
संचीता उसकी तरफ हो गई, तो उसने मेडम का एक पैर अपनी कमर पर रख लिया और अपना लंड उसकी चूत में डालकर आगे पीछे करने लगा. मेडम की गांड मेरी तरफ थी और में उसकी चूत में उसके लंड को आते जाते साफ देख रहा था.
राकेश संचीता की गांड को हाथ से पकड़कर दबाते हुए उसको पेले जा रहा था, संचीता मेडम के मुँह से मज़े के कारण आहहहईई की आवाज़ निकल रही थी. वो भी अब लंड के धक्के का जबाब देते हुए अपनी कमर उसकी कमर से टकरा रही थी. इस स्टाईल में वो संचीता को करीब 10 मिनट तक चोदता रहा. फिर वो मेडम को वापस सीधा करके उसके ऊपर चड़कर उसको चोदने लगा.

राकेश ने पूछा कि मज़ा आ रहा है जानू, संचीता ने उसकी गांड पर अपने दोनों हाथ रखे हुये बोली कि ज़ोर से धक्का मारोगे तब मज़ा आयेगा. धीरे चोदने में मज़ा नहीं मिलता मुझे, ज़ोर के धक्के का मज़ा ही कुछ और है. वो बोला अच्छा तो ये लो मेडम जी, संचीता सिसक पड़ी और वो ताव में आ गया था और मेडम को खूब ज़ोर से धक्का मारा. मेडम बोली कि हाँ इसी तरह करो, अब अच्छा लगा ना. संचीता मेडम उसको जोश में लाते हुए बोली कि अब ज़ोर ज़ोर से पेलो.
उसकी ज़ोरदार चुदाई से संचीता भी अपनी गांड हिलाने लगी, वो उसके हर धक्के पर नीचे से अपनी गांड उठाने लगी थी और साथ ही उसके मुँह से मस्ती भरी आवाज़ निकलने लगी थी. 5-6 मिनट लगातार कस कसकर धक्के मारने के बाद वो धक्के लगाना बंद करके संचीता के ऊपर लेट गया. उसके हांफने की आवाज़ मुझ तक पहुँच रही थी.
संचीता की भी हालत वैसी ही थी और वो भी हांफ रही थी. 1-2 मिनट रुककर वो उठा और मेडम से बोला कि संचीता अब पीछे से आ जाओ, तो वो उठी और बिस्तर पर कुत्तिया बन गई और वो खड़ा होकर मेडम की गांड पर झुका और संचीता की चूत में लंड घुसा दिया. में उसको साईड से देख रहा था तो मुझे मेडम की चूत में लंड आता जाता नहीं दिख रहा था. वो झुककर मेडम की गांड पर हाथ जमाकर धक्के लगाने लगा.
इस बार जब जब लंड संचीता की चूत में अंदर जाता तो मुझे पच पच की आवाज़ सुनाई देने लगी, वो जब धक्का देता तो मेडम की बड़ी बड़ी चूची आगे पीछे हो रही थी. संचीता मेडम मस्ती से आँख बंद कर सिसकारी लेती हुई उससे कुछ बोलती थी, जो कि मुझे सुनाई नहीं दे रहा था. राकेश अब थोड़ा और संचीता के ऊपर झुक गया था और मेडम की लटकी हुई चूची को पकड़कर उसको चोदता रहा.
जब उसका बेलेन्स समाप्त होने लगा तो वो संचीता की गांड के पीछे कुत्ता बनकर बैठ गया और दोनों हाथ से मेडम की गांड को साईड से पकड़कर उसकी चूत चोदता रहा. संचीता को कुत्तिया बनाकर राकेश बहुत देर तक चोदता रहा. फिर अचानक से वो बोला कि मेडम अब आपकी गांड मारूँगा.
इतना सुनते ही मेडम उससे अलग हो गई और बोली नहीं बहुत दर्द होता है संचीता इनकार करते हुए बोली कि आपका लंड ज़्यादा मोटा है, तो वो बोला कि हाँ मेरे जैसा लंड बहुत कम लोगों का ही होता है. फिर संचीता बोली कि तभी तो आपको जब उस दिन पेशाब करते देखा और आपका लंड देखा, तो में हैरान रह गई थी कि हमारे यहाँ भी मर्दो का सामान ऐसा होता है और मैंने उसी दिन सोच लिया था कि एक दिन इस सामान से मज़ा ज़रूर लूँगी. अच्छा कोई बात नहीं संचीता रानी, किसी और दिन गांड मार लूँगा, अभी चूत तो मारने दो, मेडम बोली कि तो मारो ना जितना मार सकते है मारो, उसके लिए में हमेशा तैयार हूँ.
यह कहती हुई मेडम सीधी लेट गई और उसने मेडम के पैर को खोलकर लंड डालकर उसकी चूची को पकड़ा और दबाते हुए मेडम की चूत पेलने लगा. संचीता उुउऊहह आआईईईइ हहाई आपके जैसा मज़ा किसी ने नहीं दिया मुझे आज तक अहह्ह्ह चोदो मुझे, ज़ोर ज़ोर से चोदो, मेरी चूत की सारी गर्मी निकाल दीजिये, आहह बड़ा मज़ा रहा है. अब वो शायद लास्ट स्टेज में आ चुका था. राकेश अब संचीता मेडम के ऊपर लेटा और दोनों हाथ मेडम की गांड के नीचे रखकर नीचे से मेडम की गांड को पकड़ लिया. उसके ऐसा करते ही संचीता मेडम ने अपने दोनों पैर उठाकर हवा में खोल दिये. राकेश संचीता की चूची को मुँह से रगड़ते हुए घोड़े जैसी स्पीड से संचीता को पेलने लगा.

मेडम उससे कसकर लिपटी हुई थी, आहह में झड़ने वाली हूँ. राकेश भी हाफते हुए बोला कि हाँ अब मेरा भी निकलेगा संचीता. उन दोनों को उस स्टाईल से चुदते देख मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे दो पहलवान कुश्ती लड़ रहे हो और एक दूसरे को हरा देना चाहते हो. तभी राकेश ने अपना हाथ संचीता मेडम की गांड के नीचे से निकाला और मेडम को कंधे से पकड़ लिया और जोर से धक्का मारने लगा और ज़ोर ज़ोर से हाँफते हुए मेडम से चिपक गया.
संचीता भी ज़ोर से सीसीयाई अहहहहहाः और राकेश को कसकर पकड़ लिया. दोनों एक साथ झड़ रहे थे और संचीता ने अभी भी अपने दोनों पैर हवा में उठा रखे थे, जिसको उसने कुछ देर के बाद बिस्तर पर रखे और लगभग दस मिनट तक दोनों एक दूसरे से उसी तरह लिपटे रहे. फिर संचीता मेडम उसकी गांड पर हाथ मारकर बोली कि उठो ना अब, राकेश उठा और संचीता भी उठकर बैठी हो गई और नाईटी से अपनी चूत साफ करने लगी. फिर उसने घड़ी देखी और बोली कि अब आप जाइये, 4 बजने वाले है.
मैंने भी टाईम देखा तो 3:40 हो रहा था. मतलब कि लगभग 1:30 घंटे तक चुदाई का खेल चला. राकेश कपड़े पहनने लगा और संचीता ने भी अपनी नाईटी पहन ली. राकेश बोला कि अब कब आना है? संचीता बोली कि में बाद में बता दूँगी, अब जल्दी से निकलो आप. फिर में वहां से हटा और अपने रूम में आ गया. मैंने भी संचीता मेडम को चुदते देखा तो मैंने भी अपना पानी निकाल डाला, जिससे में थक गया और चुपचाप सो गया.

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]]> अब मैं २४ साल का हूँ और अपनी ऐम.ई. की पढ़ाई कर रहा हूँ दिल्ली में अपनी फॅमिली से दूर। पता नहीं वो सब कैसे क्या हुआ सब एक सेक्स कहानी की तरह लगता है पर ये कोई कहानी नहीं बल्कि सच्ची घटना है माँ के साथ सुहागरात आपके सामने रख रहा हूँ। बात उस वक्त की है जब मैं १८ साल का था। एक दिन हम किसी बर्थडे पार्टी में जा रहे थे, मेरी माँ को तैयार होने में काफी वक्त लगता था इसलिए पापा हमेशा ही गुस्सा हुआ करते थे, उस दिन पापा गुस्से में अकेले ही चले गए, माँ आज बहुत ही खूबसूरत लग रही थी, माँ ने सिल्क की साडी पहनी थी और बाल स्टेप कट किए हुए थे, होंटो पे ब्राउन लिपस्टिक, और क्या कहूँ ऐसा लग रहा था जैसे मानो वो किसी मूवी की एक्ट्रेस हो. बस वो थोडी मोटी थी बाकी फिगुर तो 36 -30 -36 है।

ड्रेसिंग रूम से आवाज़ आई बेटे ज़रा इधर तो आना, मै रूम में गया तो माँ आइने के सामने खड़ी हाथ पीछे कर के ब्रा का हूक लगा रही थी, मुझसे कहा ये हूक तो लगा दे, मैंने हूक लगाया तब पहली बार मैंने मेरी माँ को ब्रा में देखा था. आइने में माँ के ३६ साइज़ के बूब्स साफ़ दिखाई दे रहे थे .फिर मैं और माँ दोनों पार्टी के लिए निकल पड़े.

इस वक्त मुझे कुछ समझ में नहीं आता था पर ये जान चुका था कि मेरी माँ बहुत सेक्सी है. तबसे मैं कभी कभी माँ की ब्रा और पैंटी पहन कर देखता था.२ -३ सालों बाद पापा का प्रमोशन हो गया. अब पापा हमेशा ऑफिस के काम से वीकली बाहर गांव जाते थे, तब घर में हम ४ लोग होते थे छोटा भाई, बहन, मैं (सबसे बड़ा) और हमारी खूबसूरत माँ जिसे सजना – संवरना काफी पसंद था और कुछ हद तक बेशरम भी थी.

जब भी घर में कोई नहीं होता तब माँ हमेशा सिर्फ़ ब्रा और निक्कर में ही बाथरूम से बाहर आती और अपनी साड़ी पहनती. माँ की उमर ३६ साल होते हुए भी वो बहुत ही नशीली लगती थी, मैंने कई बार माँ को ब्रा और पैंटी में देखा था कपड़े पहनते हुए, कई बार तो नहाते हुए भी देखा था पर छुप छुप के, जब भी दरवाजा खुला छोड़ नहाती थी. तब मेरी हालत कैसी होती होगी आप महसूस कर सकते हो.

वो गर्मी के दिन थे. घर में कूलर था पर बिजली कभी भी जाती थी आती थी रात को कभी कभी तो १ -२ घंटे आती ही नहीं थी. उस रात से तो मेरी जिंदगी ही बदल गई। उस रात मैं और मेरी माँ पास में ही सोये हुए थे भाई और बहन बाजू में थे। रात के करीब ११ बजे बिजली चली गई मेरी भी नींद खुल गई। मैंने देखा की माँ मोमबत्ती लगा रही है मुझे नींद नहीं आ रही थी गर्मी भी काफी हो रही थी.थोडी ही देर में देखा तो माँ अपना ब्लाउज उतार रही है, माँ ने काली ब्रा पहनी थी इसलिए उन्हें ज्यादा गर्मी लग रही थी, ब्रा भी जालीदार थी इसलिए उनके नीपल साफ नजर आ रहे थे. ब्रा के ऊपर से उनके बड़े बड़े बूब्स आधे से भी ज्यादा नजर आ रहे थे.

मै तो देखता ही रह गया. वैसे तो मैंने कई बार माँ को इस हालत में देखा था, पर आज करीब से देखने का मौका मिला था. मैंने कभी सोच भी नही था कि मेरी माँ इतनी खूबसूरत है. अब मै काफी समझदार हो गया था। माँ ने फिर अपने बालों को उपर करके बाँध दिया। तब मैंने माँ की ब्रा के हूक को देखा लगा कि खोल दूँ इसे। थोडी ही देर में बिजली आ गई और कूलर शुरू हो गया। माँ बिना ब्लाउज के ही सो गई.

मुझे नींद नहीं आ रही थी मैं सोच रहा था कि काश मुझे आज रात को माँ को चोदने का मौका मिलता !!!!!!!!
पर किस्मत ने साथ नहीं दिया … कब सुबह हुई पता ही नहीं चला. अब मैं हमेशा माँ को चोदने की नज़र से ही देखता रहता। आज मैं स्कूल नहीं गया था. माँ जैसे ही नहाने गई मैं चेंजिंग रूम जाकर सोने का नाटक करने लगा. माँ आई आज वो सिर्फ़ तौलिया ही ओढे थी फिर उन्होंने वो भी हटा दिया माँ सिर्फ़ ब्रा और पैंटी ही पहने थी, माँ की जांघें बहुत ही चिकनी और गोरी थी और पैंटी से उनकी गांड उभर कर आई थी और ब्रा के अंदर से बड़े बड़े और काले निप्पल के बूब्स तो मानो बाहर निकलने को बेकरार थे .. मैं माँ की खूबसूरती देखते ही झड़ गया ..

फिर माँ आईने में अपनी बगलों के बालों को निहार रही थी. माँ ने पापा का रेजर निकला और बालों को निकालना शुरू किया. मैं सोच रहा था काश मेरी शादी मेरी माँ से हुई होती …….!!!!

आज फिर रात हो हो गई .. सोचा आज तो किस्मत साथ दे दे। मैं सेक्स में ये भी भूल गया था कि वो मेरी माँ है। हम सोने की तय्यारी कर रहे थे . भाई बहन सो चुके थे, पापा भी घर में नहीं थे. माँ ने मेरे सामने ही अपना ब्लाउज उतारा और अपनी पीठ खुजाने लगी. माँ ने आज सफेद ब्रा पहनी थी, धीमी रोशनी की वजह से माँ और भी सेक्सी लग रही थी, मैंने कहा क्या हुआ?

माँ बोली – कुछ नहीं ! खुजली हो रही है जरा गर्मी का पाउडर तो ले आ ! मैं पाउडर लाया. माँ ने कहा अब लगा भी दे. मै माँ के पीठ पर पाउडर लगाने लगा पर ब्रा का बेल्ट उँगलियों में फँस जाता था. माँ ने कहा जरा बगल में भी लगा दे माँ ने हाथ उपर उठाया मैंने देखा कि आज सुबह जो माँ ने बाल निकाले थे वो जगह काफी चिकनी हो चुकी थी मैंने कहा ये हूक निकाल दूँ तो माँ बोली क्यों?

मैंने कहा ताकि पूरी पीठ को पाउडर लगा सकूँ. माँ ने कहा ठीक है पर पूरी ब्रा मत निकालना. फिर मैंने माँ की ब्रा का हूक खोला। माँ की चिकनी पीठ काफी सुंदर लग रही थी. मैं कभी कभी अपना हाथ आगे की और भी ले जा रहा था जिससे मै माँ के बूब्स को टच कर सकूँ. फिर माँ ने ख़ुद ही अपनी ब्रा उतार दी और कहा जरा इधर भी पाउडर लगा दे .मैं माँ के बूब्स सहलाने लगा. माँ के बूब्स काफी बड़े और नरम थे, माँ के बूब्स इतने टाइट थे कि ब्रा की जरुरत नहीं थी।

मैं माँ के नीपल को दबाने लगा तभी माँ ने कहा क्या करते हो .. माँ की धड़कने बढ़ रही थी .. फिर माँ ने कहा तेरा भाई उठ जाएगा .. हम चेंजिंग रूम में चलते हैं। माँ के बूब्स चलते हुए हिल रहे थे। फिर मैंने कहा अब तुम मुझे पाउडर लगा दो. माँ ने कहा क्यों तुझे भी खुजली हो रही है? मैंने कहा हाँ. माँ ने कहा ठीक है. मैं शर्ट और बनियान निकाल बेड पर लेट गया. माँ मेरे पीठ पर पाउडर लगा रही थी।

अब माँ ने मुझे पलट जाने को कहा ताकि वो मेरे सीने पर भी पाउडर लगा सके मै अब पीठ के बल लेट गया और माँ मेरे बाजु में थी माँ जब मुझे पाउडर लगाती मै उनके बूब्स की और देखता था। वो बहुत ही रसीले लग रहे थे मैं बड़ी हिम्मत से माँ के बूब्स को हाथ लगाया माँ ने कुछ नहीं कहा फिर मैंने उन्हें दबाना शुरू किया, मै उन्हें धीरे धीरे दबा रहा था।

माँ ने कहा जरा देख तो लो तेरे भाई बहन सोये कि नहीं? मै देख आया दोनों सोये हुए थे .. माँ को बताया। माँ ने कहा हम इधर ही सो जाते हैं .. मैं भी मान गया माँ ने अपनी साड़ी उतारनी शुरू की। मैंने कहा साड़ी क्यों निकाल रही हो , तब माँ ने कहा आज मै तेरे साथ रात गुजारना चाहती हूँ और माँ ने अपनी साड़ी उतार दी अब वो सिर्फ़ पैंटी में थी, माँ की चूत के बाल जालीदार पैंटी से साफ नज़र आ रहे थे.
क्यों आज क्या तू पहली बार मुझे नंगी देख रहा है .. मैंने कहा मैं कुछ समझा नहीं.

