बारिश का मौसम चालू होते ही मेरे दिल में बिजली जाने का डर सताने लगता है, हमारे यहाँ बिजली वाले बाबू बस इसी फिराक में रहते है कि बारिश बरसे और वो बिजली की लाइन काट दें।
वैसे मैं जब 19 साल की थी तब बिजली जाने से नहीं डरती थी लेकिन एक दिन मेरे सगे भाई ने मेरी चूत के अंदर अपना लंड, जब बिजली गई, तब घुसा दिया, पता नहीं क्यूँ उस दिन से मैं बिजली जाने से डरने लगी हूँ। मेरी उम्र तब 19 साल और ऊपर कुछ दिन ही हुई थी, मेरा बड़ा भाई सुन्दर मुझसे 8 साल बड़ा था और उसकी बीवी अनुपमा से उसका तलाक हो चुका था। वो अव्वल नंबर का शराबी और जुआरी था तभी तो बीवी उसे छोड़ कर चली गई थी।
चलिए मैं अपनी चूत की बात पर आ जाती हूँ। उस दिन घर पर हम दोनों के अलावा कोई और नहीं था। मम्मी पापा, बाजू वाले शर्मा जी का ऑपरेशन हुआ था तो जिला अस्पताल में उन्हें देखने गए थे। सुन्दर को मैंने रात का खाना परोसा और मैं अपने मेंहदी की डिजाइन सीखने के लिए किताब देखने लगी।
बारिश पहले हल्की और फिर एकदम जोरों से बरसने लगी, तभी पावर-कट लग गया और पूरा घर अँधेरे से भर गया। मैंने अलमारी से मोमबत्ती निकाली और जला कर जहाँ सुन्दर खाना खाने बैठा था, वहाँ नीचे लगाने के लिए झुकी। तभी शायद सुन्दर ने मेरे उभरे हुए स्तन देख लिए और इसके लंड का कीड़ा चूत मांगने लगा।
मेरी और उसकी नजर एक हुई और मैंने तुरंत मोमबत्ती रख के बाहर के रूम का रास्ता नापा। बारिश रुकने के बजाए और भी बढ़ रही थी। सुन्दर ने मुझे आवाज लगाई- मंजू, ये बर्तन ले जा तो !मैं जैसे ही अंदर गई उसने दरवाजे के पास ही मुझे पकड़ लिया। मैं बोली- भैया, यह क्या कर रहे हो? कोई आ जाएगा।
सुन्दर बोला- अभी कोई नहीं आएगा बरसात में। मुझे आज तेरी जवानी का रस पी लेने दे। तू भी तो जवान हो चली है और तेरी चूत भी तो लंड का खुराक मांगती होगी।
उसकी बात तो सही थी कि मेरी चूत को लंड की तलाश थी मगर यह लंड मेरे बड़े भाई का होगा यह मैंने सपने में भी नहीं सोचा था। सुन्दर के हाथ मेरे स्तन को मसलने लगे और उसका दूसरा हाथ मेरे चूत के ऊपर घूमने लगा। मैं ना चाहते हुए भी उत्तेजित हो रही थी क्यूंकि सुन्दर एक स्त्री के सबसे उत्तेजित होने वाले दो अंगों पर कब्ज़ा जमाये बैठा था। वह मेरे चुच्चों को जोर जोर से मसलने लगा। मुझसे भी रहा नहीं गया और मैंने हाथ लम्बा के उसकी लुंगी में खड़े उसके लंड को पकड़ लिया। सुन्दर का लंड कुछ 6 इंच जितना लम्बा और ढाई इंच के करीब मोटा था।
सुन्दर ने लुंगी को एक हाथ से खोल दिया और वह बिना लंगोट पहने होने की वजह से उसका लंड अब खुली हवा में आ चुका था। बाहर बारिश बरस रही थी और यहाँ मेरी चूत अंदर से रस छोड़ रही थी। सुन्दर एक बार फिर दोनों हाथ मेरे शरीर पर चलाने लगा। उसने धीमे से मेरी टी-शर्ट को पकड़ा और एक झटके से उसे मेरे माथे पर से होते हुए उतार फेंका, ब्रा भी उसने उतनी ही जल्दी निकाल दी।
मेरे 34 इन्च के स्तन देख कर वो पगला सा गया। उसकी बीवी अनुपमा तो काफी दुबली पतली थी और उसके स्तन 30 इन्च के करीब के थे। इसलिए तो सुन्दर इन स्तन को देख बौखला सा गया था। सुन्दर ने मेरे स्तनों को मुँह में भर लिए और वह उन्हें एक हाथ से दबाता था और चूसता था।
मुझे भी चूत के अंदर अब चुदाई की खुजली होने लगी। मैंने अपना हाथ लम्बा कर के सुन्दर के लंड को पकड़ कर हिला दिया। सुन्दर ने मुझे वहीं पलंग के ऊपर लिटा दिया और मेरी स्कर्ट उतारने लगा। उसने खुद की बनियान भी उतार दी। वह अब मेरे छाती के ऊपर आ गया और उसने बिना कुछ कहे सीधा लंड मेरे मुँह के अंदर घुसा दिया।
