मेरा नाम अरमान है, मैं दिल्ली में रहता हूँ। मेरी उम्र 22 साल, कद 6′ है। रंग गोरा और जिम जाने से बाडी भी अच्छी बनी हुई है। बात उस समय की है जब मैं दूसरे साल के पेपर देकर वापिस रहा था। शाम का समय था, मैं लुधियाना से बस में चढ़ा, उस समय बस में ज्यादा लोग नहीं थे। मेरा पेपर ठीक नहीं गया था तो मैं काफ़ी परेशान था। मैंने एक खाली सीट देखी और बैठ ग्या। मैं बस किसी तरह जल्दी घर जाना चाहता था। मैं बस के चलने का इन्तजार करने लगा। थोड़ी देर बाद बस चल पड़ी।
तो उस दिन मैं बस चलते ही सो गया, पता नहीं कब नींद आ गई। मेरी नींद तब खुली जब अम्बाला में बस रुकी। रात के आठ से ज्यादा बज रहे थे।
तब मैंने देखा कि मेरे साथ सीट पर एक परी जैसी लड़की बैठी है और मैं पता नहीं कब से उसके कंधे पर सिर रख कर सो रहा था।
मैंने उठते ही उसे सॉरी कहा तो उसने कहा- कोई बात नहीं, आप इतने आराम से सो रहे थे तो मैंने सोचा कि काफ़ी थके होंगे तो मैंने उठाया नहीं।
मैंने कहा- हाँ, मैं काफ़ी थका था, कल मेरा पेपर था तो सो नहीं पाया था, बस इसलिये नींद आ गई।
उसने कहा- कोई बात नहीं, होता है।
हमने साथ में खाना खाया और वापिस आकर अपनी सीट पर बैठ गए।
तो मैंने उससे उसके बारे में पूछा। उसने बताया कि उसकी शादी हो चुकी है। मेरा तो जैसे दिल ही टूट गया, मुझे ऐसा लगा जैसे मैं उसे प्यार करता था। पर फ़िर उसने बताया कि उसका पति अमेरीका में है, वो शादी के कुछ दिन बाद ही वहाँ चला गया था।
उसने अपने बारे में सब कुछ बता दिया। ऐसे ही सफ़र कटता रहा।
बस की बत्तियाँ बन्द थी, चलती बस में हम एक दूसरे से बार बार टकरा रहे थे और कई तो वो मुझ पर आकर गिर सी गई तो हमने एक दूसरे को छू भी लिया और वो इस बात को अनदेखा सा कर रही थी।
थोड़ी देर बाद उसने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ़्रेन्ड है?
मैंने मना कर दिया। अगर होती तो भी मना ही करता, उसे देख कर तो कोई अपनी बीवी को छोड़ दे।
तो उसने कहा- क्यों नहीं है, तुम इतने गुड लुकिंग हो, कोई लड़की नहीं मिली आज तक?
मैंने मजाक करते हुए कह दिया- तुमने तो शादी कर ली, मेरी गर्लफ़्रेंड कौन बनती?
तो वो हंस दी, वो हंसते हुए क्या लग रही थी ! बस क्या बताऊँ।
तो उसने भी कहा- तो क्या अब मैं तुम्हरी गर्लफ़्रेंड नहीं बन सकती?
मैंने कहा- हाँ, क्यों नहीं बन सकती !
तो उसने हंसते हुए मेरे गाल को चूम लिया। मेरी समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूँ। मैं उसे देखने लगा तो वो भी शरमा सी गई। मैं उसके दिल की बात समझ गया तो मैंने धीरे से उसका हाथ पकड़ लिया। मेरी तो जैसे किस्मत ही खुल गई।
कुछ देर ऐसे ही हाथ पकड़े बैठे रहे, मैंने धीरे से उसके हाथ को सहलाना शुरू किया। उसने कुछ नहीं कहा तो मैं धीरे धीरे आगे बढ़ता गया। मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये तो वो भी मेरा साथ देने लगी।
हमने काफ़ी देर तक एक दूसरे को चूमा, फ़िर अलग हो गए।
उसने मेरा फोन नम्बर लिया और बस कुछ ही देर में दिल्ली आने वाला था तो हम अलग होकर बैठ गये।
जैसे ही अड्डे पर बस रुकी, वो उतरी तो उसे कोई लेने आया था, वो उसके साथ चली गई।
मैं काफ़ी देर वहीं खड़ा सोचता रहा कि यह हुआ क्या?
