केमिस्ट्री टीचर की चूत में लंड

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हाई दोस्तों मेरा नाम अजय हैं और मैं 21 साल का बांका जवान हूँ. मेरी हाईट 5 फिट 10 इंच हैं और मेरा बदन मस्त सुडोल हैं. दिखने में मैं एवरेज हूँ. और मेरी यह केमिस्ट्री टीचर की उम्र हैं 32 साल. वो मेरिड थी और उसका पति एक एम्एनसी में काम करता था. उसकी एक छोटी बेटी भी थी. फिर भी उसका फिगर है 32 28 34, दिखने में क्या हॉट हैं वो! उसका कसा हुआ बदन किसी के भी लंड को हिला के रख सकता हैं पेंट के अंदर ही. मेडम की जवानी पर मैं अकेला ही कायल नहीं था. ऐसा समझे की स्कुल का हर लड़का उसपर मरता था और सर लोग भी इसमें शामिल थे. स्कुल की लड़कियां और मेडम लोग उस से बहुत ही जलते थे. हम लोग तो उसकी मेडम की चूत में लंड के लिए तरसते थे और यही रीजन था की उसका पीरियड्स हमेशा हाउसफुल रहता था. धीरे धीरे इस नई केमिस्ट्री टीचर के साथ घुल मिल गए, हम हमेशा उसके पीरियड का बेसब्री से इंतजार करते थे.

मैं मेडम को चोदने के लिए बेताब था. जब वो पढ़ाती थी तब मैं उसे घूरता रहता था. जब वो बोर्ड पर लिखती तब मैं उसकी बड़ी गांड देखता और जब वो हमारी और घुमती तो मैं उसके बूब्स को देखता था. मेडम को ऐसा घूरता की लगे की यही बच्चा केमिस्ट्री का सौखीन हैं. कभी कभी वो मुझे सवाल पूछती लेकिन मैं ख्यालों में ही रहता था उसके. और एक दिन तो गजब हो गया. हुआ यूँ की मैं मेडम के पीरियड में उसकी नंगी आकृति बना रहा था. और यह करने में मैं इतना तल्लीन हो गया की मेडम पीछे आके खड़ी हो गई वो मुझे पता ही नहीं चला दुसरे लड़के लड़कियां मेडम ने जो बोला था वो लिख रहे थे और मेरी पेन्सिल मेडम की चूत के बाल बना रही थी. उसने मेरे पीछे से यह देख लिया. उसने मेरी नोटबुक छीन ली और मेरे तोते उड़ गए. नंगी ड्राइंग तो बनाई ही थी मैंने ऊपर से उसके ऊपर मेडम का नाम भी लिखा था. उसका बदन एकदम से लाल हो गया. उसने वहाँ कुछ नहीं बोला और कहा,

अजय, तुम मुझे पीरियड के बाद प्रिंसिपल की ऑफिस में मिलो.

मैंने सोचा बेटा अजय तू तो गया आज. प्रिंसिपल वैसे भी खडूस हैं और मेडम की कम्प्लेन पर तो वो गांड मार ही लेंगा साला…!

मेडम का पीरियड 10 मिनिट में खत्म हुआ और जैसा मैंने सोच के रखा था वैसे मैं फट से उसके पीछे निकला और कोरिडोर में उसके सामने गिडगिडाने लगा, मेडम प्लीज़ माफ़ कर दें आहिंदा से कभी ऐसा नहीं करूँगा.

नहीं तुम बड़े पेंटर हो मैं प्रिंसिपल साहब को बताऊँ ताकि वो तुम्हारी कदर कर सकें.

मेडम प्लीज़ ऐसा ना करे वरना वो मुझे स्कुल से ही निकाल देंगे.