माँ के साथ सुहागरात

मुझे सब पता है तू रोज़ मुझे नंगी देखता है जब मैं नहा कर आती हूँ, क्यों सच है न ???????
मैं एकदम ही डर गया, डर मत माँ ने कहा देख मैं ये बात तेरे पापा को नहीं बताउंगी पर एक शर्त है.
मैंने कहा कौन सी शर्त ? माँ ने कहा तुझे मेरे साथ नंगा सोना पड़ेगा.
मैं डर के मारे तैयार हो गया ..मैंने अपने कपड़े उतार दिए। फिर हम दोनों बेड पर आ गए. माँ सिर्फ़ अपनी पैंटी में ही थी और मै अंडरवियर में. माँ मुझसे लिपट गई और चूमने लगी, मैंने कहा ये सब ठीक नहीं और बेड से उठ गया ..
तब माँ ने गुस्से में कहा जो तू करता है क्या वो ठीक है अपनी माँ को नहाते हुए देखता है !

माँ ने मुझे समझाया बेटे ये कोई ग़लत बात नहीं है ..तू भी अब जवान हो गया है और मेरी भी कुछ इच्छाएं हैं जो तेरे पापा समय की वजह पूरी नहीं कर सकते, तब तू मेरी इच्छाएं पूरी करे तो इसमे ग़लत क्या है ? आह्किर मै तेरी माँ हूँ .. और बेटा ही माँ को समझ सकता है ..
मैंने कहा अगर पापा को पता चला तो ……..


माँ बोली यह बात हम दोनों के बीच ही रहेगी …..टॉप सीक्रेट ….और जब कि तूने मेरे बूब्स को दबाया और सहला भी दिया है तो फ़िर अब चोदने में क्यों घबराते हो ? बात सिर्फ़ आज रात की तो है ..
तब मैं मान गया , आख़िर मैं भी तो यही चाहता था. माँ ने कहा चलो बेटे आज हम सुहागरात मानते हैं , आज की रात तुम ही मेरे पति हो ..
फिर माँ ने मुझे अपनी बाँहों में कस के पकड़ लिया और मुझे चूमने लगी मैंने भी माँ को चूमना शुरू किया, माँ मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से सहला रही थी, मैं भी माँ की चूत को पैंटी के ऊपर से सहला रहा था। फिर माँ ने मेरी अंडरवियर उतार दी और मेरे लौडे को हाथ से सहलाने लगी ताकि वो और बड़ा और टाइट हो जाए।फिर माँ ने अपनी कच्छी उतारी और मेरे लौडे को अपनी चूत में डाल दिया अब हमने खड़े खड़े ही चोदना शुरू कर दिया था। मैंने अपना दायां पैर बेड पर रखा और जोरों से धक्के दे रहा था ..माँ के मुंह से आह ..!! आह ..!! आह ..!! आवाज़ निकाल रही थी ..माँ ने भी मुझे जोरों से अपनी बाहों में पकड रखा था।
फिर हम बेड पर आ गए और मै माँ के नीपल को मुंह में लिए चूस रहा था, माँ एक हाथ से मेरे लौडे को सहला रही थी। फिर मैंने माँ को बेड पर पीठ के बल लेटाया और माँ की चूत को चूमने लगा। माँ सेक्स के मारे पागल हो रही थी, फिर माँ ने मेरे लौडे को चूमना शुरू किया,वो उसे मुंह में ले रही थी।
फिर माँ ने मेरा लौड़ा अपने हाथों से अपनी चूत में डाला और कहा- ले अब छोड़ अंदर तक ले जा ….. माँ ने अह्ह्ह …… भरी, कहा ऐसे ही करते रह, मै भी माँ की जांघों को पकड़ पकड़ कर चोदता रहा …..
बहुत अच्छा लग रहा था. मेरा गिरने ही वाला था माँ ने कहा अंदर मत गिरा फिर माँ ने मुझे बेड से दूर कर के नीचे गिराने को कहा।
हमने फ़िर एक दूसरे को चूमना शुरू किया और उत्तेजित हो गए। मां बिस्तर पर लेट गई और मुझे कहा कि मेरी गाण्ड में लौड़ा डाल दे। मैंने मां की गाण्ड मारना शुरू किया। फ़िर हम सीधे हो कर एक दूसरे को चोदते रहे। रात भर हम सब कुछ भूल कर बस चोदते ही रहे। मां को कई तरह से चुदवाना आता था। उन्होंने मुझसे १०-१२ अलग अलग तरीकों से चुदवाया। मां का बदन काफ़ि नरम और खूशबूदार था। मैंने मां को पूरी तरह से सन्तुष्ट कर दिया।
इस बीच मैं दो बार झड़ गया। रात के तीन बजे हम कपड़े पहन कर सोने चले गए। मां खुश लग रही थी। सुबह जब मैं नाश्ते के किए बैठा तब मेरी मां से बात करने की हिम्मत नहीं हो रही थ
मां ने कहा- क्या हुआ? मैंने कहा है ना तुमसे कि यह बात सिर्फ़ हम दोनो के बीच रहेगी। और फ़िर भी तुम्हें शरम आती है तो मुझे अपनी वाईफ़ समझ सकते हो, वैसे भी हम सुहागरात तो मना ही चुके हैं

मां ने हंसते हुए मेरे होंठो को चूमा। मैं भी मां को अपनी बाहों में लेकर चूमता रहा।
फ़िर उस दिन से जब भी हमारा मूड होता और पापा घर में नहीं होते, हर रात हम सुहागरात मनाते रहे। कभी कभी तो दिन में भी बिना कपड़ों के साथ रहते। एक दिन तो मैंने मां के नीचे वाले बालों की शेव कर दि थी और मां ने मेरी। अब चुदाई में बहुत मज़ा आता था। कभी कभी हम ब्लू फ़िल्म देख कर वैसे ही चुदाई करते थे।
मैं अब मां को नाम से पुकारता था। अब हम ऐसे रहते थे जैसे कि मानो हम सच में पति-पत्नी हों। ड्रेसिंग रूम को ही हमने अपना बेड-रूम बना लिया था। भाई और बहन दूसरे कमरे में सोते थे और हम पूरी रात बिना कपड़ों के साथ में सोते थे। मां को अभी भी मेक-अप का शौंक था। वो मेरे लिए ही अब सजती संवरती थी। मैं कभी कभी स्कूल नहीं जाता और पूरा दिन मां के साथ चुदाई करता। जब भी मैं मां को किसी शादी, पार्टी में ले जाता तो लोग भी हमें पति-पत्नी समझते थे।

एक दो बार तो पापा घर में होते हुए भी मैंने मां को चोदा। मां तब नहा रही थी और पापा टी वी देख रहे थे। मैंने बाथरूम के पास जाकर मां को आवाज़ दी, मां ने कहा – अभी नहीं, अभी तेरे पापा घर में हैं, जब मैं नहीं माना तो मां ने मुझे बाथरूम में बुला लिया और हमने चुदाई कर ली।
बहन ने एक दिन पापा को बताया कि मां हमारे साथ नहीं सोती, भैया के साथ सोती है तब मां ने गुस्से से कहा- कुछ भी कहती है नालायक, तेरे भैया को पढाते हुए कभी कभी नींद आ जाती है तब वहीं सो जाती हूं। पापा ने कुछ नहीं कहा क्योंकि पापा तो हमारे इस रिश्ते से बिल्कुल ही अनजान थे ना…॥

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]]> दोस्तों, आज जो बहन की चुदाई कहानी बताने जा रहा हू वो मेरी भाई के साथ चुदाई की कहानी हैं. कैसे भैया ने भाभी समझकर चोद दिया मुझे . मैं नेहा लालबानी, मैं भाई के लण्ड से चुद गयी, पहले तो मेरी इच्छा नहीं थी, मुझे लग रहा था ये सारे गलत है पर बाद में मुझे लगा की नहीं अपनी वासना की भूख शांत कर लू, उस समय मेरे छूट में भी पानी आ गया था और मेरी धड़कन भी तेज हो गयी थी, और मैं अपने आप को रोक नहीं पाई सलवार का नाड़ा ढीला किया और भैया का मोटा लण्ड अपने बूर में समा ली और गांड उठा उठा के धक्का देने लगी Behan ko choda

मेरी उम्र २१ साल की है और मेरे भाई की २७ साल की, भाई की शादी इसी साल हुयी थी, भाभी बड़ी ही हॉट है, वो ऐसी है जैसे की पटाखा हो, कोई भी मर्द उसको देख ले उसकी रात की नींद उड़ जाये, भाई की भी नींद आजकल उडी हुयी है, क्यों की आज कल दिन में २ बार तो मैंने उसको देखा है भाभी को चोदते हुए. पर आज वाक्या ऐसा हुआ की मैं चुद गई.

रात के करीब ११ बज रहे थे, भैया अपने दोस्त की शादी की पार्टी में से आये थे, भाभी का शाम से ही पेट दर्द कर रहा था तो वो मेरी माँ के कमरे में पेट पे गरम पानी की थैली से सिकाई करवा रही थी और उनको नींद आ गया, मैंने माँ से कहा माँ भाभी को बोलो अपने कमरे में सोने के लिए तो बोली सोने दे अभी आराम हो जायेगा, मैं भी सोची माँ सही बोल रही है, तभी लाइट चली गयी, मेरा नाईटी नहीं मिल रहा था तो मैंने भाभी की नाईटी डाल ली और छत पे सोने चली गयी, माँ भाभी निचे सो रही थी भाभी माँ के कमरे में थी, भैया आये रात के करीब ११ बजे वो भाभी के कमरे में गए, भाभी वह नहीं थी, वो समझ गए की लाइट नहीं है हो सकता है की वो छत पे होगी.

वो छत पे आ गए, मैं हलकी हलकी नींद में थी, भैया आये और बोला सपना (भाभी) मेरी डार्लिंग तुम यहाँ हो मेरा लण्ड तुम्हे निचे ढूंढ रहा था देखो देखो कैसे खड़ा होक तुम्हे बुला रहा है, भैया की आवाज साफ़ साफ़ नहीं निकल रही थी, उन्होंने काफी पि ली थी, मैं चुप हो गयी मैं सोच की अभी चले जायेगे, पर वो मेरे पास लड़खड़ाते हुए बैठ गए मैंने कहा भैया मैं हु नेहा, तो भैया बोले साली मेरे से मजाक कर रही हु, क्यों आज तुम्हे मेरा मोटा लण्ड नहीं चाहिए, आज तो मैं तुम्हे खुश कर दूंगा, फिर बोली यार सपना तुम मुझे इस नाईटी में बहुत ही खूसूरत और सेक्सी लगती है, जी तो करता हु चूस लू तेरे बदन को, मैं समझ गई की मेरा भाई ज्यादा पि रखा है मैं उठ के बैठी जाने के लिए तभी वो मुझे, धक्का दे दिया और मैं वापस अपने तकिये पे गिर पड़ी.

उसके बाद उसने मेरे चूच को पकड़ लिया और मसलने लगा, और होठ में अपना होठ रख दिया और किश करने लगा मैं बचने की कोशिश करने लगी पर वो मुझे अपनी बाहों और टांगो में जकड रखा था, मैं कुछ भी नहीं कर पा रही थी, उसने नाईटी ऊपर कर दिया मैंने ब्रा नहीं पहनी थी भाई ने मेरी चूच को अपने मुह में ले लिया और पिने लगा, और कह रहा था साली आज तो तेरी चूच काफी टाइट लग रही है, बड़ी होठ लग रही है, क्या बाद है, मैं कुछ बोलने के लिए सोची पर उसने मेरे मुह पे हाथ रख दिया बोला कुछ भी नहीं बोलना पडोश के छत पे कोई है आवाज सुन लेगा, मैं चुप रही उसके बाद उसने नाईटी मेरे गले से बाहर निकाल दिया और मेरा हाथ ऊपर कर के वो मेरी कांख के बाल को चाटते हुए मेरे बूब्स को दबाने लगा, मैं भी थोड़ी मदहोश होने लगी.

Behan ko choda

सच पूछिये तो मुझे भी लगा की आज मौके का फायदा उठाया जाए , मैंने अब भाई को हेल्प करने लगी मैंने अपनी टांग फैला दी भाई बीच में आ गया सलवार पहनी थी नाड़ा मैंने ढीला कर दिया, ऊपर तो सब कुछ खुला हुआ था भाई मेरा चूच को ऐसे दबा रहा था जैसे बच्चे के हाथ में कोई खिलौना हाथ लग गया हो, मैं भी अब भाई को होठ को चूसने लगी और अपना जीभ उसके मुह में डालने लगी, फिर वो मेरा सलवार खोल दिया और पेंटी में हाथ घुसा दिया, वो धीरे धीरे सहलाने लगा, मेरी चूत गरम और गीली हो चुकी थी, मेरा चूच तन गया था, होठ सुख रहे रहे थे पर भाई बार बार चूस के गिला कर रहा था, फिर भाई ने मेरी पेंटी खोल दी.

निचे सरक गया और मेरी चूत को चाटने लगा मैंने अब बहुत ही परेशान हो रही थी, क्यों की आजतक किसी ने मेरी चूत को हाथ तक नहीं लगाया था और आज सीधे कोई चाट रहा है, मैं तो बौखला गयी थी, करती क्या मैंने भाई को थोड़ा ऊपर खींचा ताकि वो मुझे अब चोद सके वो नशे में था. वो अपना मोटा लण्ड मेरे चूत पे रखा और गाली देते हुए मेरे चूत के अंदर डाल दिया, बोला ले साली मैंने कहा था ना मेरा लण्ड तुम्हे ढूंढ रहा है, मैंने तो फरफरा गई, दर्द होने लगा पर छत पे थी मैं कोई आवाज भी नहीं निकाल सकती, करती क्या चुप रहना ही बेहतर समझा।

फिर क्या था वो मेरी टांगो को ऊपर उठा दिया, मेरे चूच को दोनों हाथ से पकड़ लिया और ले दना दन, वो हचा हच कर के चोद रहा था मेरी चूत गीली हो चुकी थी और दर्द का एहसास भी हरेक झटके के साथ खत्म हो रहा था, मुझे भी मजा आने लगा मेरी चौड़ी गांड भाई का पूरा बजन उठाये हुए था, बूर से फच फच की आवाज आ रही थी, मैं मदहोश होने लगी ये मेरी पहली चुदाई थी वो भी अपने भी भाई के द्वारा, भाई गाली दे रहा था, हरेक झटके पे एक गाली और मैं पूरी हिल रही थी उसके झटके से, फिर थोड़े देर बाद वो शांत हो गया मैं भी इसके पहले दो बार झड़ चुकी थी पर भाई मुझे लगातार चोदे जा रहा था और फिर एक लम्बी आह लेते हुए अपना सारा मलाई मेरे चूत के अंदर ही डाल दिया, और वो शिथिल हो कर निचे लेट गया. मैं तुरंत ही पेट के बल लेट गयी क्यों की दर था की कही गर्भ ना रह जाये मैं भाई के वीर्य को चूत से बाहर निकलने के लिए लेट गई.

