मेरा नाम आशीष है, उम्र 23 साल है, गुजरात का रहने वाला हूँ। यह बात तब की है जब मेरा भाई अस्पताल में दाखिल था।डॉक्टर ने बोला था कि उसे 7-8 दिन यहाँ रखना पड़ेगा। मेंरी मॉम ने कहा कि वो यहाँ भाई के साथ रुक जाएँगी, तो मैंने कहा- आप सब घर जाओ, मैं भाई के पास रह जाऊँगा।
सब लोग मान गये। शाम को डॉक्टर चेकअप के लिये आई तो मैं तो उसे देखता ही रह गया। उसका नाम शीला देसाई था। उसकी उम्र करीब 30 होगी। वो क्या माल थी ! उसके उरोज इतने रसीले दिख रहे थे कि मेरा लण्ड तो उसे देखते ही सलामी देने लगा था और पीछे से उसके चूतड़ देखो तो जैसे डनलप के गद्दे !
उसने मेरे भाई का चेकअप किया और फ़िर मुझे एक परचा दिया, कहा- ये दवाइयाँ ले आओ। और उसने जाते जाते मुझे पूछा- तुम मरीज के कौन हो तो मैंने कहा- मेरा नाम आशीष है, यह मेरा बड़ा भाई है। उसने एक नशीली स्माइल दी और चली गई। मुझे लगा कि यह गर्म माल चोदने को मिल जाए तो ! मिल भी सकता है अगर थोड़ी कोशिश की जाए तो। फ़िर तो क्या था मैं भी लग गया इसी काम में !
थोड़ी देर के बाद जब मैं बाहर से दवाइयाँ लेकर आया तो दवाइयाँ दिखाने के बहाने मैं डॉक्टर के केबिन में घुस गया। अन्दर जाकर मैंने देखा कि उसके चूचे उसकी ड्रेस में से आधे बाहर दिखाई दे रहे थे क्योंकि उन्होंने सफ़ेद कोट उतार दिया था। गोरे गोरे उभार देखते ही मेंरा लन्ड फ़िर से सलामी देने लगा था । जब उसने यह महसूस किया कि मैं उसकी गेंदें देख रहा हूँ तो उसने दुपट्टा सही किया और फ़िर मेरे तने हुए लण्ड को देखा और फ़िर एक और बार नशीली मुस्कान के साथ कहा- बोलो, क्या काम है? मैं थोड़ी देर वहीं पर उसके केबिन में रहा और उसके साथ और थोड़ी दोस्ती की।
फ़िर तो क्या था, वो जब भी अस्पताल आती तो मुझे अपने केबिन में बुलाती और हम दोनों साथ में गपशप करते थे। बातों बातों में मैंने उसे अपने बारे में सब कुछ बता दिया कि मेरी गर्लफ़्रेन्ड को मैंने किस तरह चोदा था और कैसे कैसे चोदा था। यह सब सुन कर वो बहुत गर्म हो रही थी पर फ़िर अचानक उसका मूड खराब हो गया तो मैंने पूछा- क्या हुआ शीलाजी? तो थोड़ी देर बाद उसने मुझे बताया कि उसका पति उसे चोदता तो है पर नामर्द की तरह ऊपर ऊपर से करता है जिससे उसे पूरा सन्तोष नहीं मिलता।
फ़िर क्या था, मेरे मन में उसे चोदने का जो कीड़ा था वो उछलने लगा। मैंने उनसे एक टाइट हग दिया और फ़िर एक स्माइल के साथ कहा- अगर आप चाहो तो मैं आपकी मदद कर सकता हूँ।
उसने मुझे एक मस्त लिप-किस दी और कहा- आज नहीं, आज पीरियडज में हूँ। उसने मेरा नम्बर लिया और कहा- मैं तुम्हें घर पर बुलाऊँगी जब मेरे पति घर पर नहीं होंगे। इसके दो दिन बाद मेरे भाई को अस्पताल से छुट्टी मिल गई और हम घर आ गये। थोड़े दिन बाद शीला का फ़ोन आया और उसने मुझे अगले दिन दोपहर को अपने घर आने को कहा।
दूसरे दिन मैं उसके घर पहुँच गया। उसने टी-शर्ट और पजामा पहना था, उसमें वो और भी हॉट दीख रही थी। वो मुझे अपने बेडरूम में ले गई और वहाँ मुझे पकड़ कर सीधा मेरे ऊपर चढ़ गई, मेरे लबों को चूमने लगी। लग रहा था जैसे वो बहुत दिनों से लण्ड की भूखी थी। फ़िर तो क्या था, मैं भी उसके साथ चिपट गया और उसके कपड़े निकाल दिये और उसके शरीर पर चुम्बन करने लगा। वो बहुत गर्म होने लगी थी ! मैं उसके चूचों को चूस रहा था, जैसे हम आम को चूसते हैं।
उसके मुँह से ‘आह आह्ह’ की आवाजें आ रही थी। फ़िर मैंने उसकी चूत पर हाथ लगाया तो पता चला कि वो तो पहले से ही भीग चुकी थी। मैंने मेरी दो उंगलियाँ उसकी चूत में घुसा दी और वो चीख पड़ी- आह्ह्ह्ह प्लीज धीरे धीरे घुसाओ, वो बहुत दिनों से प्यासी है।
फ़िर तो मैंने उसकी चूत को भी चाट कर बहुत मजा दिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
वो अब बहुत गर्म हो गई थी तो मैंने अपने कपड़े निकाले और मेरा 7 इन्च लम्बा लौड़ा उसके हाथ में दे दिया। वो तो यह देख कर ही दंग रह गई कि इतना बड़ा?