मेडम ने मुझे उपर से निचे देखा और बोली, एक काम करो तुम मुझे शाम को लास्ट पीरियड में केमिस्ट्री लेब आना. और वो नोटबुक अपने साथ ले के ही चली गई मेडम की चूत में लंड. कैसे भी कर के मेरा टाइम नहीं जा रहा था. ज्यों त्यों से आखरी पीरियड आया और मैं बस्ता ले के लेब में गया. मेडम वहीं पर थी बिलकुल अकेली. उसने मुझे देखा और बोली, आ गए तुम.

मैंने कहा, जी मेडम सोरी प्लीज़ माफ़ कर दे मुझे.

उसने नोटी स्माइल दे के कहा, तुम ड्राइंग सच में अच्छी करते हो.

मैं फिर वही सोरी का तुत लगाए हुए था.

मेडम: अब मैं समझी की तुम मुझे क्यूँ देखते रहते हो क्लास के अंदर.

मेरे पास कोई जवाब नहीं था और वो बोलती रही, तो बताओ मुझ में ऐसा क्या पसंद हैं तुम्हे जो ऐसे देखते रहते हो.

मैं आधी मिनिट चुप रहा और तन्न से कर के एक थप्पड़ मेरे गाल पर दे दिया मेडम ने.

अजय, बताते हो या नहीं, तुम्हारी नोटबुक मेरे पास ही हैं अभी भी!

जी, मेडम अब क्या बताऊँ आप पूरी ही अच्छी लगती हैं मुझे तो, मैं अपने हाथ से गाल सहलाते हुए बोला.

ह्म्म्म, तुम्हे पता हैं की मैं शादीसुदा हूँ..!

जी हाँ, मेडम मुझे पता हैं लेकिन मैं अपनेआप को रोक नहीं पाता हूँ आप को देखने के बाद.

और इस से पहले कितनी बार मेरी नंगी ड्राइंग बनाई हैं.

बस एक दो बार ही बनाई हैं मेडम, सच्ची.

अच्छी बनाई हैं वैसे ड्राइंग तुमने, लेकिन मेरे बाल नहीं हैं इतने सब.

बाप रे, मेडम तो किसी छिनाल की माफिक बोलने लगी. और मैं कुछ समझू उसके पहले ही उसका हाथ मेरी जांघ के उपर फिरने लगा. उसने जांघ को सहलाई और मेरे सोये हुए शेर को जगा दिया. मेडम का हाथ दुसरे ही पल मेरे लंड प् था जिसे वो दबाने और हिलाने लगी. मैं कुछ नहीं बोल पाया क्यूंकि एक तो डर और ऊपर से साला यह मजा!

मेडम ने लंड का साइज चेक किया और बोली, अजय तुम तो मर्द बन गए हो यार.

साली छिनाल बन गई थी पूरी अब तो मेडम. मैं बस मजे ले रहा था उसके हाथों के. और तभी उसने ज़िप खोली और मेरा लंड बहार निकाला. उसका ध्यान लेब के कोरिडोर पर था. क्यूंकि लेब कोरिडोर के एंड में था इसलिए दूर से भी कोई आया तो हमें पूरा वक्त मिल सकता था कपडे पहन के स्वस्थ होने में. शायद इसलिए ही मेडम ने यहाँ बुलाया था मुझे. मैं कुछ समझू उसके पहले तो उसका मुहं मेरे लंड पर आ गया. उसने एक ही झटके में पूरा लंड मुहं में भर लिया. मैं अभी भी जैसे की कोई सपना देख रहा था. मेडम ने अब मेरी कमर को पकड़ा और वो अपने होंठो को मेरे लौड़े पर चला के जबरदस्त मजा देने लगी. मैं सातवें आसमान पर था और मेडम मुझे ऐसे मजे दे रही थी जैसे की वो कोई अप्सरा हो. मेडम ने दो मिनिट लंड चूस के उसे बहुत टाईट कर दिया. फिर उसने मुझे कुर्सी पर बैठने का इशारा किया. मैं कुर्सी में बैठा और वो बोली,

अजय कोरिडोर का ध्यान रखना, कोई आये तो देखना. हम ग्लास के पीछे है इसलिए कोई हमें इतनी दूर से नहीं देखेंगा लेकिन तुम ध्यान रखना कोई आयें ना उधर से.