फिर मैं धीरे से उसका हाथ हटाई जो की मेरी चूच पे था और नाईटी पहनी और निचे आ गयी, रात के कररीब १२.३० हो गए थे, भाभी और माँ एक साथ ही सोई थी, मैंने भाभी को जगाया, वो बोली भैया आ गए, मैंने कहा हां वो छत पे है, भाभी उठी और छत पे चली गई. सुबह पहले तो मुझे २ घंटे तक नींद नहीं आई फिर सो गई, सुबह उठी तो सब कुछ नार्मल था, भैया ड्यूटी जाने के लिए तैयार हो रहे थे भाभी नाश्ता तैयार कर रही थी माँ पूजा कर रही थी, यानी को भैया को भी नहीं पता चला को रात में भाई ने मुझे चोदा था. कैसी लगी हम डॉनो भाई बहन की सेक्स स्टोरी , रिप्लाइ जररूर करना , अगर कोई मेरी चूत की चुदाई करना चाहते हैं तो उसे अब जोड़ना


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]]> https://hothindisexstory.com/behan-ko-choda-nighty-mein-photo-ke-sath/feed/ 3 9082 कामवाली को कंडोम लगाकर चोदा https://hothindisexstory.com/naukrani-ko-condom-lagakar-choda-nude-sex-story/ https://hothindisexstory.com/naukrani-ko-condom-lagakar-choda-nude-sex-story/#respond Tue, 14 Jun 2016 11:28:36 +0000 https://hothindisexstory.com/?p=8884 यह बात है पिछले साल अगस्त की, जब मेरा कॉलेज चालू हुआ था और उन्हीं दिनों में मेरे पापा का तबादला नागपुर में हो गया था। गवर्नमेंट ऑफिसर होने के वजह से उन्हें जाना पड़ा। हमारे घर में मैं और माँ दोनों ही रह रहे थे। उन्हीं दिनों अचानक हमारी वफादार नौकरनी जयंती बहुत बीमार […]

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]]> यह बात है पिछले साल अगस्त की, जब मेरा कॉलेज चालू हुआ था और उन्हीं दिनों में मेरे पापा का तबादला नागपुर में हो गया था। गवर्नमेंट ऑफिसर होने के वजह से उन्हें जाना पड़ा। हमारे घर में मैं और माँ दोनों ही रह रहे थे। उन्हीं दिनों अचानक हमारी वफादार नौकरनी जयंती बहुत बीमार पड़ गई, मेरे परिवार ने उसके इलाज़ के लिए बहुत खर्च किया पर कुछ नहीं हुआ और उसकी कैंसर से मौत हुई।

मैं जब सातवीं कक्षा में था तब से वो हमारे यहाँ काम करती थी, उसके जाने का मुझे भी बहुत दुःख हुआ। लगभग दो महीने से घर में माँ ही सब काम करती थी। कभी कभी कोई दूसरों के यहाँ काम करने वाली कामवाली आती थी। पर वो हर रोज नहीं आती थी। इसलिए मेरी माँ बहुत परेशान हो गई थी।

मेरी माँ की एक सहेली पास की बिल्डिंग में रहती है। उसे यह पता चला कि मेरी माँ को एक कामवाली की जरुरत है।

एक दिन में कॉलेज से जब घर आया तो माँ ने बताया कि शर्मा आंटी ने शीतल नाम के एक कामवाली के बारे में बताया है।

तो मैं माँ के लिए खुश हो गया, उसका काम अब आसान हो रहा था।

मैंने कहा- यह तो बड़ी अच्छी बात है।

माँ बोली- क्या अच्छी? वो नई कामवाली शीतल महीने का 3000 रुपये मांग रही है।

मैं- अरे माँ, जाने दो न ! वैसे भी बड़े भाग्य से अपने को कामवाली मिली है, रख लो काम पर।

माँ मान गई और उसने फैसला किया की वो शीतल को काम पर रखेंगी।

मेरी माँ शनिवार और रविवार को काम में बहुत मग्न रहती है। वो सुबह से शाम तक घर पर नहीं होती, वो क्लास लेने जाती है।

तो उस हफ्ते शनिवार को सुबह में छुट्टी के वजह से घर पर था, तब माँ ने बताया- शीतल आएगी, उस 8 रोटियाँ बनाने के लिए बोलना और सारा इधर उधर का काम समझा देना।

मैंने बोला- ठीक है।

और वो घड़ी आ गई जब मैंने पहली बार शीतल को देखा।

टिंग टोंग !!!

मैंने घर का दरवाजा खोला तो देखा एक बहुत ही खूबसूरत औरत खड़ी थी। मेरी उसके बड़े बड़े स्तनों से आँखे हट नहीं रही थी। दुनिया का कोई भी आदमी उसे देखता तो उसकी पहली नजर उसके दोनों स्तनों पर ही जाए।

इतने बड़े स्तन देख कर मेरे लण्ड को जोर का शौक लग गया था। मैंने अपने आप को सम्भाला और पूछा- जी, आपको कौन चाहिए?

शीतल- जी मैं आपके यहाँ नई कामवाली हूँ। मेरा नाम शीतल है।

मैं- ओके, आ जाईये अंदर। माँ ने बताया मुझे कि आप आएंगी।

इतना कहने के बाद वो अंदर रसोई घर में चली गई। शीतल देखने में ठीक ठाक है मगर उसके स्तन तो किसी के भी लण्ड को खड़ा कर सकते हैं। वैसे तो वो थोड़ी काली थी मगर उसका बदन दिल धड़ाकाने को काफ़ी था।

उस दिन के बाद मैं शीतल बहुत गन्दी नजर से देखने लगा था। कचरा निकालते वक़्त जब वो झुकती थी तब उसके स्तनों की गली देखने के लिए मैं तत्पर रहता था। क्या करूँ, कण्ट्रोल ही नहीं रहता था। यह सब गलत था, यह पता होने के बाद भी मैं उसकी तरफ खिंचा जा रहा था, उसके स्तनों को जोर से दबाना चाहता था।

बस अब क्या था, उसके बारे में सोच कर मैं बहुत बार अपना लण्ड हिला चुका था। लण्ड हिला के माल निकालने के अलावा मेरे पास कोई चारा भी नहीं था।

शीतल को एक महीना हो गया था।

उस दिन रविवार था और माँ सुबह क्लास लेने चली गई थी। शीतल आ गई थी और पंजाबी ड्रेस में बहुत हॉट लग रही थी। मैं पढ़ाई कर रहा था, तभी मैंने शीतल को देखा तो मुझे झटका लग गया उसने दुपट्टा हटा रखा था और मुझे उसके स्तन पूरे दिख रहे थे। वो गली देख कर तो मेरा लण्ड पत्थर जैसा कड़क बन गया था, उस पर से नजर हट नहीं रही थी।

तभी अचानक शीतल बोली- केदार, आज इस ड्रेस में मैं कैसे लग रही हूँ? भाभी जी ने मुझे उनका ड्रेस दिया है।

मैं थोड़ा बौखला गया और बोला- आप मेरे माँ के ड्रेस में बहुत सुन्दर दिख रही हो।

शीतल- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?

अब तो मैं हक्का बक्का रह गया था, मैंने कहा- जी नहीं है।

इतना बोलने के बाद वो नीचे झुकी और मुझे उसके चूचों के पूरे दर्शन हो गए। उसने दुपट्टा उठाया और वो दूसरे कमरे में काम करने चली गई।

अब वो जिधर भी जाती, मैं उस कमरे में कुछ काम से जाता और उसको देखता।

उसके ऐसे नटखट अंदाज़ बढ़ गए। वो बार बार झुक कर मुझे अपने स्तन दिखाती थी या दूसरी तरफ झुक के अपनी गर्म गांड दिखाती थी। उसके बोलने के अंदाज़ से भी मैं कामोत्तेजित होता था।

एक दिन अचानक शनिवार को बारिश हो रही थी और शीतल आ गई। वो बहुत भीग गई थी। पानी की वजह से उसके चोली में एकदम कसे हुए स्तन दिख रहे थे।मैंने कहा- शीतल आँटी, मैं आपको तौलिया देता हूँ, आप अपने आप को सुखा लीजिए, उसके बाद काम कीजिये।

शीतल- धन्यवाद, पर क्या तुम मुझे कुछ पहनने को दोगे?

मैंने शीघ्रता से उसे एक माँ का ड्रेस दे दिया। उसने मुझे अपनी नटखट नजरों से देखा और कहा- मैं अन्दर के कमरे में अपने आप को सुखाती हूँ और कपड़े बदलती हूँ। तुम्हें कोई दिक्कत नहीं ना? और हाँ, यह सब अपनी माँ को मत बताना, वो गुस्सा हो जाएँगी क्योंकि वो हमेशा कहती हैं कि छाता लेकर आया करो।

मैंने अपनी नजर उसके स्तनों से हटाकर कहा- जी चलेगा।

शीतल दूसरे कमरे में गई तो मैंने सोचा कि चलो कुछ दीखता है क्या, उसका प्रयास करता हूं।

मैंने देखने की कोशिश की मगर कुछ नज़र नहीं आया। तभी अचानक मुझे एक शीशे में शीतल का बराबर से प्रतिबिम्ब दिखाई देने लगा। वो खुद को पौंछ रही थी और फिर उसने अपनी साड़ी निकाली। वो सिर्फ चोली और नीचे पेटीकोट पहने थी, अपने खुले बालों को तौलिये से बहुत सेक्सी अंदाज़ से सुखा रही थी। उसने फिर अपना पेटीकोट खोला और सिर्फ पैंटी और चोली में खड़ी खुद को सुखा रही थी। और फिर मैं जिस पल का इन्तजार कर रहा था, वो आ गया।

उसने अपनी चोली खोली और अन्दर से दो थोड़े भीगे भीगे से स्तन बाहर आ गए। उसने अपने स्तनों पर तौलिया चलाया और उन्हें सुखा दिया और फ़िर से बालों को सुखाने लगी। उसके स्तन बहुत मुलायम लग रहे थे और वो गेंद की तरह उछल रहे थे। दोनों निप्पल कड़क लग रहे थे, मुझे उन्हें चूसने का दिल कर रहा था।

दस मिनटों तक इस आयटम को नंगा देखने के बाद मेरा चिक तो लंड से निकल गया था। फिर उसने कपड़े पहनना चालू किया तो मैं वहाँ से खिसका।

बाहर आने के बाद वो बोली- इस दरवाजे की कड़ी नहीं है, इसे बंद कैसे करते हैं? नहीं तो कोई भी अन्दर क्या हो रहा है, देख सकता है।

उसके चेहरे पर एक कमीनापन दिख रहा था।

मैंने उसे कहा- उस फिरकी को इस तरह घुमाया तो वो दरवाजा बंद होता है।

शीतल- अच्छा ठीक है।

इतने दिन मैं इतना बेवकूफ बना रहा, मगर अब मुझे पता चल गया था कि शीतल एक नंबर की रांड है। बस उसको बिस्तर में लाकर चोदना, यह एक ही मकसद मेरे सामने था। पर मैं भी उसे सिर्फ शनिवार और रविवार को ही देख पाता तो मेरे लिए यह मुश्किल था।

एक दिन मेरे माँ को शादी के लिए पापा के साथ पूना जाने का था। वो पूरे सात दिनों तक पूना में रहने वाले थे। शीतल को चोदने के लिए मैंने अपना प्लान बना दिया।

उस दिन सुबह मैं कॉलेज गया नहीं, मैंने कंडोम तैयार रखे थे। और शीतल भी आ गई। उस दिन वो गुलाबी रंग की साड़ी में बहुत सेक्सी लग रही थी। प्लान का पहला चरण उसे घूरना था।

शीतल- केदार, तुम्हारी मम्मी कब आने वाली हैं?

उसे घूरते हुए मैंने बताया- वो तो अगले हफ्ते आएँगी, तब तक मैं और आप घर में अकेले होंगे।

शीतल- जी..!!

मैं- मेरा मतलब मैं घर में अकेला हूँगा।

उसके बाद वो रसोई में गई पर मैं आज उसे इस तरह से घूर रहा था कि वो थोड़ी घबरा गई थी। फिर मैंने अपने प्लान का दूसरा चरण चालू किया।

मैंने टीवी पर एक ब्लू फिल्म लगा दी और नहाने चला गया। इससे उसे मेरे इरादों की कल्पना होने वाली थी। फिर मैंने भी उसके सामने नंगा होकर कपड़े बदले। पर मैंने सब कुछ इस तरह से किया कि वो मुझे देख रही है, यह मुझे पता नहीं। अब मैंने उसे जबरदस्त कामोत्तेजित कर दिया था।

प्लान का आखिरी चरण एक ही था.. उसको अपनी भावनाओं के बारे में बताना। पर पहले दो चरणों ने शीतल को पूरी तरह से बौखला दिया था, वो पसीना-पसीना हो गई थी। वो थोड़ी घबरा गई है, यह मुझे पता चल गया था पर आज इस लंड को कोई रोकने वाला नहीं था। आज वो अपने साड़ी का पल्लू संभाल कर बेडरूम में कचरा निकल रही थी।

तभी मैं सिर्फ चड्डी पहने उसके सामने चला गया।

मैंने कहा- शीतल, आज मुझे तुम से कुछ पूछना है।

शीतल नज़रें झुका कर ही बोली- बोलो, क्या हुआ?

फिर मैंने अपने चरण तीन के लिए लिखे हुए सारे डायलोग बोलना चालू किया- शीतल, कुछ दिनों से मैं आपकी तरफ बहुत आकर्षित हुआ हूँ। यह सब बहुत ही शारीरिक आकर्षण है। मुझे आप बहुत सुन्दर लगती हो। आपके लाल होंठ, पतली कमर, लम्बे बाल और आपके खूबसूरत स्तन मुझे आपकी तरफ खींचते हैं। मगर मैंने कभी आपसे कुछ कहा नहीं और आपसे बदतमीजी नहीं की। मगर आजकल मैं आपके बारे में ही सोचता हूँ और मेरा पढ़ाई में ध्यान नहीं लगता इसलिए मैंने अपनी भावनाएँ आपको बताना उचित समझा।

इतना कहते कहते मैं भी बहुत डर गया था क्योंकि यह औरत बवाल भी बना सकती है।

वो अब मेरी आँखों में आँखे डाल कर देख रही थी और मैं घबरा गया था। थोड़ी देर की शांति के बाद वो बोली- तो तुम क्या चाहते हो? हाँ? मैं क्या करूँ?

इतना कह कर वो चुप हो गई।

फिर मैं बोला- शीतल, मुझे तुम्हारे स्तन देखने है और उन्हें छूना है। मेरा यकीन करो, मैं तुम्हें कुछ पैसे भी दूँगा, पर आज मुझे मत रोकना। मैंने हमेशा तुम्हें साड़ी में दखा है, नंगा कभी नहीं ! मुझे तुम्हें पूरी तरह से नंगा देखना है।

मैं कुछ कहने वाला था, तभी उसने झाड़ू नीचे फ़ेंका और चिल्लाई- तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई पैसे की बात करने की? है कौन तू? तुम्हें क्या लगा कि मैं एक रंडी हूँ? तुम पैसे फेंकोगे तो मैं तुम्हारे साथ बिस्तर गरम करुँगी?

मैं तो डर गया- आई ऍम सॉरी शीतल, मेरी गलती हो गई, मुझे पैसे की बात नहीं करनी चाहिए थी। प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो।

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मैंने शीतल की आँखों में देखा, वो हंस रही थी। मैं कुछ समझा नहीं।

तभी वो बोली- चलेगा चलेगा, माफ़ कर दिया तुझे। आईंदा ऐसे पैसों की बात मत करना।

मैंने मुंडी हिलाई।

शीतल- केदार, तुम बहुत झूठ बोलते हो। तुम कहते हो तुम्हें मुझे नंगा देखना है, मगर मुझे ऐसा लगता है कि तुमने मुझे एक बार नंगा देखा है। क्यों हाँ या ना? पिछले हफ्ते मेरा आईने में प्रतिबिम्ब कौन देख रहा था? तुम मुझे आज यह गन्दी पिक्चर दिखा कर गर्म कर रहे हो। पर मैंने तुम्हें अपने स्तनों की गली दिखाकर और फिगर दिखा कर पिछले दो महीनों से पागल कर दिया है। तुम्हें क्या लगा कि मेरी साड़ी का पल्लू गलती से नीचे गिरता था? तुम्हें क्या लगता है, मुझे झुक झुक कर तुम देखते हो तो मुझे पता नहीं चलता?