और मैं यही सब सोचता हुआ घर चला गया।
सुबह का समय था, मेरी नींद पूरी नही हुई थी तो मैं सो गया। मैं दोपहर में उठा तो देखा कि मेरे फोन पर किसी अन्जान नम्बर से बहुत सी मिस काल आई हुई हैं, मैं समझ गया कि ये उसी की काल हैं।
मैंने तुरंत फोन मिलाया तो फोन उठाते ही उधर से आवाज आई- हो गई जनाब की नींद पूरी?
मैंने कहा- हाँ जी !
उसने कहा- शाम को क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- कुछ खास नहीं।
तो उसने एक पता दिया और मिलने को कहा। मैं ठीक समय पर वहाँ पहुँच गया, वहाँ जाकर उसे फोन किया तो उसने कहा- मैं आ रही हूँ।
मैंने कहा- ठीक है।
मैं वहीं इन्तजार करने लगा। वो थोड़ी में आ गई ओर अपने साथ एक फ़्लैट में ले गई।मैंने पूछा- यह किसका फ़्लैट है?
उसने कहा- मेरी सहेली का ! वो अभी जॉब पर गई है, मैं उसी से मिलने दिल्ली आई थी।
तो उसने पूछा- क्या लोगे?
मैंने कहा- जो आप खुशी से दे दें।
तो वो हंस दी, उसने कहा- तुम यहीं बैठो, मैं आती हूँ,
वो अन्दर गई और कोल्ड डिंक ले आई। हमने कोल्ड डिंक पी और बात करने लगे।
अब वो बिल्कुल मेरे पास आकर बैठ गई, वो काफ़ी खुल सी गई। मैंने उसका पकड़ा और कहा- और कब तक तड़पाओगी?
उसने बस इतना कहते ही अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये।
मैंने भी उसे कस कर पकड़ कर खूब चूमाचाटी की। उसके बाद उसे बेडरूम में चलने को कहा तो मैंने उसे गोद में उठाया और बेडरुम में ले गया।
उसने साड़ी पहनी हुई थी, क्या फ़िगर था उसका 34-26-36 और ऊपर से पंजाबन। पंजाबी लड़कियाँ तो मुझे वैसे भी बहुत पसंद हैं। मैं तो बस पागल सा हो गया था।
उसने कहा- अरमान, आज मेरे सारे अरमान पूरे कर दो।
मुझसे भी रुका नहीं जा रहा था, मैंने जल्दी से उसकी साड़ी-ब्लाउज और पेटिकोट उतारे, उसने नीचे ब्रा-पैन्टी नहीं पहनी थी। अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी और मैं भी बिल्कुल नंगा हो गया था। मैंने उसके मम्मों को दबाना शुरु किया तो वो सिसकार उठी, कहा- आराम से दबाओ।
मैं दबाता रहा और चूमता-चूमता उसकी चूत पर पहुँचा। क्या चूत थी उसकी ! बिल्कुल गुलाब के फ़ूल जैसी !
मैं पागलों की तरह उसे चूसने लगा, उसने कहा- बस अब और मत तड़पाओ।
मैंने भी बिना देर किये अपना सात इन्च का लौड़ा उसकी चूत में पेल मारा। वो दर्द से चिल्लाउठी और बोली- निकालो इसे !
मैं कहाँ रुकने वाला था, मैं तो बस लगा रहा धक्के मारने ! कुछ देर बाद वो भी मेरा साथ देने लगी।
काफ़ी देर के बाद हम दोनों साथ में झड़ गये। थोड़ी देर बाद हमने फ़िर से एक बार सेक्स किया और फ़िर मैं वापिस आने लगा तो उसने मुझे 5000 रुपए दिये और बाद में उसने अपनी कई सहेलियों से मिलवाया। फ़िर मैंने दिल्ली, गुड़गाँव और लुधियाना में बहुत सी लड़कियों और औरतों के साथ सेक्स किया।