इतना कह के उसने मेरी पेंट को घुटनों तक उतार दी और फिर अपनी पेटीकोट को ऊपर की और खिंचा. उसने पेंटी को अंदर ही साइड में कर के चूत का होल सेट किया. वो कपडे पहने हुए ही मेरे लंड के ऊपर बैठ गई. मैं उसकी गरम गरम चूत को मेरे लंड के ऊपर महसूस कर रहा था. अब मेडम ने कहा, अजय धकेल दो अपनी जवानी मेरे अंदर.

बस मुझे तो कहने की ही देर थी. मैंने एक जोर का झटका लगाया और लंड को धकेल दिया चूत की गहराई के अंदर. मेडम के मुहं से एक आ निकली और उसने मेरे हाथ पकड के अपने बूब्स पर रखवा दिए. मैं उसके बूब्स को जोर जोर से दबाने लगा और मेडम लकड़े की कुर्सी के दोनों हाथ पकड के मेरी उपरउछलने लगी. उसकी ढीली चूत के अंदर मेरा लंड मस्त पम्प करने लगा. मेडम ने सही कहा था की उसके निचे बाल नहीं हैं, होते तो लंड को छूते जरुर. मेडम की चूत बहुत ही गरम थी और वो उसे जोर जोर से मेरे लौड़े के ऊपर मार रही थी. मेरे बदन में अजब शक्ति आ गई थी उस वक्त और मैं उसका वजन धोने के बाद भी निचे से झटके मार रहा था. मेडम के बड़े बूब्स को मैं ब्लाउज के ऊपर से ही दबा रहा था, और मेरी इच्छा उन्हें चूसने की थी.

मेडम की चूत में लंड

, इन्हें बहार निकालो ना, मैं चूसना चाहता हूँ.

अरे पागल, यह स्कुल की लेब हैं तेरे बाप का घर नहीं. लेकिन मैं तुझे सब मजे दूंगी लेकिन आज नहीं अजय.

उसके यह कहते ही मैं बड़े निर्दयी तरीके से उसके बूब्स दबाने लगा. वो आह आह करती गई और मैं निचे से अपना लंड उसकी चूत में ठोकता गया. दो मिनिट में ही मेरे लंड से पानी निकल के मेडम की चूत में भर गया. मेडम ने अपनी चूत को लंड के ऊपर दबा के सब पानी को अपनी चूत में ले लिया. फिर वो धीरे से उठी और उसने टेबल के ड्रावर से बटर पेपर निकाल के अपनी चूत को साफ़ किया. एक बटर पेपर उसने मुझे भी दिया. पता नहीं इस बटर पेपर से क्या साफ़ होना था. मैंने प्रयास किया लेकिन चिकनाहट वही के वही थी. उसने सब बटर पेपर बिन में डाले और फिर अपने कपडे और बालो को सही किया. ब्लाउज भी उसने सही किया और फिर मेरी और देख के हंसने लगी.

क्यूँ कैसी लगी मेरी पनिशमेंट अजय?

मैं हंस के बोला, यह पनिशमेंट थी तो मैं रोज आप की ड्राइंग बनाऊंगा.

सन्डे को क्या कर रहे हो तुम?

कुछ ख़ास नहीं, क्यूँ आप ने कुछ ख़ास सोचा हैं?

मेरे पति के ऑफिस स्टाफ की रिसोर्ट पार्टी हैं दिनभर. वो नाईट में आयेंगे और मैं पूरा दिन अकेली हूँ. मेरी बेटी भी सन्डे को अपनी बुआ के वहाँ रहती हैं.

मेडम, मैं आ जाऊँगा….!