इतना कह कर उसने अपने बाल छोड़ दिए। फिर मैंने अपनी चड्डी निकाली और उसके सामने नंगा खड़ा हो गया- देखो मेरा लंड तुम्हारे लम्बे बाल देख कर कितना लम्बा हो गया है।

उसने हंसते हुए कहा- वाह क्या बात है ! तुम्हारा लंड तो बहुत बड़ा है। तुम्हारी चौड़ी छाती और तुम्हारे पर्सनैलिटी से तो में कब की प्रभावित हूँ। बस तुम्हारे में थोड़ी आत्मविश्वास की कमी है। तुम मुझे पसंद करते हो इतना कहने के लिए इतने दिन लगा दिए। पर चलो कोई बात नहीं देर आये दुरुस्त आये।

इतना कहते ही उसने अपनी पूरी साड़ी निकाल दी और मेरे सामने नंगी खड़ी हो गई। मैं कुछ कहूँ, उसके पहले ही उसने मेरा लंड अपने हाथ में लिया और मेरे होंठो से अपने रसीले होंठ मिला दिए।

उफ्फ्फ ओह्ह्ह्ह….उसके होंठों का रस पीकर मेरे जिंदगी की प्यास चली गई। मैं उसे पूरे दस मिनट तक चूमता रहा था। फिर मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और आखिरकार जिस पल के लिए मैं तरस रहा था, जिस पल को सपनों में देख कर पचास बार अपना लंड हिलाया था वो पल आ गया।

मैंने उसके स्तनों को कस के दबाया और चूसने लगा।

शीतल- उफ्फ्फ ! हाए ! ओह ओह ओह…क्या बात है केदार ! तुम बड़े प्यासे लग रहे हो.. ओह्ह ओह्ह और जोर से दबाओ। आज कोई काम नहीं….ओह्ह ओह..आह..। चुसो…आह उह्ह..और चुसो मेरे बबले.. आह आह… इस दिन का में…आह …कब से इन्तेजार कर रही थी..उम् आह आह..

उसके बाद शीतल ने मुझे कंडोम पहना दिया और फिर मैं उसे दनादन चोदने लगा। मेरा चिक बहुत जल्दी निकल गया था। मगर थोड़ी ही देर में मैं अच्छे से चोदने लगा। उसे मैं बहुत जबरदस्त शारीरिक सुख दे रहा था और वो उससे आनंदित हो रही थी।

सच में जब लंड चूत में जाता है तब जो आनंद मिलता है उससे कोई आनंद बड़ा नहीं।

हाए ओह ओह ओह…. आज मैं एक कामवाली के वजह से कुंवारा नहीं रहा, मेरा पहला सेक्स हो गया था।

इतने में शर्मा आँटी का कॉल आया- केदार, आज शीतल नहीं आई हमारे यहाँ काम करने।

मैं- हाँ, वो आज हमारे यहाँ भी काम करने नहीं आई, वो कल आएगी, आज उसकी तबियत ख़राब है।

मैं और शीतल हंसने लगे। पर शीतल अचानक थोड़ी बैचेन हो गई।

मैं- क्या हुआ?

शीतल- हमने जो भी किया वो सब गलत है, मैं एक शादीशुदा औरत हूँ। पर मैं भी…..

इतना कह कर वो चुप हो गई।

मैं- क्या हुआ शीतल? पर तुम क्या.. अगर मैंने कुछ गलत किया है तो मुझे माफ़ कर दो।

शीतल- देखो हमारे बीच जो हुआ, वो प्यार नहीं था, वो सिर्फ शारीरिक सम्बन्ध थे। मैं तुम्हें कुछ बताना चाहती हूँ। देखो, मेरा पति एक नंबर का कमीना आदमी है। वो बहुत दारू पीता है और पैसे भी कुछ कमाता नहीं। मैं ही सब जगह काम करके पैसे कमाती हूँ। शादी के कुछ साल बाद ही उसका मेरे लिए प्यार कम हो गया। अब मैं अपने बच्चे के लिए उसके साथ जीवन गुजार रही हूँ। मैंने उसे बहुत बार रंडी बाज़ार में जाते हुए देखा है। मैं पूरा एक साल उसके साथ बिस्तर में सोई नहीं। उसे मुझमें कोई दिलचस्पी नहीं है। तो ठीक है, मैंने भी तय कर लिया कि मैं भी कुछ कम नहीं। आज भी मैं किसी को भी पागल कर सकती हूँ।

जब मैं तुम्हारी सोसाइटी में काम करने आई तो मैं किसी ना किसी आदमी के साथ सोना चाहती थी। पर मैं एक शादीशुदा औरत हूँ और अब भी में अपने पति से प्यार करती थी तो मैंने सिर्फ काम पर ध्यान दिया। जब मैं तुम्हारे घर आई तब तुम्हारी आशिकी भरे नजरों ने मुझे पागल कर दिया था। तुम मुझे बहुत घूरते थे, मुझे समझ आ गया था कि तुम किस नजर से मुझे देख रहे हो। हा हा हा…फिर एक दिन मैंने मेरे पति एक दो रंडी औरतो के साथ घर में सेक्स करते हुए पाया और फिर मैंने तय किया कि मैं तुम्हें मुझे चोदने पर मजबूर कर दूंगी। उसमें मैं सफल हो गई। आज मेरे शरीर को शांति मिली। पर क्या मैं गलत कर रही हूँ? तुम ही बताओ?

मैं- सच में तुम्हारा पति मूर्ख है जो उसने तुम्हारी जैसी आयटम को छोड़ कर रंडियों को चोदने जाता है। तुम कुछ गलत नहीं कर रही हो।

इतना कह कर मैंने उसके बालों में हाथ घुमाया तो वो और भी कामोत्तेजित हो गई और फिर हमें कोई रोकने वाला नहीं था। मैं उसके साथ नहाया और उसके पूरे बदन की मस्त मालिश कर दी।


अगले दिन तो वो सुबह जल्दी आ गई।

मैंने कहा- शीतू आज सुबह दूध नहीं आया। क्या करें?

शीतल- कोई बात नहीं, आज तू मेरा दूध पी। हा हा हा हा….

यह कह कर उसने मेरा सर पकड़ा और अपने स्तनों को लगा दिया। फिर क्या मैंने उसे चोदना चालू किया।

अब हर शनिवार, रविवार या फिर माँ घर पर नहीं होती तब मैं उसे चोदता हूँ। अब तक लगभग 200 कंडोम, 50 गर्भ निरोधक गोलियाँ सेक्स के लिए ख़त्म कर दी। मेरे सारे पैसे कंडोम खरीदने में जाने लगे हैं। हा हा हा हा..

शीतल ने मुझे लड़की पटाने की भी बहुत टिप्स दी। आज मेरी एक खूबसूरत गर्लफ्रेंड होने की वजह से कभी कभी शीतल को ना चोदने का मन करता है। दो औरतों को लेने जितनी मेरी सहनशक्ति नहीं है।

पर क्या करूँ, आज शीतल मेरी रखैल नहीं है, बल्कि मैं उसका रखैल बन चुका हूँ।

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]]> https://hothindisexstory.com/naukrani-ko-condom-lagakar-choda-nude-sex-story/feed/ 0 8884 पेटीकोट वाली नोकरानी की चुदाई https://hothindisexstory.com/petticoat-mein-naukrani-ki-chudai/ https://hothindisexstory.com/petticoat-mein-naukrani-ki-chudai/#respond Sun, 05 Jun 2016 22:39:03 +0000 https://hothindisexstory.com/?p=8762 मेरे कार्यालय के तीन अफ़सरों ने मिलकर एक बड़ा मकान ले लिया था। यह मकान दो मंजिला था। नीचे के भाग में हमने एक हमारे ही कार्यालय के कम आय वाले कर्मचारी को बिना किसी किराये के रहने को दे दिया था। हम तीनों उसे राशन लाकर दे देते थे और उसकी पत्नी हमारे लिये […]

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]]> मेरे कार्यालय के तीन अफ़सरों ने मिलकर एक बड़ा मकान ले लिया था। यह मकान दो मंजिला था। नीचे के भाग में हमने एक हमारे ही कार्यालय के कम आय वाले कर्मचारी को बिना किसी किराये के रहने को दे दिया था। हम तीनों उसे राशन लाकर दे देते थे और उसकी पत्नी हमारे लिये चाय, भोजन आदि का प्रबन्ध कर देती थी। हम तीनों कुंवारे ही थे और निचले भाग में रहने वाले परिवार में दो छोटी सी लड़कियाँ भी थी। मेरा व्यवहार सभी से मृदुल और सरल था, इसलिये नीचे रहने वाली नौकरानी की चुदाई, जी हाँ, हम लोग उसे इसी नाम से पुकारते थे, मुझ से बहुत खुश रहती थी। वो तो खुद ही कहती थी कि उसे सिर्फ़ कमला नहीं, कमला बाई कह कर बुलाया करो। उसे रसोई में किसी सामग्री की कमी नजर आती थी तो वो मुझे ही कहती थी।

साल भर में मेरे तीनों साथियों ने अपने इच्छित स्थानों कानपुर और लखनऊ अपना तबादला करवा लिया था। अब इस घर में बस एक ही फ़ेमिली रह गई थी और साथ में मैं अकेला। पर इससे कमला बाई बहुत खुश रहने लगी थी। अब तो खाली समय में वो मुझसे खूब बतियाती रहती थी। मेरे साथ हंसती थी थी, खिलखिलाती थी।

कभी कभी तो वो कोई मीठी सी सेक्स की बात भी छेड़ देती थी। अधिकतर तो रात के बारह तक बज जाते थे। मुझे भी उसका साथ अच्छा लगने लगा था। वो मेरे पास आती थी तो खुशबू लगा कर आती थी। हमेशा मुस्कराता चेहरा… कमला मेरा ध्यान बिल्कुल अपने पति की तरह रखने लगी थी। मेरी चाय, मेरा खाना वो मेरे कमरे में लेकर आ जाती थी और बहुत प्यार से खिलाती थी। मेरे स्नान के लिये मेरा तौलिया, मेरी ऑफ़िस की ड्रेस तक वो जमा कर बाहर मेज पर रख देती थी।

मुझे कभी कभी ऐसा प्रतीत होता था कि वो मुझसे प्यार करने लगी है। उसका या मैं अनावश्यक ही उसकी ओर आकर्षित होने लगा हूँ। उसका पति अधिकतर अपने लिपिक दोस्तों के साथ दारू पीकर रात को बारह से एक बजे तक लौटता था। पर वो शान्त किस्म का आदमी था। मैंने कभी भी उसे दारू पी कर लड़ते झगड़ते नहीं देखा था। कई बार तो कमला मेरे कमरे में मुझसे बातें करते करते सो भी जाती थी। तब मैं उसके अंगों को बहुत ही आराम से निहारा करता था।

यह तो मेरा सौभाग्य था कि मुझे निहारने के लिये मेरे पास एक नारी तो है। मुझे लगता था कि उसके अंग जैसे अनछुये से है, सीधा तना हुआ सीना, उसके चिकने पैर, कभी कभी उसकी जांघे तक दिख जाती थी, एक दम मांसल, गोरी, चिकनी सी। मैं उसे निहारते हुये कभी कभी तो सपनों में खो जाता था और उसे नग्न देखा करता था…

पर चूंकि मैंने ना तो चूत को कभी देखा ही था और ना ही उसके उरोजो को देखा था, तो बस चूत को या उरोजों को सोचते हुये उसकी तस्वीर धुंधलाने लगती थी। उसका भोला चेहरा। पतली पतली सी होंठो की पखुड़ियाँ, डिम्पल वाले गोल गोल गाल, आँखें जैसे मय खाने सी… मुझे उस पर बहुत प्यार आता था। एक बार अचानक ही … कुछ ऐसा घट गया कि मेरी जिदगी ही बदल गई। रोज की तरह मैं स्नान करके मात्र चड्डी में ही बाहर निकल आया था। मेरा लण्ड जाने कैसे सीधा खड़ा था। मैं अनजान सा बाहर आ गया था। बाहर कमला तौलिया लेकर खड़ी थी। मेरे लिये ये कोई नई बात नहीं थी, पर हाँ, मेरा लण्ड जाने कैसे कड़क हो कर तना हुआ था। वो मुझे एक टक देखती रही, लण्ड को भी देखा …

मेरे लण्ड को देख कर वो मुस्कराई। मुझे नहीं पता था कि वो क्यूँ मुस्कराई, पर मैं भी उसे देख कर यूँ ही मुस्करा दिया। उसने आगे बढ़ कर तौलिया दे दिया।

\”आज तो मजा आ गया, कमला !\” मैंने उसे हंसते हुये कहा। वो कुछ ओर ही समझी।

\”धत्त, ऐसा मत बोलो…\” वो मेरे लण्ड की ओर देखते हुई बोली।

मैंने तौलिया लपेट कर अपनी गीली चड्डी उतार दी और दूसरी चड्डी पहनने लगा। तभी मेरा तौलिया मेरी कमर से फ़िसल गया और मैं नंगा हो गया। बौखलाहट में मेरी चड्डी भी मेरे पांवों में उलझ गई और मैं पास में पड़ी कुर्सी का सहारा लेकर धम्म से बैठ गया। वो मेरी हालत देख कर हंसने लगी। फिर वो मेरे पास आ गई और मेरी चड्डी पांवों से निकाल दी। उसने मेरे नग्न शरीर को एक बार फिर से देखा।

\’अरे यह तो पहननी है मुझे !\”

\”पहले तौलिया तो लपेट लो, ऐसे बड़े अच्छे लग रहे हो ना !\” उसने मेरे लण्ड को देखते हुये कहा। मुझे लगा वो मेरे लण्ड को देख रही है।

\”ईई … तुम उधर देखो ना … ये क्या ? मेरे पास ही आ गई हो?\”

उसका इस तरह से घूरना मुझे अच्छा तो लगा पर शरम बहुत आई। उसने हंसते हुये दूसरी तरफ़ मुख फ़ेरा लिया। ओह ! कमला ने तो मुझे नंगा ही देख लिया।

\”ऐ कमला, देख किसी कहना मत, कि तूने मुझे नंगा देख लिया है।\” मैंने बच्चों जैसे घबरा कर कहा।

\”जरूर कहूँगी, देखना…\” उसने भी मुझसे मसखरी की।

\”देख, यह अच्छा नहीं होगा …\”

मैं चड्डी पहन चुका था। जाने मन में क्या आया कि मैंने उसकी कमर पकड़ ली और उसके पेटीकोट का नाड़ा खींच लिया। वो घबरा गई। मैंने आव देखा ना ताव ! उसका पेटीकोट एक झटके में नीचे खींच कर उतार दिया। वो अन्दर चड्डी नहीं पहने हुये थी।

\”खूब मजा आया ना, अब बताना सबको, मैं भी बता दूँगा कि मैंने भी तुझे नंगी देख लिया है।\”

वो नीचे झुक कर अपना पेटीकोट सम्भालने लगी। तभी उसके मस्त चूतड़ों की गोलाई और गहराई देख कर मुझे कुछ होने लगा। पहली बार किसी स्त्री की इतनी मस्त गाण्ड देखी थी। उसने अपना पेटीकोट वापस पहन लिया और उसकी नजरें नीचे झुक गई।

\”यह क्या किया तुमने, औरतों के साथ कोई ऐसा करता है क्या?\” उसका स्वर कांप रहा था।

\”कमला, वो … वो… तो मैंने अनजाने में शरारत की थी, मुझे माफ़ कर देना।\”

अब मुझे बहुत खराब लग रहा था कि मैंने नासमझी में यह क्या कर दिया। एक लड़की की इज्जत का ध्यान भी ना रख सका।

\”देखो किसी को कहना मत … सुना तुमने … प्लीज मत कहना !\” कमला बार बार मुझसे कह रही थी।

पर मेरी आँखों के आगे उसके नंगे चिकने चूतड़ नजर आ रहे थे। उसकी आँखों में एक तेज चमक थी। मेरा दिल आज कुछ बेचैन सा होने लगा था। मेरा लण्ड भी आज किसी अन्जाने जोश में कड़क होने लगा था। मेरे चड्डी के अन्दर लण्ड का उभार कमला को भी बेचैन कर रहा था। पर वो कुछ कह नहीं पा रही थी। मुझे भी उसके चेहरे पर आज एक मधुर सी कशिश नजर आने लगी थी। फिर वो मुझे पीछे देखते हुये कमरे से बाहर निकल गई।

रात को मैं छत पर खाट पर बैठा हुआ था। हमेशा की तरह कमला भी ऊपर आ गई। पर आज वो खामोश थी, उसकी आँखों में एक शरम सी थी, एक ललाई भी थी। उसकी तिरछी नजर देख कर मेरे दिल में एक हलचल सी मचने लगी। मेरा लण्ड भी पजामे में से उभरने लगा। मैं खाट पर लेट गया और सितारों को देखने लगा, इस बात से अन्जान कि मेरा लण्ड कड़क होकर सीधा तन चुका है, जिसे कमला लगातार घूरे जा रही थी।

\”कमला, आज मौसम कितना अच्छा है ना, तुझे नहीं लगता?\”

\”हाँ … बहुत अच्छा है, एकदम तना हुआ !\” उसके मुख से अन्जाने में निकल पड़ा। फिर जल्दी से उसने अपना चेहरा छिपा लिया।

