रिया की पहली चुदाई

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आज तक मैं आप लोगों की मस्त-मस्त कहानियाँ पढ़कर मजे लेता रहा, अब आप लोग मेरी कहानी ‘प्रिया की चुदाई’ का आनन्द लें। यह बात लगभग 5 साल पुरानी है। मैं उस वक्त इंजीनियरिंग की कोचिंग ले रहा था। मैं अपनी कोचिंग ख़त्म करके घर आया, उस वक्त हमारे एक पेईंग गेस्ट रहते थे। जिनकी एक मस्त भांजी आई हुई थी प्रिया ! कसम से क्या माल थी यार ! मैं तो देखते ही उसको मर मिटा, बस उसे पटाने के फ़िराक में लगा रहता लेकिन घर सभी सदस्य होने के कारण मैं उससे बात नहीं कर पाता था, इसलिए कुछ बात आगे नहीं बढ़ रही थी।

एक दिन गीता (पेईंग गेस्ट) के लड़के का बर्थ डे था, उनके यहाँ कोई बड़ा नहीं था, इसलिए सारा सामान मुझे लाना था। इसे मैं भगवान् का अवसर मानकर प्रिया से बात करने लगा। धीरे-धीरे हमारे बीच बात होने लगी।

फिर एक दिन मौका देख कर मैंने उसे प्रोपोज़ कर दिया। उसने कहा कि मैं आप से यही कहना चाहती थी।

मैंने सोचा आग दोनों तरफ बराबर लगी है। फिर मैंने उसको कई बार मौका देखकर किस किया लेकिन किस के आगे कुछ नहीं बढ़ पा रहा था। जुलाई आ गई और सिर्फ किस ही हो पाया। गीता एक स्कूल टीचर थी तो स्कूल खुल जाने से वह स्कूल चली जाती और उनके पति ऑफिस और मेरे भाई-बहन सभी स्कूल। घर में मैं, मेरी मम्मी और सिर्फ प्रिया रह जाते !

एक दिन मम्मी दोपहर होने के कारण सो गई, मैं ऊपर गया, वो उस वक्त मेरा इन्तजार कर रही थी।

मैं पहुँचा तो प्रिया कमरे में अकेली लेटी थी, मैंने जाते ही उसे किस करना शुरु कर दिया।

उसने कहा- आराम से करो मेरी जान ! मैं कहीं भागी नहीं जा रही !

प्रिया बोली- तुम लेट जाओ, मैं किस करती हूँ !

मैं लेट गया और वो मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे होंठों को चूसने लगी।

मैं गर्म होने लगा मैंने अपनी ताकत के साथ उसके होंठों चूसने लगा। फिर अचानकवो अपने दोनों हाथों से मेरे कंधों को पकड़ मेरे लंड पर अपनी चूत को रगड़ने लगी।

मैंने पूछा- क्या हुआ?

मैं जानता था कि लड़की गर्म हो गई है। वो बोली- नीचे खुजली हो रही है !

मैंने कहा- लाओ मैं खुजा देता हूँ ! मैंने ऐसी खुजलियों को मिटाने में पी एच डी कर रखी है।

वो हँसने लगी और बोली- ठीक है, मिटा दो !

उसने अपनी सलवार खोल दी। मैंने देखा कि उसकी पैंटी गीली हो चुकी है, मैंने कहा- तेरी चूत तो मेरे लंड के लिए मरी जा रही है, देखो कितना रो रही है।

वो बोली- यग तुमारी वजह से हुआ, इसको तुम ही साफ़ करो !