और फ़िर उसने मेरे लण्ड को मुँह में लिया और चूसने लगी। और थोड़ी देर बाद मैं भी बहुत गर्म हो गया तो मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और लन्ड का सुपारा उसकी चूत पर रख दिया। और जैसे ही मैं लण्ड को उसकी चूत में डालने लगा, उसने मेरे लण्ड को पकड़ लिया, बोली- मेरे राजा, आपके इस नवाब को जरा धीरे से घुसाना क्योंकि मेरी चूत को इतने बड़े लन्ड का अनुभव नहीं है।
मैंने कहा- ठीक है जी ! और मैं धीरे से मेरा लण्ड चूत में घुसाने लगा। एक जटका मारा और आधा लन्ड चूत में घुस गया और वो चीख पड़ी- आह अह्ह ओह्ह्ह प्लीज धीरे धीरे !
मैंने मेरे होंठ उसके होंठों पर रख दिये और चुम्बन करने लगा। जब मुझे लगा कि अब वो ठीक है तो मैंने एक और धक्का दिया और पूरा लन्ड चूत के अन्दर घुस गया और वो फ़िर से ‘आह्ह आह्ह्ह’ करने लगी लेकिन इस बार मैं नहीं रुका, बस चूत को पेलने लग गया। बीच बीच में उसके गोरे गोरे स्तनों को भी चूस लिया करता था जिससे मेरा लण्ड और भी मस्त हो जाता था और चोदने में और भी मजा आ रहा था।
थोड़ी देर चूत को पेलने के बाद मैंने शीला को कुतिया की तरह झुकने को कहा और फ़िर मैंने लण्ड उसकी गान्ड के छेद पर रख दिया। तभी वो बोली- नहीं, मेरी गान्ड मत मारना ! मैंने पहले कभी नहीं मरवाई।
मैंने कहा- कोई बात नहीं, मैं धीरे धीरे ही डालूँगा ! मैंने थोड़ा तेल उसकी गान्ड पे लगाया और लन्द का सुपारा छेद पर रख कर धीरे से घुसाने लगा लेकिन उसकी गान्ड बहुत टाइट थी तो लन्ड को जाने में तकलीफ़ हो रही थी लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और धीरे धीरे से अपना आधा लण्ड गान्ड में घुसा दिया।और इसके साथ ही शीला चीख पड़ी- ओ ओ मा मा आह्ह्ह्ह्ह्ह !
मैं थोड़ी देर वैसे ही उसके ऊपर लेटा रहा और जब मुझे लगा कि उसका दर्द कम हुआ है तो मैंने एक और झटका दिया और पूरा लण्ड कसी हुई गान्ड को फ़ाड़ कर अन्दर घुस गया। मैंने देखा तो अब वो भी चुदने का मजा ले रही है तो मैं भी और जोर जोर से डॉक्टरनी की गान्ड पेलने लगा। वो भी अब तो जोर जोर से बोल रही थी- चोदो मेरे राजा ! और जोर से चोदो और मेरी गान्ड को फ़ाड़ दो।
उसके मुँह से आवाज आ रही थी- आह ओह्ह फ़्क मी फ़ास्टर ! फ़ास्टर ! और मैं भी कहाँ कम था, मैं भी जोर जोर से चोदता रहा। फ़िर मैंने मेरा लन्ड उसकी चूत में घुसा दिया और पेलने लगा । थोड़ी देर बाद मुझे महसूस हुआ कि चूत पानी छोड़ रही है। उसने मुझे कस के पकड़ लिया, और पानी छोड़ दिया लेकिन अभी मेरा लन्ड थका नहीं था और मैं उसके चूतड़ों पर थप्पड़ मार मार कर उसे लन्ड का मजा दे रहा था।अब मेरा लन्ड भी वीर्य छोड़ने वाला था तो मैंने पूछा- कहाँ छोड़ूँ जान?
शीला ने कहा- अन्दर ही !फ़िर तो क्या था, मैंने उसे कस के पकड़ लिया और जोर जोर से धक्के देने लगा और थोड़ी देर में मैंने सारा माल उसकी चूत में डाल दिया। जब तक मेरा लण्ड अपने आप चूत में से बाहर न आया तब तक मैं उसके ऊपर ही लेटा रहा। फ़िर उसने मेरे लण्ड को चूस कर साफ़ किया और हम दोनों बेड पर एक दूसरे की बाहों में सो गये। उस दिन मैंने उसे दो बार बहुत मस्ती से चोदा। फ़िर जब मैं शाम को घर आने लगा तो उसने मुझे एक घड़ी गिफ़्ट में दी। और मुझसे फ़िर आने का वादा लिया। मैंने वादा किया भी क्योंकि ऐसी चूत हर किसी को नहीं मिलती।