\”क्या कहा?\”

\”मेरा मतलब है, कितनी अच्छी हवा चल रही है।\”

\”कमला, तू भी मुझे आज कुछ अधिक ही अच्छी लग रही है, है ना?\” मैंने उसके पास आते हुये कहा।

\”विजय, तुझे एक बात कहूँ, बुरा मत मानना !\”

मैंने उसकी बाह पकड़ ली और अपनी ओर खींचा।

\”वाह री कमला, आज तो बोलने में बड़ी नखरे दिखा रही है?\”

\”देख विजय, तू मुझे बहुत अच्छा लगता है।\”

\”तो क्या हुआ? तू भी तो प्यारी सी लगती है।\”

उसने धीरे से मेरी छाती पर अपना सर रख दिया और मेरा हाथ पकड़ लिया।

\’मैं … मैं… तुझ से… हाय राम… कैसे कहूं?\”

\”मैं बताऊँ, मैं तुझसे प्यार करती हूँ, है ना … बिल्कुल फ़िल्मी डायलोग … कुछ और कह …\”

पर वो क्या बोलती, मैंने तो उसकी बोलती ही बन्द कर दी। उसने मेरी छाती से सर उठाया और अपने होंठो को थोड़ा सा खोल दिया। उफ़्फ़ ! कैसे थरथरा रहे थे उसके कोमल अधर। उसने अपनी आंखें खोली और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मुझे कुछ समझ में नहीं आया। मैं बस यूँ ही खड़ा रहा। उसने मुझे खूब चूमा … शायद दिल की भड़ास पूरी निकाल ली।

\”यह क्या कर रही है कमला, तू सच में मुझे प्यार करने लगी है?\”

\”ऐसी बातें मजाक में नहीं की जाती हैं। विजय, मैं तो जाने कब से तुझे प्यार करने लगी हूँ, पर कैसे कहती?\”

\”कमला … मेरी कमला … \”मैंने उसे अपने आलिन्गन में बांध लिया। मुझे वो अच्छी लगती थी, पर मुझे अभी झिझक थी। वो शादीशुदा थी, उससे प्यार ! मैं तो ये सपने में भी नहीं सोच सकता था। यह तो अनैतिक है। दो बच्चो की मां है, उसका पति है ! मैंने उसे झटक दिया।

\”यह तो हो ही नहीं सकता है यार, तुम तो… शादीशुदा हो … दो बच्चों की मां हो और तुम्हारा पति …\”

उसने मेरे होंठों पर अंगुली रख दी।

\”बस प्यार ही तो मांग रही हूँ, तुमसे कोई शादी थोड़े ही करनी है, कर भी नहीं सकती हूँ, बस तुम्हारा साथ चाहिये, तुम्हारा शरीर चाहिये, बदले में तुम मेरा शरीर ले लो। मुझे बस प्यार से तृप्त कर दो।\”

उसकी यह भाषा मुझे समझ में नहीं आई। मेरा खड़ा हुआ लण्ड डर के मारे लटक गया। लटक क्या गया बल्कि कहो कि सिकुड़ कर छोटा सा हो गया। वो मेरे साथ खाट में लेट गई और मेरे से चिपकने लगी। यह सब मुझे अजीब सा लग रहा था। कोई औरत मेरे समीप पहली बार मेरे इतने समीप आ कर लेट गई थी।

\”तुम मेरे साथ आज सो जाओ… विजय\”

\”सो तो रही हो… और क्या?\”

\”नहीं ऐसे नहीं, मतलब कि … उह … बुद्धू हो … कैसे बताऊँ?\”

उसने मेरा हाथ अपने सीने पर रख दिया। अपना पेटीकोट ऊंचा कर लिया। मेरा पजामा खोलने लगी। पजामे का इलास्टिक खींच कर उसे नीचे सरका दिया। मैं नीचे से नंगा हो गया। मेरा लण्ड और भी सिकुड़ कर मूंगफ़ली जैसा हो गया। उसने अपनी चूत को नीचे से सटा दिया। पर मेरा लण्ड खड़ा ही नहीं हो पा रहा था। शायद मैं बहुत डर गया था, या यह मेरा पहला अनुभव था। उसका हाथ मेरे लण्ड तक पहुँच गया। मैं सिहर उठा। उसने पहले उसे टटोला और फिर उसे आश्चर्य हुआ।

\”तुम्हारा तो इतना लम्बा और मोटा था और अब क्या हो गया?\”

\”तुमने कब देखा? मजाक कर रही हो? ऐसा मत करो देखो … ये सब मुझे ठीक नहीं लग रहा है।\” मेरे चेहरे से पसीना बह निकला।

उसने धैर्यपूर्वक काम किया और मुझसे ऐसे ही चिपके पड़ी रही। मुझे प्यार से बातें करती रही, मेरे बदन को सहलाती रही। तब कहीं जा कर मैं उसकी ओर से निश्चिन्त हो कर उसे प्यार करने लगा। फिर तो ना जाने कब मेरा लण्ड तन कर खड़ा हो गया। उसने धीरे से मेरे लण्ड को हाथ में ले लिया और उसे सहलाने लगी। उसने उसे अपनी चूत में उसे रगड़ा और अपनी योनि से उसे लगा लिया।

\”विजय, थोड़ा जोर लगाओ।\”

मैंने जोर लगाया पर लण्ड इधर-उधर फ़िसल गया। मुझसे नहीं गया वो और नतीजा यह हुआ कि लण्ड फिर से किसी अनहोनी से डर कर सिकुड़ गया।

\’कमला, यह सब मुझसे नहीं होता है, मैं नहीं कर सकता यह सब !\”

उसे निराशा होने लगी। उसे लगा कि मैं शायद नामर्द हूँ। मैं उसे चोद ही नहीं सकता हूँ। उसने लम्बी सी सांस भरी और उठ खड़ी हुई। वो नीचे जा रही थी। मैं बस उसे देखता ही रह गया। सोचता रहा कि कमला को आज यह क्या हो गया है। … और मेरा ये लण्ड … साले का खूब तो मुठ्ठ मारा है। अरे कहीं अधिक मुठ्ठ मारने से यह बेकार तो नहीं हो गया है। मुझे निराशा ने घेर लिया।

दो दिन बाद रात को मैं लेटा ही था कि कमला मुझे सोया जानकर धीरे से मेरे कमरे में आ गई। कमरा बन्द करके मेरे पास वो लेट गई। उस समय मैं बस चड्डी में लेटा हुआ था। वो मेरी दूसरी तरफ़ करवट लेकर लेट गई। मैंने धीरे से करवट बदली और उसकी पीठ से चिपक गया। उसने अपना पेटीकोट कमर तक ऊपर कर रखा था। मुझे उसके नीचे नंगे होने का अहसास हुआ। मेरा लण्ड एकदम से कड़क हो गया। मेरा एक हाथ उसकी कमर पर आ गया। मेरा दिल धड़क उठा। मैंने धीरे से अपनी चड्डी उतार दी। अनजाने में ही मेरा तन्नाया हुआ लण्ड उसकी चिकनी चूतड़ों की दरार में घुस कर जगह बनाने लगा । तभी कमला ने अपने चूतड़ों को ढीला छोड़ दिया।

मेरा लण्ड उसके छेद तक आ गया था। मेरा लण्ड उसके नाजुक छेद के ऊपर दबाव डाल रहा था। मुझमें जाने कहाँ से इतनी हिम्मत आ गई थी कि मैं जोर से उसकी गाण्ड में लण्ड दबाने लगा। मेरा सुपाड़ा फ़क से उसकी गाण्ड में उतर गया। वो चुप से लेटी रही, हिली तक नहीं। मैंने धीरे से हाथ बढ़ा कर उसकी चूचियों को थाम लिया और दबाने लगा।

फिर लण्ड में जैसे उफ़ान आया, मैंने जोर लगा कर लण्ड को और अन्दर दबाया। लण्ड धीरे धीरे अन्दर घुसता गया। इतनी कसी गाण्ड थी, पर फिर भी लण्ड अन्दर चलता चला गया।

\”कमला, ये मुझे क्या हो रहा है?\” मैंने आह भरी।

\”विजय, यह अपना पहला मिलन है, अपना प्यार है… प्यार में ऐसी ही कशिश होती है, चलो अब अन्दर-बाहर करो।\”

बड़ी मुश्किल से यह सब हो रहा था। पर इसमे अथाह आनन्द आ रहा था।

\”आगे चूत से लण्ड अन्दर डालोगे तो और मजा आयेगा, करोगे?\”

naukrani ki chudai

उसने मेरा लण्ड अपनी गाण्ड से बाहर निकाल लिया और मेरी तरफ़ मुख करके एक टांग मेरी कमर में डाल दी। अपनी चूत मेरे लण्ड से चिपका दी। उसका चेहरा मेरे चेहरे के करीब आ गया था। अब तो कमला की गर्म गर्म सांसें मेरे चेहरे पर आ रही थी। उसके पतले पतले होंठ मेरे गालों को रगड़ रहे थे। उसने अपने हाथ से मेरे लम्बे लण्ड को पकड़ कर अपनी चिकनी योनि द्वार पर रख दिया।

पानी से तर योनि ने मेरे कड़क लण्ड को गड़प से अन्दर ले लिया। मुझे एक तेज आनन्द की अनुभूति हुई। उसने मेरे होंठों को रगड़ते हुये चूत में जोर लगाया और मेरे लण्ड को अपनी चूत के खड्डे में आसानी से अन्दर ठूंस लिया। उसके मुख से सीत्कार निकल गई। मेरे हाथों ने उसके चूतड़ों को अपनी ओर कस लिया। उसे अच्छा अनुभव था चुदाने का, सो वो अपनी चूत को हिला हिला कर लण्ड को तेजी से अन्दर-बाहर कर रही थी। उसकी सांसें धौकनी के समान चल रही थी।

मुझे असीम आनन्द आने लगा था। तो पहले क्यों नहीं हुआ था मुझसे?

\”आह … आह … मर गई … विजय … तू भी लगा ना धक्का …हाय मर गई … चल मार ना … चोद ना\”

मुझे ये सब नहीं आता था … हां मेरे लण्ड में एक जलन सी हो रही थी, अब किससे कहूँ मैं? वो मेरे ऊपर चढ़ गई और ठीक से पोज बना कर मुझे जैसे चोदने लगी।

उसके बाल मेरे ऊपर लहराने लगे थे। पसीने की बूंदे मेरे चेहरे पर गिरने लगी थी। उसके स्तन जोर जोर से हिल रहे थे। मैंने उसके स्तन ही पकड़ लिये।

वो चीख सी उठी,\”मरोड़ दे बोबे को, जरा जोर से … आह मर गई रे … घुण्डी खींच दे रे … मस्त कर दे।\”

उसे इसमें मजा आ रहा था। पर मेरा हाल तो और भी बुरा हो रहा था। सारे शरीर में जैसे तरंगें चल रही थी। जिस्म रह रह कर कांप रहा था। मीठी मीठी वासना की मधुर लहरें मेरे सारे शरीर में कसक भर रही थी। लण्ड बहुत ही फ़ूला जा रहा था। मैं अपने लण्ड को उसकी चूत की तरह ऊपर उठा कर उसके धक्के झेल रहा था।

तभी मेरे लण्ड से जोर से फ़ुहारें निकलने लगी।

\”आह … आह्ह्ह्ह … मुझे ये क्या हो रहा है … कमला … मेरी जान निकल रही है।\”

वो जैसे लम्बी हो कर मेरे शरीर पर पूरी लेट गई। बाहर निकला हुआ लण्ड अभी भी फ़ुहार छोड़ रहा था। उसके होंठ मुझे प्यार से अभी भी चूम रहे रहे थे। उसके हाथ मेरे बालो को सहला रहे थे।

\”कैसा लगा विजय, शरीर का ये मिलन…?\”

\”इतना मजा आया है कमला कि कह नहीं सकता।\” मैंने निढाल होते हुये कहा।

\”अब मैं जाती हूँ, आराम से सो जाना।\”

\”कमला, जरा लाईट तो जलाना, ये मेरे लण्ड पर जलन कैसी है?\”

\’तुम तो बुद्धू हो, पहली बार तुमने किया है ना, इसलिये।\”

\”तुझे क्या पता कि मैंने पहली बार किया है, मैंने तो बहुत बार किया है खूब चोदा है लड़कियो को !!\”

मैंने अपनी शेखी झाड़ी।

\”हाय रे मर जाऊँ तुझ पर, झूठ बोलना भी नहीं आता है।\” उसकी खनकती हुई हंसी ने मुझे आश्चर्य में डाल दिया। भला इसे क्या पता कि मैंने ऐसा पहली बार किया है !!! उसके सीढ़ियों से नीचे उतरने की पदचाप सुनाई दे रही थी।

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]]> यदि घर में एक अदद भाभी हो तो मन लगा रहता है। उसकी अदायें, उसके द्विअर्थी डॉयलोग बोलना, कभी कभी ब्लाऊज या गाऊन में से अपने सुडौल मम्मे दिखाना… दिल को घायल कर देती है। तिस पर वो हाथ तक नहीं धरने देती है। भाभी की इन्हीं अदाओं का मैं कायल था। मेरी भाभी तो बस भाभी ही थी… बला की खूबसूरत… सांवला रंग… लम्बाई आम गोवा की युवतियों से काफ़ी अधिक… होगी लगभग पांच फ़ुट और छ: इन्च… भरे हुये मांसल उरोज… भारी से चूतड़… मन करता था बस एक बार मौका मिल जाये तो उसे तबियत से चोद दूँ… पर लिहाज भी तो कोई चीज होती है। बस मन मार कर बद मुठ्ठ मार लेता था।

भैया भी अधिकतर कनाडा ही रहते थे। जाने भाभी बिना लण्ड खाये इतने महीनों तक कैसे रह पाती थी

गांव वाली भाभी की चुदाई

बहुत दिनों से भाभी पापा का पुराना मकान देखना चाहती थी… पर आज तो उन्होंने जिद ही पकड़ ली थी। सालों से वो हवेली सुनसान पड़ी हुई थी। मैंने नौकरों से कह कर उसे आज साफ़ करने को कह दिया था। टूटे फ़ूटे फ़रनीचर को एक कमरे में रखने को कह दिया था। लाईटें वगैरह को ठीक करवाने को इलेक्ट्रीशियन भेज दिया था। दिन को वहाँ से फोन आ गया था कि सब कुछ ठीक कर दिया गया है। वैसे भी वहां चौकीदार था वो घर का ख्याल तो रखता ही था। उन्होंने बताया बाहर चौकीदार मिल ही जायेगा, चाबी उससे ले लेना।

फिर मैं हवेली जाने से पहले एक बार मेरे मित्र तांत्रिक के पास गया। वो मेरा पुराना राजदार भी था… मेरे कई छोटे मोटे कामों के लिये वो सलाह भी देता था। भाभी के बारे में मेरे विचार जान कर वो बात सुन कर बहुत हंसा था… पापी हो तुम जो अपनी ही भाभी के बारे में ऐसा सोचते हो…

\”पर इस दिल का क्या करूँ बाबा… ये तो उसे चोदने के लिये बेताब हो रहा है।\”

उसने कहा- … साले तुम बदमाश हो… फिर भी तुम्हें मौका तो मिलेगा ही।

फिर अन्दर से एक शीशी लेकर आया, बोला- यह शीशी तुम ले जाओ… इसे किसी भी कमरे के कोने में छिपा देना और इसका ढक्कन खोल देना… ध्यान रहे कि एक घण्टे तक इसका असर रहता है… फिर इसे एक घण्टे के बाद मात्र पाँच मिनट में तुरन्त बन्द कर देना वर्ना यह शीशी तुम्हारा ही तमाशा बना देगी।

बाबा मेरा मित्र होते हुये भी उनको रिश्वत में मैंने एक हजार रुपये दिये और चला आया। हाँ उसे रिश्वत ही कहूंगा मैं… फिर आज के जमाने में मुझे विश्वास नहीं था कि बाबा का जादू काम करेगा या नहीं, पर आजमाना तो था ही… मेरे लण्ड में आग जो लगी हुई थी।

मैंने शीशी सावधानी से जेब में रख ली और बाहर गाड़ी में भाभी का इन्तजार करने लगा। उफ़्फ़्फ़ ! टाईट जीन्स और कसी हुई बनियान में वो गजब ढा रही थी। मेरा लण्ड तो एक बारगी तड़प उठा। बाल ऊपर की और घोंसलानुमा सेट किये हुये थे।

\”ठीक है ना जो… कैसी लग रही हूँ?\”

\”भाभी… एकदम पटाखा… काश आप मेरी बीवी होती…\”

\”चुप शैतान कहीं का… तेरी भी अब शादी करानी पड़ेगी… अब चलो…\”

यहाँ से बीस किलोमीटर दूर मेरा यह पैतृक निवास था… मेरे पापा डॉक्टर थे… बहुत नाम था उनका… यह सम्पत्ति मेरी और भैया की ही थी। पुराना गोवा का यह एरिया अब तो कुछ उन्नति की ओर बढ़ गया था। दिन को करीब ग्यारह बजे हम दोनों वहाँ पहुंच गये थे। चौकीदार वहीं बाहर खड़ा हुआ इन्तजार कर रहा था।

\”बाबू जी, यह चाबी लो… सब कुछ ठीक कर दिया है… आप आ गये हो, मैं अब बाजार हो आता हूँ।\”

\”जल्दी आ जाना… हम यहाँ अधिक देर नहीं रुकेंगे…\” मैंने चौकीदार को आगाह कर दिया।

मैंने फ़ाटक खोला और गाड़ी अन्दर ले गया। फिर भाभी को मैंने पूरी हवेली घुमा दी। मैंने सबसे पहला काम यह किया कि बाबा कहे अनुसार बैठक में कोने में वो शीशी खोल कर एक कोने में छुपा दी। सब कुछ साधारण सा था… कुछ भी नहीं हुआ। शीशी में से धुआं वगैरह कुछ भी नहीं निकला। मैं निराश सा होने लगा।

पर दस मिनट में मुझे अचानक कुछ भाभी में परिवर्तन सा लगा। हाँ… हाँ… भाभी शायद उत्तेजित सी थी… उनके चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान तैरने लगी, उनकी आँखें गुलाबी होने लगी, उनके गाल तमतमाने लगे।

मुझे लगा कि जैसे भाभी की टाईट जीन्स उनके बदन पर और कस गई है, उनके बदन में लचक सी आने लगी है। क्या भाभी मेरे ऊपर मोहित होने लगी हैं… या ये उस शीशी का असर है।

यही मेरे पास एक मात्र मौका था। मैंने हिम्मत करके बैठक के कमरे में भाभी का हाथ पकड़ लिया। सोचा कि वो कुछ कहेगी तो सॉरी कह दूँगा !