उसने जैसे इतना कहा, मैंने उसकी पैंटी उतार दी, मेरे सामने जैसे अभी अभी शोरूम से निकली नई नवेली ताज़ी चूत आ गई। मेरे मुँह तो पानी आ गया, मैंने बिना समय गंवाए प्रिया की चूत को चाटना शुरु कर दिया।

प्रिया चुदासी हो गई थी, रही सही कसर मेरे चूत को चूसने के दौरान ख़त्म हो गई।

मैं उसकी चूत को चूसता रहा.. चूसता रहा…. चूसता रहा…तब तक… जब तक वो रोने नहीं लगी और बोली- अब मत तड़पाओ ! डाल दो अपना लण्ड मेरी चूत…श… शस… हश… शस… श… शस… श…फाड़ दो इसको… आज इसको इतन लालीपॉप दो कि आज के बाद से लोलीपोप के नाम से डरे !

मैंने कहा- मेरी रानी, इतने मस्त तरीके तेरी मुनिया को लालीपॉप खिलाऊँगा कि लॉलीपोप देखते लार टपकने लगेगी !

मैंने अपना लंड उसकी चूत के छेद पर रखा और कसकर दबाया।

प्रिया चिल्लाई- “उई ! अहम्मह अई !

मैंने कहा- क्या हुआ?

वो बोली- बहुत दर्द कर रहा है !

उसने कहा- कुछ क्रीम लगा लो…

मैंने अपने लंड पर काफ़ी सारी क्रीम लगाई और उसकी चूत पर भी ढेर सारी लगा दी। फिर छेद पर अपना लौड़ा रखा और सोचा कि अगर आज मौका हाथ से निकल जायेगा तो आज के बाद पता नहीं कब मौका मिले, मैंने उसके होंठों को अपने होंठों के बीच कसकर दबा लिया और एक जोर का झटका दिया।

फट की आवाज आई और मेरा आधा से ज्यादा लंड उसकी चूत में उतर गया और वो जोर-जोर से हाथ पैर पटकने लगी, उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे।

मैंने आँखों आँखों में इशारे से शान्त रहने को कहा। फिर मैंने बिना समय गंवाए एक दूसरा झटका दे दिया और मेरा लंड पहली चुदाई में उसकी चूत में उतर गया। वो दर्द के मारे करीब बेहोश हो गई। जबवो नोर्मल हुई तो इशारे से झटका लगाने को कहा।

मेरा हाल तो ना ही पूछो यारो ! मैं तो सातवें आसमान की सैर कर रहा था। जिन लोगों ने चूत की सील तोड़ी हो, वही अंदाजा लगा सकते हैं कि क्या आनन्द आता है।

मेरा लंड लग रहा था कि किसी भट्टी में रखा हो, लग रहा था कि बस अभी उबल जायेगा, मेरे लंड की नसें फट जाएँगी।

फिर मैं उसकी चूचियों को मसलने लगा। जब उसे मजा आने लगा तो मैंने झटके तेज कर दिए।

लगभग दस मिनट तक मैं उसे चोदता रहा, उसके बाद कभी कुतिया की तरह, कभी वो मेरे ऊपर !

मैं कसरत करता हूँ, करीब आज आट साल से, इसीलिए मुझे इतना समय लगता है।

मेरी तो उसे चोदते-चोदते गांड फट गई यार ! और प्रिया की चूत भी ! आखिर में हम दोनों झड़ गए।

उठकर देख तो मेरी चड्डी खून से लाल हो गई थी और वो चादर भी जिस पर मैं उसकी चुदाई कर रहा था।

फिर हम खड़े हुए, वो तो ढंग से खड़ी नहीं हो पा रही थी, मैंने सहारा देकर उसे खड़ा किया और उसके कपड़े मैंने ठीक किये।

तीन दिन तक वो ढंग से न तो मूत पा रही थी, न ही चल पा रही थी।

उसने बताया- इस खेल में बस मेरी तो जान नहीं निकली, बाकी सब हो गया !

बोली- ऐसा लग रहा था कि किसी ने जैसे चाकू से मेरी चूत को चीर दिया हो। फिर हम दोनों का ये कार्यक्रम जब तक वो रही, तब तक जारी रहा, जब भी मौका मिलता, हम शुरु जाते !

अब उसकी शादी हो गई है, दो बच्चे हैं उसके !