साड़ी से झलकती जवानी की कमर

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शादीशुदा होने के बाद मैंने काफी अनुभव किया की किसी लड़की को चाहना और उसके साथ रहना कितना अलग चीज है। मैंने भी कांची से प्रेम विवाह किया था और जब मैं उसके साथ रहने लगा तो लगा की यह ऐसी चीज थी जो की मैंने शायद कभी सोंची भी नहीं थी। मुझे वो बेहद पसंद थी और शादी के बाद जब वो मेरी हो गई तो मैं उस पसंदीदा चीज को बहुत प्यार करना चाहता था। मेरी ये चाहत कुछ हद तक सही लगी पर उसकी ओर से कुछ ऐसा बर्ताव आया की मैंने सारे सपने और ख्वाब देखना बंद कर दिया। शादी से पहले उसकी बातो में रास होता था और शादी के बाद वो रास गायब ही हो गया। कई बार फ़ोन पर ही वो कहती थी की मैं उसकी पतली जवानी वाली कमर को देखता ही रह जाऊंगा पर अब वो खुद ही कमर को छुपा के रखती थी। यह बड़ी अजीब सा लगाने लगा की आखिर ऐसा क्या था जो अब नहीं है।

मैंने कई बार कांची से ये बात जननी चाही की आखिर अब क्या बदल गया जोकि वो मुझे अपने करीब भी नहीं देख पति थी। हमारे बीच जैसा वडा हुवा था उसके मुकाबले कुछ भी नहीं हो रहा था। यदि मैं सीधा बात करू तो सम्भोग का आनंद लेने के लिए मैंने खुद पर बहुत काबू रखा था ताकि मैं अपनी होने वाली बीवी को पूरी तरह से शुद्ध प्यार दे सकु।

साड़ी से झलकती जवानी की कमर

शादी के वक़्त मैंने भी जल्दी नहीं दिखाई और उसे पूरा मौका दिया की वो पूरी तरह से आराम में आजाये फिर जवानी के मजे लेंगे पर आराम तो आगया और अब वो रात को जल्दी भी सो जाती है और मैं सिर्फ उसके जागने का इन्तेजार करता हु। वो अब भी मुझे वैसी ही खूबसूरत लगाती है या यु कहे की वो मुझे पहले से ज्यादा पसंद आती है और उसकी पतली कमर साड़ी में मुझे बहुत आकर्षित करती है।
बीवी का दीवाना

मैं भी उसका दीवाना हु और उसे प्यार करके बताना चाहता हु की वो सच में कितनी खूबसूरत है पर जब हमारे बीच सम्भोग के नाम पर सिर्फ दो या तीन बार ही महीने में सम्भध हो तो मैं मजबूर होने लगा था। मेरे अंदर की सम्भोग की इच्छाए मुझे विवस करने लगी थी की मैं अपनी कांची को तंग करने के बजाये किसी घरेलु मंद लड़की के साथ दोस्ती करके जवानी के मजे लू।

यह सोंचना जितना आसान था उतना ही मुश्किल भी। मैं जब कांची के लिए अपने आप को शुद्ध रखा तो अब उसे धोखा देने का कैसे सोंच सकता था। फिर भी मैं उसे तंग नहीं करना चाहता था और जब भी मैं उससे सम्भोग की बाते करता तो वो गुस्से में आजाती और मुझे भला बुरा कह डालती।

एक बार तो उसने कह ही दिया की अगर मैं चहु तो मैं अपनी शारीरिक जरुरतो के लिए किसी और के पास जा सकता हु पर मैं ऐसा बिलकुल नहीं चाहता था। इसी बीच मेरी नई नौकरी लगी और जब मैं वह गया तो ऐसा लगा की दुनिया की कई खूबसूरत लडकिया यही मिलती है। लगभग हर विभाग में कई खूबसूरत लडकिया थी और मेरे अंदर भी कई लडकिया काम करने के लिए थी।

मैंने उन पर जरा भी बुरी नजर नहीं डाली। हालांकि जब वो छोटे कपडे पहन कर आती थी तब मेरे गुप्तांग पर असर जरूर करती थी पर मैं हमेशा खुद पर काबू पा लेता था। एक रात मैंने फिर से प्रयास किया की कुछ कांची के साथ हो जाये पर उसने गुस्सा करके मुझे फिरसे बुरा भला कहा।

गुस्से का असर मैं सुबह बहुत गुस्से में था और मैंने खाना बिना लिए ही ऑफिस के लिए निकल पड़ा। ऑफिस में मुझे फिर से लड़कियों के अलग-अलग आदाए दिखी। वो मुझे आज सच में लुभा रही थी। मेरे गुप्तांग को भी जोरो से हिला रही थी। मैंने बहुत काबू करने की कोसिस की पर मुझे लगा की अगर कोई आती है तो आने दो।

फिर मैंने किरण के स्तनों को घूरना शुरू कर दिया। उसका चुस्त कपडे में स्तन वाकई मेरे गुप्तांग पर बहुत भारी पद रहा था। मैंने उसे पास बुलाया और कुछ हसी मजाक वाली बात करनी शुरू करदी। बातो बातो में वो तो जैसे खुद ही फ़िदा होने लगी मुझ पर। उसने मुझे बहुत जगह छुआ और मैंने बेवकूफी भरे अंदाज़ में उसके स्तन को ही छू लिया।

मैंने उसे सॉरी भी बोला पर उसने शरारत भरे अंदाज़ में मेरे गुप्तांग पर हाथ रख कर सॉरी बोल दिया। मैंने उसे हाथ हटाने को कहा पर वो नहीं सुनी। मैंने फिर बोला की इसके बाद जो होगा उसके लिए मुझे दोष न देना। वो बड़े ही शरारती अंदाज़ में बोली की वो तैयार है। मैं भी तैयार था।

ऑफिस के वाशरूम में मैं उसका वह इन्तेजार करने लगा। जैसे ही वो आई मैंने उसके जवानी से बेहद मजे लिए और अपनी भूख को भी मिटा दिया। बहुत अच्छा लग रहा था मुझे और उसने भी शुक्रिया किया। साम को मैं घर गया और वह जाने के बारे में सोंच कर ही मुझे थोड़ा अजीब सा लग रहा था।

फिर भी घर पर मेरी बीवी ने रोज की तरह ही मेरा गुस्से जैसे चेहरे से स्वागत किया और फिर जब रात को हम सोने लगे तो वो बर्तन साफ़ करने के बाद कमरे में सोने आई। मैं सो चूका था पर उसका जब मुझे पर स्पर्श हुवा तो मैंने आँखे खोली और पाया की कांची पूरी नंगे बदन बिस्तर पर मुझे प्यार करने के लिए इन्तेजार कर रही है।

मैं बेहद खुस हुवा और उसकी पतली कमर से खेलते हुवे मैंने सम्भोग का अच्छा आनंद लिया। चुकी सुबह ही ऑफिस में एक लड़की के साथ सम्भोग कर चूका था तो घर पर बीवी के साथ करने में काफी वक्त लिया। जब हम दोनों संतुष्ट हो गये तो वो बोली की अगर मैं उसे हर रोज ऐसे ही लम्बे समय तक सम्भोग का आनंद दू तो शायद वो रोज मेरे साथ मजे करे।

फिर मुझे अकाल आई की कहा गलती थी। अब मैं सार गुड सीखने लगा की बीवी को लम्बे समय तक कैसे सम्भोग का आनंद दे। साथ ही मैंने थोड़े दिनों तक रात को सोने से पहले हस्थमैथुन करके जाता था जिससे कांची को मैं लम्बे समय तक आनंद भी देता था।