पर भाभी तो बहुत रोमान्टिक हो गई थी। मेरे हाथ को अपने से लिपटा कर बोली- जो… आज मौसम कितना सुहावना लग रहा है !!

\”हाँ भाभी, गोवा का मौसम तो हमेशा सुहावना ही रहता है…\” मेरे तन में जैसे बिजलियाँ दौड़ पड़ी।

\”यह मकान कितना रोमान्टिक लग रहा है… कैसा जादू सा लग रहा है?\”

\”आओ भाभी यहाँ बैठते है… और ठण्डा पीते हैं…\”

मैंने कोल्ड ड्रिंक का एक केन खोल कर भाभी को दे दिया।

\”पहले तू पी ले… ले पी ना…\”

\”नहीं पहले आप… भाभी !\”

मैंने भाभी को अपनी ओर खींच लिया। उह्ह्ह्ह ! वो तो कटे वृक्ष की भांति मेरी गोदी में आ गिरी।

\”जो… जरा देखना तो… यहाँ कोई दूसरा तो नहीं है ना..\”

\”नहीं भाभी… बस मैं और तुम… बिल्कुल अकेले…\”

\”हाय… तो फिर इतनी दूर क्यों हो? कितना मजा आ रहा है… सारे शरीर में जैसे चींटियां रेंग रही है… जरा शरीर को रगड़ दो… भैया !\”

मेरा लण्ड तो भाभी की हरकत पर पहले से ही टुन्न हो गया था। मेरा शरीर खुशी और जोश से से कांपने लगा था। मैंने तुरन्त भाभी को अपनी बाहों में दबा लिया और उनके सेक्सी तन को मैं यहाँ वहाँ से रगड़ने लगा।

\”उफ़्फ़… जो ! कितने कस रहे है ये कपड़े… क्या करूँ?\”

\”भाभी उतार दो प्लीज… तब थोड़ी सी हवा लग जायेगी इसे भी…\”

\”तो उतार दे ना… आह्ह… देख तो यह तन से चिपका जा रहा है…\”

मैंने भाभी की चिपकी हुई बनियाननुमा टॉप खींच कर उतार दी… उफ़्फ़्फ़ ! उनके बड़े बड़े मम्मे उनकी ब्रा में समा भी नहीं रहे थे…

\”अरे… यार… यह कितना फ़ंस रहा है… हटा दे इसे भी…\”

भाभी ने ब्रा को खींच कर हटा ही दी…

हे ईश्वर ! बला के सुन्दर थे भाभी के उरोज। तभी भाभी जैसे तड़प उठी… ये जीन्स… अरे यार… उह्ह्ह… खींच कर उतार दे इसे… साली कितनी तंग है ये…।

मेरे तो होश जैसे उड़े उड़े से थे… ये सब मेरी मर्जी के मुतबिक ही तो हो रहा था। कुछ ही क्षण में भाभी बिल्कुल नंगी मेरी गोदी में थी।

\”अब तेरे ये कपड़े… अरे उतार ना इन्हें यार…!\”

मुझे तो बस मौका चाहिये था। मैंने भी अपने कपड़े उतार दिये पर अपना तना हुआ लण्ड भाभी से छुपाने लगा।

\”कैसा नशा नशा सा है… है ना… वो आराम से उस बिस्तर पर चलें…?\”

मैंने भाभी को अपनी बाहों में उठा लिया और प्यार से उन्हें बिस्तर पर लेटा दिया। मैंने एक ही नजर में देख लिया कि भाभी का तन चुदाई के लिये कैसे तड़प सा रहा था। भाभी की चूत बहुत गीली हो चुकी थी… भाभी ने लेटते ही मुझे दबोच लिया। फिर नशीली आँखों से मुझे देखते हुये मुझ पर चढ़ने लगी।

\”जो भैया ! प्लीज बुरा मत मानना…\”

मेरे नंगे शरीर पर वो चढ़ गई… भाभी के मुख से लार सी निकलने लगी थी। उनकी आँखें लाल सुर्ख हो गई थी… उनकी जुल्फ़ें उनके चेहरे पर नागिन की तरह बल खा रही थी। फिर एकाएक उनके गरम कांपते हुए होंठ मेर लबों से भिड़ गये। उनकी जीभ लपलपाती हुई मेरे मुख की गहराइयों में उतर गई।

\”उफ़ ! यह सांप सी क्या चीज है…?\” मुझे गले के अन्दर भाभी की जीभ कुछ अजीब सा अहसास दे रही थी…।

जैसे मेरी सांसें रुकने लगी थी… मुझे तेज खांसी आ गई… मेरा लण्ड उसकी गर्म चूत पर घिस रहा था। भाभी के मुख से जैसे गुर्राहट सी आने लगी थी।

तभी भाभी चीख पड़ी… साले हलकट… हरामी… लेटा हुआ क्या माँ चुदा रहा है… चोदता क्यों नहीं है…?

उफ़्फ़ ! भाभी के शरीर में इतनी आग !!… उसकी चूत अपने आप ही मेरे लण्ड पर जैसे जोर जोर पटकने लगी। तभी मेरा लण्ड उसकी चूत में रास्ता बनाता हुआ अन्दर उतरने लगा।

वो चीखी… मार डाला रे… पूरा घुसेड़ दे मादरचोद… जरा अह्ह्ह्ह्ह… मस्ती से ना… साला भड़वा… लण्ड लेकर घूमता है और भाभी को चोदता भी नहीं है।

मैंने अपनी कमर ऊँची की और लण्ड को उसकी चूत की तह पहुँचाने की कोशिश करने लगा। फिर मुझे जबरदस्त जोश आ गया… मैंने भाभी को अपने नीचे पलटी मार कर दबा लिया… और भाभी को चोदने लगा।

मेरा ध्यान इस दौरान भाभी के चेहरे तरफ़ गया ही नहीं… भाभी के मुख से गुर्राहट और चीखें अजीब सी लग रही थी।

मुझे भी होश कहाँ था… मैं तो उछल उछल कर जोर जोर से उसे चोदने में लगा था। भाभी और मैं… आँखें बन्द करके रंगीनियों का आनन्द ले रहे थे।

\”चोद हरामी चोद… जोर नहीं है क्या? दे अन्दर जोर का एक धक्का… फ़ाड़ दे साली भोसड़ी को…\”

उसमें अब गजब की ताकत आ गई थी। उसने मुझे उठा कर एक तरफ़ गिरा दिया और अपने चूतड़ उभार कर घोड़ी सी बन गई।

\”ले भैया… अब मार दे मेरी गाण्ड… मस्त मारना साली को… चल चल जल्दी कर…\”

मैं जल्दी से उठ कर अपनी पोजीशन बना कर उसके पीछे सेट हो गया। उफ़ कितना मोहक छेद था… प्यारा सा… चुदने को तैयार था। मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा उस पर रखा और जोर लगाया।

उसका छेद फ़ैलने लगा… सुपाड़ा अन्दर फ़ंसता चला गया। फ़ैलते फ़ैलते उसका छेद तो मेरे डण्डे के आकार का फ़ैल गया। लण्ड बिना किसी संकोच के उन्दर धंसता चला गया। मेरे लण्ड में एक तेज मीठी सी चुभन होने लगी। अन्दर बाहर करते हुए लण्ड पूरा भीतर तक चला गया।

भाभी की हुंकार तेज होने लगी थी। मेरा लण्ड भी तेज चलने लगा था… और तेज होता गया… पिस्टन की भांति मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में चल रहा था। उसकी दोनों भारी सी चूचियाँ मेरे हाथों से मसली जा रही थी… खूब जोर जोर से दबा रहा था मैं भाभी की चूचियों को।

फिर तो बस कुछ ही देर में मेरा तन… उखड़ने सा लगा था। मैं बस झड़ने ही वाला था।

\”भाभी… सम्भल कर… मेरा तो होने वाला है…!\”

\”भैया… मेरे मुख में झड़ना…\”

\”तो आजा… भाभी… जल्दी … उह्ह… जल्दी…!\”

मैंने उसकी गाण्ड से अपना लण्ड बाहर खींच लिया… भाभी ने पलट कर अपना मुँह खोल लिया…

मैंने दबा कर लण्ड को उसके दोनों होंठों के बीच घुसा दिया… फिर प्यार मुहब्बत की वो पहली प्यारी सी धार… उफ़्फ़्फ़ निकल ही पड़ी।

पहली पिचकारी मुख के अन्दर तक गले तक… चली गई… फिर पिचकारियों के रूप में मेरा लण्ड वीर्य उगलता ही चला गया।तभी मेरे मुख से एक चीख सी निकल गई- उसकी जीभ सांप की तरह दो भागों में विभक्त थी, उसके दांतों के दोनों जबड़े बाहर निकल आए… उसके चेहरे का रंग तेजी से बदल रहा था। आँखें लाल सुर्ख अन्दर की ओर धंसी हुई मुझे घूर रही थी।

भाभी का शरीर जैसे ढीला होता जा रहा था। मैं उछल कर उससे दूर हो गया…

तभी दीवार की घड़ी ने दो बजने का संकेत दिया। मेरे होश उड़ गये… यह तो उसी शीशी का असर था।

भाभी का शरीर अचानक मुझसे अलग हो गया और छत से जा टकराया।

मुझे जैसे किसी अन्जान शक्ति ने उठा कर दूर फ़ेंक दिया।

मुझे आधा होश था और मुझे पता था कि मुझे क्या करना है… मैं लपक कर कोने पर जाकर उस शीशी को बन्द कर दिया, फिर उठ कर बाहर की ओर भागा पर सीढ़ियों से फिसल कर मैं अन्धकार की गहनता में खोता चला गया।

मुझे जब होश आया तो मेरे शरीर में जगह जगह चोटें थी… पांव की एक हड्डी टूट चुकी थी… चेहरे पर जैसे जलने के निशान थे।

\”आपकी भाभी ना होती तो आपको कौन बचाता?\”

\”क्या हो गया था भैया आपको… खुदा की मेहरबानी है आप को कोई सीरियस चोट नहीं लगी।\” भाभी ने अपनी चिन्ता जताई।

\”पर ये सब अचानक कैसे हो गया?\”

तभी बाबा की हंसी सुनाई दी- आप सभी प्लीज बाहर चले जायें…

\”बाबा… क्या ये?\”

\”हाँ… मैंने कहा था ना कि यह एक घण्टे ही काम का है… फिर भी गनीमत है कि तुमने समय पर शीशी को बन्द कर दिया… वैसे मजा आया ना…?\”

\”बाबा… मुझे माफ़ कर देना… अब ऐसा कभी नहीं करूँगा…\”

\”यह तो सोचना ही पाप था… पर चिन्ता की कोई बात नहीं है… आपकी भाभी को कुछ भी याद नहीं रहेगा… आप बस अपना मन साफ़ रखो… भाभी को माता के समान समझो… अब प्रायश्चित के लिये तैयार हो जाओ… रोज सवेरे मुठ्ठ मारो, सारी मन की गन्दगी को निकालो और मन को स्वच्छ कर लो… फिर रोज किसी भूखे को भोजन कराओ और फिर तुम भोजन करना। इतना बहुत है तुम्हारे लिये।\”

बाबा हंसते हुये चला गया। मुझे विश्वास नहीं हुआ कि आज के युग में भी ये सब जादू टोना चलता है… जीवित है।

\”नहीं… नहीं यह मेरे मन का भ्रम है…\” तभी मेरी टांग में दर्द उठा…

\”लेटे रहो जो… कोई बुरा सपना देखा था क्या?\” मेरी प्रियतमा, मेरी जान… दिव्या मेरे पास बैठी हुई मुस्कराते हुये मेरे बाल सहला रही थी।

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]]> तभी श्रीनगर में ही मैं पति के दफ्तर में काम करने वाले क्लर्क की तरफ खिंची चली गई और मौका पाकर उसका मोटा लंबा लौड़ा चूत में डलवाया। यह जब भी गाड़ी के साथ जाते, मैं दोनों बच्चों को सुला देती और उस क्लर्क के साथ रासलीला रचाने लगी। उसका तबादला हो गया तो मैंने अपनी प्यास बुझाने के लिए घर में काम करने आने वाले नौकर बिट्टू को पटाना चाहा वो मेरे घर में दूध देने आता और सुबह, दोपहर, रात का खाना बनाने के लिए आता। एक रात जब वो खाना बनाने आया, वैसे तो वो जान चुका था कि मैं क्या चाहती हूँ लेकिन वो डरता था कि उसके साहब की बीवी हूँ, कहीं इधर उधर से उनको भनक पर गई तो उसका तबादला करवा देंगे क्यूंकि उसका परिवार वहीं था, वो वहीं का रहने वाला था, पीछे से कहीं उसकी बीवी भी किसी और का लौड़ा लेने लग गई तो !

सेक्स कि प्यासी

बस वो डरता था। एक दिन मैंने रात को बच्चों को जल्दी सुला दिया, सेक्सी सी पारदर्शी नाईटी पहन ली, वो लगभग काम ख़त्म कर चुका था बस मेरे लिए टेबल लगाने के बाद रसोई को संभाल रहा था, वो अपनी धुन में खड़ा थोड़े बर्तन धो रहा था, मैंने पीछे से जाकर उसको जकड़ लिया।

वो डर गया, हैरान था !

मैंने उसको और कसते हुए आगे पजामे पर से ही उसके लुल्ले को पकड़ लिया था, वो कुछ बोल न सका, उसकी मालकिन थी मैं !

मैंने जोर जोर से उसके लौड़े को दबाया, उसको अपनी तरफ घुमाया और घुटनों के बल ही बैठ कर उसका नाड़ा खोला, पजामा गिर गया मैंने जल्दी से उसके कच्छे को खींचा।

हाय मेरी अम्मा ! इतना बड़ा लौड़ा था उसका सोया हुआ लौड़ा भी फौलाद था, काले रंग के उसके मतवाले को देख मेरी चूत फुदकने लगी !

“मेमसाब जाने दो ना ! यह सब क्यूँ? मेरी नौकरी खतरे में डलवाओगी?”

“चुप कर कमीने ! बक मत !”

मैंने उसके सुपारे को मुँह में भर लिया और चूसने लगी। देखते ही उसका लौड़ा आकार लेने लगा।

“कितना बड़ा है तेरा औज़ार ! तेरी बीवी की तो पाँचों घी में रहती होंगी?”

