chachi ko nangi nahate dekha

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हैलो दोस्तो.. सभी चूतों को मेरे खड़े लंड का प्रणाम और सभी लंडों को नमस्ते।
यह मेरी पहली कहानी है.. यदि मुझसे कोई गलती हो.. इसके पहले ही मैं आप सभी उस अनजानी गलती के क्षमा चाहता हूँ। मेरा नाम अजित सिंह है और मैं पटना का रहने वाला हूँ। वैसे भी मुझे घूमने का ज्यादा शौक है.. तो मैं कभी कोलकाता, कभी रांची.. तो कभी दिल्ली चला जाता हूँ। मेरी उम्र 21 है और बी.कॉम का स्टूडेंट हूँ। मैं अपने चुदाई वाले औजार के बारे में बता दूँ.. मेरा चोदू करीब 7.2 इंच का है और करीब 2.5 इंच मोटा है।

अब आप सबका ज्यादा समय खराब ना करते हुए मैं आप लोगों को अपनी असली कहानी सुनाता हूँ।
बात आज से 9 महीने पहले की है। मैं छुट्टियों में अपने चाचा के घर गया था।
मेरे चाचा मार्केटिंग का काम करते हैं इसलिए सारा दिन और कभी-कभी 2 से 3 सप्ताह बाहर ही रहते हैं। मेरी चाची की उम्र लगभग 27 साल है.. और उनका फिगर क्या बताऊँ.. 34-30-32 का है और रंग एकदम दूध जैसा गोरा है।
अब असली बात पर आता हूँ।

मैं शाम के वक्त उनके घर पहुँचा और चाचा-चाची को नमस्कार किया जो कि हमेशा करता हूँ। हमारी थोड़ी देर बात हुई.. चाचा ने डिनर किया और अपने कमरे में चले गए। चाचा-चाची और मेरे कमरे का बाथरूम साझा था.. मतलब दोनों कमरों से बाथरूम का दरवाज़ा था.. जो कि बहुत से घरों में होता है.. मेरी आँख लगी ही थी कि मुझे बाथरूम से कोई आवाज़ आई जैसे कोई नहा रहा हो। मैंने अहिस्ता से जाकर की-होल से देखा तो मेरी चाची बाथरूम में एकदम नग्न थी। उनको देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। चाची के मम्मे एकदम संतरे जैसे गोल थे और निप्पल गुलाबी थे। मैं करीब 15 मिनट तक उन्हें देखता रहा और जब कण्ट्रोल नहीं हुआ तो मैं अपने लंड को सहलाने लगा।

तभी अचानक मैं फिसल गया और मेरा पैर दरवाज़े से टकरा गया.. मैं घबरा कर बिस्तर पर चला गया और जल्दी से सोने का नाटक करने लगा।
चाची नहा कर.. दरवाज़ा खोल कर मेरे कमरे में आई और मुझे सोता देख चली गईं। उफ्फ.. मेरी जान में जान आई.. पर मैं सारी रात चाची के नंगे मम्मों और चिकनी चूत के बारे में ही सोचता रहा। अगले दिन जब मैं उठा तो तैयार हो कर नाश्ता करने गया.. जहाँ मुझे पता चला कि चाचा जी अपने काम पर जा चुके थे। मैंने और चाची ने नाश्ता किया और टीवी देखने लगे। मेरा ध्यान अभी भी चाची के मम्मों पर था और शायद चाची इस बात को जान चुकी थी। चाची ने मुझे पास बुलाया और बोली- मेरे सिर में दर्द है.. क्या तुम इसे दबाओगे। मैंने जा कर उनका सिर दबाने लगा.. कुछ ही देर में वो बोली- तुम्हारे हाथ में जादू है क्या.. बड़ा चैन पड़ गया.. मेरे पैर भी दबा दोगे?

मैं जल्दी से उनके पैर दबाने लगा.. उन्होंने मैक्सी पहनी थी। मैंने उनकी मैक्सी थोड़ी ऊपर की.. वो कुछ नहीं बोली.. फिर मैंने और ऊपर की.. वो फिर भी कुछ नहीं बोली। अचानक मेरा हाथ उनकी चूत से टकरा गया और वो सिसक उठी।
वो एकएक मुझसे बोल पड़ी- कल रात तुम क्या देख रहे थे बाथरूम में?

मैं तो सन्न रह गया और कुछ भी नहीं बोला..
तो वो मुस्कुरा कर बोली- बात से मुकरो मत। मैं जान गई थी.. तुम मुझे देख रहे थे।
मुझे काटो तो खून नहीं..
वो बोली- अजित.. प्लीज क्या तुम मेरी प्यास बुझा दोगे?
मैंने सनाका खा गया.. डरते हुए मैंने कहा- पर..!
वो बोली- प्लीज प्लीज..