सुन्दर ने मेरे मुँह के अंदर लंड को ठूंसे रखा और उसका लंड मेरे गले तक पहुँचा कर वो वापस बाहर निकाल लेता था, उसके ऐसे झटके कुछ 2-3 मिनट तक चलते रहे, उसका लंड पूरा लाल हो चुका था और मेरे होंठों के साइड से थूक बाहर आने लगा था। सुन्दर ने मुझे अपने दोनों हाथों से उठाया और पलंग पर डाल दिया। मुझे और सुन्दर दोनों को पसीना हो रहा था क्यूंकि बरसात और उमस की वजह से ऐसा हो रहा था।
सुन्दर ने पलंग पर चढ़ कर मेरी टाँगें फैला दी और वह मेरी हल्के बालों वाली चूत को टटोल रहा हो, वैसे खुजाने और सहलाने लगा। उसकी पहली दो उंगलियाँ चूत के होंठों को मसल रही थी और फिर उसने धीरे से एक उंगली चूत के अंदर दे दी। उसकी पूरी उंगली चूत के अंदर थी जिसे अब वो अंदर-बाहर कर रहा था, उसके नाख़ून मुझे चुभ रहे थे लेकिन मजा भी उतना ही आ रहा था।चूत अब एकदम गीली हो चुकी थी और इसका रस सुन्दर के हाथों को भी लग रहा था। सुन्दर ने उसके उँगलियों पर लगे चूतरस को लंड के सुपारे पर लगाया और उसने धीरे से पूरा लंड मेरी योनि के अंदर धकेल दिया। उसका लंड चूत को मस्त चोद रहा था और वह बीच बीच में चूत के ऊपर उंगली से रगड़ भी रहा था। मैंने भी अपने कूल्हे हिलाने चालू कर दिए और मैं भी सुन्दर से मस्त चुदाई मजा लेने लगी। सुन्दर का तगड़ा लंड अब चूत को दनादन पेल रहा था और वो ऊपर मेरे स्तन को चूस रहा था।
सुन्दर ने लंड चूत से बाहर निकाला और वह मुझे उल्टा करने लगा, मुझे लगा की वो मुझे घोड़ी बना कर चोदना चाहता होगा। मेरा यह भ्रम तब टूटा जब मेरे उलटे होते ही सुन्दर ने अपने हाथ में थोड़ा थूक ले के मेरी गांड के छेद पर मसल दिया। उसका थूक एकदम चिकना था और गांड का छेद इससे गीला हो गया। उसका लंड तो पहले से चूत के रस से गीला था, उसने धीमे से गांड के अंदर घुसाना चालू किया, मुझे असहनीय दर्द हो रहा था इस तगड़े लौड़े के गांड में जाने से, मैंने दोनों हाथ से पलंग की किनारे पकड़ रखे थे जिसे मैं जोर से दबा कर गांड मरवाने के दर्द को झेलने की कोशिश करने लगी।
मुझे पीड़ा में देख कर भी सुन्दर ने जरा दया नहीं दिखाई और उसने एक मिनट के अंदर तो गांड को लंड से भर दिया। उसने धीमे धीमे झटके चालू कर दिए और लंड गांड से आधा निकल कर वापस अंदर घुसा रहा था।
मेरा दर्द धीमे धीमे कम होता गया और अब तो मुझे गांड में लंड से मजा आने लगा। मैंने भी अब गांड को हौले हौले हिलाना चालू कर दिया। सुन्दर के हाथ मेरे कूल्हों पर थे और वह मुझमें अब उठ उठ कर लंड पेलने लगा था।
सुन्दर ने और जोर से गांड मारना चालू कर दिया, उसकी चूत मारने की स्टाइल जैसे ही गांड ठोकने की स्टाइल भी मुझे अच्छी लगी और वह अब थक चूका था इतना हिलने के बाद, उसका वीर्य गिरने ही वाला था कि वह लंड निकाल कर मुझे सीधा करने लगा।
मेरे सीधी होते ही उसने लंड को मेरे स्तन के ऊपर रख दिया। मैंने भी उसके लंड को अपने स्तनों के बीच दबा दिया, सुन्दर ने एक दो बार हिलाया और लंड से वीर्य छलक पड़ा। मेरे स्तनों के ऊपर सुन्दर का सारा वीर्य आ निकला !
दोस्तो, यह थी मेरे भाई के लंड से हुई मेरी चूत और गांड की ठुकाई की कहानी।
उस दिन चुदवाने के बाद मुझे बहुत ग्लानि हुई और मैं उस दिन से ही बिजली जाने से डरती हूँ, ना बिजली जाती, ना मैं मोमबत्ती जलाती !