वो मुस्कुराने लगा।

“चल हरामी मेरे कमरे में चल ! आज की रात यहीं रुकना होगा तुझे ! सुबह चार बजे निकल जाना !”

मैंने उसके सामने अपनी नाईटी उतार दी, काली ब्रा पैंटी में मुझे देख उसका और खड़ा होने लगा। मैंने रसोई की बत्ती बुझाई और सभी दरवाज़े बंद कर बच्चों को देखने गई।

वे सो रहे थे, मैंने उसके लौड़े को खूब चूमा-चूसा, खूब चाटा।

खूबसूरत मालकिन को नंगी देख उसका मर्द पूरा जाग गया, उसने अब कमान अपने हाथों में ले ली, मेरे बालों को जोर से नोंचते हुए बोला- कुतिया ! साली छिनाल, बहुत आग है तेरी चूत में? आज भोसड़ा बना दूँगा !”

वो उठा, मेरे पति की अलमारी से रम निकाली और मोटा पैग खींचा, एक और मोटा पैग खींचा और मुझे रंडी बना दिया। मेरे मम्मे मसल मसल लाल कर दिए, आखिर मैंने उसको कह दिया- अब कुछ करेगा भी या शोर ही मचाता रहेगा?

“साली ले मेरा लौड़ा !” कह उसने मेरी टांगें उठवा दी और हल्ला बोलने लगा। उसका मोटा लंबा काला लौड़ा मेरी चूत में धीरे धीरे घुसने लगा।

उसने एक ऐसा झटका लगाया जिससे मेरी हिचकी निकल गई- साले, प्यार से मार मेरी चूत को !

“कुतिया, बक मत !” उसने जोर जोर से मुझे रौंदना शुरु कर दिया।

मुझे अब उसका लौड़ा पसंद आने लगा था, वो जोर जोर से पेलने लगा।

“हाय और मार मेरी ! हाँ कुत्ते, चोद दे कुतिया को !”

“तेरी बहन की चूत साली ! यह ले ! ले ले !”

करीब आधा घंटा मुझे चोद चोद कर उसने मेरा कचूमर निकाल दिया, कभी घोड़ी बनवाता कभी खड़ी करके मारता, जब वो छूटा उसका पूरा लौड़ा मेरे अंदर था मेरे ऊपर लुढ़क गया, धीरे धीरे से उसका लौड़ा निकलता गया, वो गया नहीं, वहीं था, उसने उठकर एक मोटा पैग लगाया, मैंने उसके लौड़े से दुबारा खेलना चालू कर दिया। जल्दी ही वो तैयार होने लगा, बीस मिनट में उसका पूरा पूरा लौड़ा खड़ा हो गया था, मैं चूसने लगी।

वो अबकी बार मेरी चूत चाटना चाहता था, उसने यह काम शुरु कर दिया।

“कमीने आज मेरी गांड का छेद भी चोद !”

“बहुत दर्द होगा मेमसाब !”

“कुत्ते, कहा ना ! गाण्ड मार !”

मैंने काफी थूक गांड पर लगा उसमे उंगली घुसा दी, नशे ने मुझे पक्की रंडी बना दिया था। थूक थूक कर उसका लौड़ा गीला कर दिया।

उसने कहा- चल घोड़ी बन !

जैसे मैं घोड़ी बनी, उसने घोड़े जैसा मोटा लौड़ा उसमे धकेलना शुरु किया, मैंने दर्द को सह लिया लेकिन दर्द तेज़ था, मैंने उठकर एक मोटा पैग खींचा, उसने भी खींचा, थोड़ी देर चूसने के बाद जब नशा हुआ तो मैं फिर घोड़ी बन गई और उसने झटके से लौड़ा घुसा दिया। मेरी गांड को फाड़ता हुआ उसका लौड़ा घुस गया।

“जोर जोर से चोद !”

उसने वैसे ही किया, करीब दस मिनट गांड मारने के बाद उसने मेरी चूत में घुसा दिया। उस रात उसने मुझे जम कर पेला, बोला- मेमसाब, आपने बहुत मजा दिया है।

“और तेरी बीवी तेरा इंतज़ार तो नहीं कर रही होगी?”

छोड़ो ना उसको ! कहाँ आप जैसी बला की हसीन औरत ! कहाँ वो काली साली ! सिर्फ घुसवाती है, ना चूसती, ना गांड मरवाती है !” लगातार एक पूरा हफ्ता जब तक पति नहीं लौटे वो हर रात मेरे बिस्तर में सोने लगा। इस एक हफ़्ते में उसने मेरी गांड की धज्जियाँ उड़ा दी, चूत फैला दी, मुझे लगता था मैं उससे कहीं फिर से पेट से ना हो जाऊँ।

उसने वैसे ही किया, करीब दस मिनट गांड मारने के बाद उसने मेरी चूत में घुसा दिया। उस रात उसने मुझे जम कर पेला, बोला- मेमसाब, आपने बहुत मजा दिया है।

“और तेरी बीवी तेरा इंतज़ार तो नहीं कर रही होगी?”

छोड़ो ना उसको ! कहाँ आप जैसी बला की हसीन औरत ! कहाँ वो काली साली ! सिर्फ घुसवाती है, ना चूसती, ना गांड मरवाती है !” लगातार एक पूरा हफ्ता जब तक पति नहीं लौटे वो हर रात मेरे बिस्तर में सोने लगा। इस एक हफ़्ते में उसने मेरी गांड की धज्जियाँ उड़ा दी, चूत फैला दी, मुझे लगता था मैं उससे कहीं फिर से पेट से ना हो जाऊँ। पति के लौटने पर मुझे कोई खासी ख़ुशी नहीं हुई, वो कौन सा मुझे पार लगाने के सक्षम था, बस पैसा ही था उसके पास, ना कि औरत संभालने की पूरी क्षमता !

वही हुआ, वो मेरे पास बैठ बातें करने में लगा था, मुझे उसकी हामी भरनी पड़ रही थी, सामने रसोई में मेरा शेर खाना बना रहा था, पति साथ साथ रम पी रहा था।मैंने देखा कि मेरे नौकर ने जिप खोल दी। पति की उसकी तरफ पीठ थी, उसने वहीं से अपना लौड़ा निकाला और मुझे हिला हिला कर दिखाने लगा। मेरी चूत गीली होने लगी, मेरा सर घूमने लगा, मैंने पास पड़े कंबल को अपने ऊपर लिया और हाथ सलवार में घुसा दिया।

“ठण्ड लग रही है क्या? एक पैग लगा ले !”

“नहीं नहीं !”

बोला- लगा ले ना मेरे कहने पर रानी !

ठण्ड ख़ाक लगती? सामने लोहे जैसी गर्म रॉड दिख रही थी। वो हंसने लगा, मैंने कहा- लेकिन आप बैठो, मैं आपके और अपने लिए पैग बनाती हूँ।

रसोई में गई, वो फ्रिज के पीछे खड़ा हो गया- आ गई मेरी जान?

“क्यूँ यह सब दिखा दिखा मुझे पागल कर रहे हो?”

“क्या कहूँ मैडम, आप बहुत सेक्सी दिख रही थी, यह खड़ा हो गया।”

मैंने देखा, पति वाशरूम गए, उसका पैग मोटा बनाया, अपना नोर्मल, फ्रिज के पीछे चपड़-चपर उसका लौड़ा चूसने लगी। बाथरूम के दरवाज़े की आवाज़ सुन अलग हुई, पैग उनको दिया, एक खुद लिया- मैं जरा कपड़े बदल कर आती हूँ राजा !

मैं सेक्सी नाईटी पहन कर लौटी, बारीक सी पैंटी, जैसे ही मैं बैठी, उसने दुबारा लौड़ा निकाल लिया। वो काम के साथ साथ लौड़ा निकाले खड़ा था, जब वो काम करता तो उसका लौड़ा रबड़ की तरह हिलने लगता।

पति ने अपना पैग खींच लिया।

“इतनी जल्दी क्यूँ करते हो? कम पिया करो ना !”

“तुमने बनाया था पैग, अपना भी पी लो ना !”

‘बहुत कड़वी है !”

“मेरे लिए पी जा !”

मैंने पैग खींचा, बोले- एक बना दे और मेरे लिए !

“नहीं बस !”

अब बोले- सिर्फ एक !

मैं उठी, रसोई में गई, वहाँ खड़ा लौड़ा इंतज़ार में था, वो फिर फ्रिज के पीछे चला गया। अब की बार मैंने नाईटी उठाई पैंटी खिसकाई, उसके आगे झुक कर पैग बनाने लगी।उसने अपना लुल्ला मेरी चूत में घुसा दिया, झटके देने लगा।

हाय ! कितना मजा आता है छुप छुप कर सेक्स करना ! वो भी पति के घर होते हुए ! नौकर से अपना ही मजा था !

“कहाँ रह गई रानी साहिबा?”

“बस बन गया !”

उसने झटके तेज़ किये।

“बस जरा बर्फ डाल रही हूँ !” मैंने पैग और मोटा बनाया उसने निकाल दिया।

मैं वहाँ से निकल आई, मुझे भी थोडा सरूर था, मुझे लगा कि पति को ज्यादा हो रही है, मेरा वो पैग उसने डकार लिया। कुछ देर बैठा रहा, फ़िर उठ कर वो मेरे कंबल में घुस गया। उसको होश नहीं रही थी, भूल गया कि सामने नौकर भी रसोई में है, मुझे चूमने लगा, सहलाने लगा, मेरी चूत प्यासी थी, अभी उसमें से बड़ा लौड़ा निकला था, मैंने पति के लौड़े को पकड़ लिया, सहलाने लगी, उसने मेरी नाईटी उतार दी।

लेकिन अब वो हिलने लगा, नशा ज्यादा हो चुका था, मैंने दोनों के ऊपर से कंबल उतार दिया मैंने खुद को नंगी कर दिया। पति लुड़कने

लगा था, उसका लौड़ा खड़ा नहीं हो रहा था मैंने उसको धकेला बग़ल में लिटाया कंबल दिया जोर से खांसी तो नौकर ने मुंडी निकाल कर देखा। मैं अलफ नंगी लॉबी वाले दीवान पर अधलेटी हुई चूत को सहलाने लगी थी।

उसने देखा कि मेरा पति सो गया शराबी होकर, उसने वहीं से लौड़ा हिलाया, रसोई में पड़ी रम को मोटे पैग में डाला और गटक गया। उसने मेरी तरफ कदम बढ़ाये, ठंड काफी थी, मैंने उठकर अंगीठी में कोले डाले, दीवान से उतर कर नीचे बिछे गलीचे पर पसर गई और उसको अपनी तरफ बुलाया।

बच्चे सो चुके थे, वो आया और मुझे मसलने लगा।

मैंने टांगें खोल डाली, उसने मुँह घुसा दिया चूत के होंठों को अपने होंठ से समूच किया, फिर जुबां घुसा दी, फिर एक टांग उठा कर लौड़ा घुसा दिया। उसने मुझे ब्लू फिल्मों वाली रंडी बना रखा था, पति की बग़ल में यार का लौड़ा खाने में आनन्द ही आनन्द मिलने वाला था। उसने मुझे गलीचे पट चित कर दिया, उठकर घर चला गया।

अगले दिन सुबह जब उठी, पति बोले- माफ़ करना, ज्यादा हो गई थी।

“आपने मुझे कितना तंग किया, कितना मसला जानू ! रहम नहीं खाया ! देखो जगह जगह दांत गाड़ रखे हैं !”

“माफ़ करना जानेमन, वैसे ऐसे भी मजा आता है औरत को, ऐसा मैंने सुना है।”

“दर्द बहुत दिया है रात को !”

अगली रात वो पहले ही बाहर से पीकर आया था, नौकर फिर खुश था। उसने फिर से मुझे वैसे ही जलाया वहीं से लौड़ा दिखा कर। लेकिन आज मैंने पहले ही नाईटी पहनी थी, कोई ब्रा नहीं, कोई पैंटी नहीं, फिर से रात में नौकर से चुदवाया, ऐसे मेरा काम चलता गया। पर अब मैं रोज़ रोज़ उसका लौड़ा लेकर ऊब चुकी थी, वहीं रोज़ एक ही तरह का स्वाद !

मेरे अंदर गन्दी हवास कूट कूट कर भर चुकी थी, आज मैं लॉबी की बजाये अपने ही कमरे में पति के साथ बैठ गई। ना रसोई में गई, वहीं बोतल, बर्फ, पानी, नमकीन रख लिया।

वो मेरे इस काम से खीज रहा था- मेम साब, जरा रसोई में आना, मसाला कहाँ रख दिया?

पति वहीं नशे में धुत हो रहे थे, जब मैं गई, उसने मुझे बालों से पकड़ खींचा- साली, छिनाल आज तेरी चूत में आग नहीं लगी क्या? मुझसे किनारा करने लगी, कोई और मिल गया?

“ऐसी बात नहीं है, वो आज अंदर बैठ गए तो क्या करती?”

“साली, यह देख कैसे अकड़ रहा है, पकड़ !”

मैंने थोड़ा सहलाया, बोला- आज तेरे हाथों में कशिश नहीं है।

और उसने मुझे धक्का दे दिया। मैं अपने पति के पास आ गई।

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]]> मेरी उम्र इस वक्त उनतीस साल है, मैं दो बच्चों की माँ हूँ लेकिन कोई कह नहीं सकता कि मेरी उम्र उनतीस होगी और मेरे दो बच्चे भी होंगे, लेकिन दोस्तो, है तो सच्चाई कि मेरे दो बच्चें हैं। मेरे पति एक मिलट्री डेरी फार्म में मैनेजर हैं, काफी मोटी कमाई है उनकी ऊपर से, हमारी लव-मैरिज हुई थी, उन्होंने शादी से पहले ठोक दिया था, तब उनके लौड़े में काफी जान थी, वो थे भी मुझसे चार साल बड़े, पैसा बहुत था, ठाठ-बाठ देख मैं उन पर लट्टू हो गई थी, वो भी मेरी जवानी के जाल में फंस गए, मैंने उनको अपने जिस्म से ऐसा लपेटा कि वो जिंदगी भर मेरे साथ लिपटने को तैयार हो गए थे।

सेक्स कि प्यास

खैर, वैसे वो मेरे पहला प्यार नहीं थे क्यूँकि मैं एक गर्म औरत हूँ और शादी से पहले तो क्या कहने थे। पति से पहले भी मेरी जिंदगी में युवक आये। अपनी यह बात शुरु करने से पहले मैं आपको अपनी पहली ठुकाई के बारे में और अपने कुछ पहले यारों के बारे में थोड़ा बताना चाहती हूँ, उम्मीद है आपकी इजाज़त होगी !

मैं बहुत मनचली रही हूँ, ख़ास करके किशोरावस्था में काफी रसीली किस्म की लड़की रही हूँ। मेरा आकर्षण शुरु से ही मेरी छातियाँ रही हैं, आम लड़कियों से पहले मेरे स्तन विकसित होने लगे थे, देखते ही देखते वो नोकदार हो गए, जल्दी ही रसीले बन गए, उसी के ज़रिये कई मर्दों की पैंट में भूचाल ला देती थी।

गुप्ता जी का हमारे परिवार से ख़ासा प्यार लगाव था, वो एक तो पापा के दोस्त दूसरे हमारे पड़ोसी, उनका बेटा आलोक जवान था, इधर मैं जवान हो रही थी, कब हमारा टांका फिट हुआ, पता नहीं चला। मौका देख हम दोनों चुम्मा-चाटी करने लगे, वो मेरी टीशर्ट में हाथ घुसा मेरे मम्मों को दबाने लगा था, मेरे होंठ चूसने लगा था लेकिन ज्यादा मौका नहीं मिलता था।

मेरा कमरा पोर्च में था, वही मेरा स्टडी और बेडरूम था, छत से छत जुड़ती थी, तब मोबाइल हमारे पास नहीं थे लेकिन लैंडलाइन थे नीचे के फ़ोन की तार निकाल कॉर्डलेस छुपा ले जाती थी।

एक रात वो मुझे मिलने की जिद करने लगा, बोला- तू दरवाज़ा खुला रख, मैं अंदर घुस कर बंद कर लूँगा।

आग इधर भी थी, मैं मान गई।

पापा-माँ नीचे अपने कमरे में थे, छोटा भाई, दादा जी के साथ सोता था, बड़ी बहन वैसे ही हॉस्टल में थी, छोटा बल्ब जलता छोड़ मैंने लाईट बुझा दी, उसने मुझे बाँहों में कस लिया। पहली बार बिस्तर में थे दोनों, उसने अपनी टीशर्ट उतारी, उसकी चौड़ी छाती पर मर्दाने बाल थे, इधर मेरी कोमल छातियाँ ! उसने मेरा टॉप उतार दिया। रात को मैं ब्रा नहीं पहनती इस लिए सीधे ही उसको दर्शन हो गए। उसने अपना लोअर उतार फेंका और साथ में अपना अंडरवीयर भी !