इतना बोलने पर मैं उसको चोदने के लिए राज़ी हो गया।
अब मैंने उनकी मैक्सी उतारी और मैं उसकी भरपूर जवानी देख कर पागल हो गया। मैं उसके मम्मों को जोर-जोर से चूसने लगा।
फिर मैंने उनकी चूत पर हाथ घुमाया.. उनके मम्मों को चूस-चूस कर लाल कर दिया।
वो बोली- बस.. अब रहा नहीं जाता… तुम मेरा पानी निकाल दो..

फिर मैंने अपना औजार निकाला और उनके मुँह में डाल दिया और वो मेरे लौड़े को पागलों की तरह चूसने लगी।
क्या बताऊँ दोस्तों.. मुझे लगा कि जिस तरह से ये मेरा लौड़ा चूस रही है उस तरह तो वो आज मेरा पूरा का पूरा लंड खा जाएगी।
वो करीब 15 से 20 मिनट मेरे लंड को भरपूर चूसती रही।

फिर हम 69 के पोज़ में आ गए और मैंने उनकी चूत में अपनी जीभ डाल दी.. पहले तो वो थोड़ी कसमसाई और बोली- अब जल्दी से इस तड़पती चूत में अपना कड़कता हुआ लंड डाल दो अब.. और मेरी चूत को शांत कर दो.. अब बर्दास्त नहीं हो रहा है.. प्लीज।

फिर मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रखा और अहिस्ता से धक्का दिया.. उनके मुँह से ‘आह्ह्ह्ह..’ की आवाज़ निकल पड़ी।
फिर मैंने अपनी चोदू मोटर की स्पीड तेज़ करना स्टार्ट कर दी और अपने लंड को आगे-पीछे करने लगा।

‘ऊउह्ह.. आहह.. और जोर से.. और जोर से.. ऊआ.. और जोर से.. चोदो..’
उसकी ठीक वैसी ही आवाजें थीं.. जैसे कि अक्सर चूत वालियों की चुदते वक्त होती हैं।

लगभग 10 मिनट के बाद चाची डिस्चार्ज हो गई और करीब 35 से 40 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों ने एक साथ पानी छोड़ दिया।
चाची लगभग 3 बार झड़ चुकी थी.. थोड़ी देर के बाद उठे हुए मम्मों को देख कर मेरा लंड तो जैसे बोल रहा था.. ये लंड मांगे मोर चूत।
बस फिर क्या था.. मैंने चाची को डॉगी स्टाइल में चोदने का मन बना लिया।
चाची भी जल्दी से तैयार हो गई।

मैंने चूत पर लंड रखा और ‘दे दनादन..’ शुरू हो गया।
‘आह्ह्ह्.. आह्ह्ह.. आह्ह्ह्ह.. बस करो.. मैं मर जाऊँगी..’ चाची बोलने लगी।
मुझे और जोश आ गया और मैंने लंड चूत से निकाल कर उनकी गांड में डाल दिया।

वह दर्द से चिल्ला रही थी.. पर मैं नहीं रुका। फिर एकदम से मेरा पानी निकलने वाला था.. मैंने चाची से पूछा- कहाँ पर निकालूँ.. अपना माल?
वो बोली- रुको.. अन्दर नहीं.. मेरे मुँह में निकालना।
मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाल कर उसके मुँह में डाल दिया और वो मेरा सारा का सारा माल पी गई।
इसके बाद मैं बिस्तर पर ही लेट गया।

चाची की हालत भी बहुत खराब हो चुकी थी। करीब बीस मिनट हम दोनों चुप रहे.. उसके बाद मैंने चाची के मम्मों को चूसना शुरू कर दिया।
उसके होंठ.. निप्पल.. मम्मों.. सभी का जम कर मज़ा लिया।

उस दिन हमने दिन और रात 5 बार और चुदाई की। उसके बाद तो हम जब भी मन करता है चाचा के जाने के बाद चुदाई का मज़ा लेते हैं।

दोस्तो, यह थी मेरी चाची की चूत चोदने की सच्ची कहानी। अगर लिखने में कोई गलती हो गई हो.. तो दिल से माफ़ी मांगता हूँ।
आपको कैसी लगी मेरी कहानी मुझे ज़रूर बताइएगा.. ताकि अगली बार कुछ और अच्छे से लिख सकूँ।