बात उन दिनों की है जब मैं बारहवीं का छात्र था, मैं छुट्टियों में अपने मामा के घर रहने के लिए गया था।
मेरे मामा की पत्नी यानि मेरी मामी कमाल की खूबसूरत है, वैसे तो वो दो बच्चो की माँ है लेकिन वो चाहे तो किसी को भी अपने आगे पीछे नचा सकती है। मैं जब मामा के घर पहुँचा तो मैंने दरवाजा खुला देखा और बिना किसी को आवाज़ लगाये मैं अन्दर चला गया। जैसे ही मैं अन्दर पहुँचा, मेरे होश उड़ गए, मामी अपना पेटीकोट पहन रही थी और उनकी नंगी चूचियाँ हवा में झूल रही थी। मैंने एक पल के लिए देखा और ‘सॉरी मामी जी…’ बोल कर आगे वाले कमरे में चला गया।
मामी मेरे पास आई और मुझ पर नाराज होने लगी, कहने लगी- तुम्हें कम से कम आवाज़ देकर तो आना चाहिए था!
यह सुनते ही मुझे थोड़ा बुरा लगा और मैंने भी जवाब दे दिया- आपको भी तो दरवाज़ा बंद करके नहाना चाहिए था!
इस पर वो कुछ नहीं बोली और चली गई, थोड़ी देर बाद वो मेरे लिए पानी लाई, मैंने पानी पिया और फिर वो मुझसे मेरे घर के सभी लोगों के बारे में पूछने लगी।
मैंने उनसे कहा- सब ठीक है।
और बाज़ार चला गया।
वापस लौटने में शाम हो गई, जब मामी का फोन आया तो मैंने कहा- आ रहा हूँ।
जब मैं घर आया तो रात के 9:30 हो रहे थे, मैंने खाना खाया और मामी से कहा- मैं अब सोने जा रहा हूँ।
उन्होंने कहा- ठीक है।
ठीक एक घंटे बाद मामी मेरे कमरे में आई और कहा- सो गये क्या सुजीत?
मैंने जवाब दिया- नहीं मामी, ऐसे ही लेटा हूँ, क्यों कोई काम है?
तो मामी ने कहा- आज तुम्हारे मामा की नाईट शिफ्ट है, वो नहीं आयेंगे और मुझे भी नींद नहीं आ रही है, चलो कुछ बातें करते हैं।
तो मैंने कहा- ठीक है! और हम इधर–उधर की बातें करने लगे लेकिन अभी तक मेरे मन में मामी को चोदने की कोई बात नहीं थी।
हम बातें करते रहे और मामी मेरे ही बिस्तर पर सो गई।
मैंने भी सोचा ‘सोने दो’ और मैं भी उनके बगल में ही सो गया। अचानक रात के दो बजे मेरी नींद खुली, मैं पानी पीने गया और जब वापस आकर देखा तो मेरी बची कुची नींद भी उड़ गई, मैंने देखा कि मामी सोई है और उनकी साड़ी घुटनों तक उठी हुई थी, उनकी गोरी गोरी जांघें चांदनी में अँधेरे में चमक रही थी।
मैं धीरे से गया और मामी के थोड़ा करीब जाकर सो गया, मैं धीरे से अपनी कोहनी मामी की दाईं चूची पर रख के हाथ हिलाने लगा ऐसे जैसे कि मैं नींद में हूँ।
अब मुझे पूरा यकीन हो गया था कि मामी गहरी नींद में है।
मैं धीरे धीरे उनकी चूचियों को सहलाने लगा, वो अब भी नींद में थी।
फिर मैं उनकी जांघें सहलाने लगा। उस वक्त मेरा 6 इंच का लंड अपने पूरे शवाब पर था।
जब मैंने उनकी चूत पर हाथ लगाया वो किसी हीटर की तरह गर्म थी।
अब मैं आपे से बाहर हो चुका था, मेरे अन्दर किसी का डर नहीं था, जो होगा देखा जायेगा।
लेकिन जैसे ही मैंने अपना 6 इंच का लंड उनकी चूत में डालने गया, उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया।
मेरी तो हालत ख़राब जैसे ‘काटो तो खून नहीं!’
तब मामी ने कहा- यह क्या हो रहा है?
मैंने कहा- सॉरी मामी, मैं बहक गया था, मुझे माफ़ कर दीजिये!
उन्होंने कहा- नहीं, जो काम अधूरा छोड़ा है, उसे पूरा करना पड़ेगा लेकिन मेरे तरीके से!
मैं खुश हो गया।
तो उन्होंने अपनी टांगें फैलाई और कहा- पहले मेरी चूत चाटो!
मैंने बिना समय गंवाए काम पर लग गया।
जैसे ही मैंने उनकी चूत को अपनी जुबान से छुआ, वो सिहर उठी और सिसकारने लगी- अह्ह्ह उम्म्म अम्मम्म रुकना मत सुजीत ओह अह्हह…
और फिर उन्होंने मेरे लंड को सहलाया और कहा- तेरा सामान तो बड़ा तगड़ा है, मुट्ठ मारते हो क्या?
मैंने कहा- कभी कभी और तेल से मालिश भी करता हूँ।
तो मामी ने कहा- अब अपना लंड डालो लेकिन आराम से!
मैंने उनकी साड़ी को कमर तक उठाया और अपना लंड डालने लगा लेकिन कई बार कोशिश करने के बाद भी नहीं गया तो मामी ने पूछा- पहली बार है क्या?
मैंने कहा- हाँ…
तो मामी हंसने लगी और कहा- रुको, मैं सिखाती हूँ।
कहा- जाओ रसोई से सरसों का तेल लेकर आओ!
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मैं तेल लेकर आया और मामी ने अपने हाथों से मेरे लंड पे तेल लगाया और मुझसे कहा- तुम मेरी चूत पर तेल लगाओ।
मैंने वैसा ही किया।
अब मामी ने अपनी दोनों टाँगें फैलाई और मेरे लंड को अपनी चूत पर टिका कर कहा- डालो अब !
मैंने एक ही झटके में आधा लंड उनकी चूत में डाल दिया, वो चीख पड़ी- अरे कमीने, आराम से डाल, रण्डी नहीं हूँ।
लेकिन मैंने उनकी बात को अनसुना कर दिया और धक्के मारने लगा। थोड़ी देर बाद उन्हें भी मज़ा आने लगा, करीब 15 मिनट बाद मैं झड़ गया और उसी टाइम मामी भी झड़ चुकी थी। अब जब भी मैं मामी के घर जाता, उनकी चुदाई जरूर करता और जब उनका मन करता तो वो मुझे फ़ोन करके बुला लेती, यह सिलसिला आज भी जारी है।