हाय माँ ! उसका लौड़ा देख मैं शर्म से लाल होने लगी।

वो बोला- जानेमन, पकड़ ना !

कांपते हाथों से मैंने उसका लौड़ा पकड़ा, उसने मेरा पाजामा भी अलग कर दिया, साथ ही पैंटी को भी ! हल्का सा रोयाँ मेरी चूत के आसपास था, उसका हाथ लगते मैं बेकाबू होने लगी, उसने सुपारे को उस पर लगाया और रगड़ा। मैं और कामुक हो गई, वो ऊपर आकर अपना लौड़ा मेरे होंठों से रगड़ने लगा।

“यह क्या?”

“बस तुझे मजा आएगा ! मुँह तो खोल !” उसकी जिद से मैं हार गई और उसके लौड़े को मुँह में लेना ही पड़ा लेकिन जल्दी मुझे स्वाद आने लगा।

उसने कहा- चल सीधी लेट जा !

उसने मेरी जांघें फैला दोनों टांगों को अपने कंधों पर रख लिया, सुपारे को थूक से गीला करके उसने झटका दिया। मेरी तो फटने लगी, तीखा दर्द उठा। उसने पलक झपकते हाथ से मेरा मुँह बंद कर दिया और नीचे से जोर का झटका लगाया, चीरता हुआ खंजर घुसने लगा, मैं रोने लगी पर वो कहाँ रुका, उसने घर्षण करना चालू कर दिया तो मुझे चैन मिला। अब उसकी रगड़ मुझे रोमांचित करने लगी थी, हाय क्या कहूँ ! औरत बनने का सुख इतना मस्त होता। हाँ, दर्द तो इसका शुरुआती हिस्सा है लेकिन फिर जो मिलता है, वो मुझे इसको चूत में लेकर मालूम पड़ा।

अब मौका मिलते वो मुझे खुल कर रौंदने लगा, उसके मोटे लौड़े ने मेरी चूत का बाजा बजा दिया था। वैसे तो अक्सर लड़का, लड़की से जब दिल भर जाता है, बाहर और मुँह मरने लगता है, इधर मैं अब उससे मिल मिल कर बोर होने लगी थी, तभी घर से बाहर मेरा दूसरा चक्कर चला, विवेक नाम था उसका !

हट्टा-कट्टा था वो, लड़ाई झगड़े वाली लाइन में शामिल था वो, सब लड़कों का नेता था, वो जानता था कि मेरा पहले भी किसी लड़के से चक्कर था, उसको बस मेरी जवानी का रस पीना था, मुझे मस्त करना था, ठोकना था यह कह लो !

हमारी मुलाकातें सार्वजनिक स्थानों में हुई और आखिर एक दिन उसने अपने किसी दोस्त के घर का इस्तेमाल किया, वहाँ ले जाकर उसने मुझे नंगी कर दिया और मेरा अंग-अंग सहलाया, मेरे मम्मों को पिया और मेरी जवानी को मसला। उसका लौड़ा किसी से कम नहीं था, आठ इंच से ज्यादा ही होगा उसका लौड़ा जिसको मैंने जी भर कर चूसा और फिर अपनी चूत मरवाई।

ऐसे ही कई लड़कों के साथ मेरे चक्कर चले और मैंने और भी लौड़े अपनी चूत में डलवाए और आखिर में जिस पर रुकी वो थे मेरे पति थे, एक तो वो अमीर थे ऊपर से मुझसे थोड़े बड़े भी थे, हमारी मुलाक़ात एक पार्टी में हुई, जहाँ मेरा गदराया जोबन उनको ले डूबा, वो मुझ पर फ़िदा हो गए। मैंने भी उनको पूरी पूरी लाइन दी थी कि वो मेरी तरफ खिंचते चले आये थे। वो अपने एक मिलिट्री अफसर की पार्टी में वहाँ आये थे, वेटर के ज़रिये उन्होंने अपना नंबर पास करवा दिया जिसको मैंने ख़ुशी ख़ुशी पकड़ लिया, मेरे पास मोबाइल नहीं था, मैंने होटल से निकल उनको फ़ोन किया उन्होंने एक बार फिर अपने प्यार का इज़हार किया, मैंने थोड़े नखरे ज़रूर किए, कुछ भावुक शब्द उन्होंने मुझे कहा कि वो रूम नंबर एक सौ चार में मेरा इंतज़ार कर रहे हैं।

मैंने कहा- यह सब सही नहीं होगा, शादी से पहले किसी भी मर्द से सीधा कमरे में मिलना मुझे सही नहीं लगता।

वो बोले- मैं तुझसे पसंद करने लगा हूँ और वादा करता हूँ कि जल्दी मैं तुझे अपनी रानी बना लूँगा।

किस्मत से मैंने काफी दिनों से अपनी चूत की झांटें नहीं हटाई थी, कुछ दिनों से लौड़ा ना लेने की वजह से थोड़ी कसी हुई भी थी तो बार बार आश्वासन देने के बाद मैं कमरे में गई, उन्होंने शेम्पेन के साथ मुझसे हाथ माँगा और एक रिंग पहना दी, फ़िर उन्होंने मुझे बाँहों में जकड़ लिया।

मैंने वहाँ भी थोड़ा विद्रोह किया लेकिन उनकी मर्दानगी से हार मैंने हथियार डाल दिए, एक एक कर हम दोनों के कपड़े उतरने लगे, उन्होंने दारु भी पी रखी थी।

पहले पहले मैंने खूब नखरे दिखाए, कोई पहल नहीं की, उन्होंने मेरा निप्पल चूसा, मैं सिसकारने लगी।

उन्होंने कहा- तू चूत का मुंडन नहीं करती क्या?

मैंने कहा- जी नहीं, हाँ, गर्मी के दिनों में ज़रूर !

“ओये होए ! मेरी रानी !”

उनका लौड़ा देख मेरी चूसने की इच्छा होने लगी लेकिन नहीं, मैंने खुद को वहीं रोक लिया।

जब उन्होंने मेरे अंदर घुसाया तो मैंने सांसें खींच ली और दर्द का नाटक करने लगी- प्लीज़ रहने दो ना ! मैं इसको सह नहीं पाऊँगी।

बोले- बेबी, अभी तुझे मजा आएगा !

देखते ही उनका लौड़ा चलने लगा और मुझे मजा भी आने लगा और फिर वो मेरे दीवाने हो गए, आये दिन वो मुझे रौंदने लगे। फिर मेरे घर जाकर शादी का प्रस्ताव रख दिया। वो एक सरकारी पद पर नियुक्त थे, इससे मेरे भी परिवार वालों को क्या इतराज़ था, बात दोनों घरों तक गई तो मैं एक दिन उनकी दुल्हन बन कर उनके आंगन में चली गई।

उनका तबादला जम्मू में हो गया, मैं वहीं उनके साथ जाकर रहने लगी। पहले ही महीने में पेट से हो गई, मेरी सासू माँ नहीं हैं इसलिए मुझे मायके आना पड़ा।

यहाँ आलोक से मेरे संबंध फिर बनने लगे, मैंने पहली बार बेटी को जन्म दिया। छिला मायके में काट मैं वापस जम्मू चली गई।

वहाँ से उनकी बदली श्रीनगर हो गई, उनको कभी कभी द्रास और कारगिल जाना पड़ता था, जिंदगी निकल रही थी, लेकिन जब मैं मायके जाती तो बाहर मुँह मारने से नहीं हटती थी।

समय बीता, मैंने एक और बच्चे को जन्म दिया अबकी बार बेटे को जन्म दिया, लेकिन मेरे दोनों बच्चे बड़े आपरेशन से हुए इसलिए मेरी चूत कसी थी, अब मैं और वासना की भूखी हो गई, अब मेरा दिल और सेक्स करने के लिए करता। पति में वो दम-ख़म नहीं रहा था, फ़िर उनकी नौकरी ही ऐसी थी। तभी श्रीनगर में ही मैं पति के दफ्तर में काम करने वाले क्लर्क की तरफ खिंची चली गई और मौका पाकर उसका मोटा लंबा लौड़ा चूत में डलवाया। यह जब भी गाड़ी के साथ जाते, मैं दोनों बच्चों को सुला देती और उस क्लर्क के साथ रासलीला रचाने लगी।

उसका तबादला हो गया तो मैंने अपनी प्यास बुझाने के लिए घर में काम करने आने वाले नौकर बिट्टू को पटाना चाहा वो मेरे घर में दूध देने आता और सुबह, दोपहर, रात का खाना बनाने के लिए आता।

एक रात जब वो खाना बनाने आया, वैसे तो वो जान चुका था कि मैं क्या चाहती हूँ।

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]]> यु तो मैं अपने कॉलेज के दिनों से ही ट्रेन में घूम रहा हु पर पहले की बात अलग थी और अब की बात अलग है। पहले मैं ट्रेन में जाने के लिए उत्शहित रहता था और अब मुझे ट्रेन में जाना काम पसंद लगाने लगा। पर एक बार जैम मैं चेन्नई से मुंबई के लिए ट्रेन पकड़ा तो मेरे मन में एहि चल रहा था की पता नहीं आखिर काम ये ट्रेन मुझे मुंबई पहुचायेगी। सोचते सोचते मेरी नज़र ट्रेन में बैठी एक खूबसूरत लड़की पर पड़ी। वो टाइट जींस और टॉप पहने एक पत्रिका पढ़ रही थी। वो पत्रिका में काफी ज्यादा ध्यान दे रही थी और मौका पते ही मैं उसके ख़ूबसूरत फिगर को निहारने लगा था। मन तो कई बार ऐसा कर रहा था की उससे दोस्ती करलु ताकि सफर अच्छे से काट जाए।

Train mein Ladki ke sath Sex

मैंने उस ख़ूबसूरत लड़की को काफी देर तक देखा और फिर सोने के लिए मैं अपनी सीट पर चला गया। सीट से लेट कर भी मैं उस लड़की के सारे अंगो को निहार रहा था। बेहद ख़ूबसूरत लग रही थी वो. उसकी टाइट टॉप में उसके बड़े-बड़े अंग मुझे काफी अच्छे लग रहे थे। फिर क्या था मैं अब लेते लेते उसके अंगों को देख कर अपना सफर तय करने लगा।
थोड़ी देर बाद वो उठी और ठीक मेरे सामने वाली सीट पर अपना बिस्तर डालकर सोने लगी। अब तो मेरी नियत भी ख़राब होने लगी की काश वो खूबसूरत लड़की कुछ बाते ही करले। इतने में उसने मुझे ही आवाज़ लगाई “कही मेरी चादर आपके पास तो नहीं चली आई ” बेहद ख़ूबसूरत आवाज़ थी उसकी। मई तो भूल ही गया की उसने मुझसे कुछ माँगा और मैं उसकी ओर देखते हुवे भी उसकी बात को नहीं सुन पाया।
वो फिर से बोली और तब मुझे होश आया की वो मुझसे कुछ पूछ रही है। मैंने फिर अपनी सीट से अपना ही चादर उसे देदिया। रात भर मैंने तो जैसे तय किया था की उसे ही देखता रहूँगा सो मैं देखते हुवे सोने लगा। उसके कपड़े इतने टाइट थे कि मैं बस उसे देखता ही रहा।
देखते ही देखते काफी रात हो गयी और अब मुझे नींद भी आ गयी थी तभी अचानक वो खूबसूरत लड़की मेरे पास आई और उठा कर मुझसे बोली की वो जरा बाथरूम होकर आती है और मैं उसका सामान देखता राहु। सामान तो मैं देखना ही चाहता था पर किसी और तरीके का।
मैं नींद से अब जाग चूका था शायद इस उम्मीद में की इस ख़ूबसूरत लड़की से अब बात करने का मौका मिलजाए। वो जैसे ही आई मैंने उससे ढबाक पूछ लिया की वो कहा जाने वाली है। पता चला की वो भी मेरी तरह मुंबई ही उतरने वाली है। फिर वो सोने लगी।

मेरे मन में और बाते आने लगी की इससे बात करू ताकि वो भी दिलचस्पी दिखा सके मुझसे बात करने में। मैंने ऐसे ही उससे पूछ लिया कि क्या उसे नींद आरही है? इस बात पर उसे हसी आगयी और मैं तो लड़कियों को समझने वाला बादशाह था जिसे मालूम था की किसी हँसने वाली लड़की को कैसे फ़साना है। फिर मैंने उससे बात करना सुरु कर दिया।
हमारी बाते धीरे-धीरे लम्बी खिचती गयी और हमें पता भी नहीं चला की सुबह कब हुई। सुबह को देखने के बाद भी हम दोनों जैसे सोना ही नहीं चाहते थे। वो भी मुझसे बात करती रही और मैं भी मजे लेता रहा। धीरे-धीरे हम एक दूसरे के करीब आने लगे जहा हमने एक दूसरे के लुक के ऊपर भी बात करना सुरु कर दिया। ये वाकई एक ऐसा मोड़ था जिसमे मुझे उसके टाइट कपड़ो के बारे में बोलने का मौका मिला।
मैंने उससे कहा की मुझे उसके स्तन इन टाइट कपड़ो से अच्छे लगते है तब उसने मुझे हस्ते हुवे बोला की मैं उनके साथ खेल सकता हु। मैंने हामी भी भर दी और फिर बोला आपही कुछ ऐसी तयारी करे जिससे हमें मौका मिल सके एक दूसरे के साथ खेलने का। उसने मुझे थोड़ी देर बाद बाथरूम आने के लिए कहा और वो वह से बाथरूम की ओर चली गयी।
मैं उसे देखता रहा और जैसे ही वो बाथरूम के अंदर गयी मैं उसकी ओर कदम बढ़ाना सुरु कर दिया। जैसे ही मैं वह पहुंचा मैंने देखा कि एक आदमी अपना चेहरा धो रहा है तो मैं वही खड़ा होगया और फ़ोन पर बात करने का नाटक करने लगा। जैसे ही वो आदमी वह से गया मैं सीधा उस बाथरूम में घुसगया जहा मैंने उसे घुसते हुवे देखा था।


मैं जैसे ही अंदर आया मैंने पाया की वो टाइट कपड़ो वाली के सारे कपडे निकले हुवे थे और उसके स्तन मेरी नज़रो के सामने थे। फिर क्या था मैंने अच्छा फायदा उठाया उसकी जवानी का और उसने मुझसे भी काफी मजे लिए। बाथरूम में हम करीब पंद्रह बीस मिनट तक एक दूसरे के साथ खेल खेलते रहे और फिर हम मौका देख कर एक एक करके बाहर आये।
जब हम अपनी सीट पर वापस आये तो हमें बड़े ज़ोरो की नींद आने लगी थी। हमें यह भी थोड़ा डर था की कही हम अपनी मंज़िल पर नहीं उत्तर पाये क्यूंकि उसे ठाणे उतारना था और मुझे दादर। कोसिस करने के बाद भी न तो वो सोने से खुद को रोक पायी और न मैं।
जब मेरी नींद खुली तो मैंने पाया की ट्रेन दादर आ चुकी थी और वो खूबसूरत लड़की दूर दूर तक नहीं दिखाई दे रही थी। मेरा मन काफी उदास हो गया क्यूंकि मैंने न तो उसका फ़ोन नंबर लिया और न ही कई ऐसी बात हुई जिससे मई उसे कही ढूंढ भी सकु। मेरे पास कुछ रह गया था तो वो था उसका नाम जोकि मैं ट्रेन की चार्ट से ही जाना। नाम भी ऐसा था उसका की किसी भी जगह उसे धून्डो तो हजारो लडकिया उस नाम की मिल जाये।
खैर जो भी था जैसा भी था मुझे वो बिता पल हमेशा याद रहेगा क्यूंकि उस जैसी बिंदास खूबसूरत लड़की को पाना बेहद मुश्किल काम है और मैंने तो उसके लिए मन में काफी साड़ी बाते भी सोच राखी थी। मैंने उसे बाद में ठाणे स्टेशन और आस पास कई बार देखने की कोसिस की पर कोई कामयाबी नहि मिली।

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